कक्षा 12 इतिहास के लिए बेहतरीन हिंदी नोट्स – ‘ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ’ अध्याय पर विशेष ध्यान दें। हड़प्पा सभ्यता की अवधारणाओं को स्पष्टता से समझें।
12 Class History Notes In Hindi Chapter 1 ईंटें , मनके तथा अस्थियाँ ( हड़प्पा सभ्यता ) Bricks Beads And Bones
यह अध्याय CBSE,RBSE,UP Board(UPMSP),MP Board, Bihar Board(BSEB),Haryana Board(BSEH), UK Board(UBSE),बोर्ड परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, और यह उन छात्रों के लिए भी उपयोगी है जो प्रतियोगी परीक्षाओं(UPSC) की तैयारी कर रहे हैं।
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | History |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | ईंटें,मनके तथा अस्थियाँ |
Category | Class 12 History |
Medium | Hindi |
इतिहास अध्याय-1: ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ हड़प्पा सभ्यता
संस्कृति शब्द का अर्थ
- संस्कृति किसी विशेष समुदाय की विचारधारा, कला, संगीत, साहित्य, और सामाजिक अभिवृद्धि को दर्शाता है।
- इसमें विभिन्न शैलियों, काल-अंतरों, और भौगोलिक क्षेत्रों की विशेषताओं का समावेश होता है।
- संस्कृति का अध्ययन उसके विकास, प्रसार, और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह हमें हमारी पारंपरिक विरासत के प्रति संवेदनशीलता प्रदान करता है।
- विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं को समझना हमें विश्व के विविधता को समझने में मदद करता है।
हड़प्पा सभ्यता/ सिंधु घाटी सभ्यता
Harappan Civilization / Indus Valley Civilization
- काल: 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व
- स्थान: सिंधु घाटी, मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान में
- विस्तार: 12 लाख 99 हजार 600 वर्ग किलोमीटर (आजकल 15-20 लाख वर्ग किलोमीटर)
- विशेषताएं:
- नगर नियोजन, जल निकासी व्यवस्था, और पक्की ईंटों का निर्माण
- व्यापक व्यापारिक नेटवर्क
- लिपि (अभी तक समझी नहीं गई)
- कला और मूर्तिकला में उन्नति
- सामाजिक स्तरीकरण
- उत्खनन: हड़प्पा (पाकिस्तान) – 1921 में खोजा गया, मोहनजोदड़ो (पाकिस्तान), लोथल (गुजरात), राखीगढ़ी (हरियाणा)
महत्वपूर्ण तथ्य:
- सिंधु घाटी सभ्यता प्राचीन भारत की पहली शहरी सभ्यता थी।
- यह अपनी उन्नत नगर नियोजन, जल निकासी व्यवस्था, और पक्की ईंटों के निर्माण के लिए जाना जाता है।
- सभ्यता का व्यापक व्यापारिक नेटवर्क था, जो मेसोपोटामिया और मिस्र तक फैला हुआ था।
- हड़प्पा सभ्यता की लिपि अभी तक समझी नहीं गई है।
- कला और मूर्तिकला में उन्नति इस सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं में से एक है।
- सामाजिक स्तरीकरण हड़प्पा सभ्यता में मौजूद था, जैसा कि विभिन्न आकारों और सुविधाओं वाले घरों से पता चलता है।
यह सभ्यता सिंधु घाटी के इतिहास और भारतीय उपमहाद्वीप के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
हड़प्पा संस्कृति काल/ सिंधु घाटी सभ्यता / Harappan Culture Period / Indus Valley Civilization
- समय: 2600-1900 ईसा पूर्व
- विशेषताएं:
- सामाजिक संरचना: ग्रामीण समुदाय, आर्थिक व्यवस्था, धार्मिक प्रथाएं
- नगरीय संरचना: मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, लोथल, कालीबग़ान्गा जैसे नगर
- शिल्पकला और साहित्य: कला, स्थापत्य, साहित्य
- व्यापार और वाणिज्य: व्यापक व्यापारिक गतिविधियां
- महत्व: भारतीय समाज और सभ्यता की प्राचीनतम जड़ें
- यह काल भारतीय इतिहास में एक समृद्ध और महत्वपूर्ण अध्याय दर्शाता है।
हड़प्पा संस्कृति के भाग/ चरण
Parts/phases of Harappan culture
1. आरंभिक हड़प्पा संस्कृति (2600-2300 ईसा पूर्व):
- समाज और सभ्यता का प्रारंभिक विकास
- संगठन, शिक्षा, और सामाजिक प्रथाओं का विकास
2. विकसित हड़प्पा संस्कृति (2300-1700 ईसा पूर्व):
- समाज में प्रगति और सामाजिक व्यवस्था की स्थापना
- नगरीय संरचना, व्यापार, और कला-संस्कृति का विकास
3. परवर्ती हड़प्पा संस्कृति (1700-1300 ईसा पूर्व):
- समाज में बदलाव और परिवर्तन
- धर्म, राजनीति, और सांस्कृतिक परिवर्तन
वर्षांकन:
- B.C. (ईसा पूर्व)
- A.D. (ईसा मसीह के जन्म वर्ष)
- B.P. (आज से पहले)
महत्व:
- हड़प्पा संस्कृति के विकास को समझने में मदद करता है
- समाज के विभिन्न चरणों की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है
यह विभाजन हड़प्पा सभ्यता के क्रमिक विकास और परिवर्तनों को समझने में महत्वपूर्ण है।
हड़प्पा सभ्यता की खोज
Discovery of Harappan Civilization
रेलवे लाइन के निर्माण में खोज (1856): 1856 में कराची और लाहौर के बीच पहली बार रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा था, जब अचानक हड़प्पा सभ्यता के खंडहर मिले। इसे खंडहर समझकर ईंटों को उखाड़कर ले जाया गया, जिसका उपयोग रेलवे लाइन बिछाने में किया गया।
19वीं शताब्दी: जॉन और विलियम व्रटन द्वारा प्रारंभिक संकेत
1920-21: माधोस्वरूप वत्स और दयाराम साहनी द्वारा हड़प्पा का पहला उत्खनन
1922: रखाल दास बनर्जी द्वारा मोहनजोदड़ो की खोज (सिंधु नदी के दाएं तट पर)
महत्व:
- सिंधु घाटी सभ्यता के अस्तित्व का पता चला
- प्राचीन भारत के इतिहास और संस्कृति की समझ में क्रांतिकारी बदलाव
यह खोज भारतीय इतिहास और पुरातत्व में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी।
- मोहनजोदड़ो: नवनिर्मित सभ्यता की खोज मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ: मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ “मृतकों का टीला” या “मुर्दों का टीला” है। इसे प्राचीन समय में एक प्राचीन शहर के रूप में जाना जाता था।
- भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (1924): उत्खनन के बाद, 1924 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल, सर जॉन मार्शल ने एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की।
- सिंधु सभ्यता का नामकरण: सर जॉन मार्शल ने लंदन वीकली पत्रिका में इसे “सिंधु सभ्यता” का नाम दिया। इस नामकरण ने प्राचीन सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई इस सभ्यता को विश्व की धारावाहिक धरोहर में स्थान दिया।
इन घटनाओं ने हमें एक प्राचीन सभ्यता की खोज के रोमांचक और महत्वपूर्ण पहलुओं का अनुभव कराया, जो हमारे इतिहास के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं।
हड़प्पा सभ्यता को सिन्धुघाटी सभ्यता क्यों कहा जाता है ? / Why is Harappan civilization called Indus Valley civilization?
- सिन्धु नदी के आसपास का स्थान: हड़प्पा सभ्यता को सिन्धुघाटी सभ्यता कहा जाता है क्योंकि यह सभ्यता सिन्धु नदी के घाटी के आसपास फैली हुई थी।
- उपजाऊ इलाका: इस सभ्यता का स्थान उपजाऊ था, जिससे लोगों को खेती करने का उत्तरदायित्व था।
इस रूपरेखा ने हमें समझाया कि हड़प्पा सभ्यता को सिन्धु नदी के किनारे फैली हुई एक उपजाऊ क्षेत्र में स्थान दिया जाता है, जहां लोगों का मुख्य जीवनसंगठन खेती पर निर्भर था।
- सिंधु सभ्यता की लिपि :- प्रयास और अज्ञातता: पहले प्रयास में 1925 में वेंडेल ने और हाल ही में नटवर झा, घनपत सिंह धान्या, राजाराम ने सिंधु लिपि को पढ़ने का प्रयास किया, लेकिन अभी तक इसे प्रमाणित रूप से पढ़ा नहीं जा सकता है।
- मोहनजोदड़ो का महत्व: सिंधु लिपि के अक्षरों का सबसे बड़ा प्राप्त स्थान मोहनजोदड़ो से है। यहां से मिले अक्षरों को ‘Notice Board’ का प्रतीक माना गया है।
- भावचित्रात्मक लिपि: सिंधु लिपि भावचित्रात्मक है, जिसमें चित्रों के माध्यम से भावों को अभिव्यक्त किया जाता है। यह लिपि दोनों ओर से लिखी जाती है, इसलिए इसे ‘बुस्ट्रोफेडेन’ कहा गया है।
- विशेष लक्षण: सिंधु सभ्यता की लिपि के विभिन्न पक्षों में विशेष उल्लेखनीयता है। उनमें सेलखड़ी प्रस्तर, विभिन्न आकार और प्रकार की मोहरें, और आयताकार और वर्गाकार मोहरे शामिल हैं।
- अन्य संदर्भ: सिंधु सभ्यता की लिपि संबंधित संदर्भों में मेसोपोटामिया और फारस से मिली मोहरों की अद्भुतता भी उल्लेखनीय है।
इस विस्तृत वर्णन से हम इस सभ्यता की लिपि के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझते हैं, जो हमारी अज्ञातता और रिसर्च की दिशा में नए दरवाजे खोलते हैं।
सिंधु सभ्यता के निर्माता / Creator of Indus Valley Civilization
- अस्ति पंजरों का अद्भुत विवरण: सिंधु सभ्यता के अंतर्गत उत्खनन में मुख्य 4 प्रकार के अस्ति पंजर मिले हैं। इनमें सम्मिलित हैं – प्रोटो-आस्ट्रोलॉयड, भूमध्य सागरीय, अल्पाइन, और मंगोलियन।
- सम्भावना की स्वीकृति: इसके आधार पर, यह सम्भावना स्वीकार की गई है कि सिंधु सभ्यता के निर्माण में विभिन्न प्रकार के अस्ति पंजरों का योगदान था।
- मित्रित प्रजातियों का योगदान: इन पंजरों के निर्माण में मित्रित प्रजातियों के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान था।
- संस्थापक का परिचय: इस सभ्यता के संस्थापक को आमतौर पर द्रविड़ के रूप में माना जाता है, जो बाद में दक्षिण भारत में पलायन कर गए।
यह विवरण हमें सिंधु सभ्यता के निर्माताओं के बारे में अद्भुत जानकारी प्रदान करता है, जो इस सभ्यता की समृद्ध और विविधता को समझने में मदद करता है।
सिंधु सभ्यता की प्रमुख विशेषता :-
- कास्य युगीन सभ्यता: सिंधु सभ्यता को कास्य युगीन सभ्यता के रूप में जाना जाता है।
- प्रथम नगरीय क्रांति का प्रतीक: यह प्रथम नगरीय क्रांति का प्रतीक है, जिसकी पुष्टि अनेक महत्वपूर्ण नगरों के अवशेषों से होती है।
- व्यापार और वाणिज्य की महत्वपूर्णता: सिंधु सभ्यता में व्यापार और वाणिज्य की गतिविधियों में बड़ी महत्वपूर्णता थी।
- द्वंद्वित दृष्टिकोण: यहाँ लोगों का जीवन द्वंद्वित दृष्टिकोण के साथ था, जो शांतिवादी और समिष्टवादी दोनों ही था।
- लोहे और पीतल की अज्ञातता: सिंधु सभ्यता के लोग लोहे और पीतल से परिचित नहीं थे, जो एक अत्यंत उल्लेखनीय विशेषता है।
इस रूपरेखा से हम देखते हैं कि सिंधु सभ्यता ने अपने अद्भुत सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान के माध्यम से भारतीय इतिहास के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हड़प्पा सभ्यता की जानकारी के प्रमुख स्रोत / Major sources of information about Harappan civilization
- आवास: हड़प्पा सभ्यता के आवास की अवश्यक जानकारी हमें इस समय के समाज की वास्तुशिल्प और सामाजिक व्यवस्था के बारे में देती है।
- मृदभांड: मृदभांड उत्खनन से हमें हड़प्पा सभ्यता के लोगों के दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले वास्त्र, खाद्य, और अन्य सामग्रियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
- आभूषण: आभूषण उत्खनन से हमें हड़प्पा सभ्यता की कला और संस्कृति में उपयोग होने वाले आभूषणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
- औजार और मुहरें: हड़प्पा सभ्यता के औजार और मुहरों से हमें उनकी तकनीकी और व्यापारिक क्षमताओं के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
- इमारतें और खुदाई से मिले सिक्के: हड़प्पा सभ्यता की इमारतों और सिक्कों की खुदाई से हमें उनकी समृद्ध और व्यावसायिक जीवनशैली के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।
यह प्रमुख स्रोत हमें हड़प्पा सभ्यता के विविध आयामों के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।
हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल / Major sites of Harappan civilization
- नागेश्वर (गुजरात): नागेश्वर हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख स्थल रहा है, जहाँ से महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं।
- धौलावीरा (गुजरात): धौलावीरा भी हड़प्पा सभ्यता का महत्वपूर्ण स्थल है, जहाँ से अन्यथा नहीं मिलने वाले उत्तम अवशेष मिले हैं।
- लोथल (गुजरात): लोथल एक और अहम स्थल है, जहाँ से हड़प्पा सभ्यता की सड़कें, सामाजिक संरचना और नौकाओं के अवशेष पाए गए हैं।
- कालीबंगन (राजस्थान): कालीबंगन राजस्थान में स्थित है और हड़प्पा सभ्यता के अवशेषों की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- राखीगढ़ी (हरियाणा): राखीगढ़ी भी हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थलों में से एक है, जहाँ से इस सभ्यता की विविधता और सांस्कृतिक विकास के अवशेष मिले हैं।
- बालाकोट, चन्हुदड़ो, कोटदीजी, बनावली: ये स्थल पाकिस्तान में स्थित हैं और हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण प्रमाणों से भरपूर हैं।
यह प्रमुख स्थल हमें हड़प्पा सभ्यता के समृद्ध और विविध जीवनशैली के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं।
हड़प्पा सभ्यता में नगर नियोजन तथा वास्तुकला / Town planning and architecture in the Harappan civilization
- नगर योजना: हड़प्पा सभ्यता में नगर योजना का अत्यंत महत्व था। उनके नगरों की योजना ध्यान से की गई थी, जिसमें सड़कें, मोहल्ले, और सार्वजनिक स्थानों की व्यवस्था की गई थी।
- भवन निर्माण: हड़प्पा सभ्यता में भवन निर्माण का शिल्प विकसित था। उनके निर्माणकारों ने बाजार, आवास, और सार्वजनिक स्थानों के लिए विभिन्न प्रकार के भवन निर्मित किए थे।
- सार्वजनिक भवन: सार्वजनिक भवनों का महत्वपूर्ण स्थान था हड़प्पा सभ्यता में। यहाँ शामिल थे महत्वपूर्ण स्थल जैसे कि सभा भवन, मंदिर, और सभ्यता के उत्थान के लिए आवश्यक स्थान।
- विशाल स्नानघर: हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों में एक विशाल स्नानघर भी था, जो लोगों के स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण था।
- अन्न भंडार: समृद्ध हड़प्पा सभ्यता में खाद्य के भंडार का विकास भी हुआ था। यह भंडार खाद्य सामग्री को संग्रहित करने और प्रबंधित करने के लिए उपयोगी थे।
- जल निकास प्रणाली: हड़प्पा सभ्यता में जल निकास प्रणाली का विकास हुआ था, जो सफाई और स्वच्छता को बनाए रखने में मदद करता था। इसके माध्यम से नगर की हालात को सुधारा जा सकता था।
ये सभी तत्व हड़प्पा सभ्यता के समृद्ध और विकसित नागरिक जीवन की प्रमुख विशेषताओं को प्रकट करते हैं।
हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना (बस्तियाँ) / City planning (settlements) of Harappan civilization
हड़प्पा सभ्यता की बस्तियाँ दो भागों में विभाजित थीं:
दुर्ग:
- दुर्ग एक प्रमुख भाग था जो कच्ची इंटों की चबूतरों पर बना होता था।
- इन दुर्गों को दीवारों से घेरा जाता था, जो नगर की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण थी।
- दुर्ग पर बने संरचनों का प्रयोग विशिष्ट सार्वजानिक प्रयोगों के लिए किया जाता था।
निचला शहर:
- निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता था।
- इसके अलावा, निचला शहर भी दीवारों से घेरा जाता था।
- कई भवन ऊँचे चबूतरों पर बनाए गए थे जो नींव का कार्य करते थे।
- यह नगर योजना बस्तियों के विभिन्न भागों में उच्च स्तर की व्यवस्था और विवेकपूर्ण नगर निर्माण को प्रतिष्ठित करती है।
हड़प्पा सभ्यता की सडकों और गलियों की विशेषताएँ / Characteristics of roads and streets of Harappan civilization
समकोण पर सीधी सड़कें:
- नगर क्षेत्र में समकोण पर एक-दूसरे को काटती हुई सीधी सड़कें थीं, जिससे पूरा नगर विभिन्न आयातकार और खण्डों में विभाजित हो गया।
- इन सड़कों का निर्माण विभिन्न पद्धतियों में किया गया था, जैसे जाल पद्धति, ऑक्सफोर्ड पद्धति, चैस बोर्ड पद्धति।
मिट्टी से निर्मित सड़कें: सड़कों का निर्माण मिट्टी से किया जाता था, जो कि इस सभ्यता की विशेषता थी।
नालियाँ और निकासी की व्यवस्था:
- सड़कों के किनारे पानी निकासी के लिए नालियाँ बनाई जाती थीं और इन नालियों को ढकने की व्यवस्था की जाती थी।
- नालियों को फर्श से ढका जाता था और थोड़ी दूर पर शोषक कूप होता था, जो गंदगी को रोकता था।
- पक्की ईंटों का प्रयोग सड़कों के निर्माण में बहुत अधिक मात्रा में किया जाता था।
- यह हड़प्पा सभ्यता की सड़कों और गलियों की विशेषताएँ दर्शाती हैं कि उस समय के नगर निर्माण में कैसी उन्नति और विवेकपूर्णता थी।
हड़प्पा सभ्यता में भवन निर्माण / Building construction in Harappan civilization
आधारित योजना:
- मकानों की योजना हड़प्पा सभ्यता में आगन पर आधारित थी। यहाँ पर शौचालय, स्नानागार, रसोईघर, सयनकक्ष, और अन्य कमरे भी थे।
नींव की मजबूती:
- मकानों की मजबूती के लिए नींव का महत्वपूर्ण ध्यान रखा जाता था। ये मकान सड़कों के किनारे बनाए गए थे, जिससे हवा, सफाई, और प्रकाश की सही व्यवस्था होती थी।
सुरक्षित और साफ वातावरण:
- मकान जमीन से ऊँचाई पर बनाए जाते थे, और उनके द्वार सड़कों की ओर खुले रहते थे।
- मकानों के प्रवेश द्वार मुख्य मार्ग की बजाय गली की ओर खुले रहते थे, जो बाहरी हलचल, शोरगुल, और प्रदूषण से सुरक्षित रहने में मदद करता था।
नालियाँ और निकासी की व्यवस्था:
- सड़कों के किनारे नालियाँ बनी होती थीं जो पानी की निकासी के लिए थीं।
- इन नालियों को ढकने की व्यवस्था होती थी और उन्हें फर्श से ढका जाता था।
- नालियों के थोड़े दूर पर शोषक कूप लगे रहते थे, जो गंदगी को रोकते थे।
- हड़प्पा सभ्यता में भवन निर्माण का यह वर्णन दिखाता है कि उस समय के नगर निर्माण में कैसे सुरक्षित, स्वच्छ, और उत्तम वातावरण का ध्यान रखा जाता था।
हड़प्पा सभ्यता में सार्वजनिक भवन / Public buildings in Harappan civilization
भागीदार वास्तुकला: सिंधु घाटी सभ्यता को ऊपरी और निचले हिस्सों में विभाजित किया गया था, जहां सार्वजनिक भवन ऊपरी हिस्से में स्थित थे, जबकि व्यक्तिगत आवास निचले हिस्से में थे।
उत्खनन से मिले सार्वजनिक भवन:
- उत्खनन में सार्वजनिक या राज्यकीय भवनों के अवशेष मिले हैं, जैसे कि मोहनजोदड़ो से मिला अवशेष।
- इस अवशेष का विशाल आकार और संरचना उस समय की सामर्थ्य और भव्यता का प्रमाण है।
- इसका उपयोग आपसी विचार विमर्श, धार्मिक आयोजन, और सामाजिक आयोजन के लिए किया जाता हो सकता है।
- यह वर्णन हमें दिखाता है कि हड़प्पा सभ्यता में सार्वजनिक भवनों का महत्वपूर्ण योगदान था, जो समाज के विभिन्न पहलुओं को समर्थन और समृद्धि में मदद करते थे।
हड़प्पा सभ्यता में विशाल स्नानागार / Huge bathhouse in Harappan civilization
स्नानागार का स्थान: स्नानागार का जलाशय किले में स्थित था। इसकी विशालता और आकार का परिचय है कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था।
विशेषताएँ:
- इस स्नानागार में चार कमरे और बराऊनदे थे, जो स्नान की सुविधा के लिए बनाए गए थे।
- स्नान कुंड के समीप एक कुआ था, जो पानी की निकासी के लिए उपयुक्त था।
- गंदे पानी की निकासी के लिए अलग द्वार से प्रणाली थी, जो शहर से बाहर निकलती थी।
- स्नानागार की दीवारों में सीलन से बचने के लिए डावर या तारकोल का प्रयोग किया जाता था।
- इसमें गर्म पानी की व्यवस्था भी थी, जो आधुनिक सुविधाओं का प्रमाण है।
ऐतिहासिक महत्व:
- अमेस्ट मैके ने स्नानागार को प्रोहित के स्नान के लिए होने वाला स्थान बताया है, जो सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठानों का प्रमुख केंद्र था।
- इस विवरण से हम विशाल स्नानागार के महत्वपूर्ण स्थान की संरचना और उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। यह स्नानागार समाज के सामाजिक और धार्मिक आयामों को प्रकट करता है।
अन्न भण्डार / Granary
- स्थान: हड़प्पा नगर के उत्खनन में खुदाई के दौरान राजमार्ग में छह-छह पक्तियों वाले अन्न भण्डार मिले।
- आयाम: ये अन्न भण्डार 18 मीटर चौड़ाई और 7 मीटर लम्बाई के होते थे, जो इसके बड़े आकार को दर्शाते हैं।
- प्रवेश द्वार: इन अन्न भण्डारों का मुख्य द्वार नदी की ओर मुख्यत: खुला होता था, जिससे जल मार्ग से आने वाले सामग्री को इन्हें आसानी से पहुंचा जाता था।
- उपयोग: ये अन्न भण्डार सामाजिक संगठन के माध्यम से आगंतुकों के लिए खाद्य सामग्री को संचित करने का कार्य करते थे।
- महत्व: इन अन्न भण्डारों की मौजूदगी सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों की महत्वपूर्णता को प्रकट करती है, जिसमें खाद्य संचयन और वितरण शामिल था।
यह विवरण स्पष्ट करता है कि हड़प्पा सभ्यता में अन्न भण्डारों की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी, जो सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में उपयोगी थे।
हड़प्पा सभ्यता में जल निकास प्रणाली / Drainage system in Harappan civilization
- सफाई और स्वास्थ्य की प्राथमिकता: हड़प्पा संस्कृति नगरीय थी और इन लोगों ने सफाई और स्वास्थ्य को बड़ा महत्व दिया।
- नालियों का निर्माण: घरों का गंदा पानी सड़कों के किनारे बनी हुई नालियों से शहर के बाहर निकाला जाता था।
- इन नालियों को प्रोटेक्ट करने के लिए पक्की ईटों का प्रयोग किया जाता था।
- पिलास्टर का उपयोग: नालियों की दीवारों के पिलास्टर के लिए चूना, मिट्टी, और जिप्सम का प्रयोग किया जाता था।
- प्रोफेसर रामचरण शर्मा की विचार: यहां बताया गया है कि हड़प्पा सभ्यता ने अपने जल निकास प्रणाली को साफ और स्वस्थ रखने के लिए बहुत महत्व दिया।
- पक्की ईटों का प्रयोग: पक्की ईटों का प्रयोग चार प्रकार की ईटों के लिए किया जाता था: L, नोकदार, T, और अलकृत ईटे।
- विशेष चिन्ह: ईटों पर बिल्ली के पीछे कुत्ते के पंजे का निशान चन्हूदड़ों सभ्यता के लिए मिला है।
यह जानकारी दिखाती है कि हड़प्पा सभ्यता ने अपनी सड़कों और नालियों की सफाई के लिए विशेष प्रकार की जल निकास प्रणाली और नालियों की सुरक्षा के लिए प्रोटेक्टिव मापदंड अपनाए।
हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक जीवन / Social life in Harappan civilization
- सामाजिक संगठन: हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक संगठन का महत्वपूर्ण स्थान था, जिसमें लोगों को अलग-अलग समूहों में विभाजित किया जाता था।
- भोजन: भोजन उन्हें मुख्य जीविका स्रोत प्रदान करता था और उनके सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता था।
- वस्त्र और आभूषण: वस्त्र और आभूषण हड़प्पा समाज में समृद्धता और स्थानीय विशेषता का प्रतीक थे।
- सौंदर्य प्रदर्शन: लोग अपने आभूषणों और वस्त्रों के माध्यम से सौंदर्य प्रदर्शन करते थे, जो समाज में सामूहिक और व्यक्तिगत अर्थ में महत्वपूर्ण था।
- मनोरंजन: मनोरंजन के रूप में नृत्य, संगीत और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था, जो सामाजिक समूहों को आपसी संबंधों में जोड़ता था।
- प्रौद्योगिकी: हड़प्पा समाज ने प्रौद्योगिकी में भी विकास किया और इसका उपयोग उनके दैनिक जीवन में आराम और सुविधा के लिए किया जाता था।
- मृतक कर्म और चिकित्सा विज्ञान: मृतक कर्म और चिकित्सा विज्ञान भी उनके सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा था, जो उनकी स्वास्थ्य और धार्मिक अनुष्ठानों को समाप्त करने में मदद करते थे।
यह सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करता है जो हड़प्पा सभ्यता में उपायुक्तता, समृद्धि और सामूहिक व्यवस्था को संरक्षित करते थे।
हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक सगठन / Social organization in Harappan civilization
इतिहासकार गार्नर चाइल्ड ने हड़प्पा समाज को चार भागों में विभाजित किया है:
- शिक्षित वर्ग: इस वर्ग में शामिल थे प्रोहित, चिकित्सा विशेषज्ञ, जादूगर, और ज्योतिषी, जो समाज की धार्मिक और शैक्षिक जरूरतों को पूरा करते थे।
- योद्धा/ सैनिक: ये लोग समाज की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे। उनकी पुष्टि दुर्गों में उपस्थिति के अवशेषों से मिली है।
- व्यापारिक और दस्तक्षार: इस वर्ग में बुनकर, कुमार, और सुवर्णकार शामिल थे, जो व्यापार और शिल्पकला के क्षेत्र में गतिविधियों को संचालित करते थे।
- श्रमिक और कृषक: इस वर्ग में टोकरी बनाने वाले, मछली मारने वाले, और कृषि करने वाले लोग शामिल थे, जो वास्तविक उत्पादन के क्षेत्र में काम करते थे।
यह सामाजिक संगठन विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता और सहयोग के माध्यम से समाज की सुदृढ़ता और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को संतुलित रखता था।
हड़प्पा सभ्यता में भोजन / Food in Harappan Civilization
- खाद्य सामग्री: हड़प्पा सभ्यता में लोगों का आहार समृद्ध और विविध था। उनकी प्रमुख खाद्य सामग्री में गेहूँ, चावल, जौ, तेल, मटर, और सब्जियां शामिल थीं।
- मांसाहारी और शाकाहारी: वे न केवल शाकाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन करते थे, बल्कि मांस भी अपने आहार में शामिल करते थे। उनके आहार में कछुआ, गड़ियाल, भेड़, बकरी, सुअर, और मछली का मांस भी शामिल था।
- फलों का उपयोग: चित्रों में खजूर, अनार, तरबूज, नींबू, नारियल आदि के फलों का चित्रण किया जाता था, जिन्हें उन्होंने भोजन के रूप में उपयोग किया।
- संतुलित आहार: इस प्रकार, हड़प्पा के वासी अपने आहार में मांसाहारी और शाकाहारी दोनों का संतुलित सम्मिश्रण करते थे, जिससे उनका आहार पौष्टिक और संतुलित रहता था।
हड़प्पा सभ्यता में वस्त्र / Clothing in Harappan Civilization
- ऋतुओं के अनुसार वस्त्र: हड़प्पा सभ्यता में लोग विभिन्न ऋतुओं में अलग-अलग वस्त्र पहनते थे, जो उनके जीवनशैली और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते थे।
- पुरुषों के वस्त्र: पुरुष धोती, पगड़ी, दशाले (कुर्ता) जैसे वस्त्र पहनते थे, जो उन्हें उनकी गतिविधियों में सुविधा प्रदान करते थे।
- महिलाओं के वस्त्र: महिलाएं घागरा या साड़ी पहनती थीं, जो उन्हें सुंदरता का आभास देते थे और उनकी सामाजिक पहचान को बढ़ावा देते थे।
- मूर्ति में प्रमाण: चन्हूदड़ों से प्राप्त मूर्तियों में पगड़ी के प्रमाण मिलते हैं, जो इस समय के वस्त्र स्वरूप का सुझाव देते हैं।
हड़प्पा सभ्यता में आभूषण एव सौंदर्य प्रसाधन / Jewelery and cosmetics in Harappan civilization
- आभूषण का महत्व: हड़प्पा सभ्यता में आभूषणों का महत्वाकांक्षा और सौंदर्य के प्रतीक के रूप में था।
- स्त्री एवं पुरुष दोनों के आभूषण: स्त्री और पुरुष दोनों ही आभूषण पहनते थे, जो उनके समाजिक स्थान और सौंदर्य को बढ़ावा देते थे।
- प्रमुख आभूषण: आँगूठी, कान की बाली, चूड़ियाँ, हार, और बाजूबंद जैसे आभूषण प्रमुख थे, जो लोगों के सौंदर्य को निखारते थे।
- आभूषण की विविधता: धनी वर्ग ने सोने के आभूषण पहने जो अधिक मूल्यवान धातु से बने होते थे, जबकि सामान्य लोग तांबे, कांसे, और हड़ड़ी के आभूषण पहनते थे।
हड़प्पा सभ्यता में मनोरंजन / Entertainment in Harappan Civilization
- प्रिय मनोरंजन: मछली पकड़ना और शिकार करना हड़प्पा लोगों के प्रिय मनोरंजन के रूप में स्थापित था।
- खेलों का आनंद: जानवरों की दौड़, जुनझुने, सीटिया और शतरंज के खेल लोगों के मनोरंजन के प्रमुख साधन थे।
- खेलों की विविधता: इसके अलावा, पत्थर और सीपों की गोलियों से खेल खेला जाता था, जो उनके सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा था।
- साहित्य और कला: खुदाई में पाए गए विभिन्न आकृतियों का मूर्तिकला, बेल गाड़ियों, और नृत्य की मूर्तियों के माध्यम से लोगों का मनोरंजन भी होता था।
प्रौद्योगिकी / Technology
- धातु कार्य: हड़प्पा सभ्यता धातु कार्मिक उत्पादन करती थी। वे अयस्क से धातु को अलग करने और मिश्रित धातु का निर्माण करने में माहिर थे।
- ताँवे का निर्माण: लोग चांदी और टिन को मिलाकर काँसा बनाते थे, जो विभिन्न उपयोगों के लिए उपयुक्त था।
- सामग्री की आपूर्ति: आवश्यक सामग्री की आपूर्ति राजस्थान के खेड़ी (झुनझुनू) और बिहार के हजारी बाग से की जाती थी।
- उत्पादन क्षेत्र: चकमक पत्थर से बनाए गए उपकरणों और नालिकाकार बमों का उत्पादन किया जाता था।
हड़प्पा सभ्यता में म्रतक कर्म (अंत्योष्टि क्रिया) / Funeral rites in the Harappan civilization
शमशान के अवशेष: हड़प्पा के नगरों में (मोहनजोदड़ो, बनावली, हड़प्पा, कालीबंगा, आदि) शमशान के अवशेष मिले हैं, जो अंत्येष्टि क्रियाओं की अहमियत को दर्शाते हैं।
तीन भागों में विभाजित:
सर जॉन मार्शल के अनुसार, यह मृतक कर्म तीन भागों में विभाजित होता है।
- पूर्ण समाधिकरण / शवाधान
- आंशिक समाधिकरण / शवाधान
- दाह कर्म / क्लेश शवाधान
विवरण:
- पूर्ण समाधिकरण में शव का पूर्ण अवशेष बनाए जाते थे।
- आंशिक समाधिकरण में कुछ हिस्से बचा रह जाते थे, जो शव के धातु या अन्य अवशेष के रूप में उपयोग में लाए जाते थे।
- दाह कर्म में शव को जलाया जाता था, जिससे उसका शेषांश नष्ट हो जाता था, इसे ‘क्लेश शवाधान’ भी कहा जाता है।
पूर्ण शवाधान / Full burial
दफन प्रथा:
- हड़प्पा सभ्यता में शव को उत्तर से लेकर दक्षिण की ओर दफनाया जाता था।
- लोथल में भी पूर्व से पश्चिम की ओर दफनाने का अवशेष मिला है।
विशेष उदाहरण:
- हड़प्पा में दक्षिण से उत्तर की ओर दफनाया गया एक अनोखी कब्र मिली है, जिसे सभी को दाबूत में रखा गया है।
- लोथल से युग्म शव (स्त्री, पुरुष) मिला है, जिससे पता चलता है कि उस समय सती प्रथा प्रचलित थी।
कबरिस्तान की महत्ता:
- हड़प्पा सभ्यता में सबसे बड़ा कबरिस्तान R37 के रूप में मिला है।
- अन्य कबरिस्तान को H कबरिस्तान के नाम से जाना जाता है।
आंशिक शवाधान / Partial burial
पशु-पक्षियों द्वारा खाने के बाद दफन: हड़प्पा समाज में, शव के अवशेषों को पशु-पक्षियों के खाने के बाद बचा हुआ भोजन माना जाता था, और इन अवशेषों को दफना दिया जाता था।
क्लेश शवाधान / दाह कर्म :-
दाह का प्रयोग: शव के अवशेष को जलाकर शेष रह गए अवशेष को किसी कलश या मंजूषा में रखा जाता था।
हड़प्पा सभ्यता में चिकित्सा विज्ञान / Medical science in Harappan civilization
- प्राचीन उपचार पद्धतियाँ: हड़प्पा समाज में चिकित्सा विज्ञान का अद्वितीय धार्मिक और प्राकृतिक तत्त्वों पर आधारित था।
- उपयोगी सामग्री: वृक्षों के पत्ते, फल, और फूल, जड़ी-बूटियाँ जैसी प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल उपचारों में किया जाता था।
- आयुर्वेदिक उपाय: हिरणों के सींगों से बनाए गए चूर्ण और समुद्र के फेन से बनी औषधियाँ लोकप्रिय थीं।
- औषधियों का उपयोग: इन सामग्रियों का उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता था, जैसे कि शिलाजीत और वनस्पतियों के रसों का सेवन रोगनिरोधक गुणों के लिए किया जाता था।
हड़प्पा सभ्यता में आर्थिक जीवन / Economic life in Harappan civilization
कृषि
- हड़प्पा समाज में खाद्य उत्पादन केंद्रित था। जौ, गेहूं, मटर, खजूर, कपास, तरबूज, तिल, राई, सरसों जैसी फसलें उगाई जाती थीं।
- कृषि में उपयुक्तता के लिए हासियों का प्रयोग किया जाता था।
- बैल, भेड़, बकरी, सुअर जैसे पशु पाले जाते थे, जिन्होंने कृषि का सहायक भूमिका निभाई।
व्यापार
- हड़प्पा समाज व्यापार को महत्वपूर्ण मानता था।
- नाप के लिए शीशे की पटरी का इस्तेमाल किया जाता था।
- व्यापारिक सम्बंध ईरान, अफगानिस्तान, मेसोपोटामिया, इराक जैसे देशों के साथ भी थे।
कुटीर उद्योग
- कुमारों द्वारा मिट्टी की मूर्तियाँ, खिलौने, बर्तन बनाए जाते थे।
- हाथी दाँत, सीपियों, धातु के आभूषण भी निर्मित होते थे।
माप तोल वाट
- वाट और तोल के लिए तराजू और वाट का प्रयोग किया जाता था।
- वाट का निर्माण चिकने पत्थर से किया जाता था।
- इस रूपरेखा में, हड़प्पा समाज का आर्थिक जीवन उनके कृषि, व्यापार, कुटीर उद्योग, और माप तोल वाट के विभिन्न पहलुओं के माध्यम से सुधारा जा सकता है।
हड़प्पा सभ्यता में धार्मिक जीवन / Religious life in Harappan civilization
मातृ देवी की पूजा या उपासना
- हड़प्पा संस्कृति में मातृ देवी की उपासना की जाती थी।
- मन्दिरों के अभाव में, मिट्टी और धातु की मूर्तियों में मातृ देवी के चित्र मिलते हैं।
- पूजा, आराधना, और बलि का प्रचलन था।
शिव या परम-पुरुष की उपासना
- हड़प्पा समाज में शिव या परम-पुरुष की आराधना भी की जाती थी।
- शिव की मूर्तियों के साथ सांड और भालू के चित्र मिलते हैं।
वृक्ष और पशु पूजा
- पीपल और अन्य वृक्षों की पूजा भी हड़प्पा समाज में की जाती थी।
- प्राचीन मोहरों और ताबीजों में वृक्षों और पशुओं के चित्र मिलते हैं।
लिंग पूजा
- लिंग पूजा का प्रचलन हड़प्पा समाज में था।
- पत्थर के लिंग के मिले हैं जो इस प्रथा की पुष्टि करते हैं।
- विभिन्न चिन्हों और पवित्र चिन्हों का उपयोग किया जाता था।
- इस संक्षिप्त विवरण में, हड़प्पा सभ्यता में धार्मिक जीवन की विविधता और उसकी महत्वपूर्ण प्रथाओं का वर्णन किया गया है।
हड़प्पा सभ्यता में राजनीति जीवन / Political life in Harappan civilization
राजनीतिक प्रणाली की अज्ञातता:
- हड़प्पा सभ्यता में राजनीतिक जीवन की जानकारी बहुत कम है।
- इतिहासकारों के अनुसार, मोहनजोदड़ो में शासन व्यवस्था लोकतंत्रात्मक थी, परंतु यह राजतंत्रात्मक नहीं थी।
पुरोहितों का योगदान:
- अन्य इतिहासकारों के अनुसार, मोहनजोदड़ो का शासन पुरोहितों और धर्मगुरुओं के हाथों में था।
- वे जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते थे।
नगर पालिका का संगठन:
- नगर निर्माण और भवन निर्माण के आधार पर, यह लगता है कि हड़प्पा समाज में नगर पालिका का संगठन था।
- नगर पालिका ने शहर के प्रशासनिक और सामाजिक मामलों का प्रबंधन किया होगा।
- इस रूपरेखा में, हमने हड़प्पा सभ्यता में राजनीतिक जीवन की संक्षिप्त विवेचन किया है, जिसमें राजनीतिक प्रणाली की अज्ञातता, पुरोहितों का योगदान, और नगर पालिका का संगठन शामिल है।
हड़प्पा सभ्यता में कला का विकास / Development of art in Harappan civilization
मूर्तिकला
- उत्खनन में पायी गई मूर्तियों में कांसे और पत्थर की मूर्तियां शामिल हैं।
- एक नृतकी की मूर्ति में गाल की हड्डी, तिरछी और पतली आँखें, और छोटी गर्दन के साथ उच्च शिल्पता दिखाई गई है।
धातुकला
- सोना, चाँदी, तांबा आदि से बनी आभूषण मिले हैं।
वस्त्र निर्माण कला
- चरखा उत्खनन से मिला है, जो सूत काटने की कला को प्रकट करता है।
- लोग सूती, ऊनी, और रेशम के वस्त्र पहनते थे।
चित्रकला
- मोहोरों पर सांड, भैसे, और वृक्षों के चित्र मिलते हैं, इसका मतलब कि लोग चित्रकला में निपुण थे।
पात्र-निर्माण कला
- मिट्टी के पात्रों का निर्माण तरह-तरह के उपयोगिता के लिए होता था, जैसे पानी भरने के लिए, अनाज रखने के लिए, और खिलौनों के लिए।
नृत्य और संगीत कला
- नृत्यांगना की मूर्तियां और ताल वादकों के चित्र मिलते हैं, जो संगीत और नृत्य कला की उत्कृष्टता को प्रकट करते हैं।
मुद्रा कला
- भिन्न-भिन्न पत्थरों, धातुओं, और हाथी के दाँतों से बनी मुद्राएं मिली हैं, जो पशुओं के चित्रों के साथ हैं।
ताम्र निर्माण कला
- अनेक ताम्र पत्रों में पशुओं और मनुष्यों के चित्र हैं, जो विभिन्न आकृतियों में बने हैं।
लेखन कला
- लेखन कला की जानकारी नहीं मिली, लेकिन लिखित शिलालेख या ताम्रपत्र नहीं मिले।
- इसके अलावा, हमने हड़प्पा सभ्यता में कला के विभिन्न पहलुओं को उल्लेख किया है, जैसे मूर्तिकला, धातुकला, वस्त्र निर्माण कला, आदि। यह सभी विभिन्न कलाओं का विस्तारपूर्ण और समृद्ध विवरण प्रदान करता है।
निर्वाह के तरीके (कृषि, शिल्पकला, व्यापार) / Methods of subsistence (agriculture, craftsmanship, trade)
गुजरात से बाजरे के दाने
- गुजरात से प्राप्त बाजरे के दाने इस सभ्यता के कृषि के प्रमुख स्त्रोतों में से एक हैं।
- यहाँ पर बाजरे के दाने प्रायः मिलते हैं, लेकिन चावल के दाने कम होते हैं।
मिट्टी के हल के खिलौने
- हरियाणा के बनावली स्थल से मिले मिट्टी के हल के खिलौने इस समय के शिल्पकला का प्रतीक हैं।
- यह खिलौने बनाने की कला और शिल्पी जिन्हें समय के साथ अभिवृद्धि करते थे, साथ ही इसका व्यापार भी किया जाता था।
हड़प्पा सभ्यता की कृषि तथा सिचाई
- कालीबंगा से मिले खेत के साक्ष्यों में दिखाई गई हल रेखाएँ बताती हैं कि कृषकों ने खेतों को समकोण पर काटा था।
- इससे यह स्पष्ट होता है कि वे एक साथ दो दो फसलें उगाते थे।
- ज्यादातर हड़प्पा स्थल अर्धशुष्क क्षेत्रों में स्थित थे, जहाँ सिचाई की आवश्यकता थी।
कपास का उपयोग
- हड़प्पा सभ्यता में कपास का उपयोग भी किया जाता था।
- मोहनजोदड़ो से मिले कपड़ों के अवशेष इसकी पुष्टि करते हैं, जो इस समय के वस्त्र उद्योग का प्रमुख स्रोत था।
- इस रूपरेखा में, हमने हड़प्पा सभ्यता के निर्वाह के विभिन्न पहलुओं को संबोधित किया है, जैसे कृषि, शिल्पकला, और व्यापार। यह सभी निर्वाह के तरीके समृद्ध और प्रभावशाली थे, जो समृद्धि और सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
विलासिता की खोज / Pursuit of luxury
फयान्स – रेतीले रंग का आविष्कार:
- फयान्स, एक घिसी हुई रेत, रंग और चिपचिपे पर्दाथ के मिश्रण से बनाया गया पदार्थ, मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता की खोजों में एक महत्वपूर्ण अविष्कार था।
- इन छोटे पात्रों की रचना कठिन होती थी, इसलिए वे संभावना अनुसार कीमती थे।
सुगंधित प्रदार्थ – खुशबूदार लघुपात्र:
- मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से मिले लघुपात्र दिखाते हैं कि उन्होंने सुगंधित पदार्थों को उत्पन्न किया था।
- इन पदार्थों का उपयोग विलासिता और सौंदर्य के लिए किया जाता था।
सोना – प्रमुख धातु:
- हड़प्पा सभ्यता के स्थलों से मिले सोने के स्वर्णभूषण दुर्लभ और मूल्यवान थे।
- इन स्वर्णभूषणों की प्राप्ति सुगंधित पदार्थों के साथ संभवतः विलासिता के लिए की जाती थी।
- इस रूपरेखा में, हमने विलासिता की खोज के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को संबोधित किया है, जैसे फयान्स, सुगंधित प्रदार्थ, और सोना। इन अविष्कारों ने सभ्यता के स्तर को उच्चाधिक किया और उसे विभिन्न धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं में विशेषता प्रदान की।
मोहरो का आदान – प्रदान / Exchange of pieces
सिंधु सभ्यता की मोहरे
- सिंधु सभ्यता की मोहरे भौगोलिक रूप से विभिन्न क्षेत्रों से मिली हैं, जैसे उर, सुमेर, क्रिश, उम्मा, तेलुअस्मार, बहरीन, आदि।
मेसोपोटामिया और फारस की मोहरे
- मोहनजोदड़ो और लोथल से मिली मोहरें मेसोपोटामिया और फारस की मोहरों से प्राप्त होती हैं। इससे यह प्रमाणित होता है कि वस्त्रादिक पदार्थों का आदान-प्रदान होता था।
मोहनजोदड़ो की मोहर
- जॉन मार्शल के अनुसार, मोहनजोदड़ो से एक मोहर मिली है जिस पर एक व्यक्ति बाघ से लड़ते हुए दिखाई गया है।
- यह चित्र बेबिलोनियाई महाकाव्य ‘गिलगमेश’ से प्रेरित हो सकता है।
लोथल की मोहर
- लोथल से प्राप्त मोहरों में, गोड़ीबाड़ा के अवशेषों पर जहाज के चित्र और मिट्टी के जहाज के नाम का नमूना मिला।
- यह प्रमाणित करता है कि लोथल एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था, जहां व्यापारिक संबंध थे और समुद्री यातायात होता था।
- इस संबंध में, हमने विभिन्न सभ्यताओं से मिली मोहरों का आदान-प्रदान के प्रमुख पहलुओं को संबोधित किया है, जो उनकी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अपेक्षाओं को प्रकट करते हैं।
मृदभाण्ड : अद्भुत कला का प्रतीक / Pottery: Symbol of amazing art
गाढी लला चिकनी मिट्टी से निर्मित मृदभाण्ड
- यहां के मृदभाण्ड मुख्यतः गाढी लला चिकनी मिट्टी से निर्मित हैं।
- इन पर काले रंग का ज्यामितीय चित्रण है, जो इन्हें अद्वितीय बनाता है।
लोथल का विशेष मृदभाण्ड
- लोथल से मिला एक ऐसा मृदभाण्ड है जिस पर चालक लोमड़ी से संबंधित पंचतंत्र की कहानी का समीकरण है।
- इसका चित्रण रोचक और शिक्षाप्रद है, जो सभ्यता के सांस्कृतिक धारा को दर्शाता है।
हड़प्पा का आकर्षक मृदभाण्ड
- हड़प्पा से प्राप्त मृदभाण्ड में मानव और बच्चे का चित्र है।
- इनके डिज़ाइन में विविध रंगों का उपयोग किया गया है, जो इन्हें आकर्षक बनाता है।
- ये मृदभाण्ड सजावट के लिए प्रयोग किए जाते थे और सभ्यता के सौंदर्य और शिल्प का प्रमुख प्रतिक हैं।
- यह समृद्ध विवरण हमें मृदभाण्ड के रोचक और अद्वितीय स्वरूप को समझने में मदद करता है, जो सभ्यता की विशेषताओं को प्रकट करता है।
कलात्मक अवशेष : सभ्यता की सांस्कृतिक विरासत / Artistic remains: cultural heritage of civilization
नृत्य की मूर्तियाँ:
- हड़प्पा से प्राप्त काले पत्थरों से निर्मित नृतक की मूर्ति जो नटराज के रूप में प्रस्तुत है।
- इसमें नृत्य की मुद्रा अत्यंत कुशलतापूर्वक दिखाई गई है, जो सभ्यता के कलात्मक गर्व को प्रकट करती है।
मानव की मूर्तियाँ:
- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से प्राप्त सिविहिनी और सिरविहिनी मानव की मूर्तियाँ जो समृद्ध जीवन की प्रतिमाएं हैं।
कास्य नृत्यकी:
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त कास्य नृत्यकी, जो गुणवत्तापूर्ण कलात्मक विरासत का प्रतीक है।
हड़प्पाई लिपि की विशेषताएँ / Features of Harappan script
- हड़प्पा सभ्यता की लिपि एक रहस्यमयी और अद्वितीय विरासत है।
- इस लिपि में 375–400 विभिन्न चिन्ह हैं, जो आज तक समझने का विषय रहे हैं।
- यह लिपि चित्रात्मक लिपि होती थी, जो सभ्यता के समृद्ध सांस्कृतिक विवेक को दर्शाती है।
- इन संवेदनशील अवशेषों के माध्यम से हम सभ्यता की सांस्कृतिक धरोहर को समझते हैं, जो हमें उसकी अद्वितीयता और महत्व को समझने में मदद करती हैं।
हडप्पा सभ्यता में शिल्पकला / Sculpture in Harappan Civilization
- शिल्पकला का अर्थ: शिल्पकला शिल्प से जुड़े कार्यों को सम्मिलित करती है, जो समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
- प्रमुख शिल्पकलाएं: मनके बनाना, शंख की कटाई करना, धातु से जुड़े काम करना, मुहरे बनाना, और बाट बनाना जैसे काम हड़प्पा समाज में प्रमुख थे।
- चन्हुदड़ो – शिल्पकला का केंद्र: चन्हुदड़ो ऐसी स्थानीयता थी जहाँ समृद्ध शिल्पकला के कार्य होते थे, जिसमें समुद्री जीवों के आकारों के साथ-साथ अन्य अद्भुत नक्शों की खोज होती थी।
- शिल्पकला की अद्भुत नमूने: चन्हुदड़ो से प्राप्त विभिन्न शिल्पकला के उत्पादों में विविधता और कुशलता दिखाई गई।
- हड़प्पाई मोहरे और कांसे का प्रयोग: हड़प्पा समाज में कांसे का प्रयोग अत्यंत प्रमुख था, जैसे कि हड़प्पाई मोहरे में देखा गया है।
काँसा, तांबा, और टिन का मिश्रधातु उत्पादन भी शिल्पकला का एक महत्वपूर्ण पहलू था।
इन उपरोक्त प्रमुख अंशों से, हम विद्यमान शिल्पकला के प्रभावी और विविध प्रतिरूप को समझते हैं जो हड़प्पा समाज की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा था।
हडप्पा सभ्यता में मनके कैसे बनाए जाते थे ? / How were beads made in the Harappan civilization?
- पत्थर से निर्मित मनके: मनके सेलखड़ी, कर्निलियन, और जैसपर जैसे पत्थरों से बनाए जाते थे।
- धातु से बनाए जाते थे: मनके तांबे और कांसे से भी निर्मित किए जाते थे।
- उपयोगिता: इन मनकों का प्रमुख उपयोग मालाओं में किया जाता था, और ये उन्हें अत्यंत सुंदर बनाते थे।
- महत्व: मनके हड़प्पा सभ्यता की महत्वपूर्ण पहचान थे और इसका उपयोग समृद्धि और सामाजिक अद्यतन के लिए किया जाता था।
इस रूपरेखा से, हम देख सकते हैं कि हड़प्पा सभ्यता में मनकों का निर्माण करने के विभिन्न उपायों और उनके महत्व को कैसे व्याख्या किया जाता था।
कनिंघम : भारतीय पुरातत्व के प्रेरणास्त्रोत / Cunningham: Inspiration for Indian Archeology
- पहला डायरेक्टर जनरल: कनिंघम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का पहला डायरेक्टर जनरल था।
- पुरातत्व का जनक: अलेक्जेंडर कनिंघम को भारतीय पुरातत्व का जनक भी कहा जाता है।
- पुरातात्विक खनन का आरंभ: 19वीं शताब्दी के मध्य में कनिंघम ने पुरातात्विक खनन का आरंभ किया।
- लिखित स्रोतों का प्रयोग: कनिंघम और उनके समर्थक लिखित स्रोतों का अधिक प्रयोग करते थे, जो उनके कार्य को समर्थन प्रदान करते थे।
कनिंघम का भ्रम : एक पुरातात्विक संशोधन / Cunningham’s fallacy: an archaeological revision
- अभिलेखों का संग्रहण: कनिंघम ने अपने सर्वेक्षण के दौरान मिले अभिलेखों का संग्रहण, लेखन और अनुवाद किया।
- हड़प्पा के पाए जाने का संदेश: हड़प्पा वस्तुएं कभी-कभी 19वीं शताब्दी में मिलती थीं, और कनिंघम तक पहुंची भी।
- हड़प्पा मुहर की खोज: एक अंग्रेज अधिकारी ने कनिंघम को हड़प्पा में पाई गई एक मुहर दिखाई।
कनिंघम ने मुहर की प्राचीनता को समझने में कठिनाई महसूस की।
- मुहर का महत्व: कनिंघम ने मुहर को उस कालखंड से जोड़कर बताया, जिसके बारे में उन्हें जानकारी थी, लेकिन उन्हें इसका सही महत्व समझ नहीं पाया।
- भ्रम का परिणाम: कनिंघम ने सोचा कि मुहर भारतीय इतिहास के प्रारंभिक शहरों से संबंधित है, लेकिन यह सच नहीं था।
यह अद्भुत दास्तान कनिंघम के पुरातात्विक भ्रम की यात्रा को विवर्तनात्मक और संगठित ढंग से प्रस्तुत करता है।
हड़प्पा सभय्ता के पतन के कारण / Reasons for the decline of Harappan civilization
- प्राकृतिक आपदा और जल-वायु परिवर्तन: भूकंप, आकाल, महामारी, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने हड़प्पा सभ्यता को प्रभावित किया।
नदियों के सूखने या मार्ग के बदलने जैसे जल-वायु परिवर्तन ने भी इसका पतन कारण बना।
- बाढ़ों का आना: बाढ़ों के आवागमन, जैसे कि दामोदर, कोसी, और महानदी की बाढ़, ने भी सभ्यता को प्रभावित किया।
- आर्य जाति के आक्रमण: ऋग्वेद में आर्यों के हरियूषिया को नष्ट करने का उल्लेख है, जिससे हड़प्पा सभ्यता को आर्य जाति के आक्रमण का सामना करना पड़ा।
- अनुसंधानकर्ताओं की अवलोकन: विभिन्न प्राचीनता अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और नदियों में बाढ़ की आवाज़ कारणों में शामिल हैं।
- वैदिक साहित्य में हड़प्पा का उल्लेख: वैदिक साहित्य में हड़प्पा को हरियूषिया कहा जाता है, जो उसके अन्तिम दिनों की कहानी सुझाता है।
यहाँ हमने हड़प्पा सभ्यता के पतन के प्रमुख कारणों को आकर्षक और संगठित ढंग से प्रस्तुत किया है।
आशा करते है इस पोस्ट ईंटें,मनके तथा अस्थियाँ|NCERT Class 12 History Notes में दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी । आप हमें नीचे Comment करके जरुर बताये और अपने दोस्तों को जरुर साझा करे। यह पोस्ट ईंटें,मनके तथा अस्थियाँ|NCERT Class 12 History Notes पढ़ने के लिए धन्यवाद ! आपका समय शुभ रहे !!
NCERT Notes
स्वतंत्र भारत में, कांग्रेस पार्टी ने 1952 से 1967 तक लगातार तीन आम चुनावों में जीत हासिल करके एक प्रभुत्व स्थापित किया था। इस अवधि को 'कांग्रेस प्रणाली' के रूप में जाना जाता है। 1967 के चुनावों में, कांग्रेस को कुछ राज्यों में हार का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 'कांग्रेस प्रणाली' को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
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NCERT Notes
स्वतंत्र भारत में, कांग्रेस पार्टी ने 1952 से 1967 तक लगातार तीन आम चुनावों में जीत हासिल करके एक प्रभुत्व स्थापित किया था। इस अवधि को 'कांग्रेस प्रणाली' के रूप में जाना जाता है। 1967 के चुनावों में, कांग्रेस को कुछ राज्यों में हार का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 'कांग्रेस प्रणाली' को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
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