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इन नोट्स में:
- सभी महत्वपूर्ण अवधारणाओं और सिद्धांतों का स्पष्टीकरण
- आसान भाषा में सरल शब्दावली
- उदाहरणों और चित्रों का उपयोग करके स्पष्टीकरण
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अब आप आसानी से:
- समकालीन विश्व में सुरक्षा की अवधारणा को समझ सकते हैं
- विभिन्न प्रकार की सुरक्षा चुनौतियों से परिचित हो सकते हैं
- अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली के बारे में जान सकते हैं
- भारत की सुरक्षा नीति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
Table of Contents
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Political Science |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | समकालीन विश्व में सुरक्षा |
Category | Class 12 Political Science |
Medium | Hindi |
राजनीति विज्ञान अध्याय-5: समकालीन विश्व में सुरक्षा
सुरक्षा का अर्थ / Meaning of security
सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है खतरे से आजादी। परन्तु केवल उन चीजों को ‘ सुरक्षा ‘ से जुड़ी चीजों का विषय बनाया जाय जिनसे जीवन के ‘ केन्द्रीय मूल्यों को खतरा हो। सुरक्षा न केवल व्यक्ति की, बल्कि समाज और राष्ट्र की भी बढ़ती हुई जिम्मेदारी है।
सुरक्षा की धारणाएँ / Security Concepts
पारंपरिक धारणा: सुरक्षा के खतरे
खतरे का प्रकार | विवरण |
---|---|
बाहरी खतरे | ये खतरे किसी देश की सीमाओं के बाहर से आते हैं। |
सैन्य हमला: एक देश द्वारा दूसरे देश पर सैन्य बल का उपयोग। | 1999 में, पाकिस्तान द्वारा कारगिल में भारतीय सैनिकों पर हमला। |
जनसंहार: किसी विशेष समूह के लोगों का जानबूझकर किया गया विनाश। | 1994 में रवांडा में तुत्सी लोगों का नरसंहार। |
शक्ति संतुलन: विभिन्न देशों के बीच शक्ति का असमान वितरण जो संघर्ष का कारण बन सकता है। | शीत युद्ध के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु हथियारों की दौड़। |
गठबंधन: विभिन्न देशों के बीच समझौते जो संघर्ष को बढ़ा सकते हैं। | प्रथम विश्व युद्ध में, दो प्रतिस्पर्धी गठबंधन, सेंट्रल पॉवर्स और एलाइड पॉवर्स, युद्ध में शामिल थे। |
शस्त्रीकरण: हथियारों और सैन्य उपकरणों का निर्माण और जमा करना। | परमाणु हथियारों का प्रसार। |
आंतरिक खतरे | ये खतरे किसी देश की सीमाओं के अंदर से आते हैं। |
कानून व्यवस्था: अपराध और हिंसा में वृद्धि। | 2020 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद हुए विरोध प्रदर्शन। |
अलगाववाद: किसी समूह का किसी देश से अलग होने की इच्छा। | स्पेन में कैटलान स्वतंत्रता आंदोलन। |
गृहयुद्ध: किसी देश के नागरिकों के बीच युद्ध। | 1961-1975 तक वियतनाम युद्ध। |
गैर पारंपरिक धारणा सुरक्षा के खतरे
- मानवता की सुरक्षा:-
- (व्यापक अर्ध में भूखा / महामारी और प्राकृतिक विपदा से सुरक्षा)
- विश्व सुरक्षा:-
- नवीन चुनौतियों, आतंकवाद, बीमारियों, जलवायु संकट से सुरक्षा शामिल है।
सुरक्षा न केवल भौतिक दृष्टि से होनी चाहिए, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और मानवता के प्रति भी ध्यान देना आवश्यक है। सुरक्षा की धारणाएं सिर्फ व्यक्ति के ही नहीं, बल्कि समृद्धि और सामरिक समृद्धि की दिशा में भी होनी चाहिए, ताकि हम समृद्धि और समृद्धि की अद्भुत सफलता की दिशा में बढ़ सकें।
सुरक्षा के पारंपरिक धारणा – (बाहरी सुरक्षा)
Traditional notion of security – (external security)
इस धारणा से हमारा तात्पर्य है राष्ट्रीय सुरक्षा की धरणा से होता है। सुरक्षा की पारंपरिक अवधरणा में सैन्य ख़तरे को किसी देश के लिए सबसे ज्यादा ख़तरनाक माना जाता है। इस ख़तरे का स्रोत कोई दूसरा मुल्क होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों के लिए ख़तरा पैदा करता है।
सुरक्षा के पारंपरिक धारणा – (आतंरिक सुरक्षा) /
Traditional notion of security – (Internal Security)
इस धारणा से हमारा तात्पर्य है देश के भीतर अंदरूनी खतरों से जिसमें आपसी लड़ियाँ, गृह युद्ध, सरकार के प्रति असंतुष्टि से है। यह सुरक्षा आंतरिक शांति और कानून – व्यवस्था पर निर्भर करता है। इसमें अपने ही देश के लोगों से खतरा होता है।
सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा / Unconventional notion of security
अपारंपरिक सुरक्षा का अर्थ:
- सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में उन सभी खतरों को शामिल किया जाता है जो किसी एक देश नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए खतरनाक है और इनका समाधान कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता। इसमें मानव अस्तित्व की स्थिति को प्रभावित करने वाले खतरों और खतरों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।
उदाहरण:
- ग्लोबल वार्मिंग: जलवायु परिवर्तन का सामान्य खतरा है जिससे समुद्र स्तर में बढ़ोतरी, अधिक उच्चतम और अधिक उच्चतम तापमान से जुड़े अनेक पर्यावरणीय खतरे हैं।
- प्रदूषण: वायु, जल, और भूमि प्रदूषण से मिलने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरे और पर्यावरणीय समस्याएं विश्वभर में सुरक्षा के खतरों का स्रोत बन रही हैं।
- प्राकृतिक आपदाएं: भूकंप, तूफान, बाढ़, आदि जैसी प्राकृतिक आपदाएं विभिन्न क्षेत्रों में आती हैं जो सभी को संभालने के लिए साझा जिम्मेदारी बनाती हैं।
- आतंकवाद: आतंकी हमले और आतंकी संगठनों से आने वाला खतरा वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
गैर – पारंपरिक धारणाएँ / Non-traditional beliefs
सुरक्षा की गैर – पारंपरिक धारणाएँ सैन्य खतरों से परे जाती हैं जिनमें मानव अस्तित्व की स्थिति को प्रभावित करने वाले खतरों और खतरों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। सुरक्षा के गैर – पारंपरिक विचारों को मानव सुरक्षा ‘ या ‘ वैश्विक सुरक्षा ‘ कहा गया है।
मानव सुरक्षा:
मानव सुरक्षा से हमारा मतलब है कि राज्यों की सुरक्षा से ज्यादा लोगों की सुरक्षा। मानव सुरक्षा की संकीर्ण अवधारणा के समर्थकों ( समर्थकों ) ने व्यक्तियों को हिंसक खतरों पर ध्यान केंद्रित किया। दूसरी ओर, मानव सुरक्षा की व्यापक अवधारणा के समर्थकों का तर्क है कि खतरे के एजेंडे में भूख, बीमारी और प्राकृतिक आपदा शामिल होनी चाहिए। वैश्विक सुरक्षा का विचार 1990 के दशक में ग्लोबल वार्मिंग, एड्स और इतने पर जैसे खतरों की वैश्विक प्रकृति के जवाब में उभरा।
किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में विकल्प
A government has options in case of war
1. आत्मसमर्पण करना:
- युद्ध स्थिति में सरकार का पहला विकल्प यह होता है कि वह आत्मसमर्पण कर दे। इस चरण में, सरकार युद्ध से बचने के लिए सहमति दे देती है और समझौते पर आमंत्रित होती है। इससे युद्ध का नाश होता है लेकिन यह देश का गर्व और स्वतंत्रता की भावना को भी कमजोर कर सकता है।
2. दूसरे पक्ष की बात को मान लेना:
- दूसरा विकल्प है कि सरकार बिना युद्ध किए ही दूसरे पक्ष की बात को मान लेती है या युद्ध से होने वाले नाश को बढ़ाने के संकेत देती है कि दूसरा पक्ष सहमकर हमला करने से बाज आएगा। इससे युद्ध रोका जा सकता है, लेकिन यह संबंध और विश्वास को प्रभावित कर सकता है।
3. हमलावार को पराजित कर देना:
- तीसरा विकल्प है कि सरकार हमलावार को पराजित कर दे। इसमें सरकार युद्ध को समर्थन करती है और पूरी ताकत से हमलावार को जवाब देती है। यह विकल्प सुरक्षा को बनाए रखने में मदद कर सकता है लेकिन इससे युद्ध का खतरा बढ़ सकता है।
अपरोध / Objection
युद्ध में कोई सरकार भले ही आत्मसमर्पण कर दे लेकिन वह इसे अपने देश की नीति के रूप में कभी प्रचारित नहीं करना चाहेगी। इस कारण, सुरक्षा – नीति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिसे ‘अपरोध‘ कहा जाता है। अपरोध के तहत सरकार युद्ध की स्थिति में अपनी नीति को गुप्त रखती है, ताकि वह युद्ध की संभावना को बनाए रख सके और दूसरे देशों के साथ भी ताकतवर रहे।
रक्षा / protect
रक्षा एक प्रक्रिया है जो संभावित युद्ध को सीमित रखने या उसे समाप्त करने का प्रयास करती है। इसका मुख्य उद्देश्य देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा है।
परम्परागत सुरक्षा निति के तत्व
Elements of traditional security policy
शक्ति – संतुलन:
- देश अपने ऊपर होने वाले संभावित युद्ध या अन्य खतरों के सामने सदैव संवेदनशील रहता है। इसके लिए देश अपनी शक्तियों का संतुलन बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है। यह शक्ति संतुलन उन एकाधिकारिक देशों के साथ रिश्तों को बनाए रखने में भी मदद करता है।
गठबंधन बनाना:
(i) शक्ति – संतुलन:
- कोई देश अपने ऊपर होने वाले संभावित युद्ध या किसी अन्य खतरे के सामने सदैव संवेदनशील रहता है। इसके लिए देश अपनी शक्तियों का संतुलन बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है। यह शक्ति संतुलन उन एकाधिकारिक देशों के साथ रिश्तों को बनाए रखने में भी मदद करता है।
(ii) गठबंधन बनाना:
- गठबंधन में कई देश एक साथ मिलते हैं और समूचे समुदाय को सुरक्षित रखने के लिए समझौता करते हैं। इससे उन्हें बड़ी ताकत मिलती है जो स्वतंत्र रूप से कार्रवाई करने में सहायक हो सकती है।
गठबंधन का आधार / Basis of alliance
- किसी देश अथवा गठबंधन की तुलना में अपनी ताकत का असर बढ़ाने के लिए देश गठबंधन बनाते हैं।
- गठबंधन राष्ट्रिय हितों पर आधारित होते है और राष्ट्रिय हितों के बदल जाने पर गठबंधन भी बदल जाते हैं।
रक्षा की इस प्रकार की नीतियाँ देश को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं और उसे युद्ध से बचाने में मदद करती हैं।
एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों के सामने खड़ी सुरक्षा की चुनौतियाँ
Security challenges facing the newly independent countries of Asia and Africa
एशिया और अफ्रीका के नए स्वतंत्र देशों को यूरोपीय देशों के साथ तुलना करते समय उन्हें कई विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
सीमावाद और सैन्य हमले की आशंका:
- इन देशों को अपने पड़ोसी देशों से सीमावाद और सैन्य हमले की चुनौती का सामना करना पड़ा है।
अंदरूनी सुरक्षा में चुनौती:
- इन देशों को अपनी अंदरूनी सुरक्षा की चिंता भी करनी पड़ी है, जो अंदरूनी समस्याओं और संघर्षों को संदर्भित करती है।
सुरक्षा की परंपरागत धारणा में युद्ध निति
War policy in the traditional concept of security
इन सुरक्षा चुनौतियों का सामना करते हुए, ये देश सुरक्षा की परंपरागत धारणा का पालन करते हैं:
न्याय-युद्ध की परंपरा:
- ये देश न्याय-युद्ध की परंपरा को मानते हैं और यहाँ युद्ध का सीमित और उचित इस्तेमाल करने की कला का अनुसरण करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- इन देशों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सहयोग करने का संकल्प किया है, जिसमें वे विभिन्न मुद्दों पर आपसी विचारविमर्श और जानकारी साझा करते हैं।
खतरे के नए स्रोतों का सामना:
- इन देशों को खतरे के नए स्रोतों से निपटना है, जैसे कि आतंकवाद, मानवाधिकार, वैश्विक गरीबी, पलायन, और स्वास्थ्य महामारी।
खतरे के नए स्रोत / New sources of danger
दुनिया को अब नए सुरक्षा स्रोतों का सामना करना है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियाँ पैदा की हैं और जिनके बारे में चिंता हो रही है। इनमें शामिल हैं आतंकवाद, मानवाधिकार, वैश्विक गरीबी, पलायन, और स्वास्थ्य महामारी।
आतंकवाद:
- आतंकवाद राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा देता है जो नागरिकों को जानबूझकर और अंधाधुंध निशाना बनाता है।
मानवाधिकार:
- मानवाधिकार तीन प्रकार के होते हैं – राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक। इनका समर्थन करना आवश्यक है।
वैश्विक गरीबी:
- अमीर और गरीब देशों के बीच असमानता बढ़ रही है, जिससे वैश्विक गरीबी की समस्या बढ़ रही है।
पलायन:
- दक्षिण में गरीबी ने उत्तर में बेहतर जीवन की तलाश के लिए बड़े पैमाने पर पलायन किया है।
स्वास्थ्य महामारी:
- HIV-AIDS, बर्ड फ्लू, और SARS जैसी स्वास्थ्य महामारियों का सामूहिक प्रवासन के माध्यम से बढ़ रहा है।
सहयोग मूलक सुरक्षा / Collaborative Security
सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं का सामना करने के लिए हमें सैन्य टकराव के अलावा सहयोग की आवश्यकता होती है। आतंकवाद से निपटने के लिए सैन्य की मदद तो हो सकती है, लेकिन गरीबी, पलायन, आदि जैसे मुद्दों के समाधान में यह विफल साबित हो सकता है।
महत्वपूर्ण दृष्टिकोण:
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- विभिन्न सुरक्षा मुद्दों का समाधान तैयार करने के लिए हमें ऐसी रणनीतियों को बनाना आवश्यक है जिनमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शामिल हो।
सहकारी सुरक्षा:
- सुरक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय दोनों ही खिलाड़ी सहकारी सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं।
अंतिम उपाय – बल का उपयोग:
- हमें समझना होगा कि सहकारी सुरक्षा अक्सर एक अंतिम उपाय के रूप में बल का उपयोग कर सकती है, खासकर जब तानाशाही और आतंकवाद जैसी समस्याएं समृद्धि को खतरे में डाल रही हों।
सुरक्षा के लिए सुझाव:
एकीकृत प्रतिबद्धता:
- हमें एकीकृत प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए ताकि विभिन्न सुरक्षा मुद्दों का सामना करने में सहयोग कर सकें।
विकास का समर्थन:
- गरीबी और पलायन जैसी समस्याओं के समाधान के लिए सशक्त विकास का समर्थन करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
बल का उपयोग:
- बल का उपयोग अंतिम विकल्प के रूप में किया जा सकता है, लेकिन यह उचित रूप से मानवाधिकार और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों के परिप्रेक्ष्य में होना चाहिए।
इन सुझावों के साथ, हम सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोगपूर्ण और सुरक्षित हवा बना सकते हैं, जो एक सुरक्षित और स्थिर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने में मदद करेगा।
भारत की सुरक्षा रणनीति / India’s security strategy
भारत अपनी सुरक्षा रणनीति में चार मुख्य घटकों पर आधारित है:
सैन्य क्षमता:
- सुरक्षा रणनीति का पहला घटक है सैन्य क्षमता को मजबूत करना, ताकि देश समर्थ हो अपने पड़ोसियों के साथ संघर्षों में शामिल होने के लिए।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- दूसरा घटक यह है कि भारत को अपने सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और संस्थानों को मजबूत करना है।
अंदरूनी सुरक्षा:
- भारत की रणनीति का तीसरा घटक है देश के अंदरूनी सुरक्षा चुनौतियों के सामना करने के लिए तैयार रहना है।
आर्थिक विकास:
- चौथा घटक है देश की अर्थव्यवस्था को विकसित करना ताकि नागरिकों को गरीबी और दुख से बाहर निकलने में सहायक हो।
नोट / Note
हथियार नियंत्रण:
- हथियारों के नियंत्रण से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम।
निरस्त्रीकरण:
- सामूहिक विनाश से बचने के लिए हथियारों को छोड़ने की प्रक्रिया।
कॉन्फिडेंस बिल्डिंग:
- देशों के बीच विश्वास बनाए रखने के लिए सैन्य योजनाओं की सहयोगी जानकारी साझा करने की प्रक्रिया।
वैश्विक गरीबी:
- इससे संबंधित एक अर्थशास्त्रिक स्थिति जिसमें गरीब और धनिक देशों के बीच असमानता को संदर्भित करता है।
प्रवासन:
- एक राज्य से दूसरे राज्य में मानव संसाधनों की आवाजाही है, जो कुछ विशेष कारणों से हो सकती है।
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