Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Notes in Hindi
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10 Class अर्थशास्त्र Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Notes in Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | आर्थिक विकास की समझ Economics |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक |
Category | Class 10 अर्थशास्त्र Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 Notes in Hindi
अध्याय = 2
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
Sectors of The Indian Economy
आर्थिक गतिविधि :-
ऐसे क्रियाकलाप जिनको करके जीवनयापन के लिए आय की प्राप्ति की जाती है ।
अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक :-
किसी भी अर्थव्यवस्था को तीन क्षेत्रक या सेक्टर में बाँटा जाता है :-
- प्राथमिक क्षेत्रक
- द्वितीयक क्षेत्रक
- तृतीयक क्षेत्रक
प्राथमिक क्षेत्रक :-
वह क्षेत्रक है जिसमे प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है , प्राथमिक क्षेत्रक कहलाता है । इस कृषि व सहायक क्षेत्रक भी कहा जाता है । उदाहरण :- कृषि , मत्स्य पालन आदि ।
द्वितीयक क्षेत्रक :-
वह क्षेत्रक जिसमे प्राथमिक क्षेत्रक से प्राप्त वस्तुओं को लेकर नई वस्तुओं का विनिर्माण किया जाता है , द्वितीयक क्षेत्रक कहलाता है । इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहते हैं ।
तृतीयक क्षेत्रक :-
तृतीयक क्षेत्रक प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रक के उत्पादन गतिविधियों में सहायता करता है । इसे सेवा क्षेत्रक भी कहते हैं । उदाहरण :- बैंकिग , परिवहन आदि ।
सेवा क्षेत्रक में उत्पादन सहायक गतिविधियों के अतिरिक्त अन्य सेवाएं भी हो सकती हैं । जैसे :- डॉक्टर , वकील आदि की सेवा , कॉल सेंटर , सॉफ्टवेयर विकसित करना आदि ।
Class 10 Social Science (Economics) Chapter 2 in Hindi
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
उत्पादन में तृतीयक क्षेत्रक
उत्पादन में तृतीयक क्षेत्रक का बढ़ता महत्व:– उत्पादन में तृतीयक क्षेत्र का बहुत महत्व है, यह प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को सहायता प्रदान करता है, तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। तृतीयक गतिविधियों में परिवहन, दूरसंचार, सेवाएँ, परामर्श,आदि सम्मिलित है।
- भारत में पिछले चालीस वर्षों में सबसे अधिक वृद्धि तृतीयक क्षेत्रक में हुई है।
- इस तीव्र वृद्धि के कई कारण हैं जैसे- सेवाओं का समुचित प्रबंधन, परिवहन, भंडारण की अच्छी सुविधाएँ, व्यापार का अधिक विकास, शिक्षा की उपलब्धता आदि।
- किसी भी देश में अनेक सेवाओं जैसे- अस्पताल परिवहन बैंक, डाक तार आदि की आवश्यकता होती है। कृषि एवं उद्योग के विकास में परिवहन व्यापर भण्डारण जैसी सेवाओं का विकास होता है।
- आय बढ़ने से कई सेवाओं जैसे- रेस्तरा, पर्यटन, शोपिंग, निजी अस्पताल तथा विद्यालय आदि की माँग शुरू कर देते हैं। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित कुछ नवीन सेवाएँ महत्वपूर्ण एवं अपरिहार्य हो गई है।
अल्प बेरोजगारी:
– जब किसी काम में जितने लोगों की जरूरत हो उससे ज्यादा लोग काम में लगे हो और वह अपनी उत्पादन क्षमता कम योग्यता से काम कर रहे है इसे प्रछन्न तथा छुपी बेरोजगारी भी कहते हैं। कृषि क्षेत्र में अल्प बेरोजगारी की समस्या अधिक है अर्थात् यदि हम कुछ लोगों को कृषि क्षेत्र से हटा भी देते हैं तो उत्पादन में विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अल्प बेरोजगारी के प्रकार:-
दृष्य अल्प रोजगार– सामान्य घंटों से कम काम का मिलना, अदृष्य अल्प रोजगार- पूरा दिन काम लेकिन आय कम।
शिक्षित बेरोज़गारी:– जब शिक्षित, प्रशिक्षित व्यक्तियों को उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिलता।
शिक्षित बेरोजगारी के कारण:– दुर्बल आर्थिक स्थिति, कुशल जनशक्ति की कमी, अनियंत्रित जनसंख्याँ में वृद्धि।
कुशल श्रमिक:– कुशल श्रमिक वे श्रमिक होते हैं, जिनके पास कौशल, प्रशिक्षण और ज्ञान होता है एवं जिसने किसी कार्य के लिए उचित प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
अकुशल श्रमिक:– अकुशल श्रमिक वह श्रमिक होते हैं, जिसमें ज्ञान, प्रशिक्षण व सीखने की आवश्यकता नहीं होती। जैसे- रिक्शा चालक, कुली अकुशल श्रमिक कहलाते हैं।
संगठित क्षेत्रक:- इसमें वे उद्यम या कार्य आते हैं, जहाँ रोजगार की अवधि निश्चित होती है। ये सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा निर्धारित नियमों व विनियमों का अनुपालन करते हैं। नियमित मासिक वेतन उद्योग, स्कूल, अस्पताल आदि।
असंगठित क्षेत्रक:- छोटी-छोटी और बिखरी हुई इकाइयाँ, जो अधिकाशंतः सरकारी नियंत्रण से बाहर रहती हैं, से निर्मित होता है। यहाँ प्रायः सरकारी नियमों का पालन नहीं किया जाता। दैनिक मजदूरी खेतिहर मजदूर, प्रवासी मजदूर, ताड़ी बनाने वाले, सफाईकर्मी आदि।
दोहरी गणना की समस्या:– ये समस्या तब उत्पत्र होती है जब राष्ट्रीय आय की गणना के लिए सभी उत्पादों के उत्पादन मूल्य को जोड़ा जाता है क्योंकि इसमें कच्चे माल का मूल्य भी जुड़ जाता है। अतः समाधान के लिए केवल अंतिम उत्पाद के मूल्य की गणना की जानी चाहिए।
असंगठित क्षेत्रक:- भूमिहीन किसान, कृषि श्रमिक, छोटे व सीमान्त किसान, काश्तकार, बँटाईदार, शिल्पी आदि। शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक श्रमिक, निमार्ण श्रमिक, व्यापार व परिवहन में कार्यरत, कबाड़ व बोझा ढोने वाले लोगों को संरक्षण की आवश्यकता होती है।
ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005:-
केन्द्रीय सरकार ने भारत के 200 जिलों में काम का अधिकार लागू करने का एक कानून बनाया है। यह अधिनियम 2 अक्टूबर 2009 को पारित किया गया।
काम का अधिकार:- सक्षम व जरूरतमंद बेरोज़गार ग्रामीण लोगों को प्रत्येक वर्ष 100 दिन के रोजगार की गारंटी सरकार के द्वारा असफल रहने पर बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा। भारत के संविधान में अनुच्छेद 41-43 में राज्यों को भारत के सभी नागरिकों के लिए काम का अधिकार, समाजिक सुरक्षा और एक शालीन जीवन सुरक्षित करने के अधिकार दिए गए हैं।
NCERT Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
अर्थव्यवस्था का क्रमिक विकास
प्राथमिक क्षेत्र से अभिप्राय:- प्राथमिक क्षेत्र अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र है, जिसमे प्राकृतिक संसाधनों का सीधा प्रयोग किया जाता है। प्राथमिक उद्योगों द्वारा ऐसे उत्पाद बनाये जाते हैं, जिन्हें आम जनता को आसानी से बेचा जा सके। इस क्षेत्र को कृषि सम्बद्ध गतिविधियाँ भी कहा जाता है। जैसे- कृषि, वानिकी, खनन इत्यादि। विकसित देशों में यह क्षेत्र तकनीकी रूप से अधिक उन्नति कर रहा है। जैसे- खेतों में रोपण हाथों से करने के बजाय मशीनीकरण का प्रयोग करना।
प्राथमिक क्षेत्र:- प्राथमिक क्षेत्रों का वर्गीकरण दो भागों में किया जाता है-
- अनुवांशिक उद्योग- अनुवांशिक क्षेत्रों में कच्चे माल का विकास सम्मिलित है जिसे व्यक्तियों की भागीदारी के माध्यम से सुधारा जा सकता है। जैसे- कृषि, मत्स्य पालन इत्यादि।
- निष्कर्षण उद्योग- निष्कर्षण उद्योगों को कृषि के माध्यम से पूरा नहीं किया जा सकता है। जैसे- खनिज अयस्कों का खनन करना, पत्थरों की खुदाई करना इत्यादि।
द्वितीयक क्षेत्र से अभिप्राय:- निर्माण और विनिर्माण उद्योग द्वितीयक उद्योग में सम्मिलित है। कच्चे माल का तैयार माल में परिवर्तन द्वितीयक क्षेत्र का हिस्सा है। जैसे- फर्नीचर बनाने के लिए लकड़ी का प्रयोग करना, ऑटोमोबाइल बनाने के लिए स्टील का प्रयोग करना इत्यादि।
द्वितीयक उद्योगों का भी वर्गीकरण दो भागों में किया जाता है-
- भारी उद्योग– यह उद्योग एक विस्तृत और विविध बाजार को पूरा करता है,जिसमे विनिर्माण क्षेत्र सम्मिलित है | जैसे- पेट्रोलियम, जहाज, प्रसंस्करण इत्यादि।
- प्रकाश उद्योग- इस उद्योग में कम मात्रा में कच्चे माल, कम बिजली की आवश्यकता होती है। जैसे- व्यक्तिगत उत्पाद, भोजन, पेय पदार्थ इत्यादि।
अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्रक से द्वितीयक क्षेत्रक की तरफ का क्रमिक विकास:-
- प्राचीन सभ्यताओं में सभी आर्थिक क्रियाएँ प्राइमरी सेक्टर में होती थीं। समय बदलने के साथ ऐसा समय आया जब भोजन का उत्पादन सरप्लस होने लगा। ऐसे में अन्य उत्पादों की आवश्यकता बढ़ने से सेकंडरी सेक्टर का विकास हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी में होने वाली औद्योगिक क्रांति के बाद सेकंडरी सेक्टर का तेजी से विकास हुआ।
- सेकंडरी सेक्टर के विकसित होने के बाद ऐसी गतिविधियों की जरूरत होने लगी जो औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सके। उदाहरण के लिए ट्रांसपोर्ट सेक्टर से ओद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। औद्योगिक उत्पादों को ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए हर मुहल्ले में दुकानों की जरूरत पड़ती है। लोगों को अन्य कई सेवाओं की आवश्यकता होती है, जैसे कि एकाउंटेंट, ट्यूटर, मैरेज प्लानर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, आदि की सेवाएँ। ये सभी टरशियरी सेक्टर में आते हैंं।
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 question answer
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न 1 कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
- सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ______ (हुई है/ नहीं हुई है)
- ______ क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/ कृषि)
- _______ क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/ असंगठित)
- भारत में _____ संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़ी/ छोटी)
- कपास एक _____ उत्पाद है और कपड़ा एक _____ उत्पाद है। (प्राकृतिक/ विनिर्मित)
- प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ ______ हैं। (स्वतंत्र/ परस्पर निर्भर)
उत्तर –
- सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि नहीं हुई है।
- तृतीयक क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं।
- संगठित क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा प्राप्त होती है।
- भारत में बड़ी संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं।
- कपास एक प्राकृतिक उत्पाद है और कपड़ा एक विनिर्मित उत्पाद है
- प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ परस्पर निर्भर हैं।
प्रश्न 2 सही उत्तर का चयन करे-
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित है।
- रोजगार की शर्तों।
- आर्थिक गतिविधि के स्वभाव।
- उद्यमों के स्वामित्व।
- उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या।
उत्तर – उद्यमों के स्वामित्व।
- एक वस्तु का अधिकांशत: प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन _______ क्षेत्रक की गतिविधि है।
- प्राथमिक।
- द्वितीयक।
- तृतीयक।
- सूचना औ
- द्योगिकी।
उत्तर – प्राथमिक।
- किसी विशेष वर्ष में उत्पादित ______ के मूल्य के कुल योगफल को जीडीपी कहते हैं।
- सभी वस्तुओं और सेवाओं।
- सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं।
- सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं।
- सभी मध्यवर्ती ईवं वस्तुओं और सेवाओं।
उत्तर – b) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं।
- जीडीपी के पदों में वर्ष 2003 में तृतीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी ______ है।
- 20% से 30% के बीच।
- 30% से 40% के बीच।
- 50% से 60% के बीच।
- 70%
उत्तर – a) 50% से 60% के बीच।
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 36)
प्रश्न 3 निम्नलिखित का मेल कीजिए-
क्रम. | कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ | क्रम. | कुछ संभावित उपाय |
1. | असिंचित भूमि | (क) | कृषि आधारित मिलों की स्थापना |
2. | फसलों का कम मूल्य | (ख) | सहकारी विपणन समिति |
3. | कर्ज भार | (ग) | सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
4. | मंदी काल में रोजगार का अभाव | (घ) | सरकार द्वारा नहरों का निर्माण |
5. | कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता | (ड) | कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना |
उत्तर –
क्रम. | कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ | क्रम. | कुछ संभावित उपाय |
1. | असिंचित भूमि | (घ) | सरकार द्वारा नहरों का निर्माण |
2. | फसलों का कम मूल्य | (ग) | सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
3. | कर्ज भार | (ड) | कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना |
4. | मंदी काल में रोजगार का अभाव | (क) | कृषि आधारित मिलों की स्थापना |
5. | कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता | (ख) | सहकारी विपणन समिति |
प्रश्न 4 असंगत की पहचान करें और बताइए क्यों?
- पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
- शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
- डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
- एम०टी०एन०एल०, भारतीय रेल, एयर इंडिया, सहारा एयरलाइन्स, ऑल इंडिया रेडियो।
उत्तर –
- पर्यटन-निर्देशक असंगत है, क्योंकि धोबी, दर्जी, कुम्हारे आर्थिक गतिविधियों में लगे हैं जिससे उन्हें धन प्राप्त हो रहा है जबकि पर्यटन-निर्देशक अनार्थिक क्रिया कर रहा है।
- सब्जी विक्रेता असंगत है, क्योंकि बाकी तीनों तृतीयक क्षेत्रक में लगे हैं, जबकि सब्जी विक्रेता तृतीयक क्षेत्रक में नहीं आता।
- मोची असंगत हैं, क्योंकि डाकिया, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल सार्वजनिक क्षेत्रक में आते हैं जबकि मोची निजी क्षेत्रक में है।
- सहारा एयरलाइंस प्राइवेट सेक्टर में है जबकि अन्य पब्लिक सेक्टर में
प्रश्न 5 एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों से मिलकर निम्न आँकड़े जुटाए-
कार्य स्थान | रोजगार की प्रकृति | श्रमिकों का प्रतिशत |
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में | संगठित | 15 |
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक | 15 | |
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक | 20 | |
छोटी कार्यशालाएँ, जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं |
तालिका को पूरा कीजिए। इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की प्रतिशतता क्या है?
उत्तर –
कार्य स्थान | रोजगार की प्रकृति | श्रमिकों का प्रतिशत |
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में | संगठित | 15 |
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक | संगठित | 15 |
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक | असंगठित | 20 |
छोटी कार्यशालाएँ, जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं | असंगठित | 50 |
प्रश्न 6 क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर – समाज में लोग अपनी आजीविका कमाने के लिए विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों में लगे रहते हैं। कोई वस्तुओं का उत्पादन करता है, कोई वस्तुओं को बेचता है या फिर अन्य काम में लगे रहते हैं। इन सब आर्थिक क्रियाओं को तभी समझा जा सकता है जब उन्हें विभिन्न वर्गों में विभाजित किया जाए। इसलिए विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र में बाँट कर उन्हें समझने का प्रयास किया गया है। प्राथमिक क्षेत्र में केवल वे क्रियाएँ शामिल की गई हैं जो प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके ही की जा सकती हैं, जैसे-कृषि कार्य, पशुपालन आदि। द्वितीयक क्षेत्र में वे क्रियाएँ शामिल हैं जो प्राथमिक क्षेत्र के संसाधनों का प्रयोग करके विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करती हैं, जैसे-गन्ने से चीनी बनाना तथा कपास से कपड़ा तैयार करना। तृतीयक क्षेत्र में किसी वस्तु का निर्माण न करके केवल सेवाएँ प्रदान की जाती हैं, जैसे-बैंकिंग, परिवहन तथा संचार सेवाएँ आदि। ये महत्वपूर्ण क्रियाएँ हैं क्योंकि अन्य दोनों प्रकार की क्रियाओं का विकास इन्हीं पर निर्भर करता है।
प्रश्न 7 इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर ही क्यों केंद्रित करना चाहिए? चर्चा करें।
उत्तर – जीडीपी से अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर मिलती है और विभिन्न क्षेत्रकों का योगदान समझ में आता है। नीति निर्धारकों के लिए जीडीपी एक तुरंत समझ में आने वाला रेफरेंस प्रदान करता है। इसलिए जीडीपी का अपना महत्व है। रोजगार के अवसरों से किसी भी अर्थव्यवस्था की सही सेहत का पता चलता है। इसलिए रोजगार की आँकड़े भी महत्वपूर्ण होते हैं।
प्रश्न 8 जीविका के लिए काम करनेवाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – जीविका के लिए काम करने वाले आस-पास के वयस्कों को हम निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं-
कार्य की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण–
- प्राथमिक क्षेत्र-वे सभी आर्थिक क्रियाएँ जो प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग द्वारा की जाती हैं उन्हें प्राथमिक क्षेत्र में रखा जाता है, जैसे-कृषि कार्य, खनन कार्य, मत्स्य पालन आदि।
- द्वितीयक क्षेत्र-इस क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त विभिन्न उत्पादों का प्रयोग करके विभिन्न उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है, जैसे-कपास से कपड़ा बनाना, गन्ने से चीनी बनाना आदि।
- तृतीयक क्षेत्र-इस क्षेत्र में किसी वस्तु का निर्माण नहीं किया जाता बल्कि सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। ये सेवाएँ प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अंतर्गत बैंकिंग, बीमा, रेलवे संचार एवं परिवहन आदि को शामिल किया जाता है।
रोजगार की दशाओं के आधार पर वर्गीकरण-
रोजगार की दशाएँ किस प्रकार की हैं इस आधार पर हम इसे दो भागों में बाँट सकते हैं।
- संगठित क्षेत्र- संगठित क्षेत्र-इसमें वे गतिविधियाँ आती हैं जिनमें रोजगार की अवधि नियमित होती है तथा इन्हें सरकारी नियमों को मानना पड़ता है।
- असंगठित क्षेत्र- असंगठित क्षेत्र-ये क्षेत्र सरकारी नियंत्रण से बाहर होता है। इसमें रोजगार की अवधि तथा नियम, उपनिय आदि निश्चित नहीं होते।
प्रश्न 9 तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न कैसे है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर –
तृतीयक सेक्टर | अन्य सेक्टर |
किसी भी भौतिक वस्तु का निर्माण नहीं होता है। | भौतिक वस्तु का निर्माण होता है। |
मशीन की जरूरत नहीं पड़ती है। | मशीन की जरूरत पड़ती है। |
इस सेक्टर में श्रमिकों के मानसिक क्षमता की अधिक जरूरत पड़ती है। | इस क्षेत्र में श्रमिकों के शारीरिक परिश्रम की अधिक जरूरत पड़ती है। |
उदाहरण– डिजाइनर, शेफ, शिक्षक, वकील, आदि। | उदाहरण– मिस्त्री, बढ़ई, राजमिस्त्री, आदि। |
प्रश्न 10 प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर – प्रच्छन्न बेरोजगारी अर्थात छुपी हुई बेरोजगारी, यह वह स्थिति है, जब एक श्रमिक काम तो कर रहा होता है लेकिन उसकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में एक श्रमिक किसी खास काम में इसलिये लगा रहता है क्योंकि उसके पास उससे बेहतर करने को कुछ भी नहीं होता। इस स्थिति में श्रमिक के पास कोई विकल्प नहीं होता बल्कि किसी खास काम को करने की मजबूरी होती है।
उदाहरण-
- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र में अक्सर देखने को मिलता है कि जिस खेत पर काम करने के लिए एक दो लोग काफी होते हैं उसी खेत पर कई लोग काम करते रहते हैं। इसलिए, यहां तक कि अगर हम कुछ लोगों को (कृषि व्यवसाय से) बाहर ले जाते हैं, तो उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।
- शहरी क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र में हजारों अनियत कर्मचारी हैं जहां वे पूरे दिन काम करते हैं परन्तु बहुत कम कमा पाते हैं, एक ही दुकान पर आपको कई भाई काम करते मिल जाएँगे। उनको अलग अलग दुकान चलाना चाहिए लेकिन सही अवसर के अभाव में उन्हें एक ही दुकान पर काम करने को बाध्य होना पड़ता है।
प्रश्न 11 खुली बेरोजगारी एवं प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर –
- खुली बेरोजगारी- वह परिस्थिति जिसमें किसी देश में श्रम शक्ति तो अधिक होती है किंतु औद्योगिक ढाँचा छोटा होता है, वह सारी श्रम शक्ति को नहीं खपा पाता अर्थात् श्रमिक काम करना चाहता है किंतु उसे काम नहीं मिलता। यह बेरोजगारी भारत के अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र में पाई जाती है।
- प्रच्छन्न या गुप्त बेरोजगारी- वह परिस्थिति जिसमें व्यक्ति काम में लगे हुए दिखाई देते हैं किंतु वास्तव में वे बेरोजगार होते हैं। जैसे-भूमि के टुकड़े पर आठ लोग काम कर रहे हैं किंतु उत्पादन उतना ही हो रहा है जितना पाँच लोगों के काम करने से होता है। ऐसे में तीन अतिरिक्त व्यक्ति जो काम में लगे हैं वह छुपे हुए बेरोजगार हैं क्योंकि उनके काम से उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 37)
प्रश्न 12 भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है क्या आप इससे सहमत हैं अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए?
उत्तर – इसका कारण यह है कि द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक में रोजगार के पर्याप्त अवसरों का सृजन नहीं हुआ। यद्यपि इस आलेख 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Page 9 अवधि में वस्तुओं के औद्योगिक उत्पादन में 3 गुना से ज्यादा वृद्धि हुई परन्तु औद्योगिक रोजगार में लगभग 3 गुना ही वृद्धि हुई ।
प्रश्न 13 “भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करते हैं।“ ये लोग कौन हैं?
उत्तर – सर्विस सेक्टर में नियमित और अनियमित श्रमिक काम करते हैं। जो श्रमिक अपने हुनर और मानसिक क्षमताओं का प्रयोग करता है और सामान्यत: सीधे रूप से नियोजित होता है उसे नियमित श्रमिक कहते हैं। जो श्रमिक ऐसी सेवा प्रदान करता है जिसमें मानसिक क्षमताओं की खास भूमिका न हो उसे अनियमित या अनौपचारिक श्रमिक कहते हैं। अंशकालीन रूप से नियोजित श्रमिकों को भी अनियमित श्रमिक की श्रेणी में रखा जाता है। उदाहरण: एक ठेले का मालिक जो किसी प्रकाशक के यहाँ कागज पहुँचाता है एक अनियमित श्रमिक होता है।
प्रश्न 14 “असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।“ क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर – यह सही है कि असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। असंगठत क्षेत्रक में काम करने वालों को कम मेहनताना मिलता है और उन्हें लंबे समय के लिये काम करना पड़ता है। उन्हें छुट्टियाँ शायद ही मिलती हैं। उन्हें सामाजिक सुरक्षा भी नहीं मिलती है।
प्रश्न 15 आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती हैं?
उत्तर – अर्थव्यवस्था में गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर अनेक मानदंडों के आधार पर वर्गीकृत की जाती हैं। मुख्यतः आर्थिक गतिविधियों को तीन प्रकार के क्षेत्रक वर्गीकरण में रखा जाता है
- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक-
- प्राथमिक क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके वस्तुओं का उत्पादन किया जाता जैसे वानिकी, मत्सन।
- द्वितीयक क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें उद्यम एक प्रकार के वस्तु को दूसरी प्रकार की वस्तु में परिवर्तित करता है, जैसे कपास द्वारा कपड़े का उत्पादन।
- तृतीयक क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। जैसे बीमा, बैंकिंग, संचार आदि।
- संगठित-असंगठित-
- संगठित क्षेत्र में वे उद्यम आते हैं जहां रोजगार की अवधि नियमित होती है।
- असंगठित क्षेत्र छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों जो अधिकांशत: सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं, से निर्मित होती है।
- सार्वजनिक तथा निजी-
- सार्वजनिक क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जिसमें उत्पादन के साधनों पर सरकार का स्वामित्व होता है। जैसे रेलवे, डाकघर आदि।
- निजी क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें उत्पादन के साधनों पर निजी व्यक्ति या संस्थाओं का स्वामित्व होता है, जैसे- टाटा कंपनी, रिलायंस कंपनी आदि।
- इन क्षेत्रकों में हम आर्थिक गतिविधियों को रोज़गार की परिस्थितियों के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं। क्योंकि कुछ गतिविधियां वस्तुओं का उत्पादन करते हैं और कुछ सेवाओं का सृजन करती हैं।
प्रश्न 16 संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर –
संगठित क्षेत्रक असंगठित क्षेत्रक इस सेक्टर में काम एक सिस्टम से होता है और नियमों की सीमा रेखा के अंदर होता है। इस सेक्टर में कोई सिस्टम नहीं होता और ज्यादातर नियमों का उल्लंघन होता है। इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार के नियमों के अनुसार होता है। इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार द्वारा तय पारिश्रमिक से कम होता है। श्रमिकों को नियम के हिसाब से सामाजिक सुरक्षा मिलती है। सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है। नौकरी सामान्यत: सुरक्षित होती है। नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं होती है। |
प्रश्न 17 मनरेगा 2005 के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – ‘काम के अधिकार’ के लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से नरेगा 2005 को लागू किया गया था। इस प्रोग्राम के तहत ग्रामीण क्षेत्र के हर परिवार के एक व्यक्ति को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन के लिये प्रतिबद्ध है। इस कार्यक्रम का एक और उद्देश्य है गाँवों से महानगरों की ओर होने वाले भारी पलायन को रोकना।
प्रश्न 18 अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए।
उत्तर – सार्वजनिक क्षेत्रक- वे उद्योग जो सरकारी तंत्र के अधीन होते हैं सार्वजनिक उद्योग कहलाते हैं, जैसे-भारतीय रेल, लोहा-इस्पात उद्योग, जहाज निर्माण आदि। सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसी वस्तुओं या सेवाओं का निर्माण होता है जो लोगों के लिए कल्याणकारी है। इनका उद्देश्य निजी हित या लाभ कमाना नहीं होता बल्कि सार्वजनिक लाभ इनका उद्देश्य होता है। इस क्षेत्र में वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमत का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है। निजी क्षेत्रक-वे उद्योग जो निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं
निजी क्षेत्रक कहलाते हैं। इसमें वे उद्योग आते हैं जो आम जनता की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं जैसे-टेलीविजन, एयर कंडीशनर, फ्रिज आदि बनाने वाले उद्योग। ये गतिविधियाँ निजी लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं। निजी क्षेत्र कल्याणकारी कार्य करने के लिए बाध्य नहीं है। यदि वह ऐसा कोई काम करता भी है तो उसकी अधिक कीमत लेता है जैसे-निजी विद्यालय सरकारी विद्यालयों से अधिक फीस वसूलते हैं। निजी क्षेत्र के उद्योगों में वस्तुओं की कीमतों का निर्धारण बाजारी शक्तियों द्वारा होता है।
प्रश्न 19 अपने क्षेत्र से एक एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए-
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | अव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | |
सार्वजनिक क्षेत्रक | ||
निजी क्षेत्रक |
उत्तर –
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | अव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | |
सार्वजनिक क्षेत्रक | एन.टी.पी.सी. | बी.एस.एन.एल. |
निजी क्षेत्रक | टाटा पावर | स्वादिष्ट ब्रेड कम्पनी |
प्रश्न 20 सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहारण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यांवयन क्यों किया जाता है?
उत्तर – सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- डाकघर
- भारतीय रेलवे
- भारतीय संचार निगम लिमिटेड
- परिवहन निगम
- विद्युत बोर्ड
- भारतीय जीवन बीमा निगम
सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यान्वयन स्वयं किया जाता है क्योंकि इन पर बहुत अधिक धन व्यय करना पड़ता है। इन गतिविधियों का इस्तेमाल करने वाले हजारों लोगों से मुद्रा एकत्र करना भी आसान नहीं है। फिर यदि वे इन गतिविधियों को निजी क्षेत्र के उपलब्ध करवाते हैं तो इसकी ऊंची कीमत लेते हैं। इसलिए सरकार इनमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रश्न 21 व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?
उत्तर – किसी भी देश के आर्थिक विकास में पब्लिक सेक्टर का अहम योगदान होता है। जब भारत एक गरीब देश हुआ करता था तो यहाँ की अर्थव्यवस्था को शुरुआती गति प्रदान करने में पब्लिक सेक्टर ने अहम भूमिका निभाई थी। पब्लिक सेक्टर ने आधारभूत उद्योग और आधारभूत संरचना तैयार की जिसके कारण प्राइवेट सेक्ट फल फूल सका। इस तरह से भारत के आर्थिक विकास में पब्लिक सेक्टर ने एक उत्प्रेरक का काम किया।
प्रश्न 22 असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है-मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर – असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है। इसे निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
- मजदूरी-असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को काम करने का समय निश्चित नहीं है उन्हें 10 से 12 घंटे तक बिना ओवरटाइम के कार्य करना पड़ता है। इन श्रमिकों में प्राय: रोजगार सुरक्षा का अभाव पाया जाता है। गरीबी के कारण ये प्रायः कम मजदूरी दरों पर काम करने को तैयार हो जाते हैं। इसलिए इन्हें इस संदर्भ में सुरक्षा दी जानी चाहिए। इनके भी काम करने के घंटे तथा मजदूरी निश्चित होनी चाहिए।
- सुरक्षा-इस क्षेत्र के श्रमिक प्राय: जोखिम वाले कार्यों में संलग्न रहते हैं जैसे-ईंट उद्योग, कोयले की खानों आदि में कार्य करते हैं। अत: इनकी सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए।
- स्वास्थ्य-ये श्रमिक गरीब होते हैं। इनको पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता। ये स्वास्थ्य के विपरीत परिस्थितियों में काम करते हैं। इन कारणों से इनकी स्थिति अच्छी नहीं होती। इनके स्वास्थ्य के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए।
प्रश्न 23 अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन पत्र में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997-98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपये थी इसमें से 320 करोड़ रुपये संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होते थे।
उत्तर –
संगठित क्षेत्रक | असंगठित क्षेत्रक | कुल योग | |
श्रमिकों की संख्या | 400,000 | 1,100,000 | 1,500,000 |
कुल आय (करोड़ रुपये) | 320 | 280 | 600 |
इस सारणी से यह स्पष्ट है कि असंगठित क्षेत्रक में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या अधिक है। लेकिन संगठित क्षेत्र में प्रति व्यक्ति आय अधिक है। सरकार को चाहिए कि असंगठित क्षेत्रक के मालिकों को इस बात के लिये प्रोत्साहित करे कि वे संगठित क्षेत्रक में आ जाएँ। सरकार को इसके लिये कुछ प्रलोभन देना चाहिए जैसे कि टैक्स ब्रेक।
प्रश्न1 सेवा क्षेत्रक में शामिल गतिविधियों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर – परिवहन, संचार व बैंकिग
प्रश्न2 अर्थव्यवस्था में प्रत्येक क्षेत्रक के अंतिम उत्पाद की ही गणना क्यों की जाती है?
उत्तर – दोहरी गणना की समस्या से बचने के लिए।
प्रश्न3 सार्वजनिक व निजी क्षेत्रक को किस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है?
उत्तर – उद्यमों के स्वामित्व के आधार पर।
प्रश्न4 रोजगार सृजन में किस क्षेत्र का भारत में प्रथम स्थान है?
उत्तर – प्राथमिक क्षेत्रक का।
प्रश्न5 संगठित क्षेत्र की दो विशेषताएँ बातइए?
उत्तर – संगठित क्षेत्र की दो विशेषताएँ इस प्रकार है –
1. संगठित क्षेत्र में नौकरी सुरक्षित है।
2. संगठित क्षेत्र में कर्मचारी योजनाओं का लाभ मिलता है।
प्रश्न6 रोजगार गारन्टी अधिनियम किस वर्ष लागू किया गया?
उत्तर – वर्ष 2005 में।
प्रश्न7 आर्थिक गतिविधियाँ जो तृतीयक क्षेत्रक में नहीं आती है एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर – मधुमक्खी पालन आदि।
प्रश्न8 सार्वजनिक क्षेत्रक में सरकार का मुख्य उद्देश्य क्या होता हैं?
उत्तर – सामाजिक कल्याण व सुरक्षा प्रदान करना।
प्रश्न9 ‘टिस्को’ जैसी कम्पनी में कौन सा एक्ट लागू नहीं होगा?
उत्तर – राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम।
प्रश्न10 प्रच्छन्न बेरोजगारी को किस अन्य नाम से भी जाना जाता है?
उत्तर – अल्प बेरोजगारी या छिपी हुई बेरोजगारी।
NCERT Class 6 to 12 Notes in Hindi
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Author: NCERT
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