Class 10 भूगोल Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Notes PDF in Hindi

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Class 10 भूगोल Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Notes PDF in Hindi

Class 10 Social Science [ Geography ] Bhugol Chapter 6 Manufacturing Industries Notes In Hindi

10 Class Geography Chapter 6 Manufacturing Industries Notes

TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectभूगोल Geography
ChapterChapter 6
Chapter Nameविनिर्माण उद्योग Manufacturing Industries
CategoryClass 10 भूगोल Notes in Hindi
MediumHindi

अध्याय = 6
विनिर्माण उद्योग

Class 10 सामाजिक विज्ञान नोट्स
विनिर्माण उद्योग

विनिर्माण का महत्त्व

मशीनों द्वारा बड़ी मात्रा में कच्चे माल से अधिक मूल्यदान वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण कहते है। विनिर्माण का विस्तृत रूप उद्योग कहलाता है।

विनिर्माण उद्योगों का महत्व:- विनिनिर्माण उद्योगों से लोगों की आय में खेती से निर्भरता कम हो जाती है तथा प्राइमरी और सेकेंडरी सेक्टर में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में मदद मिलती है। जिससे बेरोजगारी और गरीबी दूर होती है। इन उद्योगों से निर्यात बढ़ने के कारण विदेशी मुद्रा देश में आती है, अर्थात इन उद्योगों का बहुत महत्व है।

  • कृषि का आधुनिकीकरण
  • रोजगार के लिए आधारभूत ढाँचें प्रदान करता है
  • क्षेत्रीय विषमताओं को कम करना
  • बेराजगारी का उन्मूलन
  • निर्मित वस्तु का निर्यात

उद्योगों की अवस्थिति के भौतिक कारक:-

  • अनुकूल जलवायु– उद्योगों में वृद्धि के लिए वहाँ की जलवायु भी एक महत्वपूर्ण करक है।
  • शक्ति के साधन उद्योगों में मशीन लगाने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है। जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।
  • कच्चे माल की उपलब्धता उद्योगों की स्थापना वही करनी चाहिए। जहाँ पर कच्चे माल की उपलब्धता हो, जैसे- चीनी उद्योग वही स्थापित किया जाना चाहिए जहाँपर गन्ने की खेती हो।
Class 10 भूगोल Chapter 6
कक्षा 10 भूगोल अध्याय 5 नोट्स

उद्योगों की अवस्थिति के मानवीय कारक:-

  • श्रम– उद्योगों में श्रम आपूर्ति के लिए कुशल और तकनीकी क्षमता से युक्त लोगों की आवश्यकता होती है।​​​​​​
  • पूँजी– उद्योगों में पूँजी निवेश एक मूलभूत तत्व है।
  • बाजार– उद्योगों के त्वरित निष्पादन के लिए बाजार आवश्यक है।
  • परिवहन और संचार– कच्चे माल को एक स्थान से दूसरें स्थान ले जाने के लिए भूमि एवं जल परिवहन की आवश्यकता होती है।
  • आधारित संरचना– उद्योगों के निर्माण में संरचना महत्वपूर्ण है। जैसे- परिवहन एवं संचार के साधनों की उपलब्धता, व्यापक क्षेत्रों की आवश्यकता आदि।
  • उद्यमी– उद्यमी अर्थात जिनके द्वारा उद्योग स्थापित किया जाता है।
  • सरकारी नीतियाँ– सरकार की तरफ से बनायी गई नीतियाँ एवं योजनाएँ भी उद्योगों के लिए लाभकारी है।

Class 10 भूगोल Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Notes in Hindi

Class 10 सामाजिक विज्ञान नोट्स
विनिर्माण उद्योग

उद्योगों का वर्गीकरण

उद्योग उस आर्थिक गतिविधि से सम्बंधित है जो वस्तुओं के उत्पादन, खनिजों के निष्कर्षण एवं सेवाओं की व्यवस्था से सम्बंधित है।
उद्योगों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया जाता है:-

प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर:- 

इनके अंतर्गत वह उद्योग आते हैं, जिनमे कच्चे माल का उपयोग किया जाता है।

  • कृषि आधारित सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रेशम वस्त्र, रबर, चीनी, चाय, काफी तथा वनस्पति तेल उद्योग।
  • खनिज आधारित लोहा तथा इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम, मशीन, औज़ार तथा पेट्रोरासायन उद्योग।
  • वन आधारित उद्योग- कागज उद्योग, औषधि, निर्माण उद्योग, फर्नीचर उद्योग, भवन निर्माण।
  • समुद्र आधारित उद्योग सागरों एवं महासागरों से प्राप्त जीवों, मछली उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, खनिज तेल।

प्रमुख भूमिका के आधार पर:-

 उद्योगों का वर्गीकरण दो भागों में किया जाता है।

  • आधारभूत उद्योग:– जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर हैं जैसे-लोहा इस्पात, ताँबा प्रगलन व एल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग।
  • उपभोक्ता उद्योग:- जो उत्पादन उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग हेतु करते हैंं जैसे- चीनी, दंतमंजन, कागज, पंखे, सिलाई मशीन आदि।

पूँजी निवेश के आधार पर:- 

उद्योगों को तीन भागों में बांटा जाता है।

  • कुटीर उद्योग– ऐसे उद्योगों में किसी विशेष पूँजी की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि परिवार के सदस्यों द्वारा ही उत्पादन का कार्य किया जाता है। जैसे- टोकरी बनाना, सजावट का सामान बनाना इत्यादि।
  • लघु उद्योग– आधुनिक समय में जिस उद्योग में एक करोड़ से कम का निवेश किया जाता है, वह उद्योग लघु उद्योग की श्रेणी में आते हैं। रेशम उद्योग, फर्नीचर उद्योग इत्यादि ।
  • वृहत उद्योग– बड़े पैमाने के उद्योग बड़ी मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, इसमें बड़े पैमाने पर पूँजी का निवेश होता है।

स्वामित्व के आधार पर:- 

स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को चार भागों में बांटा जाता है-

  • सार्वजनिक क्षेत्र में लगे, सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रबंधित तथा सरकार द्वारा संचालित उद्योग जैसे- भारत हैवी इलैक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL) तथा स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) आदि।
  • निजी क्षेत्र के उद्योग जिनका एक व्यक्ति के स्वामित्व में और उसके द्वारा संचालित अथवा लोगों के स्वामित्व में या उनके द्वारा संचालित है। टिस्को, बजाज ऑटो लिमिटेड, डाबर उद्योग आदि।
  • संयुक्त उद्योग– वे उद्योग जो राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलाए जाते हैंं। जैसे- ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL)।
  • सहकारी उद्योग- जिनका स्वामित्व कच्चे माल की पूर्ति करने वाले उत्पादकों, श्रमिकों या दोनों के हाथों में होता है। संसाधनों का कोष संयुक्त होता है तथा लाभ-हानि का विभाजन भी अनुपातिक होता है, जैसे – महाराष्ट्र के चीनी उद्योग, केरल के नारियल पर आधारित उद्योग।

कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर:-

इन उद्योगों का वर्गीकरण दो भागों में किया जाता है-

  • भारी उद्योग जैसे लोहा तथा इस्पात आदि।
  • हल्के उद्योग जो कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग कर हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैंं जैसे- विद्युतीय उद्योग।

Class 10 भूगोल Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Notes in Hindi

Class 10 सामाजिक विज्ञान नोट्स
विनिर्माण उद्योग

कृषि आधारित उद्योग

सूती वस्त्र, पटसन, रेशम, ऊनी वस्त्र, चीनी तथा वनस्पति तेल आदि उद्योग कृषि से प्राप्त कच्चे माल पर आधारित हैं।

सूती कपड़ा उद्योग:-

 भारत का सबसे पुराना और विस्तृत उद्योग सूती वस्त्र उद्योग है। इसकी उत्पत्ति 1818 में हुई थी।

  • पहला सूती वस्त्र उद्योग 1854 में मुंबई में बॉम्बे स्पिनिंग एंड वीविंग द्वारा स्थापित की गई।
  • महात्मा गांधी ने चरखा कातने और खादी के पहनावे पर जोर दिया जिससे बुनकरों को रोजगार मिल सके।
  • आरंभिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास केन्द्रों तक ही सीमित थे। कपास की उपलब्धता, बाजार परिवहन, पतनों की समीपता, श्रम, नमीयुक्त जलवायु आदि कारकों ने इसके स्थानीयकरण को बढ़ावा दिया।
  • कताई कार्य महाराष्ट्र गुजरात तथा तमिलनाडु में केंद्रित हैं लेकिन सूती रेशम, जरी कशीदाकारी आदि में बुनाई के परंपरागत कौशल और डिजाइन देने के लिए बुनाई अत्यधिक विकेंदीकृत हो गई।

पटसन उद्योग:- पटसन उद्योग सरकारी क्षेत्रों पर निर्भर उद्योग है, जो हर वर्ष 5500 करोड़ रूपए से अधिक के पटसन उत्पादों की खरीद करता है जूट उद्योग में पश्चिम बंगाल का मुख्य स्थान है।

  • भारत पटसन व पटसन निर्मित समान का सबसे बड़ा उत्पादक है तथा बांग्लादेश दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है।
  • भारत में पटसन उद्योग अधिकांशतः हुगली नदी के तट पर संकेद्रित है जिसके निम्न कारण है-
    1. पटसन उत्पादक क्षेत्रों की निकटता
    2. सस्ता परिवहन
    3. सस्ते श्रमिक
    4. जल की अधिकता
    5. कोलकत्ता का एक बड़े नगरीय केन्द्र के रूप में बैकिंग बीमा और जुट के निर्यात के लिए पत्तन की सुविधाएँ प्रदान करता है।
  • कृत्रिम वस्त्रों की बढ़ती माँग के कारण पटसन उद्योग को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कृत्रिम वस्त्रों से प्रतिस्पर्धा।
  • माँग में वृद्धि हेतु उत्पादन में विविधता का होना।
  • बांग्लादेश, ब्राजील देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा।

राष्ट्रीय पटसन नीति के उद्देश्य:-

  • पटसन के उत्पादन में वृद्धि
  • गुणवत्ता में सुधार,
  • पटसन उत्पादक किसानों को अच्छा मूल्य दिलाना
  • प्रति हेक्टेयर उत्पादकता को बढ़ाना

चीनी उद्योग:-

  • चीनी उद्योग बहुत ही महत्वपूर्ण कृषि पर आधारित उद्योग हैं। वर्तमान में भारतीय चीनी उद्योगों का वार्षिक उत्पादन सम्भवतः 80,000 करोड़ रूपए है।
  • भारत का चीनी उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान है व गुड़ व खांडसारी के उत्पादन में इसका प्रथम स्थान है।
  • चीनी मिलें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र, प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा तथा मध्य प्रदेश राज्यों में फैली है।
  • पिछले कुछ वर्षों से इन मिलों की संख्या दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में विशेषकर महाराष्ट्र में बढ़ी है। इसके कारण निम्नलिखित हैं-
    1. गन्ने में सूक्रोस की अत्यधिक मात्रा हैं।
    2. ठंडी जलवायु
    3. सहकारी समितियाँ अधिक सफल हुई।

समस्या:-

  • अल्पकालिक उत्पादन
  • पुरानी व असमक्षम तकनीक
  • परिवहन की असक्षमता

विनिर्माण उद्योग class 10 notes in hindi | manufacturing

Class 10 सामाजिक विज्ञान नोट्स
विनिर्माण उद्योग

खनिज आधारित उद्योग

यह वह उद्योग हैं, जिनके द्वारा कच्चे माल के रूप में धात्विक एवं अधात्विक खनिजों का उपयोग किया जाता हैं तथा ये उद्योग लौह एवं अलौह धातु निर्माण की प्रक्रिया पर आधारित होते हैं।

लोहा तथा इस्पात उद्योग:- यह उद्योग किसी भी राष्ट्र के औद्योगिक विकास की आधारशिला हैं। कच्चे लोहे का उत्पादन करने वाली देश की पहली इकाई 1874 में कुल्टी नामक स्थान पर अस्तित्व में आयी, जिसे बंगाल आयरन वर्क्स नाम दिया गया। टिस्को को देश का सबसे पुराना कारखाना माना जाता हैं।

  • लौह तथा इस्पात एक आधारभूत उद्योग है क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के और मध्य उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर है।
  • इस उद्योग के लिए लौह-अयस्क, कोकिंग कोल तथा चूना पत्थर का अनुपात लगभग 4 : 2 : 1 का है।
  • वर्ष 2016 में भारत 956 लाख टल इस्पात का विनिर्माण कर संसार में कच्चा इस्पात उत्पादकों में तीसरे स्थान पर था। यह स्पंज लौह का सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग सभी उपक्रम अपने इस्पात को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के माध्यम से बेचते है।
  • भारत के छोटा नागपूर के पठारी क्षेत्र में अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग संकेन्द्रित है। इसके निम्नलिखित कारण है-
    1. लौह अयस्क की कम लागत
    2. उच्च कोटि के कच्चे माल की निकटता
    3. सस्ते श्रमिक
    4. स्थानीय बाजार

भारत में इसके पूर्ण विकास न हो पाने के कारण:-

  • उच्च लागत तथा कोकिंग कोयलें की सीमित उपलब्धता
  • कम श्रमिक उत्पादकता
  • ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति
  • अविकसित अवसंरचना

एल्यूमिनियम प्रगलन (Smelting):- भारतीय एल्युमिनियम कंपनी के अलुपुरम रिडक्शन वर्क्स द्वारा पहली बार 1938 में एल्युमिनियम का उत्पादन किया गया। हिंदुस्तान एल्युमिनियम कारपोरेशन लिमिटेड उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के पास रेणुकूट में स्थित हैं।

  • भारत में एल्यूमिनियम प्रगलन दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण धातु शोधन उद्योग है।
  • यह हल्का, जंग अवरोधी, ऊष्मा का सूचालक, लचीला तथा अन्य धातुओं के मिश्रण से अधिक कठोर बनाया जा सकता है।
  • भारत में एल्यूमिनियम प्रगलन संयंत्र ओडिशा, पश्चिम बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व तमिलनाडु राज्यों में स्थित है।

इस उद्योग की स्थापना की दो महत्वपूर्ण आवश्यकताएँ है:-

  • नियमित ऊर्जा की पूर्ति
  • कम कीमत पर कच्चे माल की उपलब्धता

रसायन उद्योग:- 

यह उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं। इसमें वे सभी उद्योग आते हैं जो औद्योगिक रसायनों का उत्पादन करते हैं। यह उद्योग कच्चे माल जैसे- तेल, प्राकृतिक गैस, जल, धातु, खनिज आदि को अन्य उत्पादों में परिवर्तित करते हैं।

  • भारत में कार्बनिक व अकाबर्निक दोनो प्रकार के रसायनों का उत्पादन होता है।
  • कार्ननिक रसायन में पेट्रो रसायन शामिल है जो कृत्रिम वस्त्र, रबर, प्लास्टिक, दवाईयाँ आदि बनाने में काम आता है।
  • अकार्बनिक रसायन में सलफ्यूरिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल, क्षार आदि शामिल है।
  • भारत के सकल घरेलू उत्पाद में रसायन उद्योग की भागीदारी लगभग 3 प्रतिशत है।
  • यह उद्योग एशिया में तीसरा सबसे बड़ा व विश्व में आकार की दृष्टि से 12 वे स्थान पर है।

उर्वरक उद्योग:- 

भारत में उर्वरक उद्योग जमीन की उत्पादक क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी हैं। यह पानी में घुलनशील यौगिकों और खनिजों से समृद्ध होते हैं।

  • उर्वरक उद्योग नाइट्रोजनी उर्वरक (मुख्यतः यूरिया), फास्फेटिक उर्वरक तथा अमोनिया फास्फेट और मिश्रित उर्वरक के इर्द-गिर्द केन्द्रित है।
  • हमारे देश में पोटेशियम यौगिकों के भंडार नहीं है। इसलिए हम पोटाश का आयात करते हैं।
  • हरित क्रांति के बाद इस उद्योग का विस्तार देश के कई भागों में हुआ है।

सीमेंट उद्योग:-

 यह उद्योग कच्चे माल पर आधारित उद्योग हैं। भारत में पहला सीमेंट संयंत्र में पोरबंदर गुजरात में स्थापित किया गया था।

  • इस उद्योग को भारी व स्थूल कच्चे माल जैसे-चूना पत्थर, सिलिका और जिप्सम की आवश्यकता होती है।
  • रेल परिवहन, कोयला व विद्युत आवश्यक।
  • इसका उपयोग निर्माण कार्यों में होता है।
  • इस उद्योग की इकाइयाँ गुजरात में लगाई गई है क्योंकि यहाँ से खाड़ी के देशों में व्यापार की उपलब्धता है।

मोटरगाड़ी उद्योग:-

 भारत में वाहन उद्योग संसार का सबसे विस्तृत वाहन उद्योग हैं। जिसने 2009 में 26 लाख इकाइयों का उत्पादन किया।

  • मोटरगाड़ी यात्रियों तथा सामान के तीव्र परिवहन के साधन हैं।
  • उदारीकरण के पश्चात् नए और आधुनिक मॉडल के वाहनों का बाजार तथा वाहनों की माँग बड़ी हैं।
  • यह उद्योग दिल्ली, गुड़गाँव मुंबई, पुणे, चेन्नई आदि शहरों के आस-पास स्थापित है।

सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रॉनिक उद्योग:-

 यह सूचना से सम्बंधित उद्योग हैं। इसका प्रयोग योजना बनाने, नीति का निर्धारण करने तथा निर्णय लेने में होता हैं।​​​​​​​

  • इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के अंतर्गत आने वाले उत्पादों में ट्रांजिस्टर से लेकर टेलीविजन, टेलीफोन एक्सचेंज, रडार, कंप्यूटर तथा दूरसंचार उद्योग के लिए उपयोगी अनेक उपकरण तक बनाए जाते हैं।
  • भारत की इलेक्ट्रॉनिक राजधानी के रूप में बेंगलूरू का विकास हुआ।
  • भारत में सूचना और प्रौद्योगिकी उद्योग के सफल होने के कारण हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर का निरंतर विकास हुआ है।

पाठ 6 – विनिर्माण उद्योग भूगोल के नोट्स| Class 10th

Class 10 सामाजिक विज्ञान नोट्स
विनिर्माण उद्योग

प्रदूषण के प्रकार

पर्यावरण में हानिकारक, जीव नाशक तथा विषैले पदार्थों के सम्मिलित होने को प्रदूषण कहते है तथा वे पदार्थ जो प्रदूषण को फैलाते हैं प्रदूषक कहलाते हैं। पर्यावरण की जागरूकता को फ़ैलाने के लिए हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, क्योकि पर्यावरण को बचाकर रखना हर एक मनुष्य की जिम्मेदारी हैं।

प्रदूषकों को प्रवृति के आधार पर दो भागों में विभाजित किया जाता हैं:-

  • अनिम्नीकरणीय प्रदूषक: यह वे प्रदूषक हैं, जो सूक्ष्म जीवों के द्वारा अपघटित नहीं हो पाते हैं। जैसे- शीशा, प्लास्टिक, मर्करी, स्मोग गैसे आदि।
  • जैव निम्नीकरणीय प्रदूषक: ये वह प्रदूषक हैं, जिनका सूक्ष्म जीवों के द्वारा अपघटन होता हैं। परन्तु अधिक मात्रा में जमा होने से समस्या उत्पन्न हो जाती हैं।

प्रदूषण के प्रकार:-


यद्यपि उद्योगों की भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि व विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका है, तथापि इनके द्वारा बढ़ते भूमि, वायु, जल तथा पर्यावरण प्रदूषण को भी नकारा नहीं जा सकता। उद्योग चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं – (i) वायु, (ii) जल, (iii) भूमि, (iv) ध्वनि। प्रदूषण करने वाले उद्योगों में ताप विद्युतगृह भी सम्मिलित हैं।

  1. वायु प्रदूषण- अधिक अनुपात में अनचाही गैसों की उपस्थिति जैसे सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण का कारण है। वायु में निलंबित कणनुमा पदार्थों में ठोस व द्रवीय दोनों ही प्रकार के कण होते हैं जैसे – धूल, स्प्रे, कुहासा तथा धुआँ। रसायन व कागज़ उद्योग, ईंटों के भट्टे, तेल शोधनशालाएँ, प्रगलन उद्योग, जीवाश्म ईंधन दहन तथा छोटे-बड़े कारखाने प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन करते हुए धुआँ निष्कासित करते हैं। जहरीली गैसों का रिसाव बहुत भयानक तथा दूरगामी प्रभावों वाला हो सकता है। क्या आप भोपाल गैस त्रासदी के विषय में जानते हैं? वायु प्रदूषण, मानव स्वास्थ्य, पशुओं, पौधों, इमारतों तथा पूरे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालते हैं।
  2. जल प्रदूषण- उद्योगों द्वारा कार्बनिक तथा अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों के नदी में छोड़ने से जल प्रदूषण फैलता हैं। जल प्रदूषण के प्रमुख कारक- कागज, लुग्दी, रसायन, वस्त्र, तथा रंगाई उद्योग, तेल शोधन शालाएँ, चमड़ा उद्योग तथा इलैक्ट्रोप्लेटिंग उद्योग हैं जो रंग, अपमार्जक, अम्ल, लवण तथा भारी धातुएँ जैसे सीसा, पारा, कीटनाशक, उर्वरक, कार्बन, प्लास्टिक और रबर सहित कृत्रिम रसायन आदि जल में वाहित करते हैं। भारत के मुख्य अपशिष्ट पदार्थों में फ्लाई एश, फोस्फो-जिप्सम तथा लोहा-इस्पात की अशुद्धियाँ (slag) हैं।
  3. भूमि प्रदूषण जब कारखानों तथा तापघरों से गर्म जल को बिना ठंडा किए ही नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है, तो जल में तापीय प्रदूषण होता है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्र उत्पादक कारखानों से कैंसर, जन्मजात विकार तथा अकाल प्रसव जैसी बीमारियाँ होती हैं। मृदा व जल प्रदूषण आपस में संबंधित हैं। मलबे का ढेर विशेषकर काँच, हानिकारक रसायन, औद्योगिक बहाव, पैकिंग, लवण तथा कूड़ा-कर्कट मृदा को अनुपजाऊ बनाता है। वर्षा जल के साथ ये प्रदूषक जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँच कर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।
  4. ध्वनि प्रदूषण- ध्वनि प्रदूषण से खिन्नता तथा उत्तेजना ही नहीं वरन् श्रवण असक्षमता, हृदय गति, रक्त चाप तथा अन्य कायिक व्यथाएँ भी बढ़ती हैं। अनचाही ध्वनि उत्तेजना व मानसिक चिंता का स्रोत है। औद्योगिक तथा निर्माण कार्य, कारखानों के उपकरण, जेनरेटर, लकड़ी चीरने के कारखाने, गैस यांत्रिकी तथा विद्युत ड्रिल (Drill) भी अधिक ध्वनि उत्पन्न करते हैं।

प्रदूषण रोकने के उपाय:-

  • तीन आर का उपयोग (Reduce, Reuse, Recycle) (कम प्रयोग, पुनः प्रयोग, पुनःचक्रण)
  • वर्षा जल का संग्रहण
  • औद्योगिक कचरे का सही निस्तारण
  • ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग
  • ऐसी तकनीक का विकास जो टिकाऊ हो व कम प्रदूषण करे

विनिमाण किसे कहते हैं ?

उत्तर- कच्चे माल को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण कहते हैं।

कौन सा कारक किसी उद्योग की अवस्थिति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ?

उत्तर- न्यूनतम उत्पादन लागत।

विनिमाण उद्योगों का क्या महत्व है ?

उत्तर- विनिर्माण उद्योगों के विकास तथा स्पर्धा से कृषि उत्पादन और वाणिज्य व्यापार को बढ़ावा मिलता है।

उद्योगों की स्थापना को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से है ?

उत्तर- कच्चे माल की उपलब्धता, श्रमिक, पूंजी, बाजार, शक्ति के साधन, वित्तीय संस्थाएँ आदि।

आधारभूत उद्योग किसे कहते हैं?

उत्तर- ऐसे उद्योग जिनके उत्पादन व कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर हैं जैसे लोहा—इस्पात उद्योग, एल्यूमीनियम उद्योग, प्रगलन उद्योग आदि।

भारत का कौन सा लोहा इस्पात संयंत्र जर्मन के सहयोग से स्थापित किया गया है ?

उत्तर- दुर्गापुर।

पहला सफल सूती वस्त्र उद्योग कब व कहाँ लगाया गया था ?

उत्तर- 1854 में मुंबई में |

कौन सी एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील बाजार में उपलब्ध करवाती है।

उत्तर- स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड।

सीमेंट उद्योग की इकाइयाँ गुजरात में क्यों लगाई गई हैं?

उत्तर- गुजरात में इस उद्योग को खाड़ी देशों में नियति की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

पहला सीमेंट उद्योग कब और कहाँ स्थापित किया गया ?

उत्तर- 1904 में चेन्नई में।

भारत की इलैक्ट्रानिक राजधानी का नाम लिखिए।

उत्तर- बंगलौर

द्वितीयक क्रियाओं का क्या अर्थ है।

उत्तर- द्वितीयक क्रियाओं में लगे व्यक्ति कच्चे माल का आकार बदलकर व उसे परिष्कृत वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं।

कौन से उद्योग में चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है |

उत्तर- सीमेंट उद्योग।

 पैराम्बूर किस लिए प्रसिद्ध है?

उत्तर- रेलगाड़ी व मालगाड़ी के डिब्बे बनाने के लिए।

 पटसन का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन सा है ?

उत्तर- बांग्लादेश।

भिलाई इस्पात कारखाना किस राज्य में है?

उत्तर- छत्तीसगढ़।

वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले उद्योगों के नाम बताइए।

उत्तर- प्रगलन उद्योग, रसायन व कागज़ उद्योग, तेलशोधन शालाएँ, ईटों के भट्टे।

ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले उद्योगों के नाम बताइए।

उत्तर- जेनरेटर, औद्योगिक व निर्माण कार्य, लकड़ी चीरने के कारखाने, विद्युत ड्रिल |

विनिर्माण उद्योग: Class 10 Geography Chapter 6 Notes in Hindi

NCERT Class 6 to 12 Notes in Hindi
Class 10 भूगोल Chapter 6

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