2023-24 NCERT Class 9 Science Chapter 4 परमाणु की संरचना Notes in Hindi

9 class Science Chapter 4 परमाणु की संरचना Notes In Hindi PDF

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9th Class Science Chapter 4 STRUCTURE OF THE ATOM Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Vigyan Chapter 4 Paramaaṇu kii samrachana Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar.

Class 9 Science Notes In Hindi || 9 class Science Notes Download

TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectChemistry | विज्ञान
ChapterChapter 4
Chapter Nameपरमाणु की संरचना
CategoryClass 9 Science Notes in Hindi
MediumHindi
class-9-science-chapter-4 STRUCTURE OF THE ATOM-notes-in-hindi

9th Science Chapter 4 Notes PDF Download in Hindi

💠 Class 09 विज्ञान 💠
📚 अध्याय = 4 📚
💠परमाणु की संरचना💠

💠STRUCTURE OF THE ATOM 💠

आवेश दो प्रकार का होता हैं-
(I) धन आवेश
(II) ऋण आवेश

परमाणु:- पदार्थ के सूक्ष्मतम एवं अविभाज्य कण को परमाणु कहते हैं।

परमाणु के तीन अवपरमाणुक कण होते हैं-
(I)   प्रोट्रॅान
(II)   न्यूट्रॉन
(III)   इलेक्ट्रॉन
परमाणु के अन्दर उपस्थित में अवपरमाणुक कणों में से दो कण आवेशित होते हैं-

The three subatomic particles of an atom are  परमाणु के तीन अवपरमाणुक कण होते हैं

(i) प्रोटॉन –

 यह धन आवेशित कण होता है जो परमाणु के नाभिक में रहता है।
• प्रोटॉन को P+ प्रदर्शित करते हैं।
• इनका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा लगभग 2000 गुना अधिक होता है।
• प्रोटॉन का द्रव्यमान इकाई और इसका आवेश +1 लिया जाता है।
• इन्हें आसानी से नहीं निकाला जा सकता है क्योंकि ये नाभिक के भीतरी भाग में रहते हैं ।

आप पढ़ रहे है -class 9 science chapter 4 notes in hindi

(ii) इलेक्ट्रॉन –

 यह कण आवेशित कण है जो नाभिक के चारों और कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं।
इसे e- द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान नगण्य व आवेश -1 लिया जाता है।
इलेक्ट्रॉन को आसानी से निकाला जाता है। 
इलेक्ट्रॉन की खोज – जे. जे. थॉमसन

(iii) न्यूट्रॉन –

 न्युट्रॉन परमाणू के नाभिक में उपस्थित बिना आवेश वाला कण है जिस पर कोई आवेश नहीं होता हैं अर्थात् उदासीन होता है। 
न्युट्रॉन की खेाज – जेम्स चैडविक
न्युट्रॉन केा ‘N’ से दर्शाया जाता है।
न्युट्रॉन उदासीन होता है।
हाइड्रोजन को छोड़कर ये सभी परमाणुओं के नाभिक में होते हैं।

उदासीन परमाणु- 

सामान्यत: कोई भी परमाणु उदासीन होता है क्योंकि परमाणु में धन प्रोटॉनों की संख्या ऋण इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होता है आवेश शून्य होता है और परमाणु उदासीन होता है।

कैनाल किरणें –

 इलेक्ट्रॉन के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होने के पहले ई. गोल्ड स्टीन ने 1886 में एक नए विकिरण की खेाज की, जिसे उन्होंने कैनाल किरणें नाम दिया। ये किरणें धनावेशित विकिरण थी। 

आप पढ़ रहे है – class 9 science chapter 4 solutions

थॉमसन का परमाणु मॉडल


थॉमसन ने परमाणुओं की संरचना से सम्बन्धित एक मॉडल प्रस्तुत किया जो क्रिसमिस केक की तरह थी। इनके अनुसार परमाणु एक धनावेशित गोला था, जिसमें इलेक्ट्रॉन क्रिसमिस केक में लगे सूखे मेवों की तरह थे। तरबूज का उदाहरण भी ले सकते है,जिसके अनुसार परमाणु में आवेश तरबूज के खाने वाले लाल भाग की तरह बिखरा है, जबकि इलेक्ट्रॉन धनावेशित गोले में तरबूज के बीज की भांति धंसे हैं। इस मॉडल को प्लम पुडिंग मॉडल नाम दिया गया।

Thomson's atomic model थॉमसन का परमाणु मॉडल

थॉमसन का परमाणु मॉडल के परिणाम –

 
• परमाणु धनावेशित गोले का बना होना है और इलेक्ट्रॉन  उसमें धंसे होते है।
• ऋणात्मक और धनात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं। इसलिए परमाणु वैद्युतीय रूप से उदासीन होते हैं।

The atom is made of a positively charged sphere and the electrons are embedded in it
आप पढ़ रहे है – structure of atom class 9 notes

रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल –

रदरफोर्ड व उनके शिष्यों ने एक मॉडल सन् 1911 में प्रस्तुत किया जिसकों रदरफोर्ड का परमाणु  मॉडल कहा गया। इस मॉडल ने परमाणु के भीतर धनावेशित भाग होने की बात बतायी । इस प्रयोग में रदरफोर्ड ने सोने की 100 नैनोमीटर पतली पन्नी पर अल्फा कणों (a- कणों)  की बौछार की। सोने की पन्नी के चारों और प्रतिदीप्त पदार्थ ZnS ( जिंक सल्फाइड) से लेपित प्लेट लगायी गयी। जब कणों की बौछार की गयी तो निम्न परिणाम प्राप्त हुए-

Rutherford's atomic model रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल
  1.  अधिकांश कण सोने की पन्नी से बिना विक्षेपित हुए निकल गए।
  2. a- कणों का अल्प अंश बहुत कम कोण से विक्षेपित हुआ।
  3. 20,000 से भी अधिक  कणों में से केवल एक कण 180के कोण से वापस लौट आया।

रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के निष्कर्ष:-

  1. परमाणु का अधिकांश भाग खोखला होता हैं।
  2. कुछ ही α- कण प्रतिकर्षण बल के कारण विक्षेपित हुआ। इससे यह पता चलता हैं कि परमाणु के मध्य धनावेशित भाग पाया जाता हैं।
  3. परमाणु का धनावेश व द्रव्यमान एक अति अल्प क्षेत्र में केन्द्रित होता हैं। रदरफोर्ड ने इसे नाभिक कहा।
  4. परमाणु के मध्य रिक्त स्थान होता हैं।
  5. रदरफोर्ड ने बताया कि नाभिक के चारों और इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते हें, जिन्हें कक्ष कहा गया। इन कक्षाओं में तेजी से इलेक्ट्रॉन घूमते हैं। इसलिए यह परमाणु मॉडल सौरमंडल से मिलता जुलता हैं, जिसमें सूर्य नाभिक होता हैं और ग्रह गतिमान इलेक्ट्रॉन की तरह होते हैं।
  6.  रदरफोर्ड ने बताया कि नाभिक का आयतन परमाणु के कुल आयतन की तुलना में नगण्य हैं। परमाणु की त्रिज्या लगभग 10-10 होती हैं व नाभिक की त्रिज्या 10-15 होती हैं।

आप पढ़ रहे है – structure of atom class 9 questions and answers

Rutherford's atomic model

रदरफोर्ड मॉडल की कमियाँ अथवा दोष :-

 रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं करता हैं।

  1. ऋणावेशित कण इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों और निरन्तर वृत्ताकार पथ में परिक्रमा करते रहते हैं। किन्तु कण अनन्त समय तक अपनी ऊर्जा संरक्षण कैसे करेंगे, क्योंकि निरन्तर गति करने वाले किसी भी कण की ऊर्जा में कमी होगी और अत: ऊर्जा विहीन होकर वह नाभिक में गिर जाएगा और परमाणु समाप्त हो जाएगा।
  2. रदरफोर्ड ने कक्षाओं में घूमने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित नहीं की।
  3. इलेक्ट्रॉनों के लगातार ऊर्जा के समान विकिरण से सतत् स्पेक्ट्रम प्राप्त होना चाहिए लेकिन रेखीय स्पेक्ट्रम प्राप्त होता हैं। अत: रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल सन्तोषजनक नहीं हैं।

रदरफोर्ड ने अपने प्रयोग में अल्फा कण एवं सोने की पन्नी का ही प्रयोग क्यों किया?

  1. सोने की पन्नी का प्रयोग करने का मुख्य कारण यह था कि उन्हें इस प्रयोग के लिए बहुत ही पतली परत की जरूरत थी।
  2. अल्फा कण (α-कण) धनावेशित हीलियम कण होता है जिनका परमाणु द्रव्यमान 4 होता हैं, इसलिए तीव्र गति से चल रहे अल्फा कणों में पर्याप्त ऊर्जा होती हैं।

बोर का परमाणु मॉडल :-

सन् 1913 में नील्स बोर ने रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियों को दूर करने के लिए मैक्स प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त के आधार पर निम्नलिखित मॉडल प्रस्तुत किया-

bohr's atomic model बोर का परमाणु मॉडल

1. परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों और बंद वृत्तीय कक्षाओं में घूमते रहते हैं।

2. नाभिक के चारों और इलेक्ट्रॉन उन्हीं कक्षाओं में घूमते हैं जिनमें उनका कोणीय संवेग  nh2� का पूर्ण गुणज होता हैं।

 m=

इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान

 v=

इलेक्ट्रॉन का वेग

 r=

त्रिज्या

 h=

कक्ष की संख्या

n = 1,2,3,…….

3. प्रत्येक कक्षा की एक निश्चित ऊर्जा होती हैं इन कक्षाओं को मुख्य ऊर्जा स्तर कहते हैं।

4. जब तक इलेक्ट्रॉन अपनी स्थायी कक्षाओं में घूमता रहता है तब तक वह ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण नहीं करता हैं।

5. इलेक्ट्रॉन एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जा सकता हैं। जब इलेक्ट्रॉन ऐसा करता हैं तब ऊर्जा अवशोषित अथवा उत्सर्जित होती हैं। यदि इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में आ जाता है तो ऊर्जा उत्सर्जित होती हैं तथा जब इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा से उच्च ऊर्जा स्तर में जाता हैं तो ऊर्जा अवशोषित होती हैं। यह ऊर्जा दोनों ऊर्जा स्तरों के अन्तर के बराबर होती हैं।

DE = E2 – E1 = hv

 

h=

प्लांक स्थिरांक

जहाँ

V=

उत्सर्जित अथवा अवशोषित विकिरण की आवृति

 

E2=

उच्च ऊर्जा स्तर की ऊर्जा

 

E1=

निम्न ऊर्जा स्तर की ऊर्जा

bohr's atomic model

बोर मॉडल के दोष :-

1. बोर का परमाणु मॉडल एक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु तथा आयनों की रचना को ही समझा सका। जैसे – H- परमाणु, He+ आयन, Li+ आयन। एक से अधिक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणुओं व आयनों के स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने में यह असफल रहा।

2. बोर का सिद्धान्त हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की सूक्ष्म रेखाओं की व्याख्या करने में असफल रहा।

न्युट्रॉन –

 प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद यह देखा गया कि परमाणु के सम्पूर्ण द्रव्यमान का परिकलन, उसमें उपस्थित केवल प्रोटॉन व इलेक्ट्रॉन के आधार पर नहीं किया जा सकता हैं।

  • न्युट्रॉन की खोज – जैम्स चैडविक
  • इसको ‘N’ से प्रदर्शित किया जाता हैं।
  • न्युट्रॉन परमाणु के नाभिक में पाये जाने वाला एक उदासीन कण हैं।
  • हाइड्रोजन परमाणु में कोई न्युट्रॉन नहीं होता हैं। इसके अतिरिक्त सभी तत्वों के परमाणुओं में न्युट्रॉन होते हैं।

परमाणु के तीन अवपरमाणुक कणों के नाम –

  • इलेक्ट्रॉन (e)
  • प्रोटॉन (P+)
  • उदासीन (N)

प्रोटॉन, न्यूट्रॉन व इलेक्ट्रॉन के बीच अन्तर

क्र सं

अवपरमाणुक कण      

आवेश

नाभिक की स्थिति

1

 प्रोटॉन

+1

नाभिक के अन्दर

2

 न्युट्रॉन

O

नाभिक के अन्दर

3

 इलेक्ट्रॉन

1

नाभिक के बाहर

प्रश्न :-   कॉर्बन का परमाणु द्रव्यमान 12u है और उसके नाभिक में 6 प्रोटॉन होते हैं। इसमें कितने न्युट्रॉन होंगे?

उत्तर-     न्युट्रॉनों की संख्या = परमाणु द्रव्यमान – प्रोटॉनों की संख्या

                        N = 12 – 6

                           N = 6

बोर-बरी नियम –

इस नियम के अनुसार,

  1. किसी ऊर्जा स्तर या कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2n2 होती हैं जहाँ n कोश की संख्या हैं।

कोश

मुख्य क्वांटम संख्या(n)

इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या

K

1

2n2 = 2 X (1)2 = 2

L

2

2n2 = 2 X (2)2 = 8

M

3

2n2 = 2 X (3)2 = 18

N

4

2n2 = 2 X (4)2 = 32

  1. किसी परमाणु के बाह्य कोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 होती हैं।
  2. यह आवश्यक नहीं है कि एक कक्ष में पूर्ण हो जाये तभी दूसरा बनना प्रारम्भ हो। बाह्यतम कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होने के बाद नया कोश बनना प्रारम्भ हो जाता हैं।
Bore and Bury rule बोर-बरी नियम

कुछ तत्वों के मूल अवस्था में सरल इलेक्ट्रॉनिक वितरण

तत्व का नाम

तत्व का प्रतीक

परमाणु क्रमांक

इलेक्ट्रॉनिक वितरण

हाइड्रोजन

H

1

1

हीलियम

He

2

2

लीथियम

Li

3

2,1

बेरीलियम

Be

H

2,2

बोरॉन

B

5

2,3

कार्बन

C

6

2,4

नाइट्रोजन

N

7

2,5

ऑक्सीजन

O

8

2,6

फ्लुओरीन

F

9

2,7

नियॉन

Ne

10

2,8

सोडियम

Na

11

2,8,1

मैग्नीशियम

Mg

12

2,8,2

एल्युमिनियम

Al

13

2,8,3

सिलिकॉन

Si

14

2,8,4

फॉस्फोरस

P

15

2,8,5

सल्फर

S

16

2,8,6

संयोजकता :-

 परमाणु का बाह्य कोश संयोजकता कोश कहलाता हैं। बाह्य कोश के इलेक्ट्रॉन संयोजकता इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं। तत्वों की संयोजकता उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से नियमों के आधार पर ज्ञात की जा सकती हैं।

  1. जिन तत्वों के सभी कोश पूर्ण होते हैं, उनकी संयोजकता शून्य होती हैं।

उदाहरणार्थ :- निष्क्रिय गैसें।

  • जैसे- हीलियम, नियॉन, ऑर्गन, क्रिप्टॉन आदि – हीलियम के बाह्य कोश में 2 तथा अन्य सभी निष्क्रिय गैसों के बाह्य कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
  1. अपूर्ण बाह्य कोश वाले तत्वों की संयोजकता बाह्य कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या (n) पर निर्भर करती हैं। बाह्य कोश में 1,2 अपना बाह्य कोश में 4 से 7 इलेक्ट्रॉन वाले तत्वों की संयोजकता (8 – n) होती हैं।
  2. संक्रमण तत्वों की संयोजकता उनके बाह्य कोश तथा उससे पहले वाले कोश के इलेक्ट्रॉनों पर निर्भर करती हैं।

आप पढ़ रहे है – ncert solutions for class 9 science chapter 4

परमाणु क्रमांक

तत्व

प्रतीक

इलेक्ट्रॉनों का वितरण

संयोजी इलेक्ट्रॉन

संयोजकता

K

L

M

N

  1.  

हाइड्रोजन

H

1

1

1

    2 

हीलियम

He

2

2

0

    3 

लीथियम

Li

2

1

1

1

    4 

बेरीलियम

Be

2

2

2

2

    5 

बोरॉन

B

2

3

3

3

    6

कॉर्बन

C

2

4

4

4

    7

नाइट्रोजन

N

2

5

5

3

    8

ऑक्सीजन

O

2

6

6

2

    9

फ्लुओरीन

F

2

7

7

1

    10

नियॉन

Ne

2

8

8

0

    11 

सोडियम

Na

2

8

1

1

1

    12

मैग्नीशियम

Mg

2

8

2

2

2

    13

ऐल्युमिनियम

Al

2

8

3

3

3

    14 

सिलिकॉन

Si

2

8

4

4

4

    15

फॉस्फोरस

P

2

8

5

5

3

    16

सल्फर

S

2

8

6

6

2

    17 

क्लोरीन

Cl

2

8

7

7

1

    18

ऑर्गन

Ar

2

8

8

8

0

परमाणु संख्या तथा द्रव्यमान संख्या :-

परमाणु संख्या या परमाणु क्रमांक :- किसी तत्व के नाभिक में उपस्थित प्रोट्रॉनों की संख्या उस तत्व का परमाणु क्रमांक या परमाणु संख्या कहलाती हैं।

परमाणु क्रमांक को Z से प्रदर्शित करते हैं।

परमाणु क्रमांक (z) = नाभिक प्रोटॉनों (P) की संख्या = कक्षाओं में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या

द्रव्यमान संख्या :-

 किसी तत्व के परमाणु नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की कुल संख्या द्रव्यमान संख्या (A) कहलाती हैं।

द्रव्यमान संख्या(A)  = प्रोटॉनों की संख्या (z) + न्युट्रॉनों की संख्या (N) 

A = Z + N

mass number द्रव्यमान संख्या

उदाहरण :-

Þ मैग्नीशियम  12Mg24

Þ ऑक्सीजन   8O16

आप पढ़ रहे है – NCERT SCIENCE CLASS 9TH CHAPTER 4 Short Notes in

समस्थानिक :-

 किसी तत्व के वे परमाणु जिनके परमाणु क्रमांक समान होते हैं लेकिन द्रव्यमान संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं, समस्थानिक कहलाते हैं।

  • सर्वप्रथम सोडी ने रेडियोऐक्टिव तत्वों में समस्थानिकों की खोज की थी।
  • हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं।
  1. प्रोटियम 
  2. ड्युटीरियम 
  3. ट्राइटीयम 
  • क्लोरीन के समस्थानिक
      https://apps-s3-efs.utkarshapp.com/efs_v1/books/7845/chapters/91286/955318/extract/OEBPS/Images/01.jpg  

समस्थानिकों की विशेषताएँ :-

  1. समस्थानिकों के परमाणु क्रमांक समान होते हैं।
  2. समस्थानिकों में द्रव्यमान संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं।
  3. समस्थानिकों में न्युट्रॉनों की संख्या भिन्न होती हैं।
  4. समस्थानिकों के भौतिक गुण भिन्न तथा रासायनिक गुण समान होते हैं।
  5. एक ही तत्व के समस्थानिकों को आवर्त सारणी में एक ही स्थान पर रखा गया हैं।

समस्थानिकों के अनुप्रयोग :-

  1. यूरेनियम के एक समस्थानिक का उपयोग परमाणु भट्‌टी में ईधन के रूप में प्राप्त होता हैं।
  2. कैंसर के उपचार में कोबाल्ट के समस्थानिक (कोबाल्ट-60) का उपयोग होता हैं।
  3. घेंघा रोग के इलाज में आयोडीन के समस्थानिक (I= 131) का उपयोग होता हैं।

समभारिक :-

 जिन तत्वों के परमाणुओं के परमाणु भार समान तथा परमाणु क्रमांक असमान होते हैं, समभारिक कहलाते हैं।

उदाहरण :- कार्बन व नाइट्रोजन समभारिक

6C14  व  7N14           N का परमाणु भार = 14

C का परमाणु भार =  14

समभारिक की विशेषताएँ  :-

  1. समभारिकों के परमाणु भार समान होते हैं।
  2. समभारिकों में परमाणु संख्या अलग-अलग होती हैं।
  3. समभारिक में न्युट्रॉनों की संख्या भिन्न-भिन्न होती हैं।
  4. समभारिकों में परमाणु क्रमांक असमान होने के कारण इन्हें आवर्त सारणी में भिन्न-भिन्न स्थानों पर रखा गया हैं।
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