Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 3 मुद्रा और साख Notes in Hindi
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10 Class अर्थशास्त्र Chapter 3 मुद्रा और साख Notes in hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | आर्थिक विकास की समझ Economics |
Chapter | Chapter 3 |
Chapter Name | मुद्रा और साख Money and Credit |
Category | Class 10 अर्थशास्त्र Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
Class 10th Economics Chapter – 3 || मुद्रा और साख
अध्याय = 3
मुद्रा और साख
Money and Credit
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
मुद्रा और साख
वस्तु विनिमय
मुद्रा :-
मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में एक मध्यवर्ती के रूप में कार्य करती है । इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है ।
मुद्रा का उपयोग :-
मुद्रा का उपयोग अनेक प्रकार के लेन – देन में किया जाता है । मुद्रा के द्वारा वस्तुएँ खरीदी और बेची जाती हैं । जिस व्यक्ति के पास मुद्रा है , वह इसका विनिमय किसी भी वस्तु या सेवा खरीदने के लिए आसानी से कर सकता है ।
वस्तु विनिमय प्रणाली:-
वस्तु विनिमय वह प्रणाली है। जिसमें वस्तुओं व सेवाओं के बदले दूसरी वस्तु व सेवा का लेन-देन होता है। इस प्रणाली में मुद्रा का प्रयोग नहीं किया जाता है। मुद्रा के प्रादुर्भाव के पहले सारा लेन-देन वस्तु-विनिमय के द्वारा ही होता था। जैसे- चावल के बदले कपड़ा प्राप्त करना, किसी कर्मचारी को उसकी सेवाओं का भुगतान अनाज के रूप में किया जाना इत्यादि।
आवश्यकताओं का दोहरा संयोग:-
जब एक व्यक्ति किसी चीज को बेचने की इच्छा रखता हो, वही वस्तु दूसरा व्यक्ति भी खरीदने की इच्छा रखता हो अर्थात् मुद्रा का उपयोग किए बिना, तो उसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहा जाता है। मुद्रा के अविष्कार से वस्तु विनिमय प्रणाली की सबसे बड़ी कठिनाई आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का समाधान हुआ।
मुद्रा:- मुद्रा अंग्रेजी भाषा के शब्द “money” का हिंदी रूपांतरण है। money शब्द लैटिन भाषा के “moneta” से लिया गया है। मुद्रा के बिना आधुनिक अर्थव्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि यह आर्थिक व्यवहारों को सुचारु रूप से चलाने में सहायक होती है। किसी देश में उपयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था के द्वारा बनाई जाती है।
- मुद्रा एक माध्यम है जिसके जरिये हम किसी भी चीज को विनिमय द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में मुद्रा के बदले में हम जो चाहें खरीद सकते हैं। मुद्रा के तौर पर सबसे पहले सिक्कों का प्रचलन शुरू हुआ। शुरू में सिक्के सोने-चाँदी जैसी महँगी धातु से बनाये जाते थे। जब महँगी धातु की कमी होने लगी तो साधारण धातुओं से सिक्के बनाये जाने लगे। बाद में सिक्कों के स्थान पर कागज के नोटों का इस्तेमाल होने लगा। आज भी कम मूल्य वाले सिक्के इस्तेमाल किए जाते हैं।
- सिक्कों और नोटों को सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी द्वारा जारी किया जाता है। भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा इन नोटों को जारी किया जाता है। भारत के करेंसी नोट पर आपको एक वाक्य लिखा हुआ मिलेगा जो उस करेंसी नोट के धारक को उस नोट पर लिखी राशि देने का वादा करता हे।
रिर्जव बैंक के कार्य:-
- मुद्रा जारी करना
- बैंक व स्वयं सहायता सूमहों की कार्यप्रणाली पर नजर रखना।
- ब्याज की दरों को निर्धारित करना।
- मौद्रिक नीति की समीक्षा करना।
- बैंकों की कुछ राशि का नकद संचयन करना।
NCERT Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 3 मुद्रा और साख Notes
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
मुद्रा और साख
मुद्रा के आधुनिक
मुद्रा से अभिप्राय:- मुद्रा अंग्रेजी भाषा के शब्द “money” का हिंदी रूपांतरण है। money को लैटिन भाषा के moneta शब्द से लिया गया है। मुद्रा धन के उस रूप को कहा जाता है। जिससे हमारे दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होता है। इसमें सिक्के और कागज दोनों सम्मिलित है। किसी देश में उपयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था के द्वारा बनाई जाती है। जैसे- भारत में रुपया और पैसा मुद्रा है। मुद्रा का निर्माण राज्य एवं सरकार करती है।
मुद्रा के आधुनिक रूप:-
- कागज के नोट
- सिक्के
- मोबाईल एवं नेट बैंकिग
- चेक
- यू.पी. आई
- क्रेडिट कार्ड
- डेबिट कार्ड
मुद्रा का प्रयोग:-
- मुद्रा का प्रयोग एक प्रकार की चीजें खरीदने और बेचने में किया जाता है।
- मुद्रा का प्रयोग विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्राप्त करने में भी किया जा सकता है जैसे वकील से परामर्श लेने में या डॉक्टर की सलाह लेने में आदि।
- मुद्रा की सहायता से कोई भी अपनी चीजें बेच भी सकता है और हमसे एक दूसरी चीजें खरीद भी सकता है।
- इसी प्रकार में मुद्रा से सेवाओं का भी लेनदेन कर सकता है मुद्रा में भुगतान करने में बड़ी आसानी रहती है।
- लोग बैंकों में अतिरिक्त नकद अपने नाम से खाता खोलकर जमा कर देते है। खातों में जमा धन की माँग के जरिए निकाला जा सकता है जिसे माँग जमा कहाँ जाता है।
- चेक एक ऐसा कागज है जो बैंक को किसी के खाते से चेक पर लिखे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक खास रकम का भुगतान करने का आदेश देता है।
मुद्रा के लाभ:-
- यह आवश्यकताओं के दोहरे संयोग से छुटकारा दिलाती है।
- यह कम जगह लेती है और इसे कहीं भी लाना ले जाना आसान होता है।
- मुद्रा को आसानी से कहीं भी और कभी भी विनिमय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- आधुनिक युग में कई ऐसे माध्यम उपलब्ध हैं जिनकी वजह से अब करेंसी नोट को भौतिक रूप में ढ़ोने की जरूरत नहीं है।
अध्याय – 3: मुद्रा व साख || कक्षा-10: अर्थशास्त्र NCERT
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
मुद्रा और साख
साख
साख:- साख शब्द का अंग्रेजी में अर्थ credit होता है credit शब्द का उदय credo से हुआ है जिसका अर्थ है “मै विश्वास करता हूँ”। साख को तीन भागों में विभाजित किया जाता है:- उद्देश्य की दृष्टि से, अवधि की दृष्टि से, स्वरूप की दृष्टि से साख एक ऐसा समझौता है जिसके तहत ऋणदाता उधारकर्ता को धनराशि, वस्तु एवं सेवाएँ इस आश्वासन पर उधार देता है कि वह भविष्य में उसका भुगतान कर देगा।
साख के लाभ:-
भुगतान के लिए पूँजी की आवश्यकता नहीं, व्यापार और वाणिज्य में सुविधा, पूँजी के उत्पादन में वृद्धि, वित्त-प्रबंध में सुविधा, व्यापारी वर्ग को सुविधा, विस्तृत पैमाने पर व्यापार, मूल्यों में स्थिरता, मानवीय एवं प्राकृतिक साधनो का उचित उपयोग इत्यादि।
साख की हानियाँ:-
अत्यधिक उत्पादन, एकाधिकार को प्रोत्साहन, मूल्यों पर अत्यधिक प्रभाव इत्यादि।
साख संपत्ति के रूप में:-
त्यौहारों के दौरान जूता निर्माता सलीम को एक महीने के अंदर भारी मात्रा में जूता बनाने का आदेश मिलता है। इस उत्पादन को पूरा करने के लिए वह अतिरिक्त मजदूरों को काम पर ले आता है और उसे कच्चा माल खरीदना पड़ता है। वह आपूर्तिकता को तत्काल चमड़ा उपलब्ध कराने के लिए कहता है और उसके बाद में भुगतान करने का आश्वासन देता है। उसके बाद वह व्यापारी से कुछ उधार लेता है। महीने के अंत तक वह आदेश पूरा कर पाता है, अच्छा लाभ कमाता है और उसने जो भी उधार लिया होता है, उसका भुगतान कर देता है।
साख ऋणजाल के रूप में:-
एक किसान स्वप्रा कृषि के खर्च को वहन करने के लिए साहुकार से उधार लेती है लेकिन दुर्भाग्य से फसल कीड़ों या किसी अन्य वजह से बर्बाद हो जाती है। ऐसे में वह ऋण का भुगतान नहीं कर पाती है और ऋण ब्याज के साथ बढ़ता जाता है।
समर्थक ऋणाधार:-
उधारदाता, उधार प्राप्तकर्ता से समर्थक ऋणाधार के रूप में ऐसी परिसम्पत्तियों की माँग करता है जिन्हें बेचकर वह अपनी ऋण राशि की वसूली कर सके। ये परिसम्पत्तियाँ ही समर्थक ऋणाधार कहलाती हैं। उदाहरण- कृषि भूमि, जेवर, मकान पशुधन व बैंक जमा।
बैंकों की ऋण संबंधी गतिविधियाँ:-
- भारत में बैंक जमा का केवल 15 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखते है।
- इसे किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की संभावना को देखते हुए यह प्रावधान किया जाता है।
- बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते है।
- ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।
Chapter Chapter 3. मुद्रा और साख Class 10 Economics CBSE
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
मुद्रा और साख
ऋण
ऋण की शर्ते:-
- ब्याज की दर– हर एक ऋण के समझौते में ब्याज की दर निश्चित कर दी जाती है, जिसको कर्जदार महाजन को मूल रकम के साथ अदा करता है। दरे दो प्रकार की होती है:- स्थायी दर– यह ऋण काल के दौरान नहीं बदलती है। अस्थायी दर– यह बैंको की योजना के अनुसार बदल जाती है।
- समर्थक ऋणाथार– यह एक ऐसी संपत्ति है, जिसका मालिक कर्जदार होता है: जैसे- जमीन, इमारत, गाड़ी, पशु एवं बैंकों में पैसा इसका उपयोग वह उधारदाता को गारंटी देने के रूप में करता है, ऋण का भुगतान न होने पर उधारदाता को भुगतान प्राप्ति के लिए संपत्ति या समर्थक बेचने का अधिकार होता हैं।
- आवश्यक कागजात– ऋण लेने या देने के लिए आवश्यक कागजातों की जरूरत होती है।
- भुगतान के तरीके– ऋण के भुगतान के तरीके अलग-अलग होते है।
विभिन्न ऋण व्यवस्थाओं में ऋण की शर्ते अलग-अलग है।
साख का अर्थ है:- वस्तुओं के हस्तांतरण के कारण उत्पन्न भुगतान प्राप्त करने का अधिकार।
साख का वर्गीकरण तीन भागों में किया जाता है:– उद्देश्य की दृष्टि से, अवधि की दृष्टि से, स्वरूप की दृष्टि से।
भारत में औपचारिक क्षेत्रक में साख:- बैंक और सहकारी समितियों से लिए कर्ज औपचारिक क्षेत्रक ऋण कहलाते है ।
अनौपचारिक क्षेत्रक में साख:-
- साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, दोस्त इत्यादि ऋण उपलब्ध कराते है।
- ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है।
- ऋणदाता ऐच्छिक दरों पर ऋण देते है।
- नाजायज तरीकों से अपना ऋण वापिस लेते है।
सेल्फ हेल्प ग्रुप:-
- सेल्फ हेल्प ग्रुप का प्रचलन अभी नया नया है। इस प्रकार के ग्रुप में लोगों का एक छोटा समूह होता है; जैसे 15 से 20 सदस्य। सभी सदस्य अपने जमा किए हुए पैसे को इकट्ठा करते हैं। उस जमा रकम में से किसी भी सदस्य को छोटी राशि का कर्ज दिया जाता है। फिर वह सेल्फ हेल्प ग्रुप उस राशि पर ब्याज लेता है। इस तरह के कर्ज के सिस्टम को माइक्रोफिनांस कहते हैं।
- सबसे पहले बंगलादेश के ग्रामीण बैंक ने माइक्रोफिनांस की परिपाटी शुरू की। ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद यूनुस ने इस दिशा में काफी काम किया है और गरीबों की मदद की है। उनके प्रयासों के लिए उन्हें 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- सेल्फ हेल्प ग्रुप ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनौपचारिक कर्ज दाताओं के प्रकोप को काफी हद तक कम किया है। आज भारत में कई बड़ी कंपनियाँ सेल्फ हेल्प ग्रुप को प्रश्रय दे रही हैं।
Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 3 मुद्रा और साख QUESTIONS
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न 1 जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत-सी गतिविधियों में ऐसे बहुत से सौदे होते हैं जहाँ किसी-न-किसी रूप में ऋण को प्रयोग होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज की मुख्य माँग फसल उगाने के लिए होती है। किसान ऋतु के आरंभ में फसल उगाने के लिए उधार लेते हैं और फसल तैयार हो जाने पर उधार चुका देते हैं। किंतु यदि किसी वजह से फसल बरबाद हो जाती है, तो कर्ज की अदायगी असंभव हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में किसान अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचने को मजबूर हो जाता है। इस प्रकार, इस जोखिम वाली परिस्थिति में कर्जदार के लिए ऋण लेने से कई समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। और उसकी कमाई बढ़ने की बजाय उसकी स्थिति और बदतर हो जाती है।
प्रश्न 2 मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर – वस्तु विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या होती है। मान लीजिए कि कोई छात्र अपनी पुरानी किताबों को बेचकर उसके बदले एक गिटार लेना चाहता है। यदि वह वस्तु विनिमय प्रणाली को अपनाता है तो उसे किसी ऐसे व्यक्ति को तलाशना होगा जो अपने गिटार के बदले उसकी किताबें लेने को तैयार हो जाये। लेकिन ऐसे व्यक्ति को ढ़ूँढ़ पाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन यदि वह छात्र अपनी किताबों को मुद्रा के बदले में बेच लेता है तो फिर वह आसानी से उन पैसों से गिटार खरीद सकता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को सुलझाती है।
प्रश्न 3 अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं?
उत्तर – बैंक विभिन्न लोगों के पैसे अपने यहाँ जमा रखता है। जिन लोगों के पास अतिरिक्त मुद्रा होती है वे बैंक में अच्छी धनराशि जमा करके रखते हैं। कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें ऋण की आवश्यकता होती है। वैसे लोग बैंक जाते हैं यदि उन्हें औपचारिक चैनल से ऋण लेना होता है। बैंक अपने पास जमाराशि से ऐसे लोगों को ऋण मुहैया कराता है। इस तरह से बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थता का काम करता है।
प्रश्न 4 10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर – 10 रुपये के नोट पर निम्न पंक्ति लिखी होती है, “मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।“ इस कथन के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर का दस्तखत होता है। यह कथन दर्शाता है कि रिजर्व बैंक ने उस करेंसी नोट पर एक मूल्य तय किया है जो देश के हर व्यक्ति और हर स्थान के लिये एक समान होता है।
प्रश्न 5 हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों ज़रूरत है?
उत्तर – औपचारिक स्तर पर ऋण देनेवालों की तुलना में अनौपचारिक खंड के ज्यादातर ऋणदाता कहीं ज्यादा ब्याज वसूल करते हैं। इस प्रकार अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को कहीं अधिक महँगा पड़ता है। अधिक ब्याज से कर्जदार की आय का अधिकतर हिस्सा ऋण उतारने में खर्च हो जाता है। इससे ऋण का बोझ बढ़ सकता है। व्यक्ति ऋण के फंदे में जकड़ सकता है। इन सभी कारणों से भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की आवश्यकता है। बैंकों और सहकारी समितियों को ज्यादा कर्ज देना चाहिए। इसके जरिए लोगों की आय बढ़ सकती है, क्योंकि फिर बहुत से लोग अपनी विभिन्न जरूरतों के लिए सस्ता कर्ज ले सकेंगे। सस्ता और सामर्थ्य के अंदर का कर्ज देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।
प्रश्न 6 गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या है? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर – स्वयं सहायता समूहों का गठन वैसे गरीबों के लिये किया जाता है जिनकी पहुँच ऋण के औपचारिक स्रोतों तक नहीं है। कई ऐसे कारण हैं जिनसे ऐसे लोगों को बैंक या सहकारी समिति से ऋण नहीं मिल पाता है। ये लोग इतने गरीब होते हैं कि अपनी साख को सिद्ध नहीं कर पाते। उनके द्वारा लिये गये ऋण की राशि इतनी कम होती है कि ऋण देने में आने वाले खर्चे की वसूली भी नहीं हो पाती है। अशिक्षा और जागरूकता के अभाव से उनकी समस्या और भी बढ़ जाती है। स्वयं सहायता समूह ऐसे लोगों को छोटा ऋण देती है ताकि उनकी आजीविका चलती रहे। इसके अलावा स्वयं सहायता समूह ऐसे लोगों में ऋण अदायगी की आदत भी डालती है।
प्रश्न 7 क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर – बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते। जो कर्जदार ऋण की शर्ते पूरी नहीं कर पाते, बैंक उन्हें कर्ज नहीं देते। ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की माँग और भुगतान के तरीके, इन सबको मिलाकर ऋण की शर्ते कहा जाता है। बैंक ऋण से औपचारिकता है। अगर औपचारिकताएँ पूरी न हों तो बैंक ऋण नहीं दे पाते।
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 53)
प्रश्न 8 भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है? यह जरूरी क्यों है?
उत्तर – भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है। यह भारत के बैंकिंग सेक्टर के लिये नीति निर्धारण का काम करता है। बैंक किसी भी अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालते हैं इसलिये बैंकिंग सेक्टर के लिये सही नियम और कानून की जरूरत होती है। बैंकों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करके रिजर्व बैंक न केवल बैंकिंग और फिनांस को सही दिशा में ले जाता है बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को भी सुचारु ढंग से चलने में मदद करता है।
प्रश्न 9 विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर – हमारे जीवन की बहुत-सी गतिविधियों में ऐसे बहुत से सौदे होते हैं जहाँ किसी-न-किसी रूप में ऋण का प्रयोग होती है। ऋण (उधार) से हमारा तात्पर्य एक सहमति से है, जहाँ उधारदाता कर्जदार को धन, वस्तुएँ या सेवाएँ मुहैया कराता है और बदले में कर्जदार से भुगतान करने का वादा लेता है। ऋण उत्पादक की कार्यशील पूँजी की जरूरत को पूरा करता है। उसे उत्पादन के कार्यशील खर्चे तथा उत्पादन को समय पर खत्म करने में मदद करता है। इसके जरिए वह अपनी कमाई बढ़ा पाता है। इस स्थिति में ऋण एक महत्त्वपूर्ण तथा सकारात्मक भूमिका अदा करता है।
प्रश्न 10 मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिए ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से? चर्चा कीजिए।
उत्तर – मानव को सबसे पहले विभिन्न कर्जदाताओं के ब्याज दर की तुलना करनी चाहिए। उसके बाद उसे गिरवी की मांग और ऋण अदायगी की शर्तों की तुलना करनी चाहिए। मानव को उसी कर्जदाता से ऋण लेना चाहिए जो सबसे कम ब्याज दर मांग रहा हो, कम कीमत वाली गिरवी पर तैयार हो और ऋण अदायगी की आसान शर्तें रख रहा हो।
प्रश्न 11 भारत में 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।
- बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?
- वे दूसरे स्रोत कौन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं?
- उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं?
- सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है?
उत्तर –
- बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से इसलिए हिचकिचाते हैं क्योंकि छोटे किसान ऋण की शर्ते पूरी नहीं कर पाते। ऋण के लिए ऋणाधार का उनके पास सर्वथा अभाव रहता है।
- ये छोटे किसान आमतौर से साहूकारों से कर्ज लेते हैं तो ये साहूकार बिना ऋणाधार के कर्ज तो दे देते हैं किंतु ब्याज की दरें अधिक रखते हैं।
- ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं। ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की माँग और भुगतान के तरीके आदि ऋण की शर्ते होती हैं। उदाहरणत: यदि छोटा किसान ऋण लेना चाहेगा तो उसे ये शर्ते पूरी करनी होगीं। उसे वे कागजात देने पड़ेंगे जो उसके वेतन, संपत्ति आदि का रिकार्ड दिखाते हों। यदि किसान के पास ये सब चीजें नहीं हैं तो उसे ऋण नहीं मिल पाता।
- छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिए सहकारी समितियों की स्थापना की जा सकती है। ये सहकारी समितियाँ किसानों, बुनकरों, औद्योगिक मजदूरों इत्यादि को सस्ते दामों पर ऋण उपलब्ध करा सकती हैं। सहकारी समितियाँ कृषि उपकरण खरीदने, खेती तथा व्यापार करने, मछली पकड़ने, घर बनाने और तमाम अन्य किस्म के खर्चे के लिए ऋण उपलब्ध कराती है।
प्रश्न 12 रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
- _______ परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
- _______ ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है।
- _______ केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
- बैंक ______ पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
- _______ सम्पत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब ऋण चुकता नहीं हो जाता।
उत्तर –
- गरीब परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
- अधिक ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है।
- रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
- बैंक जमा राशि पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
- गिरवी सम्पत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब ऋण चुकता नहीं हो जाता।
प्रश्न 13 सही उत्तर का चयन करें-
- स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लिये जाते हैं-
- बैंक द्वारा।
- सदस्यों द्वारा।
- गैर सरकारी संस्था द्वारा।
उत्तर – b) सदस्यों द्वारा।
- ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है:
- बैंक
- सहकारी समिति
- नियोक्ता
उत्तर – c) नियोक्ता।
1. वस्तु विनिमय प्रणाली की अनिवार्य शर्त क्या है?
उत्तर :- आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होना।
2. मुद्रा विनिमय का माध्यम क्यों हैं?
उत्तर :- मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करने के कारण।
3. प्रारम्भिक काल में मुद्रा के रूप में प्रयोग की जाने वाली दो वस्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर :- अनाज, पशु।
4. मुद्रा का आधुनिक रूप क्या है?
उत्तर :- करेंसी – कागज के नोट व सिक्के
5. आधुनिक मुद्रा बहुमूल्यय धातु से नहीं बनी फिर भी इसे विनिमय का माध्यम क्यों स्वीकार किया गया है?
उत्तर :- क्योंकि किसी देश की सरकार इसे प्राधिकृत करती हैं।
6. भारत में नोट कौन जारी करता है?
उत्तर :- भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया।
7. माँग जमा किसे कहते हैं?
उत्तर :- बैंक खातों में जमा धन को।
8. बैंकों की आय का प्रमुख स्त्रोत क्या हैं?
उत्तर :- कर्जदारों से लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिये गये ब्याज के बीच का अंतर।
9. ऋण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :- एक सहमति जहाँ साहूकार कर्जदार को धन, वस्तुएं या सेवाएं उपलबध कराता है और बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने का वादा लेता हैं।
10. समर्थक ऋणाधार क्या अभिप्राय है?
उत्तर :- ऐसी संपत्ति जिसका मालिक कर्जदार है और इसका इस्तेमाल वह उधारदाता को गांरटी देने के रूप में करता हैं।
NCERT Class 6 to 12 Notes in Hindi
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Author: NCERT
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