NCERT Class 10 science Chapter 12 विद्युत Notes in Hindi [ BEST ]

10 Class Science Chapter 12 विद्युत notes in hindi

NCERT Class 10 science Chapter 12 विद्युत notes in hindi. जिसमे हम विद्युत प्रवाह , ओम का नियम , प्रतिरोधकता , कारक जिन पर किसी चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है , प्रतिरोधकों का श्रेणी क्रम संयोजन , विधुत धारा का तापीय प्रभाव आदि के बारे में पढ़ेगे I

TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectविज्ञान
ChapterChapter 12
Chapter Nameविद्युत
CategoryNCERT Class 10 Science Notes
MediumHindi
class 10 विज्ञान के सभी अध्याय पढ़ने के लिए – click here

NCERT Class 10 science Chapter 12 विद्युत Notes in hindi

📚 Chapter = 12 📚
💠 विद्युत💠

आवेश (Charge) :-


किन्हीं दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ने पर आवेश की उत्पति होती है।
→ घर्षण बल के द्वारा
→ विद्युत प्रेरण के द्वारा
→ चालन के द्वारा


कुचालक → विद्युत धारा का चालन नहीं करते हैं।
सुचालक → विद्युत धारा का चालन करते हैं।

उदाहरण
काँच की छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़ने पर आवेश की उत्पति होती है।  (धन आवेश)

उदाहरण
ऐबोनाईट की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ने पर आवेश की उत्पति होती है। (ऋण आवेश )

आवेश के गुण


→ असमान आवेश एक – दूसरे को आकर्षित करते हैं।
→ समान आवेश एक- दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।

आवेश परमाणु का एक मूल कण होता है।  जो धनात्मक भी हो सकता है व ऋणात्मक भी हो सकता है।

आवेश का S.I. मात्रक → कूलॉम (C)
अन्य मात्रक  मिली कूलॉम  10-3 C
माइक्रो कूलॉम  10-6C
नैनो कूलॉम  10-9 C
विद्युत उपकरण  बल्ब, टीवी, पंखा, मोटर
विद्युत के स्त्रोत  (सेल, बैटरी)

विद्युत परिपथ →


किसी विद्युत धारा के सतत तथा बंद पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं।
→ धारा बैटरी के धनात्मक (+) सिरे से बाहर निकलती है।
→ धारा बैटरी के ऋणात्मक (-) सिरे से प्रवेश करती है।      
   

विद्युत धारा :-

 किसी भी विद्युत परिपथ में किसी बिन्दु से इकाई समय में गुजरने वाले आवेश की मात्रा को विद्युत धारा कहते हैं।
अथवा
आवेशों में प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं।

माना किसी बिन्दु से Q आवेश t समय में गुजरता हैं तो विद्युत परिपथ के किसी बिन्दु से t समय में n इलेक्ट्रॉन गुजरते है तो t समय में ne आवेश उस बिन्दु से गुजरेगा अत: विद्युत धारा,
धारा  (1) = ne t

जहाँ e इलेक्ट्रॉन पर आवेश हैं।
e−=1.6×10−19 कुलॉम

ऐम्पीयर =  कूलॉम
                सेकण्ड

अन्य मात्रक

1

मिली ऐम्पीयर

=

10-3

ऐम्पीयर

1

माइक्रो ऐम्पीयर

=

10-6

ऐम्पीयर

1

नैनो ऐम्पीयर

=

10-9

ऐम्पीयर

एक ऐम्पीयर की परिभाषा-


यदि Q = 1 कूलॉम व t = 1 सैकण्ड
1 ऐम्पीयर =  1 कूलॉम
                   1 सेकण्ड

“ यदि किसी विद्युत परिपथ में किसी बिन्दु से 1 सैकण्ड में 1 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता हैं, उसे एक ऐम्पीयर कहते हैं।

धारामापी यंत्र →

 धारा को मापने के लिए धारामापी यंत्र (अमीटर) का उपयोग होता हैं। यह श्रेणीक्रम में लगता हैं तथा इसका आदर्श मान ‘शून्य’ होता हैं।

धारा दो प्रकार की होती हैं –
(1) प्रत्यावर्ती धारा (A.C) 
(2) दिष्टवर्ती धारा (D.C.)
हमारे घरो में जो धारा आती हैं वह प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) आती हैं।उदाहरण – 1   एक कूलॉम आवेश में इलेक्ट्रॉनो की संख्या ज्ञात कीजिए?
उत्तर- आवेश(Q) = 1 कूलॉम
इलेक्ट्रॉन का मान(e) = 1.6×10-19
Q= ne 1=n×1.6×10−19n=100×10−1816n=6.25×10−18

NCERT Class 10 science Chapter 12 विद्युत

उदाहरण – 2 किसी विद्युत परिपथ में 5 मिनट में 600 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता हैं तो  विद्युत धारा का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर- आवेश(Q) = 600 कूलॉम
समय(t) = 5 मिनट = 5 x 60 = 300 सैकण्ड
धारा(I)  = आवेश (Q)
               समय(t)

 उदाहरण-3 किसी विद्युत परिपथ में 5 मिनट में 0.2 ऐम्पीयर धारा प्रवाहित होता हैं तो आवेशों का परिमाण ज्ञात कीजिए?
उत्तर – समय(t) = 5 मिनट = 5 x 60 = 300 सैकण्ड
धारा(I) = 0.2 ऐम्पीयर
आवेश = ??
धारा  = आवेश
            समय
आवेश(Q) = धारा(I) x समय(t)
आवेश(Q) = 0.2 x 300
आवेश(Q) = 60 कूलॉम

उदाहरण –4 किसी विद्युत बल्ब के तन्तु में से 0.5 A विद्युत धारा 10 मिनट तक प्रवाहित होती हैं। विद्युत परिपथ से प्रवाहित विद्युत आवेश का परिमाण ज्ञात कीजिए।
उत्तर – धारा (I) = 0.5 ऐम्पीयर
समय (t) = 10 मिनट = 10 x 60 = 600 सैकण्ड
आवेश(Q) = धारा(I) x समय(t)
आवेश(Q) = 0.5 x 600
आवेश(Q) = 300 कूलॉम

विद्युत विभव एवं विभवान्तर

विद्युत विभवान्तर :- 

किसी विद्युत परिपथ में एकांक धन आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किया गया कार्य को विद्युत विभवान्तर कहते हैं।

दो बिन्दु A व B के मध्य विभवान्तर
विद्युत विभवान्तर (VA -VB) = किया गया कार्य (W)
                                      आवेश (Q)

VA – VB   =   W
                     Q

मात्रक :-         

एक वोल्ट की परिभाषा :- 

किसी विद्युत परिपथ में एकांक धन आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में एक जूल कार्य किया जाता हैं, उसे 1 वोल्ट कहते हैं।

विद्युत विभव :- किसी एकांक धनावेश को अनन्त से विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य, विद्युत विभव कहलाता हैं।
यदि बिन्दु B को ∞ मानते है तो –
VA−V∞=WQ[v∞=0]VA=WQ
यदि Q = 1 तब VA = w

विभवमापी यन्त्र का नाम – वोल्टमीटर
वोल्टमीटर समान्तर क्रम में लगता है इसका आदर्श मान ∞ होता है। इसको (v) से प्रदर्शित किया जाता हैं।

परिवर्ती प्रतिरोध
स्रोत की वोल्टता में बिना कोई परिवर्तन किए परिपथ की विद्युत धारा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले अवयव को परिवर्ती प्रतिरोध कहते हैं।

धारा नियत्रंक
किसी विद्युत परिपथ में परिपथ के प्रतिरोध को परिवर्तित करने के लिए प्राय: एक युक्ति का उपयोग करते हैं जिसे धारा नियंत्रक कहते हैं ।

NCERT Class 10 science Chapter 12 विद्युत Notes

ओम का नियम (ohm’s Law):-


जर्मनी के वैज्ञानिक डॉ. जार्ज साइमन ओम ने सन् 1827 में ओम का नियम प्रतिपादित किया।

ओम के नियमानुसार “यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थाएँ जैसे ताप, दाब, लम्बाई, क्षेत्रफल आदि स्थिर रहता है तो उसके सिरों के मध्य उत्पन्न विभवान्तर प्रवाहित धारा के समानुपाती होता हैं।“
अर्थात् धारा बढाने पर विभवान्तर का मान बढ़ता हैं। 
V ∝  I
V = I R            [R = स्थिरांक]

[R एक स्थिरांक है जिसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं]
R = VI

मात्रक :- ओम (Ω) = वोल्ट(V)
                             ऐम्पीयर(A)

एक ओम :- यदि किसी चालक तार में एक ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित करने पर उसके दोनों सिरों के मध्य एक वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न होता हैं, इसे एक ओम कहते हैं।

ओम के नियम का प्रायोगिक सत्यापन :- इसके अनुसार एक सेल (B), धारा नियंत्रक (Rh), अमीटर (A) तार PQ को वोल्टमीटर के समान्तर क्रम में जोड़ देते हैं।
चालक तार में विभिन्न मान की धाराएँ प्रवाहित कर अमीटर से ज्ञात करते है तथा संगत विभवांतर को वोल्टमीटर से ज्ञात करते हैं।
विभवान्तर (V) व धारा (I) के पाठ्यांकों के मध्य ग्राफ एक सीधी रेखा प्राप्त होती हैं :-

उदाहरण :-1   एक चालक तार का प्रतिरोध ज्ञात करों यदि उसमें 0.5 ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित करने पर उसके सिरों पर 2 वोल्ट का विभवान्तर उत्पन्न होता हैं।
धारा (I) = 0.5 ऐम्पीयर
विभवान्तर (V) = 2 वोल्ट
प्रतिरोध (R) = ?
R = VI
= 20.5
R = 4 Ω

उदाहरण:- 2   किसी विद्युत बल्ब में 0.5 ऐम्पीयर धारा प्रवाहित करने पर 220 वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न होता है तो प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए।
धारा (I) = 0.5 ऐम्पीयर
विभवान्तर (V) = 220 वोल्ट
प्रतिरोध (R) = ?
R = VI
= 2200.5
R = 440 Ω

उदाहरण :- 3 यदि किसी विद्युत बल्ब के तंतु का प्रतिरोध 1200 Ω है तो यह बल्ब 220V स्त्रोत से कितनी धारा लेगा?
यदि किसी विद्युत हीटर की कुडंली का प्रतिरोध 100 Ω है तो यह विद्युत हीटर 200V स्त्रोत कितनी धारा लेगा?
उत्तर:- V = 220 वोल्ट
R  = 1200 Ω
धारा (I) = VR=2201200
= 0.18 A

(B) V = 220V
R = 100 Ω
धारा (I) = VR
= 220/100
I = 2.2 A

प्रतिरोध :-


चालकों में आवेशों के प्रवाह में उत्पन्न बाधा को प्रतिरोध कहते हैं।
 इसकों R से प्रदर्शित करते हैं।

प्रतिरोध चालकता के व्युत्क्रमानुपाती होती हैं अत: यदि किसी चालक का प्रतिरोध कम होता है तो उसकी चालकता अधिक होगी।

प्रतिरोध की निर्भरता (Dependence of Resistance)
(a) लम्बाई पर (On Length)
प्रतिरोध (R) लम्बाई (ℓ) के समानुपाती होता है अर्थात् चालक तार की लम्बाई बढ़ाने पर प्रतिरोध का मान भी बढ़ता हैं
                      (1)

(b) अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल पर (on cross sectional Area) प्रतिरोध (R) अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल (A) के व्युत्क्रमानुपाती होता हैं अर्थात् चालक तार को मोटाई बढ़ती है तो प्रतिरोध का मान कम हो जाता हैं।

सभी 1 व 2 से
R∝ℓA R=KℓA

जिसे चालक का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहते हैं।

प्रतिरोकता का मात्रक – ओम  x  मीटर

प्रतिरोधकता-  ρ की इकाई = ओम  x  मीटर

इकाई लम्बाई व इकाई अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल वाले तार का प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहलाती हैं।

प्रतिरोधकता पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती हैं।

प्रतिरोध की ताप पर निर्भरता –

 कुछ धातुएँ जैसे चांदी, तांबा व सोना आदि का ताप बढ़ाने से प्रतिरोध बढ़ता हैं। कुछ मिश्र धातुएँ जैसे- मैग्जीन तथा कॉन्सटेन्ट का प्रतिरोध ताप परिवर्तन के साथ बहुत कम परिवर्तित होता हैं।

कुछ धातुएँ जैसे सिलिकॉन (Si) व जर्मेनियम (Ge) जिनका ताप बढ़ाने पर प्रतिरोध घटता हैं इन धातुओं को अर्द्धचालक कहते हैं।

कुछ धातुओं में ताप कम करने पर एक निश्चित ताप पर प्रतिरोध शून्य हो जाता हें इन्हे अतिचालक पदार्थ कहते हैं।

प्रतिरोधकता का SI मात्रक Ωm  है । यह किसी पदार्थ का अभिलाक्षणिक गुणधर्म है। धातुओं की प्रतिरोधकता अत्यंत कम होती है जिसका परिसर 10-8 Ωm से 10-6 Ω है

। ये विद्युत की अच्छी चालक हैं। रबड़ तथा काँच जैसे विद्युतरोधी पदार्थों की प्रतिरोधकता 1012 से 1017 Ωm कोटि की होती है। किसी पदार्थ का प्रतिरोध तथा प्रतिरोधकता दोनों ही ताप में परितर्वन के साथ परिवर्तित हो जाते है।

मिश्रातुओं की उच्च ताप पर शीघ्र ही उपचयन (दहन) नहीं होता । यही कारण है कि मिश्रधातुओं का उपयोग विद्युत-इस्तरी, टोस्टर आदि सामान्य वैद्युत तापन युक्तियों के निर्माण में  किया जाता है।

विद्युत बल्बों के तंतुओं के निर्माण में तो एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग किया जाता है, जबकि कॉपर तथा ऐलुमिनियम का उपयोग विद्युत संचरण के लिए उपयोग होने वाले तारों के निर्माण में किया जाता है।

उदाहरण
(a) यदि किसी विद्युत बल्ब के तंतु का प्रतिरोध 1200 W है तो यह बल्ब 220V स्रोत से कितनी विद्युत धारा लेगा? (b) यदि किसी विद्युत हीटर की कुंडली का प्रतिरोध 100 W है तो यह विद्युत हीटर 220V स्रोत से कितनी धारा लेगा?
उत्तर:- (a) विभवान्तर (V) = 220 V
प्रतिरोध (R) = 1200 Ω
विद्युत धारा (I)= V/R
विद्युत धारा (I) = 220 V / 1200 Ω
=0.18 A

(b) विभवान्तर (V) =220 V
प्रतिरोध (R)  = 100 Ω
विद्युत धारा (I)= V/R
विद्युत धारा  (I) = 220 V / 100 Ω
= 2.2 A

उदाहरण
जब कोई विद्युत हीटर विद्युत स्रोत से 4 A विद्युत धारा लेता है तब उसके टर्मिनलों के बीच विभवातंर 60 V है। उस समय विद्युत हीटर कितनी विद्युत धारा लेगा जब विभवांतर को 120 V तक बढ़ा दिया जाएगा?
उत्तर:- विभवांतर (V) = 60 V,
विद्युत धारा (I) =4 A
ओम के नियम के अनुसार, R=VI=60 V4 A=15Ω
जब  विभवांतर बढ़ाकर 120 V किया जाता है, तब विद्युत धारा
I=VR=120V15Ω=8A
अर्थात, तब विद्युत हीटर से प्रवाहित विद्युत धारा का मान 8 A  हो जाता है।

उदाहरण
किसी धातु के 1 m लंबे तार का 20 oC पर वैद्युत प्रतिरोध 26 Ω है। यदि तार का व्यास 0.3 mm है तो इस ताप पर धातु की वैद्युत प्रतिरोधकता क्या है? सारणी 12.2 का उपयोग करके तार के  पदार्थ की भविष्यवाणी कीजिए ।
उत्तर:- तार का प्रतिरोध (R) = 26 Ω
व्यास (d)= 0.3 mm = 3x 10-4m
तार की लंबाई (l) = 1 m
धातु के तार की वैद्युत प्रतिरोधकता ρ = (RA/l ) = (Rπd2/4l)
ρ = 1.84×10-6 Ω m.

उदाहरण
दिए गए पदार्थ के किसी l लंबाई तथा A मोटाई के तार का प्रतिरोध 4 W है। इसी पदार्थ के किसी अन्य तार का प्रतिरोध क्या होगा  जिसकी लंबाई ½ तथा मोटाई 2A है?
उत्तर:-  प्रथम तार के लिए
R1=ρℓA =4Ω
द्वितीय तार के लिए
R2=ρℓ/22 A =14⋅ρℓA =14R1 =14X4Ω =1Ω
अत: तार का नया प्रतिरोध 1Ω है।

प्रतिरोधों का संयोजन दो प्रकार का होता हें :-

  1. श्रेणीक्रम संयोजन
  2. समान्तर क्रम संयोजन

1. श्रेणीक्रम संयोजन :-

 इस संयोजन में एक तार, दूसरे तार से व दूसरा तार, तीसरे तार से जोड़ने पर जो संयोजन प्राप्त होता हैं, उसे श्रेणी क्रम संयोजन कहते हैं। इस संयोजन में प्रतिरोध क्रमश : R1, R2 व R3 हैं। श्रेणीक्रम संयोजन में सभी चालक तारों मे धारा (I) समान रूप से हैं। चालक तार के सिरों के मध्य विभवान्तर अलग–अलग होता हैं।

माना कि R1,R2 व R3 में प्रवाहित धारा (I) है तथा इनके सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर क्रमाश् : V1,V2 व V3 है।
V = V1 + V2 + V3

ओम के नियमानुसार,
V= IR……………..(2)
V = IR1…………..(3)
V = IR2……………(4)
V = IR3……………(5)

समीकरण (2),(3),(4) व (5) का मान समीकरण (1) में रखने पर,
IR = IR1 + IR2 + IR3
IR = I  R1 + R2 + R3
R = R1 + R2 + R3

उदाहरण :-
2 Ω , 3Ω  व 5Ω के प्रतिरोध किसी परिपथ में श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। संयोजन को 10 वोल्ट की बैटरी से जोड़ दिया जाता हैं तो निम्न मान ज्ञात कीजिए-
(a) प्रत्येक प्रतिरोध में धारा

(b) प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर

उत्तर- श्रेणीक्रम संयोजन में तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3
R = 2 + 3 + 5
R = 10 Ω

(a) श्रेणीक्रम में धारा एक समान प्रवाहित होती हैं।
I=VR 1010

I = 1 ऐम्पीयर

(b) प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर
V1 = IR1 = 1 x 2  = 2 वोल्ट
V2 = IR2 = 1 X 3 = 3 वोल्ट
V3 = IR3 = 1 X 5 = 5 वोल्ट

उदाहरण
एक विद्युत लैम्प जिसका प्रतिरोध 20 है, तथा एक 4 Ω प्रतिरोध का चालक 6 V की बैटरी से चित्र 12.9 में दिखाए अनुसार अनुसार संयोजित हैं। (a) परिपथ का कुल प्रतिरोध, (b) परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा (c) विद्युत लैम्प तथा चालक के सिरों के बीच विभवांतर परिकलित कीजिए।

उत्तर:- विद्युत लैम्प का प्रतिरोध (R1) = 20 Ω
श्रेणीक्रम में संयोजित चालक का प्रतिरोध (R2) = 4 Ω
परिपथ में कुल प्रतिरोध
R = R1 + R2
Rs = 20 Ω + 4 Ω = 24 Ω
बैटरी के दो टर्मिनलों के बीच कुल विभवातंर
V= 6 V
अब, ओम के नियम के अनुसार परिपथ में प्रवाहित कुल विद्युत धारा
I = V/R
= 6V / 24 Ω
=0.25 A
विद्युत लैम्प तथा चालक पर ओम नियम पृथक-पृथक अनुप्रयुक्तत करने पर हमें विद्युत लैम्प के सिरों के बीच विभवातंर प्राप्त होता है।
V1 = 20 Ω x 0.25 A
= 5 V;
चालक के सिरों के बीच विभवातंर प्राप्त होता है;
V2 = 4Ω x 0.25 A = 1 V

R = V/I
= 6V / 0.25 A
=24 Ω 

समान्तर क्रम संयोजन या पार्श्व क्रम संयोजन ( Parallel Combination) :-


इस संयोजन में प्रतिरोध परस्पर समान्तर क्रम में जुड़े होते हैं, उसे समान्तर क्रम संयोजन कहते हैं। तीन प्रतिरोध R1, R2 व R3 प्रतिरोध समान्तर क्रम में जुड़े होते हैं तथा प्रतिरोधों के सिरों के मध्य विभवान्तर V समान होता हैं परन्तु धारा का मान अलग-अलग होता हैं।
माना कि R1, R2 व  R3 में प्रवाहित धाराए क्रमश: I1, I2 व I3 हैं।

ओम के नियम से,
R1 प्रतिरोध में प्रवाहित धारा,
I1=VR1

Rप्रतिरोध में प्रवाहित धारा,
I2=VR2

R3 प्रतिरोध में प्रवाहत धारा,
I3=VR3
I = I1  +  I2  +  I3

एक विद्युत परिपथ में 1W, 2W व 3W के प्रतिरोध समान्तर क्रम में जुडे हैं यदि संयोजन को 6 वोल्ट की बैटरी से जोड़ देते है तो निम्नलिखित ज्ञात करों?(a) संयोजन का तुल्य प्रतिरोध
(b) परिपथ में धारा
(c) प्रत्येक प्रतिरोध में धारा

(a) तुल्य प्रतिरोध :- R1 = 1 Ω              R2 = 2 Ω              R3 = 3 Ω
1R=1R1+1R2+1R3
1R=11+12+13 1R=6+3+26=116
1R=116 R=6Ω11

(b) परिपथ में धारा :- I=VR

I = 11 ऐम्पीयर

(c) प्रत्येक प्रतिरोध में धारा :-
R1 = 1 Ω में धारा I1=VR1=61=6 ऐम्पीयर
R2 = 2 Ω में धारा I2=VR2=62=3 ऐम्पीयर
R3 = 3 Ω में धारा I3=VR3=63=2 ऐम्पीयर

उदाहरण :- दिये गये विद्युत परिपथ में A व B के मध्य तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करों?

उत्तर :- इस परिपथ में 2W के तीन प्रतिरोध दो स्थानों पर समान्तर क्रम में जुड़े हैं अत: इनका तुल्य प्रतिरोध –

इस परिपथ में तीनों श्रेणीक्रम में जुड़े हुए है अत:
R = R1 + R2 + R3
R=23+2+23 R=2+6+23=103 R=103Ω

विद्युत धारा का तापीय प्रभाव (Thermal effect of current) :-


किसी विद्युत परिपथ में बैटरी के साथ विशुद्ध प्रतिरोध जुड़ा हैं तो स्त्रोत की सम्पूर्ण ऊर्जा पूर्ण रूप से ऊष्मा के रूप में क्षयित हो जाती हैं, इसे विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं। इस प्रभाव का उपयोग विद्युत हीटर, विद्युत इस्तरी व विद्युत गीजर में किया जाता हैं।

माना कि एक विशुद्ध प्रतिरोध तार हैं जिसे एक बैटरी से जोड़ा गया हैं इस तार का प्रतिरोध R इसमें प्रवाहित धारा I व इसके सिरों के मध्य उत्पन्न विभवान्तर V हैं।

यदि तार में t समय में  q आवेश प्रवाहित होता हैं और तार के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर v है t में q आवेश प्रवाहित करने में किया गया कार्य,

कार्य = आवेश x विभवान्तर
W = q x v                                
[Q = I x T]
W = IT.V

स्त्रोत द्वारा t समय में निवेशित ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में परिणित होगी अत: H= VIT ओम के नियम से [V=IR]
H = IT.IR
H = I2 RT

(a) दिये गये प्रतिरोध तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के वर्ग के समानुपाती होती हैं।
H ∝ I2

(b) दिये गये प्रतिरोध के समानुपाती होती हैं।
H ∝ R

(c) प्रतिरोध में धारा प्रवाहित के समय (t) के समानुपाती होती हैं।
H ∝ t

उपरोक्त तीनों नियम जूल का तापीय नियम कहलाता हैं।

आप पढ़ रहे है – Class 10 Science Chapter 12 Notes

विद्युत शक्ति (Electric Power) :-


किसी विद्युत परिपथ में धारा प्रवाहित करने पर प्रति सैकण्ड में किया गया कार्य विद्युत शक्ति कहलाता हैं।

मात्रक – जूल/सैकण्ड अथवा वॉट

शक्ति के अन्य मात्रक –
1 किलोवाट (1 Kw) =  1000 वाट = 103 वाट
1 मेगावाट (1 Kw) = 1000000 वाट = 106 वाट

1 अश्व शक्ति (1hp) = 746 वाट

विद्युत ऊर्जा :- विद्युत ऊर्जा, विद्युत शक्ति व समय के गुणफल बराबर होती हैं।

विद्युत ऊर्जा :- विद्युत शक्ति (p) x समय (t)

मात्रक :- विद्युत ऊर्जा का मात्रक वाट घण्टा हैं जब एक वाट शक्ति का उपयोग 1 घंटे होता हैं तो उपयुर्क्त ऊर्जा एक वाट घंटा होती हैं।

विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक – किलोवाट घंटा (Kwh) अथवा यूनिट
1 किलोवाट घंटा में जूल की संख्या
1 KWh = 103 x 60 x 60 वॉट x सैकण्ड
= 36 x 105  जूल x सैकण्ड
                 सेकण्ड
= 36 x 105 जूल
अथवा
1 KWh = 3.6 x 106 जूल

उदाहरण :- किसी विद्युत बल्ब को 220 वोल्ट के स्त्रोत से जोडने पर उसमें प्रवाहित धारा 0.5 ऐम्पीयर है बल्ब की शक्ति ज्ञात किजिए –
विभवान्तर (V) = 220 वोल्ट
धारा (I) = 0.5 ऐम्पीयर
शक्ति (P) = विभवान्तर (V) x धारा (I)
220 x 0.5
शक्ति (P) = 110 वॉट

उदाहरण :- 400 वॉट अनुमन का कोई रेफ्रीजरेटर 8 घंटे 1 दिन चलाया जाता हैं। 3 रूपये प्रति KWh की दर से इसे 30 दिन तक लचाने के लिए ऊर्जा का मूल्य क्या हैं?
उत्तर – 30 दिन में रेफ्रीजरेटर द्वारा उपर्युक्त् कुल ऊर्जा 100w x 8 घंटे / दिन x दिन = 96000 wh
= 96 KWh
इस प्रकार 30 दिन तक रेफ्रीजरेटर का चलाने में उपयुर्क्त कुल ऊर्जा मूल्य
96 KWh x 3 रूपये = 288 रूपये

Electricity Class 10 questions and answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न:- 1 विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है?
उत्तर :- किसी विद्युत धारा के सतत् तथा बंद पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं।

प्रश्न:- 2 विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए ?
उत्तर:- विद्युत धारा का SI  मात्रक ऐम्पीयर है।

 “ यदि किसी विद्युत परिपथ में किसी बिन्दु से 1 सैकण्ड में 1 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता हैं, उसे एक ऐम्पीयर कहते हैं।

1 ऐम्पीयर    =     1 कूलॉम
                        1 सेकण्ड

class 10 विज्ञान के सभी अध्याय पढ़ने के लिए – click here

People are searching online on Google

ncert class 10 science chapter 12 | exercise solutions
विद्युत कक्षा 10 नोट्स
NCERT Class 10 Science Chapter 12 PDF
विद्युत कक्षा 10 नोट्स PDF
Class 10 Science Chapter 12 Notes
Electricity Class 10 questions and answers
कक्षा 10 अध्याय 12 विद्युत
Electricity Class 10 Notes
Electricity Class 10 NCERT Solutions PDF
Class 10 Science Chapter 12 Notes in Hindi PDF
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 नोट्स

विद्युत धारा कक्षा 10 numerical
कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 नोट्स pdf
विद्युत धारा नोट्स PDF

 Class 10 Science notes 

Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
Chapter 2 अम्ल क्षारक एवं लवण
Chapter 3 धातु एवं अधातु
Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक
Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण
Chapter 6 जैव प्रक्रम
Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं
Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास
Chapter 10 प्रकाश परावर्तन तथा अपवर्तन
Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार
Chapter 12 विद्युत
Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव
Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत
Chapter 15 हमारा पर्यावरण
Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Leave a Comment

20seconds

Please wait...