2023-24 NCERT Class 9 Science Chapter 11 ध्वनि Notes in Hindi

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9th Class Science Chapter 11 SOUND Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Vigyan Chapter 11 Dhvani Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar.

Class 9 Science ch 11 Notes In Hindi || 9 class Science Notes Download

TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectPhysics | विज्ञान
ChapterChapter 11
Chapter Nameध्वनि
CategoryClass 9 Science Notes in Hindi
MediumHindi
class-9-science-chapter-11 –SOUND notes-in-hindi

💠 Class 09 विज्ञान 💠
📚 अध्याय = 11 📚
💠ध्वनि💠

💠SOUND 💠

ध्वनि का उत्पादन

ध्वनि  ध्वनि हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है| यह ऊर्जा का एक रूप है जिसे हम सुन सकते हैं। ऊर्जा संरक्षण का नियम ध्वनि पर भी लागू होता है| ध्वनि का संचरण तरंगों के रूप में होता है|

ध्वनि का उत्पादन – ध्वनि तब पैदा होती है जब वस्तु कंपन करती है या कम्पमान वस्तुओं से ध्वनि पैदा होती है। किसी वस्तु को कम्पित करके ध्वनि पैदा करने के लिए आवश्यक ऊर्जा किसी बाह्य स्रोत द्वारा उपलब्ध करायी जाती है|

उदाहरण – तबला या ड्रम की तनित झिल्ली पर हाथ से मारकर कम्पन पैदा करते हैं जिससे ध्वनि पैदा होती है।

ध्वनि का उत्पादन  sound production

उदाहरण – प्रयोगशाला में कंपमान स्वरित्र द्विभुज से ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इसको दिखाने के लिए एक छोटी टेनिस (प्लास्टिक) की गेंद को धागे की सहायता से किसी आधार पर लटकाकर कंपमान स्वरित्र द्विभुज से स्पर्श कराते हैं। गेंद एक बड़े बल के द्वारा दूर धकेल दी जाती है।

ध्वनि का उत्पादन  sound production

निम्नलिखित तरीकों से ध्वनि पैदा होती है:

  • (i) कंपन करते तंतु से (सितार)
  • (ii) कंपन करती वायु से (बाँसुरी)
  • (iii) कंपन करती तनित झिल्ली से (तबला, ड्रम)
  • (iv) कंपन करती प्लेटों से (साइकिल की घंटी)
  • (v) वस्तुओं से घर्षण द्वारा
  • (vi) वस्तुओं को खुरचकर या रगड़कर

मनुष्य में ध्वनि :-

 मनुष्यों में ध्वनि उनके वाक् तंतुओं के कंपित होने के कारण उत्पन्न होता है।

  • ध्वनि तरंग के रूप में गति करती है।
  • मधुमक्खियों के पंखों के कंपन्न से ध्वनि निकलती है जिसे भिनभिनाहट कहते है।
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ध्वनि का संचरण :-

 ध्वनि का एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण होता है इसे ही ध्वनि का संचरण कहते है।

  • वह पदार्थ जिसमें होकर ध्वनि संचरित होती है, माध्यम कहलाता है|
  • माध्यम ठोस, द्रव या गैस हो सकता है।
  • जिस माध्यम का घनत्व अधिक होता है उससे ध्वनि अधिक तेजी से गति करती है अर्थात् उस माध्यम में ध्वनि की चाल सबसे अधिक होती है। अत: सभी माध्यमों की अपेक्षा ठोस में ध्वनि की चाल सबसे अधिक होती है।
  • जब एक वस्तु कंपन करती है, तब इसके आस-पास के वायु के कण भी बिल्कुल वस्तु की तरह कंपन करते हैं और अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित हो जाते हैं।
  • ये कंपमान वायु के कण अपने आस-पास के वायु कणों पर लगाते हैं। अतः वे कण भी अपनी विरामावस्था से विस्थापित होकर कंपन करने लगते हैं।
  • यह प्रक्रिया माध्यम में तब तक चलती रहती है जब तक ध्वनि हमारे कानों में नहीं पहुँच जाती है|
  • ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ माध्यम से होकर गति करता है। (माध्यम के कण गति नहीं करते हैं)
  • तरंग एक विक्षोभ है जो माध्यम में गति करता है तथा एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ऊर्जा ले जाता है जबकि दोनों बिंदुओं में सीधा संपर्क नहीं होता है|
  • ध्वनि यांत्रिक तरंगों के द्वारा संचरित होती है|
  • ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं। जब एक वस्तु कंपन करती है तब अपने आस-पास की वायु को संपीडित करती है। इस प्रकार एक उच्च घनत्व या दाब का क्षेत्र बनता है जिसे संपीडन कहते हैं।
  • जब कंपमान वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तब एक निम्न दाब का क्षेत्र बनता है जिसे विरलन कहते हैं।
  • जब वस्तु आगे-पीछे तेजी से कंपन करती है तब हवा में संपीडन और विरलन की श्रेणी बनकर ध्वनि तरंग बनाती है।
  • ध्वनि तरंग का संचरण घनत्व परिवर्तन का संचरण है। ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है
  • ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें हैं, इनके संचरण के लिए माध्यम (हवा, पानी, स्टील) की आवश्यकता होती है|
  • यह निर्वात में संचरित नहीं हो सकती है।

ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं


(i) वह तरंग जिसमें माध्यम के कण आगे-पीछे उसी दिशा में कंपन करते हैं जिस दिशा में तरंग गति करती है, अनुदैर्ध्य तरंग कहलाती है|

जब एक स्लिंकी को धक्का देते तथा खींचते हैं तब संपीडन तथा विरलन बनते हैं।

जब तरंग स्लिंकी में गति करती है तब इसकी प्रत्येक कुंडली तरंग की दिशा में आगे-पीछे एक छोटी दूरी तय करती है| अतः अनुदैर्ध्य तरंग है|

कणों के कंपन की दिशा तरंग की दिशा के समान्तर होती है।

 

कंपमान वस्तु द्वारा माध्यम से सपीडन
कंपमान वस्तु द्वारा माध्यम से सपीडन
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जब स्लिंकी के एक सिरे को आधार से स्थिर करके दूसरे सिरे को ऊपर निचे तेजी से हिलाते हैं तब यह अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न करती हैं।

संपीडन :-


जब कोई कंपमान वस्तु आगे की ओर कंपन करती है तो इस प्रकार एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस क्षेत्र को संपीडन (C) कहते हैं।

विरलन :-


जब कोई कंपमान वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो इस प्रकार एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। जिसे विरलन (R) कहते हैं।

संपीडन और विरलन में अंतर

संपीडन विरलन

(i) यह तब बनता है जब कोई वस्तु आगे की ओर गति करता है।

(i) यह तब बनता है जब कोई वस्तु पीछे की ओर गति करता है।

(ii) यह एक उच्च दाब का क्षेत्र होता है।

(ii) यह एक निम्न दाब का क्षेत्र होता है।

ध्वनि तरंगों के अभिलक्षण –

 ध्वनि तरंग के अभिलक्षण हैं- तरंग दैर्ध्य, आवृत्ति, आयाम, आवर्तकाल तथा तरंग वेग।

नोट

  • जब एक तरंग वायु में संचरण करती है तब हवा का घनत्व तथा दाब अपनी मध्य स्थिति से बदलते हैं।
  • संपीडन को शिखर या श्रृंग तथा विरलन को गर्त से दर्शाया जाता है।
  • सम्पीडन अधिकतम घनत्व या दाब का क्षेत्र है।
  • विरलन न्यनूतम घनत्व या दाब का क्षेत्र है।
ध्वनि तरंगों के अभिलक्षण  characteristics of sound waves
आप पढ़ रहे है – class 9 science chapter 11 notes

(i) तरंग दैर्ध्य

  • ध्वनि तरंग में एक संपीडन तथा एक सटे हुए विरलन की कुल लंबाई को तरंग दैर्ध्य कहते हैं|
  • दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों के मध्य बिंदुओं के बीच की दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते हैं।
  • तरंग दैर्ध्य को ग्रीक अक्षर लैम्डा (�) से निरूपित करते हैं।
  • इसका S.I. मात्रक मीटर (m) है।
तरंग दैर्ध्य  wavelength

(ii) आवृत्ति

  • एक सेकंड में उत्पन्न पूर्ण तरंगों की संख्या या एक सेकंड में कुल दोलनों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं।
  • एक सेकंड में गुजरने वाले संपीडनों तथा विरलनों की संख्या को भी आवृत्ति कहते हैं।
  • किसी आवृत्ति उस तरंग को उत्पन्न करने वाली कम्पित वस्तु की आवृत्ति के बराबर होती है|
  •  आवृत्ति का S.I. मात्रक हर्ट्स (Hz) है।
  •  आवृत्ति को ग्रीक अक्षर v (न्यू) से प्रदर्शित करते हैं।

नोट –
हर्ट्ज
 – एक हर्ट्ज, एक कम्पन प्रति सेकेण्ड के बराबर होता है।
आवृत्ति का बड़ा मात्रक किलोहट्ज है। 1 KHz =  1000 Hz.

(iii) आवर्त काल

  • एक कंपन या दोलन को पूरा करने में लिए गए समय को आवर्त काल कहते हैं|
  • दो क्रमागत संपीडन या विरलन को एक निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को आवर्त काल कहते हैं।
  • आवर्त काल का S.I. मात्रक सैकण्ड (S) है।
  •  इसको T से निरूपित करते हैं।
  •  किसी तरंग की आवृत्ति आवर्त काल का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
    r= 1/T

आयाम

  • किसी माध्यम के कणों के उनकी मूल स्थिति के दोनों और अधिकतम विस्थापन को तरंग का आयाम कहते हैं।
  • आयाम को ‘A’ से निरूपित करते हैं।
  • इसका S.I. मात्रक मीटर ‘m’ है।
  • ध्वनि से तारत्व, प्रबलता तथा गुणता जैसे अभिलक्षण पाए जाते हैं।

तारत्व

  •  
  • किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते हैं। किसी स्रोत का कंपन जितनी शीघ्रता से होता है, आवृत्ति उतनी ही अधिक होती है और उसका तारत्व भी अधिक होता है। इसी प्रकार जिस ध्वनि का तारत्व कम होता है उसकी आवृत्ति भी कम होती है।
तारत्व  Pitch of voice
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प्रबलता

  •  
  • ध्वनि की प्रबलता ध्वनि तरंगों के आयाम पर निर्भर होती है। कानों में प्रति सेकंड पहुँचने वाली ध्वनि ऊर्जा के मापन को प्रबलता कहते हैं।
  • मृदु ध्वनि का आयाम कम होता है तथा प्रबल ध्वनि का आयाम अधिक होता है।
  •  प्रबलता को डेसीबल (db) में मापा जाता है।
प्रबलता प्रबलता

​​​​​​​

गुणता

  •  
  • किसी ध्वनि की गुणता उस ध्वनि द्वारा उत्पन्न तरंग की आकृति पर निर्भर करती है। यह हमें समान तारत्व तथा प्रबलता की ध्वनियों में अंतर करने में सहायता करता है| एकल आवृत्ति की ध्वनि को टोन कहते हैं।
  • अनेक ध्वनियों के मिश्रण को स्वर कहते हैं।
  • शोर कर्णप्रिय नहीं होता है जबकि संगीत सुनने में सुखद होता है|

तरंग वेग

  • एक तरंग द्वारा एक सेकंड में तय की गई दूरी को तरंग का वेग कहते हैं।
  • इसका S.I. मात्रक मीटर/सेकंड (ms-1) है।
  • वेग = चली गई दूरी/लिया गया समय
    V= �/T
    ध्वनि की तरंगदैर्ध्य है और यहा T समय में चली गई है।
    अतः V = �v (1/T =�)
    वेग = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति

प्रश्न- एक ध्वनि तरंग का आवर्तकाल 0.055 है। इसकी आवृत्ति क्या होगी?
उत्तर-
आवृत्ति r = 1/T
दिया गया है T = 0.055 S
V= 1/0.05 = 100/5 = 20 Hz
ध्वनि तरंग की आवृत्ति 20 Hz है।

ध्वनि की तीव्रता तथा प्रबलता में अन्तर

तीव्रता प्रबलता

1. सेकण्ड में एकांक क्षेत्रफल से गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।

1. कानों की संवदनशीलता की माप की ध्वनि की प्रबलता कहते हैं।

2. ध्वनि की तीव्रता मापी जा सकती है।

2. ध्वनि की प्रबलता को मापा नहीं जा सकता है।

3. ध्वनि की तीव्रता का सम्बन्ध उसकी ऊर्जा से है।

3. ध्वनि की प्रबलता तंरग की ऊर्जा की तुलना में हमारे कनों की संवेदन-शीलता  पर अधिक निर्भर करती है।

विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल

  •  
  • ध्वनि की चाल पदार्थ (माध्यम) के गुणों पर निर्भर करती है, जिसमें यह संचरित होती है। यह गैसों में सबसे कम द्रवों में ज्यादा तथा ठोसों में सबसे तेज होती है।
  • ध्वनि की चाल तापमान बढ़ने के साथ बढ़ती है।
  • हवा में आर्द्रता बढ़ने के साथ ध्वनि की चाल बढ़ती है।
  • प्रकाश की चाल ध्वनि की चाल से अधिक है।
  • वायु में ध्वनि की चाल 22°C पर 344 ms-1 है।

ध्वनि का परावर्तन

  •  
  • प्रकाश की तरह ध्वनि भी जब किसी कठोर सतह से टकराती है तब वापस लौटती है। यह ध्वनि का परावर्तन कहलाता है। ध्वनि भी परावर्तन के समय प्रकाश के परावर्तन के नियमों का पालन करती है।
  • आपतित ध्वनि तरंग, परावर्तित ध्वनि तरंग तथा आयतन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब एक ही तल में होते हैं।
  • ध्वनि का आपतन कोण हमेशा ध्वनि के परावर्तन कोण के बराबर होता है।
ध्वनि का परावर्तन reflection of sound
आप पढ़ रहे है – ध्वनि : Science class 9th:Hindi Medium cbse notes

ध्वनि के परावर्तन के अनुप्रयोग


I. मेगाफोन या लाउडस्पीकर, हॉर्न, तूर्य और शहनाई आदि इस प्रकार बनाए जाते हैं कि वे ध्वनि को सभी दिशाओं में फैलाए बिना एक ही दिशा में भेजते हैं। इन सभी यंत्रों में शंक्वाकार भाग ध्वनि तरंगों को बार-बार परावर्तित करके श्रोताओं की ओर भेजता है। इस प्रकार ध्वनि तरंगों का आयाम जुड़ जाने से ध्वनि की प्रबलता बढ़ जाती है।

II. स्टेथोस्कोप एक चिकित्सा यंत्र है जो मानव शरीर के अंदर हृदय और फेफड़ों में उत्पन्न ध्वनि को सुनने में काम आता है| हृदय की धड़कन की ध्वनि की रबर की नली में बारम्बार परावर्तित होकर डॉक्टर के कानों में पहुँचती है।

III. कंसर्ट हॉल, सम्मेलन कक्षों तथा सिनेमा हॉल की छतें वक्राकार बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए। कभी-कभी वक्राकार ध्वनि-पट्टों को मंच के पीछे रख दिया जाता है जिससे कि ध्वनि, ध्वनि-पट्ट से । परावर्तन के पश्चात् समान रूप से पूरे हॉल में फ़ैल जाए।

प्रतिध्वनि व अनुरणन

प्रतिध्वनि

  •  
  • ध्वनि तरंग के परावर्तन के कारण ध्वनि के दोहराव को प्रतिध्वनि कहते हैं।
  • हम प्रतिध्वनि तभी सुन सकते हैं जब मूल्य ध्वनि तथा प्रतिध्वनि के बीच 0.1 सैकण्ड का समय अंतराल हो।
  • प्रतिध्वनि तब पैदा होती है जब ध्वनि किसी कठोर सतह से परावर्तित होती है। मुलायम सतह ध्वनि को अवशोषित करते हैं।
  • प्रतिध्वनि सुनने के लिए न्यूनतम दूरी की गणना
    चाल = दूरी/समय
    वायु में ध्वनि की चाल = 344 m/s (22°C पर)
    समय = 0.1 सेकंड
    344 = दूरी/0.15 या दूरी = 344 ms-1 x 0.1 s = 34.4 m
  • अतः श्रोता तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच की दूरी = 17.2 m (22°C पर)
  • बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली की आवाज के कई परावर्तक पृष्ठों जैसे बादलों तथा भूमि से बार-बार परावर्तन के कारण होती है।

अनुरणन

  • किसी बड़े हॉल में, हॉल की दीवारों, छत तथा फर्श से बार-बार परावर्तन के कारण ध्वनि का स्थायित्व (ध्वनि का बने रहना) अनुरणन कहलाता है।
  • अगर यह स्थायित्व काफी लम्बा हो तब ध्वनि धुंधली, विकृत तथा भ्रामक हो जाती है।

 किसी बड़े हॉल या सभागार में अनुरणन को कम करने के तरीके

  • सभा भवन की छत तथा दीवारों पर संपीडित फाइबर बोर्ड से बने पैनल ध्वनि का अवशोषण करने के लिए लगाये जाते हैं।
  • खिड़की, दरवाजों पर भारी पर्दे लगाए जाते हैं।
  • फर्श पर कालीन बिछाए जाते हैं।
  • सीट ध्वनि अवशोषक गुण रखने वाले पदार्थों की बनाई जाती है।

प्रतिध्वनि तथा अनुरणन में अंतर

प्रतिध्वनि अनुरणन

ध्वनि तरंग के परावर्तन के कारण ध्वनि के दोहराव को प्रतिध्वनि कहते हैं।

किसी बड़े हॉल में, हॉल की दीवारों, छत तथा फर्श से बार-बार परावर्तन के कारण ध्वनि का स्थायित्व अनुरणन कहलाता है।

प्रतिध्वनि एक बड़े खाली हॉल में उत्पन्न होता है। ध्वनि का बार-बार परावर्तन नहीं होता है और ध्वनि स्थायी भी नहीं होती है।

अनुरणन के ज्यादा लम्बा होने पर ध्वनि धुंधली, विकृत तथा भ्रामक हो जाती है

श्रव्यता का परिसर

  • मनुष्य में श्रव्यता का परिसर 20 Hz से 2000 Hz तक होता है। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे तथा कुत्ते 25 KHz तक की ध्वनि सुन लेते हैं।
  • 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं।
  • कम्पन करता हुआ सरल लोलक अवश्रव्य ध्वनि उत्पन्न करता है।
  • गैंडे 5 Hz की आवृत्ति की ध्वनि से एक-दूसरे से संपर्क करते हैं।
  • हाथी तथा व्हेल अवश्रव्य ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
  • भूकम्प प्रघाती तरंगों से पहले अवश्रव्य तरंगें पैदा करते हैं जिन्हें कुछ जंतु सुनकर परेशान हो जाते हैं।
  • 20 KHz से अधिक आवृत्ति की ध्वनियों को पराश्रव्य ध्वनि या पराध्वनि कहते हैं। कुत्ते, डॉल्फिन, चमगादड़ तथा चूहे पराध्वनि सुन सकते हैं। कुत्ते तथा चूहे पराध्वनि उत्पन्न करते हैं।
अपश्रव्य ध्वनि श्रव्य ध्वनि पराश्रव्य ध्वनि

20 Hz से कम

20-20 KHz तक

20 KHz से भी अधिक

सुनाई नहीं देता है

सुनाई देता है

कान के पर्दे फट सकते है

श्रवण सहायक युक्ति – 

यह बैटरी चालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो कम सुनने वाले लोगों द्वारा प्रयोग की जाती है। माइक्रोफोन ध्वनि को विद्युत संकेतों में बदलता है जो एंप्लीफायर द्वारा प्रवर्धित हो जाते हैं। ये प्रवर्धित संकेत युक्ति के स्पीकर को भेजे जाते हैं। स्पीकर प्रवर्धित संकेतों को ध्वनि तरंगों में बदलकर कान को भेजता है जिससे साफ़ सुनाई देता है।

पराध्वनि के अनुप्रयोग

  • इसका उपयोग उद्योगों में धातु के इलाकों में दरारों या अन्य दोषों का पता लगाने के लिए (बिना उन्हें नुकसान पहुँचाए) किया जाता है।
  • यह उद्योगों में वस्तुओं के उन भागों को साफ़ करने में उपयोग की जाती है, जिनका पहुंचना कठिन होता है। जैसे- सर्पिलाकार नली, विषम आकार की मशीन आदि।
  • इसका उपयोग मानव शरीर के आंतरिक अंगों, जैसे- यकृत, पित्ताशय, गर्भाशय, गुर्दे और हृदय की जाँच करने में किया जाता है।
  • इन तरंगों का उपयोग हृदय की गतिविधियों को दिखाने तथा इसका प्रतिबिंब बनाने में किया जाता है। इसे इकोकार्डियोग्राफी कहते हैं।
  • वह तकनीक जो शरीर के आंतरिक अंगों का प्रतिबिंब पराध्वनि तरंगों की प्रतिध्वनियों द्वारा बनाती है। यह अल्ट्रासोनोग्राफी कहलाता है।
  • इसका उपयोग गुर्दे की छोटी पथरी को बारीक कणों में तोड़ने के लिए किया जाता है।
NCERT Class 9 Science Notes in Hindi

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