प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको सत्र 2023-24 के लिए NCERT Class 9 Science Chapter 9 गुरूत्वाकर्षण Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान के नोट्स उपलब्ध करवा रहे है |
9th Class Science Chapter 9 GRAVITATION Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Vigyan Chapter 9 Guruutvaakarshan Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar.
Class 9 Science ch 9 Notes In Hindi || 9 class Science Notes Download
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Physics | विज्ञान |
Chapter | Chapter 9 |
Chapter Name | गुरूत्वाकर्षण |
Category | Class 9 Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
💠 Class 09 विज्ञान 💠
📚 अध्याय = 9 📚
💠बल तथा गति के नियम💠
💠GRAVITATION 💠
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम:-
जब आइजक न्यूटन एक पेड़ के नीचे बैठे थे तो एक सेव उन पर गिरा तब उन्होंने सोचा कि पृथ्वी सेव को अपनी ओर आकर्षित करती है तो क्या यह चन्द्रमा को आकर्षित नहीं कर सकती है?
पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति अभिकेन्द्रीय बल के कारण है। अभिकेन्द्रीय बल पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण होता है।
सौर परिवार में सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य तथा ग्रह के बीच विद्यमान बल, गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम:-
इस नियम के अनुसार, “ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कण (पिण्ड) दूसरे कण (पिण्ड) को एक निश्चित बल से आकर्षित करता है, जो दोनों पिण्डों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।”
यह बल दोनों पिण्डों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में लगता है।
आप पढ़ रहे है -Class 9 Science chapter 9 गुरुत्वाकर्षण Notes In Hindi
माना कि,
M तथा m द्रव्यमान के दो पिण्ड A तथा B एक-दूसरे से d दूरी पर स्थित है। माना दोनों पिण्डों के मध्य आकर्षण बल F है। गुरुत्वाकर्षण के सर्वात्रिक नियम के अनुसार, दोनों पिण्डों के मध्य लगने वाला बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती है। अर्थात्
F α M.m …..(1)
दोनों पिण्डों के मध्य लगने वाला बल उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अर्थात्
F α 1 d2 …(1)
समी (1) व समी (2) सें,
F α M⋅md2 [जहाँ G = सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक]
F = GM⋅md2
F × d2 = G M×m
�=��2��
मात्रक :-
या
G का S.I. मात्रक – Nm2kg-2
हैनरी कैंवेडिस ने सुग्राही तुला का उपयोग करके G का मान ज्ञान किया।
G = 6.673×10-11 N m2kg-2
आप पढ़ रहे है -Notes of Class 9th: ch 9 गुरुत्वाकर्षण विज्ञान
प्रश्न:- पृथ्वी का द्रव्यमान 6×1024 किग्रा है तथा चन्द्रमा का द्रव्यमान 7.4 × 1022 किग्रा है। यदि पृथ्वी तथा चन्द्रमा के बीच की दूरी 3.84 ×105 किमी. है तो पृथ्वी द्वारा चन्द्रमा पर लगाए गए बल का परिकलन कीजिए?
(G=6.7×10-11 न्यूटन मी2/किग्रा2)
उत्तर- पृथ्वी का द्रव्यमान (M)= 6 ×1024 किग्रा
चन्द्रमा का द्रव्यमान (m) = 7.4×1022 किग्रा
पृथ्वी तथा चन्द्रमा के बीच की दूरी,
पृथ्वी तथा चन्द्रमा के बीच की दूरी (d) =3.84 × 105 किमी
= 3.84 × 105 ×1000 मी
=3.84×108 मी
G = 6.7×10-11 न्यूटन मी2 किग्रा – 2
पृथ्वी द्वारा चन्द्रमा पर लगाया गया बल,
F=GM×md2
=6.7×10−11Nm2 kg−2×6×1024 kg×7.4×1022 kg(3.84×108 m)2
= 2.01×1020 न्यूटन
अत: पृथ्वी द्वारा चन्द्रमा पर लगाया गया बल 2.01×1020 न्यूटन है।
आप पढ़ रहे है -गुरुत्वाकर्षण : Science class 9th:Hindi Medium cbse notes
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम का महत्व –
- I. हमें पृथ्वी से बांधे रखने वाला बल
- II. पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति
- III. सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति
- IV. चन्द्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा
मुक्त पतन
एक पत्थर लेकर ऊपर की ओर फेंकिए। यह एक निश्चित ऊँचाई तक पहुँचता है और फिर नीचे की ओर गिरने लगता है।
गुरुत्वीय बल :-
- पृथ्वी सभी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। पृथ्वी के इस आकर्षण बल को गुरुत्वीय बल कहते हैं।
मुक्त पतन :-
- वस्तुओं के पृथ्वी की ओर स्वतंत्र रूप से गिरने को मुक्त पतन कहा जाता है। इस स्थिति में बाह्य बल शून्य होता है।
गुरुत्वीय त्वरण(g) :-
- वस्तुओं के गिरते समय वस्तुओं की गति की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है परन्तु पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है, जिससे त्वरण उत्पन्न होता है तथा इस त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण (g) कहते हैं। यह त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण उत्पन्न होता है।
गति के दूसरे नियम से हमें ज्ञात है कि द्रव्यमान तथा त्वरण का गुणनफल, बल कहलाता है। माना पत्थर का द्रव्यमान m है तथा गिरती हुई वस्तुओं में गुरूत्वीय बल के कारण त्वरण लगता है जिसे गुरूत्वीय त्वरण कहते है और इसे g से प्रदर्शित करते हैं।
आप पढ़ रहे है -Class 9 Science Notes In Hindi chapter 9 गुरूत्वाकर्षण
= 9.8 मी/सै.2
अत: पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण g का मान = 9.8 मी/सै.2
नोट :- पृथ्वी की त्रिज्या ध्रुवों से विषुवत् रेखा की ओर जाने पर बढ़ती है अत: g का मान ध्रुवों पर विषुवत् रेखा की अपेक्षा अधिक होता है।
पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के प्रभाव में वस्तुओं की गति –
प्रयोग :- कागज की एक शीट तथा एक पत्थर लेते है तथा दोनों को किसी इमारत की पहली मंजिल सै एक साथ गिरा कर देखने पर हम पाते हैं कि कागज धरती पर पत्थर की अपेक्षा कुछ देर से पहुँचता है। ऐसा वायु के प्रतिरोध के कारण होता है।
गिरती हुई गतिशील वस्तुओं पर घर्षण के कारण वायु प्रतिरोध लगाती है। कागज पर लगने वाला वायु का प्रतिरोध पत्थर पर लगने वाले प्रतिरोध से अधिक होता है।
पृथ्वी के निकट g का मान स्थिर है अत: एक समान त्वरित गति के सभी समीकरण त्वरण a के स्थान पर g रखने पर, ये समीकरण निम्न हैं–
[a = g]
आप पढ़ रहे है -chapter 9. गुरुत्वाकर्षण Class 9 Science CBSE notes in
जहाँ
u – वस्तु का प्रारम्भिक वेग
v – वस्तु का अंतिम वेग
s – वस्तु द्वारा t समय में चली गई दूरी
t – दूरी तय करने में लगा समय
नोट :- यदि त्वरण गति दिशा में लग रहा हो तो इसे धनात्मक लेते हैं तथा यदि त्वरण गति की दिशा के विपरित लग रहा हो तो इसे ऋणात्मक लेते हैं।
उदाहरण – एक कार किसी कगार से गिरकर 0.5 सै. में धरती पर आ गिरती है परिकलन में सरलता के लिए g का मान 10 मी/सै2 लीजिए
1. धरती पर टकराते समय कार की चाल क्या होगी?
2. 0.5 सै. के दौरान इसकी औसत चाल क्या होगी?
3. धरती से कगार कितनी ऊँचाई पर है?
हल
समय (t) = 0.5 s
प्रारम्भिक वेग (u) = 0 ms-1
गुरुत्वीय त्वरण (g) = 10 ms-2 (अधोमुखी)
(i) चाल (v) = u + gt [a = g]
V = 10 मी/सै.2 × 0.5 सै.
= 5मी/सै.
धरती पर टकराते समय इनकी चाल = 5 मी/सै.
(ii) औसत चाल = u+v2
= (0 + 5) / 2 = 2.5 मी/सै.
0.5 सैकण्ड के दौरान इसकी औसत चाल = 2.5 मी/सै.
(iii) तय की गई दूरी [a = g]
= 12 ×10 × (0.5)2
= 12 × 10× 0.25
= 1.25 मीटर
अत: धरती से कगार की ऊँचाई = 1.25 मी.
उदाहरण – एक वस्तु को ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका जाता है और यह 10 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती है। परिकलन कीजिए-
I. वस्तु कितने वेग से ऊपर फेंकी गई तथा
II. वस्तु द्वारा उच्चतम बिन्दु तक पहुँचने में लिया गया समय।
तय की गई दूरी (s) = 10 मी
अंतिम वेग (v) = 0 मी/सै.
गुरुत्वीय त्वरण (g) =9.8 मी/सै.2 (ऊर्ध्वमुखी)
(i) v2 = u2 + 2gs [a = g]
0 = u2 + 2 × (–9.8) × 10
–u2 = 2 × – 9.8 × 10
u = 196
u = 14 मी/सै.
प्रारम्भिक वेग u = 14 मी/सै.
(ii) v = u + gt [a = g]
0 = 14 – 9.8 × t
t = 1.43 सै.
समय (t) = 1.43 सैकण्ड
द्रव्यमान (mass) तथा भार (Weight)
द्रव्यमान (mass) –
किसी पिण्ड या वस्तु में उपस्थित पदार्थ के परिमाण को उस वस्तु का द्रव्यमान कहा जाता है।
- द्रव्यमान को ‘m’ से प्रदर्शित करते हैं।
- मात्रक – किलोग्राम (Kg)
- यह एक अदिश राशि है।
- द्रव्यमान को भौतिक तुला के द्वारा तोला जाता है।
नोट – द्रव्यमान का परिमाण सभी स्थानों पर समान होता है चाहे वस्तु पृथ्वी पर हो या चन्द्रमा पर हो या अन्य किसी ग्रह पर हो। द्रव्यमान के परिमाण में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता।
भार (Weight) –
किसी वस्तु पर पृथ्वी द्वारा आरोपित आकर्षण बल उस वस्तु का भार कहलाता है।
- भार को ‘w’ से प्रदर्शित करते हैं।
- भार सदिश राशि है।
- मात्रक – न्यूटन या किग्रा भार
- भार को कमानीदार तुला के द्वारा तोला जाता है।
भार (w) = द्रव्यमान (m) × गुरुत्वीय त्वरण (g)
आप पढ़ रहे है -Class 9 science chpater 10 notes in hindi गुरुत्वाकर्षण
क्र. सं. | द्रव्यमान | भार |
1. | द्रव्यमान को ‘m’ से प्रदर्शित करते हैं। | भार को ‘w’ से प्रदर्शित करते हैं। |
2. | मात्रक – किलोग्राम (Kg) | मात्रक – न्यूटन या किग्रा भार |
3. | यह एक अदिश राशि है। | भार एक सदिश राशि है। |
4. | द्रव्यमान को भौतिक तुला के द्वारा तोला जाता है। | भार को कमानीदार तुला के द्वारा तोला जाता है। |
5. | किसी पिण्ड या वस्तु में उपस्थित पदार्थ के परिमाण को उस वस्तु का द्रव्यमान कहा जाता है। | किसी वस्तु पर पृथ्वी द्वारा आरोपित आकर्षण बल उस वस्तु का भार कहलाता है। |
प्र. एक वस्तु का द्रव्यमान 10 किग्रा है, पृथ्वी पर इस वस्तु का भार बताइए।
उत्तर द्रव्यमान (m) = 10 kg
गुरुत्वीय त्वरण (g) = 9.8 m/s2
W = m.g
= 10 × 9.8
W = 98 N
किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार –
Wm = m.gm ……..(1)
किसी वस्तु का पृथ्वी पर भार –
We = m. ge …………….(2)
समी.(1) ÷ समी.(2)
आप पढ़ रहे है -Class 9 Science chapter 9 गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) Notes
किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार = 16 × किसी वस्तु का पृथ्वी पर भार
प्रणोद तथा दाब
गुरुत्वीय त्वरण तथा गुरूत्वीय स्थिरांक में अंतर
गुरुत्वीय त्वरण | गुरुत्वीय स्थिरांक |
इसका मान 9.8 m/s2 होता है। | इसका मान 6.67×10-11 Nm2kg2 होता है। |
इसका मान भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न होता है। | इसका मान सदैव स्थिर होता है। |
इसका मात्रक मी. से.2 से है। | इसका मात्रक Nm2kg2 है। |
यह एक संदिश राशि है। | यह एक अदिश राशि है। |
आप पढ़ रहे है -Class 9th Science chapter 9. गुरुत्वाकर्षण
प्रणोद तथा दाब
- प्रणोद- किसी वस्तु के ऊपर उसकी सतह के लम्बवत लगने वाला बल, प्रणोद कहलाता है।
- प्रणोद का S.I. मात्रक – न्यूटन (N)
- दाब – वस्तु के इकाई क्षेत्रफल पर लम्बवत् लगा हुआ बल, दाब कहलाता है।
अथवा
एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले प्रणोद को दाब कहते हैं।
दाब = बल/ क्षेत्रफल
दाब का मात्रक – बल (प्रणोद) का मात्रक न्यूटन (N) व क्षेत्रफल का मात्रक मीटर 2(m2) है।
आप पढ़ रहे है -RBSE Class 9 Science Notes chapter 9 गुरुत्वाकर्षण
दाब का SI मात्रक पॉस्कल है जिसे Pa से प्रदर्शित किया जाता है।
दाब को प्रभावित करने वाले कारक
- (i) लगाया गया बल
- (ii) सतह का क्षेत्रफल
उदाहरण –
- ऊचे भवनों के आधार नींव चौड़े बनाये जाते हैं जिससे भवन का भार (बल) अधिक क्षेत्रफल पर लगे और दाब कम पड़े।
- एक पतली और मजबूत डोरी से बने पट्टे वाले बैग को ले जाना चौड़े पट्टे वाले बैग की अपेक्षा कठिन तथा कष्टप्रद होता है क्योंकि पतली मजबूत डोरी वाले बैग में, बैग का भार बहुत कम क्षेत्रफल पर लगता है और बहुत अधिक दाब उत्पन्न करता है।
- काटने वाले औजारों की धार तेज़ होती है या कह सकते हैं उनकी सतह का क्षेत्रफल कम होता है और बल लगाने पर अधिक दाब उत्पन्न करता है और काटने में आसानी होती है।
तरलों में दाब
सभी द्रव या गैसें तरल हैं । तरलों में भार होता है तथा वे जिस बर्तन में रखे जाते है उसके आधार तथा दीवारों पर दाब लगाते है किसी परिरुद्ध द्रव्यमान के तरल पर लगने वाला दाब सभी दिशाओं में बिना घटें संचरित हो जाता है।
उत्प्लावकता
- जब कोई वस्तु किसी तरल में डुबाई जाती है तो वस्तु का भार जो पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण होता है , वस्तु को नीचे की ओर वे तरल उस पर ऊपर की तरफ बल लगाता है।
- उत्प्लावन बल सदैव ऊपर की तरफ आरोपित होता है। इस बल का परिमाण द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है।
- वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल > उत्प्लावन बल
- निष्कर्ष – वस्तु डूब जाएगी ।
- वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल = उत्प्लावन बल
- निष्कर्ष- वस्तु तैरती है।
- यही कारण है कि लोहे की कील डूब जाती है जबकि पानी का जहाज पानी की सतह पर तैरता है।
घनत्व (Density)-
किसी पदार्थ का एकांक आयतन द्रव्यमान घनत्व कहलाता है। अगर पदार्थ का द्रव्यमान m व आयतन v है तो
घनत्व = द्रव्यमान / आयतन
d= m/v
घनत्व का S.I. का मात्रक = kg/m3 या kg m-3
आप पढ़ रहे है – ncert class 9 science notes in hindi medium chapter 9
आर्किमिडीज का सिद्धांत
जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्णत : या अंशत: डुबोया जाता है, तब वस्तु ऊपर की तरफ लगने वाले एक बल का अनुभव करती है, यह बल वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।
आर्किमिडीज का सिद्धांत के उपयोग
- यह पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करने में उपयेागी है।
- यह जलयानों और पनडुब्बियों के डिज़ाइन बनाने में प्रयोग किया जाता है।
- दुग्धमापी और हाइड्रोमीटर आर्किमिडीज के सिद्धांत पर आधारित है।
इसी कारण से लोहे एवं स्टील का बना एक जलयान इतना बड़ा होते हुए भी जल पर तैरता है लेकिन एक छोटी सी पिन जल में डूब जाती है।
NCERT Class 9 Science Notes in Hindi
प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको सत्र 2023-24 के लिए NCERT Class 9 Science Chapter 1 हमारे आस पास के पदार्थ Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान के नोट्स उपलब्ध करवा रहे है |
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Author: NCERT
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