2023-24 Class 10 Science Chapter 7 जीव जनन कैसे करते हैं Notes PDF in Hindi

Class 10 science Chapter 7 जीव जनन कैसे करते हैं Notes in hindi

प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको सत्र 2023-24 के लिए Class 10 Science Chapter 7 जीव जनन कैसे करते हैं Notes PDF in Hindi कक्षा 10 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 10 Vigyan Ke Notes PDF jiv janan kaise karate hain

पुराना अध्याय कमांक 8
नया अध्याय कमांक [ 2023-24]7

Chapter 7. जीव जनन कैसे करते है Class 10 Science NCERT notes

📚 Chapter = 7 📚
💠 जीव जनन कैसे करते है 💠
सत्र 2023-24

TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectविज्ञान
ChapterChapter 7
Chapter Nameजीव जनन कैसे करते है
CategoryClass 10 Science Notes
MediumHindi

अध्याय एक नजर में

Class 10 विज्ञान
पुनरावृति नोट्स
जीव जनन कैसे करते है

  • अन्य जैव प्रक्रमों के विपरीत किसी जीव के अपने अस्तित्व के लिए जनन आवश्यक नहीं है।
  • जनन में एक कोशिका द्वारा डी.एन.ए. प्रतिकृति का निर्माण तथा अतिरिक्त कोशिकीय संगठन का सृजन होता है।
  • विभिन्न जीवों द्वारा अपनाए जाने वाले जनन की प्रणाली उनके शारीरिक अभिकल्प पर निर्भर करती है।
  • खंडन विधि में जीवाणु एवं प्रोटोजोआ की कोशिका विभाजित होकर दो या अधिक संतति कोशिका का निर्माण करती है।
  • यदि हाइड्रा जैसे जीवों का शरीर कई टुकड़ों में विलग हो जाए तो प्रत्येक भाग से पुनरुद्भवन द्वारा नए जीव विकसित हो जाते हैं। इनमें कुछ मुकुल भी उभर कर नए जीव में विकसित हो जाते हैं।
  • कुछ पौधों में कायिक प्रवर्धन द्वारा जड़, तना अथवा पत्ती से नए पौधे विकसित होते हैं।
  • उपरोक्त अलैंगिक जनन के उदाहरण हैं जिसमें संतति की उत्पत्ति एक एकल जीव (व्यष्टि) द्वारा होती है।
  • लैंगिक जनन में संतति उत्पादन हेतु दो जीव भाग लेते हैं।
  • डी.एन.ए. प्रतिकृति की तकनीक से विभिन्नता उत्पन्न होती है जो स्पीशीज़ के अस्तित्व के लिए लाभप्रद है। लैंगिक जनन द्वारा अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।पुष्पी पौधों में जनन प्रक्रम में परागकण परागकोश से स्त्रिकेसर के वर्तिकाग्र तक स्थानांतरित होते हैं जिसे परागण कहते हैं। इसका अनुगमन निषेचन द्वारा होता है।
  • यौवनारंभ में शरीर में अनेक परिवर्तन आते हैं, उदाहरण के लिए लड़कियों में स्तन का विकास तथा लड़कों के चेहरे पर नए बालों का आना, लैंगिक परिपक्वता के चिह्न हैं।

Chapter 7 जीव जनन कैसे करते है Class 10 Science CBSE notes

  • जनन: जैव प्रक्रम जिसके द्वारा जीव अपने समान संतति का निर्माण करते हैं।
    • जनन जीवों का अस्तित्व बनाए रखता है।
    • जनन की मूल घटना डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना है। इसके साथ-साथ दूसरी कोशिकाओं का सृजन भी होता है।
    • वास्तव में कोशिका केन्द्रक में पाए जाने वाले गुणसूत्रों के डी.एन.ए. के अणुओं में आनुवांशिक गुणों का संदेश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है।
    • डी.एन.ए. प्रतिकृति बनना भी पूर्णरूपेण विश्वसनीय नहीं होता है। अपितु इन प्रतिकृतियों में कुछ विभिन्नताएं उत्पन्न हो जाती हैं, जिनमें से कुछ ऐच्छिक विभिन्नताएं ही संतति में समावेश हो पातीं है।
    • जनन में होने वाली यही विभिन्नताएं ही जैव विकास का आधार हैं।
  • विभिन्नता का महत्व : यदि एक समष्टि अपने निकेत (परितंत्र) के अनुकूल है, परन्तु निकेत में कुछ उग्र परिवर्तन (ताप, जल स्तर में परिवर्तन आदि) आने पर समष्टि का पूर्ण विनाश संभव है। परन्तु यदि समष्टि में कुछ जीवों में कुछ विभिन्नता होगी तो उनके जीने की कुछ संभावनाएं रहेंगी। अतः विभिन्नताएं स्पीशीज (समष्टि) की उत्तरजीविता बनाए रखने में उपयोगी है।

प्रजनन

अलैंगिक प्रजनन

लैंगिक प्रजनन

1. संतति उत्पन्न हेतु एक व्यष्टि (एकल जीव की भागीदारी होती है।

संतति उत्पन्न हेतु दो व्यष्टि (एकल जीवों) की भागीदारी होती है। नर व मादा दोनों लिंगो की आवश्यकता है।

2. युग्मक का निर्माण नहीं होता है।

नर व मादा युग्मक निर्मित होते हैं।

3. जनक व संतति में पूर्ण समानता संभव।

केवल आनुवांशिक समानता का होना।

NCERT Class 10 science Chapter 7 जीव जनन कैसे करते है

अलैगिक प्रजनन

विखंडन : इस प्रजनन प्रक्रम में एक जनक कोशिका दो या दो से अधिक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है।
उदाहरण- (क) द्विविखंडन → अमीबा
(ख) बहुखंडन → मलेरिया परजीवी प्लैज्मोडियम

चित्र- अमीबा में द्विखंडन
10 वीं कक्षा विज्ञान अध्याय 7

खंडन : इस प्रजनन विधि में सरल संरचना वाले बहुकोशिकीय जीव विकसित होकर छोटे-छोटे टुकड़ों में खंडित हो जाता है। यह टुकड़े (जीव) वृद्धि कर नए जीव (व्यष्टि) में विकसित हो जाते हैं।
उदाहरणतः स्पाइरोगाइरा।

Spirogyra.


पुनर्जनन : इस प्रक्रम जीव शरीर के अनेक टुकड़े वृद्धि कर नए जीव में विकसित हो जाते हैं।
उदाहरणतः हाइड्रा तथा प्लेनेरिया

Regeneration hydra and planaria
  • मुकुलन : इस प्रजनन प्रक्रम जीव के नियमित विभाजन के कारण एक स्थान पर उभार विकसित हो जाता हैं। यह उभार (मुकुल) वृद्धि करता हुआ नन्हें जीव में बदल जाता है तथा पूर्ण जीव विकसित होकर जनक से अलग होकर स्वतंत्र जीव बन जाता है।
    Class 10 science chapter 7
  • काथिक प्रवर्धन: इस प्रजनन प्रक्रम, पौधे के कुछ भाग जैसे जड़, तना तथा पत्तियां उपयुक्त परिस्थितियों में विकतिस होकर नया पौधा उत्पन्न करते हैं। परतन, कलम अथवा रोपण जैसी कायिक प्रवर्धन की तकनीक का उपयोग कृषि में भी किया जाता है। गन्ना, गुलाब, अंगूर इसके कुछ उदाहरण हैं।
    लाभ:
    1. पुष्प एवं फल कम समय में लगने लगते हैं।
    2. पौधों को उगाने के लिए उपयोगी जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके हैं। उदाहरण संतरा, गुलाब एवं चमेली।
  • बीजाणु समासंघ : इस अलैंगिक जनन प्रक्रम में कुछ सरल बहुकोशिकीय जीवों के ऊर्ध्व तंतुओं पर सूक्ष्म गुच्छ (गोल) संरचनाएं जनन में भाग लेती हैं। ये गुच्छ बीजाणुधानी है जिनमें बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उत्पन्न करते हैं।
    Class 10 science chapter 7
  • लैंगिक प्रजनन
    इस जनन विधि में नयी संतति उत्पन्न करने हेतु वे व्यष्टि ( एकल जीवों) की भागीदारी होती हैं। दूसरे शब्दों में नवीन संतति उत्पन्न करने हेतु नर व मादा दोनों लिंगों की आवश्यकता होती है।

पुष्पी पौधों में लैंगिक प्रजनन


एकलिंगी पुष्प में पुंकेसर अथवा स्त्रीकेसर में से कोई एक ही जननांग उपस्थित होता है। उदाहरण पपीता, तरबूज़।
उभयलिंगी पुष्प में दोनों जननांग (पुंकेसर अथवा स्त्रीकेसर) उपस्थित होते हैं।
उदाहरण- गुड़हल व सरसों

Sexual reproduction in flowering plants

बीज (भावी पौधा)/ भ्रूण जो उपयुक्त पौरास्थितियों में नवोद्भिद में विकसित होता है- इस प्रक्रम को अंकुरण कहते हैं।

Sexual reproduction in flowering plants

किशोरावस्था में लैंगिक परिपक्वता : यौवनारंभ


जीवन की इस विकास चरण में लड़के व लड़कियों में कुछ एक समान गुण तथा कुछ अलग-अलग गुण विकसित होते हैं जो इस प्रकार हैं-

किशोरों में एक समान परिवर्तनः

कांख एवं जांघों में बाल गुच्छ निकलना व रंग गहरा होना।

पैर, हाथ व चेहरे पर महीन रोम आना

तेलीय त्वचा, मुंहासे निकलना

किशोरों में भिन्न परिवर्तन
लड़कों में लड़कियों में

1. चेहरे पर दाढ़ी-मूंछ निकलना

1. तन के आकार में वृद्धि

2. आवाज का फटना

2. स्तनाग्र रंग गहरा होना

3. दिवास्वप्न / शिश्न का विवर्धन के कारण ऊर्ध्व हो जाना

3. रजोधर्म शुरू होना

नर जनन तंत्र

Male reproductive system
  • वृषण उदर गुहा के बाहर वृषण कोष में स्थित होते हैं। वृषण में शुक्राणुओं (नर जनन कोशिका) का निर्माण होता है।
  • वृषण कोश में शुक्राणु उत्पादन के लिए आवश्यक ताप शरीर के ताप से कम होता हैं।
  • टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन शुक्राणु उत्पादन के नियन्त्रण तथा लड़कों के यौवनावस्था के लक्षणों का भी नियंत्रण करता है।
  • शुक्राणु तथा प्रोस्टेट व शुक्राशय का स्राव मिलकर वीर्य बनाते हैं जो कि शुक्रवाहिकाओं द्वारा शिश्न तक पहुंचते हैं।

मादा जनन तंत्र

Female reproductive system

मादा जनन कोशिकाओं (अंडकोशिका) का निर्माण अंडाशय में होता है। लड़की के जन्म के समय ही अंडाशय में हजारों अपरिपक्व अंड होते हैं जो कि यौवनारंभ में परिपक्व होने लगते हैं।

महीन अंडवाहिका (फेलोपियन ट्यूब) अंड कोशिका को गर्भाशय तक ले जाती है।

गर्भाशय ग्रीवा द्वारा योनि में खुलता है।

मैथुन के समय शुक्राणु मादा के योनि मार्ग में स्थापित होते हैं।

शुक्राणु व अंडकोशिका का आपस में समागम निषेचन कहलाता है। यह प्रक्रम अंडवाहिका में घटता है।

निषेचित अंड (युग्मनज) गर्भाशय में विकसित होता है और विभाजित होकर भ्रूण कहलाता है।

प्लेसेंटा-


एक ऊतक जो कि तश्तरीनुमा संरचना है तथा गर्भाशय भित्ति में धंसी होती है इनका मुख्य कार्य

मां के रक्त में से ग्लूकोज, ऑक्सीजन भूण को प्रदान हेतु स्थानान्तरण।

विकासशील भ्रूण द्वारा उत्पादित अपशिष्ट पदार्थों का निपटान

परिपक्व अंड का निषेचन न होने पर विकसित गर्भाशय भित्ति की पर्त धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। यह ऋतुस्राव/रजोधर्म कहलाती हैं।

रजोधर्म लड़कियों में योवनारंभ (10 वर्ष से शुरू होकर एक चक्र के रूप में (28 दिन पश्चात्) होता है।

रजोधर्म की अवधि 2 से 3 दिन तक होती है।

जनन स्वास्थ्य


गर्भरोधन का मतलब गर्भधारण को रोकना होता हैं। इसके लिए अंडकोशिका का निषेचन बाधित करना होता हैं।

असुरक्षित यौन संबंधों से कई तरह के रोग एक से दूसरे में संचरित हो सकते हैं। इन्हें लैंगिक संचरण रोग कहते (S.T.Ds)
उदाहरण- जीवाणु जनित रोग है सिफलिस व गोनेरिया

12 विषाणु जनित रोग- HIV-AIDS (एड्स) व मस्सा

गर्भरोधन के प्रकार

यांत्रिक

शल्यक्रिया

रासायनिक तकनीक

शुक्राणु को अंडकोशिका तक नहीं पहुंचने दिया जाता है।
उदाहरण- शिश्न को ढकने वाले कंडोम या योनि में रखने वाली अनेक युक्तियां

1. पुरुष की शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध करके, उसमें से शुक्राणुओं के स्थानान्तरण को रोकना।

नारी में अंडमोचन को रोक देना। जिसके लिए कुछ दवाएं (गोलियां) ली जाती है जो कि
अंडमोचन संबंधित हॉर्मोन संतुलन को परिवर्तित कर देती
हैं।
इस तरीके के कुछ विपरीत प्रभाव भी हो जाते हैं।

2. महिलाओं की अंडवाहिनी को अबरुद्ध कर दिया जाता है। जिसके कारण अंड गर्भाशय तक नहीं पहुंच पाता है।

3. कॉपर-टी को गर्भाशय में स्थापित करना

जीव पूर्णतः अपनी प्रतिकृति का सृजन करते हैं

विभिन्न जीवों की अभिकल्प, आकार एवं आकृति समान होने के कारण ही वे सदृश प्रतीत होते हैं। शरीर का अभिकल्प समान होने के लिए उनका ब्लूप्रिंट भी समान होना चाहिए अतः अपने आधारभूत स्तर पर जनन जीव के अभिकल्प का ब्लूप्रिंट तैयार करता है।

कोशिका के केंद्रक में पाए जाने वाले गुणसूत्रों के डी.एन.ए.-DNA (डि. आक्सीराइबोन्यूक्लीक अम्ल) के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है। कोशिका के केंद्रक के डी.एन.ए. में प्रोटीन संश्लेषण हेतु सूचना निहित होती है। इस संदेश के भिन्न होने की अवस्था में बनने वाली प्रोटीन भी भिन्न होगी। विभिन्न प्रोटीन के कारण अंतत: शारीरिक अभिकल्प में भी विविधता होगी।

एकल जीवों में प्रजनन की विधि

विखंडन – एककोशिक जीवों में कोशिका विभाजन अथवा विखंडन द्वारा नए जीवों की उत्पत्ति होती है। विखंडन के अनेक तरीके प्रेक्षित किए गए। अनेक जीवाणु तथा प्रोटोजोआ की कोशिका विभाजन द्वारा सामान्यतः दो बराबर भागों में विभक्त हो जाती है। अमीबा जैसे जीवों में कोशिका विभाजन किसी भी तल से हो सकता है।

परंतु, कुछ एककोशिक जीवों में शारीरिक संरचना अधिक संगठित होती है। उदाहरणत: कालाज़ार के रोगाणु, लेस्मानिया में कोशिका के एक सिरे पर कोड़े के समान सूक्ष्म संरचना होती है। ऐसे जीवों में द्विखंडन एक निर्धारित तल से होता है। मलेरिया परजीवी, प्लैज्मोडियम जैसे अन्य एककोशिक जीव एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं, जिसे बहुखंडन कहते हैं।
दूसरी ओर यीस्ट कोशिका से छोटे मुकुल उभर कर कोशिका से अलग हो जाते हैं तथा स्वतंत्र रूप से वृद्धि करते हैं।

खंडन – सरल संरचना वाले बहुकोशिक जीवों में जनन की सरल विधि कार्य करती है। उदाहरणत: स्पाइरोगाइरा सामान्यतः विकसित होकर छोटे-छोटे टुकड़ों में खंडित हो जाता है। यह टुकड़े अथवा खंड वृद्धि कर नए जीव (व्यष्टि) में विकसित हो जाते हैं।

परंतु यह सभी बहुकोशिक जीवों के लिए सत्य नहीं है। वे सरल रूप से कोशिकादर-कोशिका विभाजित नहीं होते। विशेष कार्य हेतु विशिष्ट कोशिकाएँ संगठित होकर ऊतक का निर्माण करती हैं तथा ऊतक संगठित होकर अंग बनाते हैं, शरीर में इनकी स्थिति भी निश्चित होती है। ऐसी सजग व्यवस्थित परिस्थिति में कोशिका-दर-कोशिका विभाजन अव्यावहारिक है। अतः बहुकोशिक जीवों को जनन के लिए अपेक्षाकृत अधिक जटिल विधि की आवश्यकता होती है।

बहुकोशिक जीवों द्वारा प्रयुक्त एक सामान्य युक्ति यह है कि विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ विशिष्ट कार्य के लिए दक्ष होती हैं। इस सामान्य व्यवस्था का परिपालन करते हुए इस प्रकार के जीवों में जनन के लिए विशिष्ट प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं। क्या जीव अनेक प्रकार की कोशिकाओं का बना होता है? इसका उत्तर है कि जीव में कुछ ऐसी कोशिकाएँ होनी चाहिए जिनमें वृद्धि, क्रम, प्रसरण तथा उचित परिस्थिति में विशेष प्रकार की कोशिका बनाने की क्षमता हो।

पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) – पूर्णरूपेण विभेदित जीवों में अपने कायिक भाग से नए जीव के निर्माण की क्षमता होती है। अर्थात यदि किसी कारणवश जीव क्षत-विक्षत हो जाता है अथवा कुछ टुकड़ों में टूट जाता है तो इसके अनेक टुकड़े वृद्धि कर नए जीव में विकसित हो जाते हैं।

उदाहरणतः हाइड्रा तथा प्लेनेरिया जैसे सरल प्राणियों को यदि कई टुकड़ों में काट दिया जाए तो प्रत्येक टुकड़ा विकसित होकर पूर्णजीव का निर्माण कर देता है। यह पुनरुद्भवन कहलाता है (देखिए चित्र)। पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा संपादित होता है।
इन कोशिकाओं के क्रमप्रसरण से अनेक कोशिकाएँ बन जाती हैं। कोशिकाओं के इस समूह से परिवर्तन के दौरान विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ एवं ऊतक बनते हैं। यह परिवर्तन बहुत व्यवस्थित रूप एवं क्रम से होता है जिसे परिवर्धन कहते हैं। परंतु पुनरुद्भवन जनन के समान नहीं है इसका मुख्य कारण यह है कि प्रत्येक जीव के किसी भी भाग को काट कर सामान्यत: नया जीव उत्पन्न नहीं होता।

मुकुलन – हाइड्रा जैसे कुछ प्राणी पुनर्जनन की क्षमता वाली कोशिकाओं का उपयोग मुकुलन के लिए करते हैं। हाइड्रा में कोशिकाओं के नियमित विभाजन के कारण एक स्थान पर उभार विकसित हो जाता है। यह उभार (मुकुल) वृद्धि करता हुआ नन्हे जीव में बदल जाता है तथा पूर्ण विकसित होकर जनक से अलग होकर स्वतंत्र जीव बन जाता है

कायिक प्रवर्धन – ऐसे बहुत से पौधे हैं जिनमें कुछ भाग जैसे जड़, तना तथा पत्तियाँ उपयुक्त परिस्थितियों में विकसित होकर नया पौधा उत्पन्न करते हैं। अधिकतर जंतुओं के विपरीत, एकल पौधे इस क्षमता का उपयोग जनन की विधि के रूप में करते हैं।

परतन, कलम अथवा रोपण जैसी कायिक प्रवर्धन की तकनीक का उपयोग कृषि में भी किया जाता है। गन्ना, गुलाब अथवा अंगूर इसके कुछ उदाहरण हैं। कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधों में बीज द्वारा उगाए पौधों की अपेक्षा पुष्प एवं फल कम समय में लगने लगते हैं।

यह पद्धति केला, संतरा, गुलाब एवं चमेली जैसे उन पौधों को उगाने के लिए उपयोगी है जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके हैं। कायिक प्रवर्धन का दूसरा लाभ यह भी है कि इस प्रकार उत्पन्न सभी पौधे आनुवांशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं।
इसी प्रकार ब्रायोफिलम की पत्तियों की कोर पर कुछ कलिकाएँ विकसित होकर मृदा में गिर जाती हैं तथा नए पौधे में विकसित हो जाती हैं (देखिए चित्र)।

बीजाणु समासंघ – अनेक सरल बहुकोशिक जीवों में भी विशिष्ट जनन संरचनाएँ पाई जाती हैं।यह राइजोपस का कवक जाल है। ये जनन के भाग नहीं हैं। परंतु ऊर्ध्व तंतुओं पर सूक्ष्म गुच्छ (गोल) संरचनाएँ जनन में भाग लेती हैं।
ये गुच्छ बीजाणुधानी हैं जिनमें विशेष कोशिकाएँ अथवा बीजाणु पाए जाते (देखिए चित्र) हैं। यह बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उत्पन्न करते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है, नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगते हैं।

अब तक जनन की जिन विधियों की हमने चर्चा की उन सभी में नयी पीढ़ी का सृजन केवल एकल जीव द्वारा होता है। इसे अलैंगिक जनन कहते हैं।

क्या होता है जब अंड का निषेचन नहीं होता?

यदि अंडकोशिका का निषेचन नहीं हो तो यह लगभग एक दिन तक जीवित रहती है। क्योंकि अंडाशय प्रत्येक माह एक अंड का मोचन करता है, अतः निषेचित अंड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी प्रति माह तैयारी करता है। अतः इसकी अंतःभित्ति मांसल एवं स्पोंजी हो जाती है।

यह अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। परंतु निषेचन न होने की अवस्था में इस पर्त की भी आवश्यकता नहीं रहती।
अतः यह पर्त धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है तथा इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं। इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिनों की होती है।

People search in Google

Class 10 science Chapter 7 जीव जनन कैसे करते हैं Notes in hindi
नोट्स, पाठ – 7 जीव जनन कैसे करते हैं? (कक्षा दसंवी)
Chapter 7. जीव जनन कैसे करते है Class 10 Science CBSE notes
Class-10 Science Chapter 7. जीव जनन कैसे करते हैं


Class10 Science Chapter 7 जीव जनन कैसे करते हैं Notes In Hindi

  • NCERT Class 10 science Chapter 7 जीव जनन कैसे करते हैं .
  • सीबीएसई कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 7 जीव कैसे प्रजनन करते हैं नोट्स
  • Class 10 Science Notes In Hindi Chapter – 7 जीव जनन कैसे
  • अध्याय 7 के नोट्स जीव जनन कैसे करते हैं?| कक्षा 10वीं विज्ञान
  • कक्षा 10 जनन नोट्स | Reproduction Notes Class 10 Biology In …
  • कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 7 नोट्स pdf
  • जीव जनन कैसे करते हैं Notes PDF
  • जीव जनन कैसे करते हैं प्रश्न उत्तर pdf
  • Class 10 Science Chapter 7 in Hindi PDF
  • Class 10 Science Chapter 7 Notes in Hindi Medium
  • 10 वीं कक्षा विज्ञान अध्याय 7
  • जीव जनन कैसे करते हैं in English
  • मनुष्य जनन कैसे करते हैं

class 10 science chapter 7 notes

  • class 10 science chapter 7 notes in hindi medium
  • class 10 science chapter 7 notes study rankers
  • class 10 science chapter 7 notes pdf download
  • class 10 science chapter 7 notes shobhit nirwan
  • class 10 science chapter 7 notes byju’s
  • class 10 science chapter 7 notes vedantu
  • class 10 science chapter 7 notes learn cbse
  • class 10 science chapter 7 notes in english
  • class 10 science chapter 7 notes ppt
  • ncert class 10 science chapter 7 notes
  • cbse class 10 science chapter 7 notes
  • ncert class 10 science chapter 7 notes in hindi
  • rbse class 10 science chapter 7 notes
  • class 10 science chapter 7 notes pdf
NCERT Class 6 to 12 Notes in Hindi
Class 10 science chapter 7

प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको Class 10 Science Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Notes PDF in Hindi कक्षा 10 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 10 Vigyan Ke Notes PDF

URL: https://my-notes.in/

Author: NCERT

Editor's Rating:
5

Pros

  • Best NCERT Notes in Hindi
Sharing Is Caring:
Avatar of g s

NCERT-NOTES Class 6 to 12.

Leave a Comment

Free Notes PDF | Quiz | Join टेलीग्राम