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9th Class Science Chapter 10 WORK AND ENERGY Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Vigyan Chapter 10 Kaary tathaa uurjaa Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar.
Class 9 Science ch 10 Notes In Hindi || 9 class Science Notes Download
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Physics | विज्ञान |
Chapter | Chapter 10 |
Chapter Name | कार्य तथा ऊर्जा |
Category | Class 9 Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
💠 Class 09 विज्ञान 💠
📚 अध्याय = 10 📚
💠कार्य तथा ऊर्जा💠
💠WORK AND ENERGY 💠
कार्य
- • सभी सजीवों को भोजन की आवश्यकता होती है। जीवित रहने के लिए सजीवों को अनेक मूलभूत गतिविधियाँ करनी पडती है। इन गतिविधियों को जैव प्रक्रम कहते हैं।
- • इन जैव प्रक्रमों को संपादित करने के लिए सजीवों को ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो वे भोजन से प्राप्त करते हैं।
- • वाहनों को भी कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसके लिए डीजल व पेट्रोल का उपयोग किया जाता है।
• कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है-
- I. वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए।
- II. वस्तु विस्थापित होनी चाहिए।
कार्य (Work) –
यदि किसी वस्तु पर बल लगाने पर वह बल की दिशा में विस्थापित हो जाती है, जिसे कार्य कहा जाता है।
आप पढ़ रहे है – class 9 science chapter 10 work and energy notes in hindi
नोट – यदि किसी वस्तु पर बल लगाने पर उसमें विस्थापन शून्य हो तो कार्य का मान भी शून्य होगा।
- • एक वस्तु पर किया गया कार्य, वस्तु पर लगे बल तथा वस्तु द्वारा बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
- • कार्य = बल × बल की दिशा में विस्थापन
- • W = F . S
- • कार्य एक अदिश राशि है।
- • मात्रक – न्यूटन मीटर या जूल।
कार्य के मात्रक की परिभाषा –
एक जूल – जब किसी वस्तु पर एक न्यूटन बल लगाने पर वस्तु बल की दिशा में एक मीटर विस्थापित हो जाती है, तो किया गया कार्य एक जूल कहलाता है।
एक जूल = एक न्यूटन × एक मीटर
कार्य दो कारकों पर निर्भर करता है–
1.बल का परिमाण
2. विस्थापन
कार्य धनात्मक, ऋणात्मक व शून्य हो सकता है –
• धनात्मक – जब बल वस्तु की गति की दिशा में लगाया जाता है।
उदाहरण – पृथ्वी के गुरुत्व बल की दिशा में किया गया कार्य।
• ऋणात्मक – जब बल वस्तु की गति के विपरीत लगता है। (180 के कोण पर)
उदाहरण – पृथ्वी के गुरुत्व बल के विपरीत कार्य है।
• शून्य – वस्तु पर बल लगाने पर विस्थापन शून्य हो तो कार्य शून्य होगा।
उदाहरण :- किसी वस्तु पर 5 N बल लग रहा है। बल की दिशा में वस्तु 2 m विस्थापित होती है। यदि विस्थापन होते समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहे तो किया गया कार्य क्या होगा
बल (F) =5 N
विस्थापन (S) = 2 m
कार्य (w) = बल (F) × विस्थापन (S)
W = 5N × 2m
W = 10 Nm या 10 जूल
आप पढ़ रहे है – Work And Energy Class 9 CBSE Notes – chapter 10
उदाहरण :- एक कुली 15 kg का बोझ धरती से 1.5 मी. ऊपर उठाकर अपने सिर पर रखता है। उसके द्वारा बोझे पर किए गए कार्य का परिकलन कीजिए
द्रव्यमान (m) = 15 kg
विस्थापन (S) = 1.5 m
गुरुत्वीय त्वरण (g) = 10 m/s2 (पृथ्वी के गुरुत्व बल के विपरीत – ऋणात्मक )
[F = mg]
W = F.S
W= mg.s
W = 15 × 10 × 1.5
W = 225 Nm या 225 जूल
उदाहरण – एक व्यक्ति 100 न्यूटन बल लगाकर एक पत्थर को 3 मीटर तक विस्थापित करता है तो उसके द्वारा किया गया कार्य ज्ञात कीजिए ।
बल (F) = 100 N
विस्थापन (d) = 3 मीटर
कार्य (w) = बल (F) × विस्थापन (d)
कार्य (w) = 100 × 3
कार्य (w) = 300 Nm या 300 जूल
उदाहरण – एक लड़का एक टेबल को 20 N बल लगाकर उसे हिला भी नहीं पाता है और थक जाता है तो उसके द्वारा किया गया कार्य परिकलित कीजिए –
बल (F) = 20 N
विस्थापन (d) = 0 मीटर
कार्य (w) = बल (F) × विस्थापन (d)
कार्य (w) = 20 × 0
कार्य (w) = 0
विस्थापन नहीं होने पर कार्य शून्य होता है।
ऊर्जा (Energy) –
- • ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्त्रोत सूर्य है।
- • परमाणुओं के नाभिकों से पृथ्वी के आंतरिक भागों से तथा ज्वार भाटा से भी ऊर्जा प्राप्त कर सकते है।
- ऊर्जा – कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।
- • किसी वस्तु में निहित ऊर्जा, उस वस्तु द्वारा किए जाने वाले कार्य के बराबर होती है। कार्य करने वाली वस्तु में ऊर्जा की हानि होती है तथा जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है, उसकी ऊर्जा में वृद्धि होती है।
- • ऊर्जा एक अदिश राशि है।
- • ऊर्जा का मात्रक – जूल ( J)
- • ऊर्जा का बड़ा मात्रक – किलोजूल (K J)
- ∘ 1 KJ = 1000 J = 103 J
- • एक जूल – एक जूल कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा एक जूल कहलाती है।
आप पढ़ रहे है – Work, Power and Energy Class 9 Notes Science chapter 10
ऊर्जा के रूप
– ऊर्जा कई रूपों में पाई जाती है, कुछ के नाम उदाहरण निम्नवत है–
1. ऊष्मीय ऊर्जा –
किसी ईंधन को जलाने तथा सूर्य से प्राप्त विकिरण से ऊष्मीय ऊर्जा प्राप्त होती है। ऊष्मीय ऊर्जा का उपयोग भाप इंजन, डीजल इंजन आदि में किया जाता है।
2. यांत्रिक ऊर्जा –
यांत्रिक कार्य से प्राप्त ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं। जैसे – गिरते पत्थर में ऊर्जा व दबी स्प्रिंग में ऊर्जा। यांत्रिक ऊर्जा दो प्रकार की होती है –
1. गतिज ऊर्जा 2. स्थितिज ऊर्जा
3. विद्युत ऊर्जा –
विद्युत पंखा, विद्युत बल्ब एवं विद्युत मोटर, विद्युत ऊर्जा से ही कार्य करते हैं।
4. नाभिकीय ऊर्जा –
परमाणु की नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग करके परमाणु बम व नाभिकीय बम बनाए जाते हैं। इस ऊर्जा द्वारा नाभिकीय रिएक्टर का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा भी प्राप्त की जाती है।
5. प्रकाशीय ऊर्जा –
सूर्य, विद्युत बल्ब, टयूब लाइट आदि प्रकाश स्त्रोतों से हमें प्रकाश ऊर्जा प्राप्त होती है। प्रकाश विद्युत-सेल में प्रकाश ऊर्जा का उपयोग विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने में किया जाता है।
6. सौर ऊर्जा –
सूर्य की ऊर्जा का उपयोग हम सभी अपने दैनिक जीवन में अत्यधिक मात्रा में करते हैं। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में हरे पेड पौधे अपना भोजन तैयार करते है। अत: सूर्य ऊर्जा का एक सबसे बडा प्राकृतिक स्त्रोत है।
7. रासायनिक ऊर्जा –
विभिन्न प्रकार के ईंधनों जैसे- पेट्रोल, मिट्टी का तेल, डीजल आदि में रासायनिक ऊर्जा छिपी होती है, उन्हें जलाने में ऊष्मीय ऊर्जा प्राप्त होती है।
8. ध्वनि ऊर्जा –
विभिन्न प्रकार की ऊर्जा से ध्वनि ऊर्जा उत्पन्न करती है इससे हमें ध्वनि सुनाई देती है।
आप पढ़ रहे है – Notes of ch 10 Work and Energy| Class 9th Science
गतिज ऊर्जा –
किसी वस्तु की गति के कारण कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं।
- उदाहरण :-
- ❑ एक गतिशील क्रिकेट बॉल
- ❑ बहता हुआ पानी
- ❑ बहती हुई हवा
- ❑ उड़ता हुआ हवाई जहाज
- ❑ गिरता हुआ नारियल
- ❑ दौड़ता हुआ खिलाडी
आप पढ़ रहे है – Work and Energy Class 9 Notes CBSE Science chapter 10
आप पढ़ रहे है – Class 9 Science chapter 10 Work And Energy Notes
स्थितिज ऊर्जा –
किसी वस्तु की स्थिति या इसके आकार में परिवर्तन के कारण , जो कार्य करने की क्षमता होती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
उदाहरण –
1. बांध में जमा पानी – यह पृथ्वी से ऊँची स्थिति से पानी टरबाइन पर गिरने से घूर्णन गति करता है, जिससे विद्युत उत्पन्न होती है।
2. स्प्रिंग के आकार में परिवर्तन
3. तीर कमान
4. गुलेर
स्थितिज ऊर्जा के प्रकार –
1. गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
2. प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा
3. वैद्युत स्थितिज ऊर्जा
4. रासायनिक स्थितिज ऊर्जा
5. आण्विक स्थितिज ऊर्जा
स्थितिज ऊर्जा को प्रभावित करने वाले कारक –
1. द्रव्यमान P.E. ∝m
द्रव्यमान बढाने पर स्थितिज ऊर्जा का मान बढता है, जबकि द्रव्यमान का मान घटाने पर स्थितिज ऊर्जा का मान घटता है।
2. पृथ्वी तल से ऊँचाई
P.E. ∝h
वस्तु की पृथ्वी तल से ऊँचाई अधिक होगी तो स्थितिज ऊर्जा का मान अधिक होगा।
3. आकार में परिवर्तन –
वस्तु में अधिक खिंचाव, झुकाव होने पर स्थितिज ऊर्जा का मान बढ़ता है।
किसी ऊँचाई पर वस्तु की स्थितिज ऊर्जा –
यदि m द्रव्यमान की वस्तु को पृथ्वी के ऊपर h ऊँचाई तक उठाया जाता है तो पृथ्वी का गुरुत्व बल (m×g) नीचे की दिशा में कार्य करता है।
कार्य = बल × विस्थापन
w = mg × h
w = mgh
उदाहरण :– 10 kg द्रव्यामान की एक वस्तु को पृथ्वी से 6 m की ऊँचाई तक उठाया गया है। इसमें विद्यमान ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g = 10 ms-2)
वस्तु का द्रव्यमान (m) = 10 kg
पृथ्वी से ऊँचाई (h) = 6 m
गुरुत्वीय त्वरण (g) = 10 ms-2
∴ स्थितिज ऊर्जा = mgh
= 10 kg × 10 ms-2 × 6 m
स्थितिज ऊर्जा = 600 J
उदाहरण :– 12 kg द्रव्यमान की एक वस्तु पृथ्वी से एक निश्चित ऊँचाई पर स्थित है यदि वस्तु की स्थितिज ऊर्जा 480 J है तो वस्तु की धरती के सापेक्ष ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (g = 10ms-2)
वस्तु का द्रव्यमान (m) = 12 kg
स्थितिज ऊर्जा (Ep) = 480 J
Ep = mgh
480 J = 12 kg × 10 ms-2 × h
ℎ=480J12 kg×10 ms−2=4 m
वस्तु 4 m की ऊँचाई पर स्थित है।
ऊर्जा संरक्षण
ऊर्जा का रूपान्तरण – ऊर्जा का एक रूप से ऊर्जा के दूसरे रूप में परिवर्तन को ऊर्जा का रूपान्तरण कहते हैं।
ऊर्जा संरक्षण नियम – इस नियम के अनुसार “ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है यह केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित की जा सकती है।” इसे ही ऊर्जा संरक्षण का नियम कहते हैं।
आप पढ़ रहे है – Revision Notes on Work and Energy
एक वस्तु के मुक्त पतन के समय ऊर्जा संरक्षण
• m द्रव्यमान की एक वस्तु h ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा = mgh
• वस्तु नीचे गिरती है, ऊँचाई h घटती है, और स्थितिज ऊर्जा का मान भी घटता है।
• ऊँचाई h पर गतिज ऊर्जा शून्य थी, परन्तु वस्तु के नीचे गिरने पर स्थितिज ऊर्जा का मान शून्य हो जाता है और गतिज ऊर्जा का मान बढ़ जाता है।
• मुक्त पतन के समय किसी भी बिन्दु पर स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा का योग समान रहता है अत: गुरुत्वीय बल के अन्तर्गत पिण्ड की कुल यांत्रिक ऊर्जा सदैव नियत रहती है।
आप पढ़ रहे है – class 9 science chapter 10 solutions
शक्ति
कार्य करने की दर
शक्ति (Power) :- कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपांतरण की दर को शक्ति कहते हैं।
यदि कोई अभिकर्त्ता (एजेन्ट) t समय में w कार्य करता है, तो शक्ति का मान होगा –
- ❖ शक्ति = कार्य / समय
- ❖ P=W/t
- ❖ मात्रक → वॉट
- ❖ शक्ति को P से प्रदर्शित करते है।
यह मात्रक जेम्स वाट के सम्मान में रखा गया है जिन्होंने भाप के इंजन का अविष्कार किया ।
एक वॉट :- 1 सैकण्ड में 1 जूल कार्य करने की दर को एक वॉट कहा जाता है।
एक वॉट = 1 जूल/ 1सैकण्ड
- 1 किलोवॉट = 103 वॉट
- 1 मेगावॉट = 106 वॉट
- 1 गिगावॉट =109 वॉट
औसत शक्ति को हम कुल उपयोग की गई ऊर्जा को कुल लिए गए समय से विभाजित कर प्राप्त कर सकते हैं:-
औसत शक्ति = कुल उपयोग की गई ऊर्जा / कुल समय
1Kwh = 1 Kw x 1 h
= 1000 W x 3600 Sec.
= 3600000 J
या 1Kwh = 3.6×106 जूल
1Kwh = यूनिट
आप पढ़ रहे है – ncert solutions for class 9 science chapter 10
NCERT Class 9 Science Notes in Hindi
प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको सत्र 2023-24 के लिए NCERT Class 9 Science Chapter 1 हमारे आस पास के पदार्थ Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान के नोट्स उपलब्ध करवा रहे है |
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