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Class 10 लोकतांत्रिक राजनीति Chapter 4 राजनीतिक दल Notes PDF in Hindi
Class 10 Social Science [ Class 10 Social Science Civics (Political Science): Democratic Politics-II ] Loktantrik Rajniti Chapter 4 Raajaniitik dala Notes In Hindi
10 Class लोकतांत्रिक राजनीति Chapter 4 राजनीतिक दल Notes in Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | लोकतांत्रिक राजनीति Political Science |
Chapter | Chapter 4 |
Chapter Name | राजनीतिक दल Political Parties |
Category | Class 10 राजनीति Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
राजनीतिक दल कक्षा 10 पाठ 4 लोकतान्त्रिक राजनीती with notes
अध्याय = 4
राजनीतिक दल
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
राजनीतिक दल
राजनीतिक दल का अर्थ
राजनीतिक दल
- एक ऐसा समूह जिसका निर्माण चुनाव लड़ने और सरकार बनाने के उद्देश्य से हुआ हो, राजनीतिक पार्टी या दल कहलाता है। किसी भी राजनीतिक पार्टी में शामिल लोग कुछ नीतियों और कार्यक्रमों पर सहमत होते हैं, जिसका लक्ष्य समाज की भलाई करना होता है। क्योंकि राजनीतिक दल सामूहिक विचारधारा पर आधारित होने के साथ-साथ एक-सी नीतियाँ, कार्यक्रम, तथा उद्देश्य को अपनाते है। लोकतंत्र शासन व्यवस्था में रजनीतिक दलों का अति महत्वपूर्ण स्थान है।
- एक राजनीतिक पार्टी लोगों को इस बात का भरोसा दिलाती है कि उसकी नीतियाँ अन्य पार्टियों से बेहतर हैं। वह चुनाव जीतने की कोशिश करती है ताकि अपनी नीतियों को लागू कर सकें। राजनीतिक दल समय-समय पर समाज में उठने वाले ज्वलंत मुद्दों से भी जनता को अवगत कराती है। एक तरह से किसी भी दल द्वारा यह सब कार्य करने से उसकी जीत का कारण बनते है।
- इस प्रकार दल किसी समाज के बुनियादी राजनीतिक विभाजन को भी दर्शाते हैं। पार्टी समाज के किसी एक हिस्से से संबंधित होती है इसलिए उसका नज़रिया समाज के उस वर्ग/समुदाय विशेष की तरफ़ झुका होता है। किसी दल की पहचान उसकी नीतियों और उसके सामाजिक आधार से तय होती है। जैसे- समाजवादी पार्टी समाज के अल्पसंख्यक समूहों, निम्न जातियों, पिछड़े वर्गों, से सम्बंधित है। उसी तरह भारतीय जनता पार्टी जो कि एक राष्ट्रीय दल है हिंदुत्व का समर्थन करती है।
राजनीतिक दल के तीन प्रमुख हिस्से हैं:-
- नेता
- सक्रिय सदस्य; और
- अनुयायी या समर्थक
Class 10 Political Parties Notes in Hindi | राजनीतिक दल नोट्स
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
राजनीतिक दल
राजनीतिक दल के कार्य
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में राजनीतिक दलों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। राजनीतिक दल एक सामूहिक दल है, इसके सभी सदस्यों की समान विचारधारा, नीति तथा कार्यक्रम होते हैं। भारत में राजनीतिक दलों को तीन भागो में वर्गीकृत किया जाता है- राष्ट्रीय स्तर दल, राज्य स्तर दल तथा स्थानीय स्तर दल।
इन दलों द्वारा अनेक कार्य किए जाते हैं, जो इस प्रकार है:-
- चुनाव लड़ना:– आज के समय में लगभग सभी देशों में वयस्क मताधिकार को अपनाया गया है तथा लोकतांत्रिक राज्यों में तो चुनाव का संचालन, निर्देशन करने के लिए राजनीतिक दलों की अति आवश्यकता है जो दल चुनाव लड़ते हैंं। अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में चुनाव राजनीतिक दलों द्वारा खड़ा किए गए उम्मीदवारों के बीच लड़ा जाता है। राजनीतिक दल उम्मीदवारों का चुनाव कई तरीकों से करते हैंं, अमरीका जैसे कुछ देशों में उम्मीदवार का चुनाव दल के सदस्य और समर्थक करते हैं एवं अब इस तरह से उम्मीदवार चुनने वाले देशों की संख्या बढ़ती जा रही है। अन्य देशों, जैसे भारत में, दलों के नेता ही उम्मीदवार चुनते हैंं। लोकतांत्रिक तथा अध्यक्षात्मक दोनों ही शासन व्यवस्थाओ में निर्वाचन के बाद सरकार का गठन राजनीतिक दलों के द्वारा किया जाता है।
- नीति बनाना:– हर राजनीतिक पार्टी जनहित को लक्ष्य में रखते हुए अपनी नीति बनाती है। वह अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को जनता के सामने प्रस्तुत करती है एवं इससे जनता को इस बात में मदद मिलती है कि वह किसी एक पार्टी का चुनाव कर सके। एक राजनीतिक पार्टी एक ही मानसिकता वाले लाखों-करोड़ों मतदाताओं को एक ही छत के नीचे लाने का काम करती है। जब किसी पार्टी को जनता सरकार बनाने के लिए चुनती है तो वह उस पार्टी से अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को मूर्त रूप देने की अपेक्षा रखती है। राजनीतिक दलों में सभी सदस्यों की एक सी विचारधारा होने के कारण वह एक सी नीतियाँ तथा कार्यक्रम बनाते हैं।
- कानून बनाना:- पार्टियाँ देश के कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। कानूनों पर औपचारिक बहस होती है और उन्हें विधायिका में पास करवाना पड़ता है लेकिन विधायिका के अधिकतर सदस्य किसी न किसी दल के सदस्य होते हैं और इस कारण वे अपने दल के नेता के निर्देश पर फ़ैसला करते हैं तथा कानून बनाते हैं।
- सरकार बनाना:- जब कोई राजनीतिक पार्टी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव जीतती है तो वह सरकार बनाती है। सत्ताधारी पार्टी के लोग ही कार्यपालिका का गठन करते हैंं। सरकार चलाने के लिए विभित्र राजनेताओं को अलग-अलग मंत्रालयों को जिम्मेदारी दी जाती है।
- विपक्ष की भूमिका:– चुनाव हारने वाले दल शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते हैंं। सरकार की गलत नीतियों और असफलताओं की आलोचना करने के साथ वह अपनी अलग राय भी रखते हैंं। विपक्षी दल सरकार के खिलाफ़ आम जनता को भी गोलबंद करते हैं तथा सरकार पर नियंत्रण का कार्य करते हैं।
- जनमत का निर्माण:- राजनीतिक पार्टी का एक महत्वपूर्ण काम होता है जनमत का निर्माण करना। इसके लिए वे विधायिका और मीडिया में ज्वलंत मुद्दों को उठाती हैं और उन्हें हवा देती हैं। पार्टी के कार्यकर्त्ता पूरे देश में फैलकर अपने मुद्दों से जनता को अवगत कराते हैंं तथा यही समय-समय पर राजनैतिक दलों द्वारा उठाये गए ज्वलंत मुद्दे इनकी जीत का कारण बनते हैं।
- सरकारी मशीनरी तक लोगों की पहुँच बनाना:– राजनीतिक पार्टी लोगों और सरकारी मशीनरी के बीच एक कड़ी का काम करती है, वे जनकल्याण योजनाओं को लोगों तक पहुँचाती हैं।
सीबीएसई नोट्स कक्षा 10 राजनीति विज्ञान अध्याय 4 – राजनीतिक दल
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
राजनीतिक दल
राजनीतिक दल की ज़रूरत
- लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टी एक अभिन्न अंग होती है तथा इन दलों का बहुत महत्व है, क्योंकि सरकार का गठन राजनीतिक दल के द्वारा ही किया जाता है। भारत में राजनीतिक दल का गठन 1885 में हुआ, जब कांग्रेस पार्टी का उद्भव हुआ। स्वतन्त्रता के बाद अनेक राजनीतिक दल अस्तित्व में आये। यदि कोई पार्टी न हो तो हर उम्मीदवार एक स्वतंत्र उम्मीदवार होगा। भारत में लोकसभा में कुल 543 सदस्य हैं। यदि हर सदस्य स्वतंत्र रूप से चुनाव जीत कर आयेगा तो स्थिति बड़ी भयावह हो जायेगी। कोई भी दो सदस्य किसी एक मुद्दे पर एक ही तरह से सोचने में असमर्थ होगा। एक सांसद हमेशा अपने चुनावी क्षेत्र के बारे में सोचेगा और राष्ट्र हित को दरकिनार कर देगा। राजनीतिक पार्टी विभिन्न सोच के राजनेताओं को एक मंच पर लाने का काम करती है। ताकि वे सभी मिलकर किसी भी बड़े मुद्दे पर एक जैसी सोच बना सकें, क्योंकि राजनीतिक दल एक सामूहिक दल है। इसके सदस्य समान विचारधारा एवं कार्यक्रम पर आधारित होते है।
- हम गैर-दलीय आधार पर होने वाले पंचायत चुनावों का उदाहरण सामने रखकर भी इस बात की परख कर सकते हैं। हालाँकि इन चुनावों में दल औपचारिक रूप से अपने उम्मीदवार नहीं खड़े करते लेकिन हम पाते हैं, कि चुनाव के अवसर पर पूरा गाँव कई खेमों में बँट जाता है और हर खेमा सभी पदों के लिए अपने उम्मीदवारों का ‘पैनल’ उतारता है। भारत में 74वें संविधान संशोधन के द्वारा पंचायती चुनाव की बात की गई है। यह 11वीं अनुसूची के अंतर्गत आता है। जिसमे 18 विषय है। राजनीतिक दल ठीक से कार्य करने के कारण ही हमें दुनिया के लगभग सभी देशों में राजनीतिक दल नज़र आते हैं। चाहे वह देश बड़ा हो या छोटा, नया हो या पुराना, विकसित हो या विकासशील।
- आज पूरे विश्व में प्रतिनिधित्व पर आधारित लोकतंत्र को अपनाया गया है। ऐसे लोकतंत्र में नागरिकों द्वारा चुने गये प्रतिनिधि सरकार चलाते हैं। यथार्थ में यह संभव नहीं है कि हर नागरिक प्रत्यक्ष रूप से सरकार चलाने में योगदान दे पाये। इसी सिस्टम ने राजनीतिक पार्टियों को जन्म दिया है।
पाठ 4 – राजनीतिक दल लोकतांत्रिक राजनीति के नोट्स| Class 10th
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
राजनीतिक दल
कितने राजनीतिक दल
- राजनीतिक दल लोगों का ऐसा समूह होता है जिनके सदस्य समान दृष्टिकोण रखते है। राजनीतिक दलों का लक्ष्य प्रायः लिखित दस्तावेज के रूप में होता है। सभी देशों में राजनीतिक दलों की अलग-अलग स्थिति एवं व्यवस्था है। कुछ देशों में एक ही पार्टी होती है, जबकि कुछ देशों में दो पार्टियाँ होती हैं तो कुछ देशों में अनेक पार्टियाँ होती हैं। किसी भी देश में प्रचलित पार्टी सिस्टम के कई ऐतिहासिक और सामाजिक कारण होते हैं। हर तरह के सिस्टम के अपने गुण और दोष होते हैं।
- एकल पार्टी सिस्टम जिसे राजतन्त्र भी कहा ज़ाता है। इसमें शासन व्यवस्था केवल एक ही व्यक्ति के हाथ में होती है। जनता की कोई भागीदारी नहीं होती वही पूरी शासन व्यवस्था का स्वामी समझा ज़ाता है। आज भी अनेक देशों में इस प्रकार की शासन व्यवस्था देखने को मिलती है। जैसे- चीन में एकल पार्टी सिस्टम है लेकिन लोकतंत्र के हष्टिकोण से यह सही नहीं है क्योंकि एकल पार्टी सिस्टम में लोगों के पास कोई विकल्प नहीं होता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में दो पार्टी सिस्टम है। ऐसे सिस्टम में लोगों के पास विकल्प होता है।
- भारत एक सम्पूर्ण प्रभुत्वसंपन्न लोकतान्त्रिक गणराज्य है। यहाँ अनेक राजनीतिक पार्टियों के होने के कारण विविधता देखने को मिलती है। यहाँ असली सत्ता जनता के हाथ में है अर्थात राजनीतिक नेता लोगों द्वारा चुना ज़ाता है। भारत के समाज में भारी विविधता है। इसलिए यहाँ मल्टी पार्टी सिस्टम विकसित हुई है। मल्टी पार्टी सिस्टम में कई खामियाँ लगती हैं। कई बार इससे राजनैतिक अस्थिरता का माहौल बन ज़ाता है और साल दो साल में ही सरकार बदल ज़ाती है। लेकिन भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में अलग-अलग हितों और मतधारणाओं का सही प्रतिनिधित्व मल्टी पार्टी सिस्टम से ही संभव हो पाता है।
- आज़ादी के बाद के शुरुआती दिनों से लेकर 1977 तक भारत में केंद्र में केवल कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती थी। 1977 से 1980 के बीच जनता पार्टी की सरकार बनी। उसके बाद 1980 से 1989 तक कांग्रेस की सरकार बनी। फिर दो साल के अंतराल के बाद फिर से 1991 से 1996 तक कांग्रेस की सरकार रही। फिर अगले 8 वर्षों तक गठबंधन की सरकारों का दौर चला। 2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस पार्टी की ऐसी सरकार रही जिसमें अन्य पार्टियों का गठबंधन था। 2014 में 18 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और वह अपने दम पर सरकार बना पाई।
10 Class लोकतांत्रिक राजनीति Chapter 4 राजनीतिक दल Notes in
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
राजनीतिक दल
राजनीतिक दलों में जन-भागीदारी
- लोगों में एक आम धारणा बैठ गई है कि लोग राजनीतिक पार्टियों के प्रति उदासीन हो गये हैं तथा लोग राजनीतिक पार्टियों पर भरोसा नहीं करते हैं।
- जो सबूत उपलब्ध हैं वो यह बताते हैं कि यह धारणा भारत के लिए कुछ हद तक सही है, लोकतान्त्रिक व्यवस्था में तो राजनीतिक दलों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। भारत में तीन भागों में इनका वर्गीकरण किया जाता है- राष्ट्रीय दल, राज्य दल तथा स्थानीय दल। पिछले कई दशकों में किए गये सर्वे से प्राप्त सबूतों के आधार पर निम्न बातें सामने आती हैं:-
- पूरे दक्षिण एशिया में लोगों का विश्वास राजनीतिक पार्टियों पर से उठ गया है, सर्वे में पूछा गया कि वे राजनीतिक पार्टियों पर ‘एकदम भरोसा नहीं या ‘बहुत भरोसा नहीं’ या ‘कुछ भरोसा’ या ‘पूरा भरोसा’ करते हैं। ऐसे लोगों की संख्या अधिक थी जिन्होंने कहा कि वे ‘एकदम भरोसा नहीं’ या ‘बहुत भरोसा नहीं’ करते हैं। जिन्होंने यह कहा कि वे ‘कुछ भरोसा’ या ‘पूरा भरोसा’ करते हैं उनकी संख्या कम थी। पूरी दुनिया में लोग राजनीतिक दलों पर कम ही भरोसा करते हैं तथा उन्हें संदेह की दृष्टि से देखते हैं।
- लेकिन जब बात लोगों द्वारा राजनीतिक दलों के क्रियाकलापों में भाग लेने की आती है तो स्थिति अलग हो जाती है। कई विकसित देशों की तुलना में भारत में ऐसे लोगों का अनुपात अधिक है, जिन्होंने माना कि वे किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य हैं, क्योंकि राजनीतिक दल भारत में लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करते है, किन्तु इनके अंदर लोकतंत्र कम देखने को मिलता है। पार्टी के भीतर नेतृत्व की प्रक्रिया पारदर्शी व समावेशी नहीं है।
- बहरहाल, राजनीतिक दलों के कामकाज में लोगों की भागीदारी का स्तर काफ़ी ऊँचा है। खुद को किसी राजनीतिक दल का सदस्य बताने वाले भारतीयों का अनुपात कनाडा, जापान, स्पेन और दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों से भी ज़्यादा है। भारत में लोकतंत्र व्यवस्था होने से यहाँ पर सभी को राजनीति में भाग लेने, चुनाव लड़ने तथा राजनीतिक पार्टियाँ बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है। चुनाव आयोग जो कि एक निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने की संस्था है के द्वारा निर्धारित नियम और कानून के बाद ही चुनाव संबंधित सभी कार्य सम्भव होते हैं।
- पिछले तीन दशकों में ऐसे लोगों का प्रतिशत बढ़ा है, जिन्होंने यह माना कि वे किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य हैं। इस अवधि में ऐसे लोगों का अनुपात भी बढ़ा है, जिन्हें ऐसा लगता है कि वे किसी राजनीतिक पार्टी के करीब हैं।
राजनितिक दल Class 10 Political Science in Hindi 2023
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
राजनीतिक दल
राष्ट्रीय दल
भारत में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए एक स्वतंत्र संस्था जिसका नाम चुनाव आयोग है। चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था है। जिसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी। इसका उल्लेख संविधान के भाग 15, अनुछेद 324 से 329 में किया गया है। चुनाव आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में है। हर राजनीतिक पार्टी को चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। चुनाव आयोग की नजर में हर पार्टी समान होती है। लेकिन बड़ी और स्थापित पार्टियों को कुछ विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इन पार्टियों को अलग चुनाव चिह्न दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल उस पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार ही कर सकता है। जिन पार्टियों को यह विशेषाधिकार मिलता है उन्हें मान्यता प्राप्त पार्टी कहते हैं।
- राज्य स्तर की पार्टी:- जिस पार्टी को विधान सभा के चुनाव में कुल वोट के कम से कम 6% वोट मिलते हैं और जो कम से कम दो सीटों पर चुनाव जीतती है उसे राज्य स्तर की पार्टी कहते हैं।
- राष्ट्रीय स्तर की पार्टी:- जिस पार्टी को लोक सभा चुनावों में या चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कम से कम 6% वोट मिलते हैं और जो लोकसभा में कम से कम चार सीट जीतती है उसे राष्ट्रीय स्तर की पार्टी की मान्यता मिलती है।
इस वर्गीकरण के अनुसार 2006 में देश में छः राष्ट्रीय पार्टियाँ थीं। इनका वर्णन नीचे दिया गया है:-
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस:– इसे कांग्रेस पार्टी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बहुत पुरानी पार्टी है। जिसकी स्थापना 28 दिसम्बर 1885 में गोकुल दास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय हुई थी। इस पार्टी के संस्थापकों में ए.ओ.ह्यूम (जो कि थियोसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य थे), दादा भाई नोरोजी एवं दिनशा वाचा शामिल थे। व्योमेश चंद्र बनर्जी इसके प्रथम अध्यक्ष बने। भारत की आजादी में इस पार्टी की मुख्य भूमिका रही है। भारत की आजादी के बाद के कई दशकों तक कांग्रेस पार्टी ने भारतीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाई है। आजादी के बाद के सत्तर वर्षों में पचास से अधिक वर्षों तक इसी पार्टी की सरकार रही है। श्रीमती इंदिरा गाँधी इस पार्टी की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी जो काफी समय तक सत्ता में रही इनके द्वारा अनेक प्रमुख कार्य किये गए जैसे- प्रिवी पर्स की समाप्ति।
- भारतीय जनता पार्टी:- इस पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा कि गयी थी। यह भारत का एक मुख्य राजनितिक दल है। इस पार्टी को भारतीय जन संघ के पुनर्जन्म के रूप में माना जा सकता है। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य है एक शक्तिशाली और आधुनिक भारत का निर्माण। भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व पर आधारित राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना चाहती है। यह पार्टी जम्मू कश्मीर का भारत में पूर्ण रूप से विलय चाहती है। यह धर्म परिवर्तन पर रोक लगाना चाहती है और एक यूनिफॉर्म सिविल कोड लाना चाहती है। 1990 के दशक में इस पार्टी का जनाधार तेजी से बढ़ा। यह पार्टी पहली बार 1998 में सत्ता में आई और 2004 तक शासन किया। उसके बाद यह पार्टी 2014 में सत्ता में आई है। प्राथमिक सदस्यता की दृष्टि से यह विश्व का सबसे बड़ा दल है। वर्तमान में हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भी इसी पार्टी के सदस्य है।
- बहुजन समाज पार्टी:– इस पार्टी की स्थापना कांसी राम के नेतृत्व में 1984 में हुई थी। बहुजन समाज पार्टी सार्वभौमिक न्याय, स्वतंत्रता, समानता, भाईचारे के सिद्धांतों पर आधारित एक राष्ट्रीय राजनितिक दल है। इसका गठन क्रान्तिकारी सामाजिक एवं आर्थिक आंदोलन के रूप में कार्य करने के लिए किया गया है। यह दल बाबासाहेब अंबेडकर के मानवतावादी दर्शन व बौद्ध दर्शन से प्रेरित है। यह पार्टी बहुजन समाज के लिए सत्ता चाहती है। बहुजन समाज में दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग आते हैं। इस पार्टी की पकड़ उत्तर प्रदेश में बहुत अच्छी है और यह उत्तर प्रदेश में दो बार सरकार भी बना चुकी है।
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी:– को संक्षेप में माकपा भी कहते है। इस पार्टी की स्थापना 7 नवम्बर 1964 ई.एम.एस डांगे द्वारा की गयी थी। यह भारत का एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल है। इस पार्टी की मुख्य विचारधारा मार्क्स और लेनिन के सिद्धांतों पर आधारित है। यह पार्टी समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करती है। इस पार्टी को पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा में अच्छा समर्थन प्राप्त है; खासकर से गरीबों, मिल मजदूरों, किसानों, कृषक श्रमिकों और बुद्धिजीवियों के बीच। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इस पार्टी की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई है और पश्चिम बंगाल की सत्ता इसके हाथ से निकल गई है।
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी:– यह भारत का एक साम्यवादी दल है। जिसकी स्थापना 25 दिसंबर 1925 को कानपुर नगर में एम. एन. रॉय के द्वारा की गयी थी। इसके महासचिव डी. राजा है। इसकी नीतियाँ सीपीआई (एम) से मिलती-जुलती हैं। 1964 में पार्टी के विभाजन के बाद यह कमजोर हो गई। इस पार्टी को केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, आंध्र प्रदेश और तामिलनाडु में ठीक ठाक समर्थन प्राप्त है। लेकिन इसका जनाधार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से खिसका है। 2004 के लोक सभा चुनाव में इस पार्टी को 1.4% वोट मिले और 10 सीटें मिली थीं। शुरू में इस पार्टी ने यूपीए सरकार का बाहर से समर्थन किया था। लेकिन 2008 के आखिर में इसने समर्थन वापस ले लिया।
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी:– कांग्रेस पार्टी में फूट के परिणामस्वरूप 1999 में इस पार्टी का जन्म हुआ था। यह पार्टी लोकतंत्र, गांधीवाद, धर्मनिरपेक्षता, समानता, सामाजिक न्याय और संघीय ढाँचे की वकालत करती है। यह महाराष्ट्र में काफी शक्तिशाली है और इसको मेघालय, मणिपुर और असम में भी समर्थन प्राप्त है।
Loktantra mein rajnitik dalon ki avashyakta kyon hai
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नोट्स
राजनीतिक दल
क्षेत्रीय दल और राजनीतिक दलों के लिये चुनौतियाँ
क्षेत्रीय पार्टियों का उदय:
– पिछले तीन दशकों में कई क्षेत्रीय पार्टियों का महत्व बढ़़ा है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहाँ पर राष्ट्रीय स्तर के दल के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों की भी प्रधानता है। वर्तमान में भारत में 50 क्षेत्रीय दल है। जिसमे से कुछ इस प्रकार है- शिरोमणि अकाली दल, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डी.ऍम.के. तेलुगू देशम, असम गण परिषद, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, मिजोरम नेशनल फ्रंट, नागा नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी, मणिपुर पीपुल्स पार्टी, महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, सिक्किम संग्राम परिषद आदि।
राजनितिक दल ऐसे लोगों का समूह होता है। जो चुनाव लड़ने एवं सरकार में सत्ता हासिल करने के लिए एकजुट होते है तथा सामूहिक भलाई को बढ़ावा देने के लिए समाज में नीतियॉं और कार्यक्रम बनाते है। भारत में बहु-दलीय व्यवस्था है। दलों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है- राष्ट्रीय दल, राज्य दल, और स्थानीय दल आम जनता इस बात से नाराज रहती हैं कि राजनीतिक दल अपना काम ठीक ढंग से नहीं करते।
राजनीतिक दलों के लिये चुनौतियाँ:-
जनता हमेशा राजनीतिक दलों की आलोचना करती हैं। राजनीतिक दलों को अपना काम प्रभावी ढंग से चलाने के लिए कड़ी चुनौतियों का सामना करना पडता है। ये चुनौतियाँ हैं:-
- पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र का न होना:- लोकतंत्र का अर्थ है कि कोई भी फैसला लेने से पहले कार्यकर्ताओं से परामर्श किया जाये परन्तु वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता। ऊपर के कुछ नेता ही सभी फैसले ले लेते हैं। इससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी बनी रहती है। जो दोनो पार्टी और जनता के लिये हानिकारक सिद्ध हो सकती है।
- पार्टी के बीच आंतरिक चुनाव भी नहीं होते।
- पार्टी के नाम पर सारे फैसले लेने का अधिकार उस पार्टी के नेता हथिया लेते है।
वंशवाद की चुनौती:-
अधिकांश राजनीतिक दल पारदर्शी ढंग से अपना काम नहीं करते है। इसलिए उनके नेता इस बात का अनुचित लाभ उठाते हुए अपने नजदीकी लोगोंं और यहाँ तक कि अपने ही परिवार के लोगोंं को आगे बढ़़ाते है। उदाहरण- गाँधी परिवार कांग्रेस पार्टी में एक वंश परम्परा रही है तथा आज भी विद्यमान है।
पैसा और अपराधी तत्वों की बढ़़ती घुसपैठ:
– राजनितिक दलों के सामने आने वाली तीसरी चुनौती, विशेषकर चुनाव के दिनों में और अपराधिक तत्वों कि बढ़ती घुसपैठ है। चुनाव जीतने कि होड में राजनितिक दल पैसे का अनुचित प्रयोग करके अपने दल का बहुमत सिद्ध करने का प्रयत्न करती हैं। राजनितिक दल उसी उम्मीदवार को टिकट देते हैं। जिसके पास पैसा होता है, क्योंकि चुनाव में बहुत पैसा खर्च होता है। राजनितिक दल यह नहीं देखते कि वो व्यक्ति अपराधी तो नहीं है।
पार्टियों के बीच विकल्पहीनता की स्थिति:
– आज के युग में भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में राजनितिक दलों के पास विकल्प कि कमी है। उनके पास नई-नई चीजें पेश करने के लिए कुछ नहीं होता है। राजनितिक दलों में सुधार लाने के लिये विभित्र दलों की नीतियों और कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण अंतर लाना ही सार्थक विकल्प है।
- आजकल दलों के बीच वैचारिक अंतर कम होता है।
- हमारे देश में भी सभी बड़ी पार्टियों के बीच आर्थिक मामलों पर बड़ा कम अंतर रह गया है।
- जो लोग इससे अलग नीतियाँ चाहते है उनके लिए कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।
- अच्छे नेताओं की कमी।
राजनीतिक दल Class 10 questions answers
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राजनीतिक दल
राजनीतिक दलों को सुधारने के उपाय
हमारे देश की राजनीतिक पार्टियों और नेताओं में सुधार लाने के लिये कुछ निम्नलिखित उपाय नीचे दिये गये हैं:-
दलबदल कानून:-
- इस कानून को राजीव गांधी की सरकार के समय पास किया गया था। इस कानून के मुताबिक यदि कोई विधायक या सांसद पार्टी बदलता है। तो उसकी विधानसभा या संसद की सदस्यता समाप्त हो जायेगी। इस कानून से दलबदल को कम करने में काफी मदद मिली है। 1985 में 52वाँ संविघान लाकर दल-बदल कानून को रोकने की कोशिश की गयी, जो असफल रहा। दुबारा 1991 में संविधान संशोधन के द्वारा एक नया कानून लाया गया। जिसमे यदि कोई सदस्य दल-बदल करता है। तो वह सदन की सदस्यता खो देगा और किसी भी राजनीतिक पद के लिए योग्य नहीं होगा तथा अध्यक्ष का फैसला अंतिम होगा।
चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवारों के लिए बनाये गए नियम तथा कानून:-
चुनाव आयोग एक स्थायी संवैधानिक संस्था है। इसका गठन 25 जनवरी 1950 को देश में चुनाव कराने के उद्देश्य से किया गया।
नामकरण के समय संपत्ति और क्रिमिनल केस का ब्यौरा देना:-
अब चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार के लिये यह अनिवार्य हो गया है। कि वह नामांकन के समय एक शपथ पत्र दे जिसमें उसकी संपत्ति और उसपर चलने वाले क्रिमिनल केस का ब्यौरा हो। इससे जनता के पास अब उम्मीदवार के बारे में अधिक जानकारी होती है। लेकिन उम्मीदवार द्वारा दी गई सूचना की सत्यता जाँचने के लिये अभी कोई भी सिस्टम नहीं बना है।
अनिवार्य संगठन चुनाव और टैक्स रिटर्न:–
चुनाव आयोग ने अब पार्टियों के लिये संगठन चुनाव और टैक्स रिटर्न को अनिवार्य कर दिया है। राजनीतिक पार्टियों ने इसे शुरू कर दिया है। लेकिन अभी यह महज औपचारिकता के तौर पर होता है। राजनीतिक दल महिलाओं को एक खास न्यूनतम अनुपात में (करीब एक तिहाई) ज़रूर टिकट दें। इसी प्रकार दल के प्रमुख पदों पर भी औरतों के लिए आरक्षण होना चाहिए। चुनाव आयोग के राजनीतिक दलों से सम्बंधित और भी कार्य है- राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता तैयार करना, राजनीतिक दलों को पंजीकरण तथा मान्यता प्रदान करना, राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न आबंटित करना, खर्च की सीमा का निर्धारण करना तथा निगरानी करना।
चुनाव का खर्च:-
सरकार द्वारा उठाया जाये। सरकार राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने के लिए धन दे। यह मदद पेट्रोल, कागज़, फ़ोन वगैरह के रूप में भी हो सकती है या फिर पिछले चुनाव में मिले मतों के अनुपात में नकद पैसा दिया जा सकता है।
तरह उन्हें अच्छी राजनीति को लोगों तक पहुँचाने का पूरा हक है।
लोकतांत्रिक राजनीति कक्षा 10 अध्याय 4 question answer
1. राजनीतिक दल का प्रमुख गुण क्या है?
उत्तर- एक संगठित समूह होता है।
2. शासक दल से क्या आश है?
उत्तर- जिस दल का शासन हो या जिस दल की सरकार बनी हो, उसे शासक दल कहते है।
3. चीन देश में कौनसी व्यवस्था हैं?
उत्तर- एकदलीय
4. भारत के दो राष्ट्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी
5. राजनीतिक दलों में सुधार के लिए कोई दो सुझाव दें।
उत्तर- राजनीतिक दलों के आन्तरिक लोकतंत्र हेतु कानून बनाया जाये, चुनाव का खर्च सरकार उठाये।
6. राजनीतिक दल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर- राजनीतिक दल लोगों का एक ऐसा राजनैतिक संगठित समूह है जो संवैधानिक उपायों द्वारा सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहता है।
7. किसी एक प्रांतीय दल का नाम लिखें।
उत्तर- सिक्किम लोकतांत्रिक मोर्चा, मिजो नेशनल फ्रंट बीजू जनता दल या कोई अन्य।
8. भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धांत क्या है?
उत्तर- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद या हिंदुत्व एक प्रमुख तत्व है।
9. किसी देश के लिए कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका कौन निभाता है?
उत्तर- राजनीतिक दल
10. राजनीतिक दलों के कार्य लिखिए।
उत्तर- राजनीतिक दलों के कार्य है –
चुनाव लड़ना
कानून बनाना
सरकार बनाना व चलाना
विपक्ष की भूमिका
NCERT Class 6 to 12 Notes in Hindi
प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको Class 10 Science Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Notes PDF in Hindi कक्षा 10 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 10 Vigyan Ke Notes PDF
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Author: NCERT
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