10 Class Science Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण notes
Class 10 science Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण notes in hindi. जिसमे हम रासायनिक अभिक्रिया , रासायनिक समीकरण ,द्रव्यमान संरक्षण का नियम, रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार , संयोजन अभिक्रिया , वियोजन अभिक्रिया , विस्थापन अभिक्रिया , ऊष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी , ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया आदि के बारे में जानेगे
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | विज्ञान |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण |
Category | Class 10 Science Notes |
Medium | Hindi |
भौतिक एवं रासायनिक अभिक्रिया
भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
भौतिक परिवर्तन – वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के भौतिक गुणों में परिवर्तन होता हैं परन्तु रासायनिक गुणों में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं, उसे भौतिक परिवर्तन कहते हैं।
उदाहरण – बल्ब जलना, जल में नमक का घोलना, मोम का पिघलना, जल का वाष्पीकरण, फलों से सलाद बनाना,मक्खन का बर्तन में पिघलना
रासायनिक परिवर्तन – वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के रासायनिक गुणों में परिवर्तन होता है परन्तु भौतिक गुणों में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं, उसे रासायनिक परिवर्तन कहते हैं।
उदाहरण – दूध से दही बनना, लोहे पर जंग लगना, आयरन तथा सल्फर से आयरन सल्फाइड, लकडी और कागज का जलना
क्र.स. | भौति क परिवर्तन | रासायनिक परिवर्तन |
1. | पदार्थ के केवल भौतिक गुणों जैसे अवस्था, आकार आदि में परिवर्तन होता है। | इस परिवर्तन में बनने वाले पदार्थ के रासायनिक गुणों तथा संघटन में प्रारम्भिक पदार्थ से पूर्णतया भिन्न होता है। |
2. | यह परिवर्तन अस्थायी होता है | यह परिवर्तन स्थायी होता है । |
3. | इसमें नये पदार्थ का निर्माण नही होता है। | इसमें नये पदार्थ का निर्माण होता है। |
4. | इसमें पुन: प्रारम्भिक पदार्थ प्राप्त हो सकता है। | इसमें पुन: प्रारम्भिक पदार्थ प्राप्त नहीं कर सकते है । |
5. | उदाहरण :- जल का वाष्पीकरण, फलों से सलाद बनाना | उदाहरण :- लोहे पर लंग लगना, दूध से दही बनना |
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रासायनिक अभिक्रिया
- ऐसे परिवर्तन जिसमें नए गुणों वाले पदार्थो का निर्माण होता हैं, उसे रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं अथवा रासायनो से सम्बन्धित अभिक्रिया को रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं।
- ऐसे पदार्थ जो किसी रासायनिक अभिक्रिया में हिस्सा लेते हैं उन्हें अभिकारक कहते हैं।
- ऐसे पदार्थ जिनका निर्माण रासायनिक अभिक्रिया में होता हैं, उन्हें उत्पाद कहते हैं।
उदाहरण :-
- भोजन का पाचन
- श्वसन
- लोहे पर जंग लगना
- मैग्नीशियम फीते का जलना
- दुध से दही बनना
- भोजन को पकाने की प्रक्रिया
रासायनिक अभिक्रिया को पहचानने के तरीके :-
- अवस्था में परिवर्तन
- रंग में परिवर्तन
- तापमान में परिवर्तन
- गैस का उत्सर्जन
अवस्था में परिवर्तन :- रासायनिक अभिक्रिया में अवस्थाओं का परिवर्तन होता हैं। मैग्नीशियम फीते (रिबन) को ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाने पर मैग्नीशियम चूर्ण का निर्माण होता हैं।
2Mg + O2 ⟶ 2MgO
रंग में परिवर्तन :- रासायनिक अभिक्रिया में रंग का परिवर्तन होता हैं। कॉपर सल्फेट का विलयन का रंग नीला होता हैं परन्तु लोहें की कीले डालने पर उसका रंग भूरा हो जाता हैं। अत: रासायनिक अभिक्रिया में रंग का परिवर्तन होता हैं।
CuSO4 + Fe ⟶ FeSO4 + Cu
तापमान में परिवर्तन :- रासायनिक अभिक्रिया में ताप का परिवर्तन होता हैं। तनु सल्फ्युरिक अम्ल में दानेदार जिंक डालने पर पात्र गर्म हो जाता हैं। अत: अभिक्रिया में तापमान का परिवर्तन हुआ।
गैस का उत्सर्जन :- रासायनिक अभिक्रिया में गैस का उत्सर्जन होता हैं। तनु सल्फ्युरिक अम्ल में दानेदार जिंक डालने पर हाइड्रोजन गैस बाहर निकलती हैं।
H2SO4 + Zn ⟶ ZnSO4 + H2
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रासायनिक समीकरण
किसी भी रासायनिक अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण के द्वारा दर्शाया जाता हैं। रासायनिक समीकरण में तत्वों के प्रतीकों का उपयोग किया जाता हैं। अभिकारक और उत्पादों के रासायनिक सूत्र को उनकी भौतिक अवस्था के साथ लिखते हैं।
रासायनिक समीकरण में आवश्यक परिस्थितियाँ जैसे-ताप, दाब, उत्प्रेरक आदि को तीर के निशान के ऊपर या नीचे दर्शाया जाता हैं।
रासायनिक अभिक्रिया को संतुलित करना :-
द्रव्यमान संरक्षण का नियम
– किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो निर्माण होता हैं न ही विनाश अर्थात् द्रव्यमान संरक्षित रहता हैं।
रासायनिक समीकरण को लिखने का तरीका –
1. अभिकारक – ऐसे पदार्थ जो किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं, उन्हें अभिकारक कहते हैं। यह तीर के निशान के बायीं और लिखा जाता हैं।
2. उत्पाद – ऐसे पदार्थ जिनका निर्माण रासायनिक अभिक्रिया में होता हैं, उन्हें उत्पाद कहते हैं। यह तीर के निशान के दायीं और लिखा जाता हैं।3. उत्प्रेरक – वह पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता हैं परन्तु अभिक्रिया के वेग की दर को परिवर्तित कर देता हैं, उसे उत्प्रेरक कहते हैं। यह तीर के निशान के ऊपर लिखा जाता हैं।
परमाणु | अभिकारक में परमाणु की संख्या | उत्पाद में परमाणु की संख्या |
C | 1 | 1 |
O | 2 | 2 |
2. असंतुलित समीकरण या कं काली रासायनिक स मीकरण :- जब किसी रासाय निक अभिक्रिया में अभि का रक और उत्पाद के प र माणुओं की संख्या तथा उनका परमाणु भार एक समान नहीं होता हैं, उसे असंतुलि त समीकरण या कंकाली रासायनिक समीकरण कहते हैं।
परमाणु | अभिकारक में परमाणु की संख्या | उत्पाद में परमाणु की संख्या |
C | 1 | 1 |
O | 1 | 2 |
रासायनिक समीकरणों को संतुलित करना
हिट एण्ड ट्रायल विधि :
– रासायनिक समीकरणों को संतुलित करने की विधि को हिट एण्ड ट्रायल विधि कहते हैं।
इस विधि के द्वारा असंतुलित समीकरण को संतुलित समीकरण में परिवर्तित किया जाता हैं।
असंतुलित रासायनिक समीकरण –
H2 + O2 ⟶ H2Oचरण 1 :- रासायनिक समीकरण लिखकर, प्रत्येक सूत्र के चारों ओर बॉक्स बनाना।
चरण 2 :- समीकरण में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या को नोट करना –
तत्व | अभिकारकों में परमाणु की संख्या | उत्पाद में परमाणुओं की सं ख्या |
H | 2 | 2 |
O | 2 | 1 |
चरण 3 :- सबसे अधिक परमाणु वाले तत्व को अभिकारक या उत्पाद की तरफ उचित गुणांक लगाकर संतुलित करना।
ऑक्सीजन को संतुलित करना
तत्व | अभिकारकों में परमाणु की संख्या | उत्पाद में परमाणुओं की संख्या |
O | 2 | 1 X 2 |
O | 2 | 2 |
चरण 4:- चरण -3 की भांति
हाइड्रोजन को संतुलित करना
परमाणु | अभिकारकों में परमाणु की संख्या | उत्पाद में परमाणुओं की संख्या |
H | 2 X 2 | 4 |
H | 4 | 4 |
चरण 5 :- 2 H2 + O2 ⟶ 2H2O यह संतुलित समीकरण हैं ।
ठोस – (S)
द्रव – (ℓ)
गैसीय अवस्था – (g)
जलीय विलयन – (aq)
कुछ आवश्यक परिस्थितियाँ जैसे – ताप, दाब या उत्प्रेरक आदि को भी तीर के निशान के ऊपर या नीचे लिखा जाता हैं ।
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रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार
संयोजन अभिक्रिया
संयोजन का अर्थ होता है – जुड़ना।परिभाषा – ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ आपस में संयोग करके एक ही उत्पाद बनाते हैं, उसे संयोजन अभिक्रिया कहते हैं। इसे योगात्मक या संयुग्मन अभिक्रिया भी कहा जाता है।
उदाहरण :-
1. कोयले का दहन
C(s) + O2 (g) → CO2(g)
2. जल का निर्माण
2H2(g) + O2(g) → 2H2O (ℓ)
3. (बिना बुझा चूना) (बुझा हुआ चूना)
CaO(s)+H2O(ℓ)→Ca(OH)2(aq)
4. मैग्नीशियम फीते का दहन
2Mg(s)+O2( g)→2MgO(s)
वियोजन अभिक्रिया :-
वियोजन का अर्थ होता है – ‘टूटना’।परिभाषा – ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें एक अभिकारक अपघटित होकर अर्थात् टूट कर दो या दो से अधिक उत्पाद बनाते हैं, उसे वियोजन अभिक्रिया कहते हैं। इसे अपघटन अभिक्रिया भी कहा जाता है।
1. ऊष्मीय वियोजन या तापीय वियोजन :- ऊष्मा द्वारा किया गया वियोजन।
उदाहरण :-
2. वैद्युत वियोजन :- विद्युत धारा प्रवाहित करने पर वियोजन।
उदाहरण :-
3. प्रकाशीय वियोजन :- सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होने वाला वियोजन।
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया और ऊष्माशोषी अभिक्रिया
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया :- जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा का भी उत्सर्जन होता हैं, उसे ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण :-
1. शाक-सब्जियों का विघटित होकर कंपोस्ट बनना ।
2. श्वसन की प्रक्रिया ।
3. प्राकृतिक गैस का दहन –
CH4( g)+2O2(g)→CO2(g)+2H2O(g)
ऊष्माशोषी अभिक्रिया :- जिन अभिक्रियाओं में अभिकारकों को तोड़ने के लिए ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं, उसे ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण :-
2NO → N2 + O2 – ऊष्मा
उत्क्रमणीय – अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ :-
उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ – ऐसी अभिक्रिया जिसमें अभिकारक अभिक्रिया करके उत्पाद बनाते हैं, उसी समय उन्हीं परिस्थितियों में उत्पाद भी अभिक्रिया करके अभिकारकों का निर्माण करते हैं, उत्क्रमणीय अभिक्रिया कहलाती हैं।
- ये अभिक्रिया दोनों दिशाओं में होती हैं।
- अभिकारकों की मात्रा शून्य नहीं होती हैं। कभी भी इन अभिक्रियाओं में
(i) A+B ⟶ C+D (अग्र अभिक्रिया)
(ii) C+D ⟶ A+B (प्रतीप अभिक्रिया या पश्च अभिक्रिया)
उदाहरण :-
अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया – ऐसी अभिक्रिया जिसमें अभिकारक क्रिया करके उत्पाद बनाते हैं परन्तु उत्पाद पुन: अभिक्रिया करके अभिकारक नहीं बनाता है, उसे अनुत्कमणीय अभिक्रिया कहते हैं।
- ये केवल एक ही दिशा में होती हैं।
उदाहरण :-
C+O2 ⟶ CO2
CH4 + 2O2 ⟶ CO2 + 2H2O
अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया – ऐसी अभिक्रिया जिसमें अभिकारक क्रिया करके उत्पाद बनाते हैं परन्तु उत्पाद पुन: अभिक्रिया करके अभिकारक नहीं बनाता है, उसे अनुत्कमणीय अभिक्रिया कहते हैं।
- ये केवल एक ही दिशा में होती हैं।
उदाहरण :-
C+O2 ⟶ CO2
CH4 + 2O2 ⟶ CO2 + 2H2O
विस्थापन अभिक्रिया एवं द्विविस्थापन अभिक्रियाविस्थापन अभिक्रिया :
– ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिनमें एक अभिकारक में उपस्थित परमाणु या परमाणु का समूह दूसरे अभिकारक के परमाणु या परमाणु समूह द्वारा विस्थापित हो जाता हैं, उसे विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं ।
अथवा
अभिक्रियाओं में अधिक क्रियाशील तत्व कम क्रियाशील तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता हैं।
Fe(s)+CuSO4(aq)⟶FeSO4(aq)+Cu(s) Zn(s)+CuSO4(aq)⟶ZnSO4(aq)+Cu(s)
कॉपर सल्फेट (CuSO4) के नीले रंग के विलयन में लोहे की कीले डालने पर उसका नीला रंग विलुप्त हो जाता है। लोहे की कील पर भूरे रंग की कॉपर की परत जम जाती है। CuSO4 के नीले विलयन का रंग हरा FeSO4 के निर्माण के कारण हो जाता है ।
द्विविस्थापन अभिक्रिया :- इस अभिक्रिया में उत्पादों का निर्माण, दो यौगिकों के बीच आयनों के आदान- प्रदान से होता हैं।
उदासीनीकरण अभिक्रिया :-
अम्ल और क्षार परस्पर क्रिया करके लवण व जल का निर्माण करता है उसे उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं। यह एक द्विविस्थापन अभिक्रिया है
अवक्षेपण अभिक्रिया :- किसी द्विविस्थापन रासायनिक अभिक्रिया में सोडियम सल्फेट तथा बेरियम क्लोराइड की क्रिया कराने पर बेरियम सत्फेट (BaSO4) के साथ सफेद अविलेय अवक्षेप का निर्माण होता हैं, इसीलिए इस अभिक्रिया को अवक्षेपण अभिक्रिया भी कहते हैं।
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उपचयन एवं अपचयन :-
उपचयन या ऑक्सीकरण :-
(i) जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि होती हैं।
(ii) जब किसी पदार्थ में हाइड्रोजन का ह्यस होता हैं।
(iii) जिसमें परमाणु, आयन या अणु इलेक्ट्रॉन त्यागता है।
(iv) विद्युत ऋणी तत्वों का संयोग।
(v) विद्युत धनी तत्वों का निष्कासन।
उदाहरण :-
(a) C + O2 ⟶ CO2
(b) 2Cu + O2 ⟶ 2CuO
(c) 2Mg + O2 ⟶ 2 MgO
(d) Na ⟶ Na + + e-
अपचयन :-
1. जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का ह्यस होता है।
2. जब किसी पदार्थ में हाइड्रोजन की वृद्धि होती है।
3. जिसमें परमाणु, आयन या अणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है।
4. विद्युत ऋणी तत्वों का निष्कासन ।
5. विद्युत धनी तत्वों का संयोग ।
उदाहरण :-
2MgO ⟶ 2 Mg + O2
Cl + e– ⟶ Cl–रेडॉक्स या अपोपचय अभिक्रिया :- वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रियाएँ साथ-साथ चलती हैं अर्थात् ऑक्सीकरण अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन निष्कासित होते हैं तथा अपचयन अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन ग्रहण किए जाते हैं, इसे अभिक्रिया को रेडॉक्स या अपोपचय अभिक्रिया कहते है।
ऑक्सीकारक:- वह पदार्थ जो दूसरे पदार्थो का ऑक्सीकरण एवं स्वयं का अपचयन करते हैं, उसे ऑक्सीकारक कहते हैं।अपचायक :- वह पदार्थ जो दूसरे पदार्थो का अपचयन एवं स्वयं का ऑक्सीकरण करते हैं, उसे अपचायक कहते हैं।
उपरोक्त समीकरण में CuO का ऑक्सीकारक एवं H2 का अपचायक हुआ
दैनिक जीवन में उपचयन अभिक्रियाओं का प्रभाव :-
(i) संक्षारण :- जब कोई धातु, ऑक्सीजन आर्द्रता, अम्ल आदि के सम्पर्क में आती हैं, जिससे धातु की ऊपरी परत संक्षारित हो जाती हैं।
• लोहे की वस्तुओं पर जंग लगना, चाँदी के ऊपर काली परत व ताँबे के ऊपर हरी परत चढ़ना संक्षारण के उदाहरण हैं।
चाँदी वायुमंडल में उपस्थित सल्फर के साथ क्रिया करके उस पर काली परत का निर्माण होता हैं ।
ताँबा वायुमंडल में उपस्थित कॉर्बनडाई ऑक्साइड के साथ क्रिया करके उसके ऊपर हरी परत का निर्माण होता हैं।
• यशदलेपन, विद्युत लेपन और पेन्ट करके संक्षारण से धातुओं को बचाया जा सकता हैं ।
यशदलेपन :- लोहें की वस्तुओं को जंग से बचाने के लिए जिंक की परत चढाई जाती हैं, जिसे यशदलेपन या गैल्वनीकरण कहा जाता हैं।
(ii) विकृतगंधिता :- वसायुक्त और तैलीय खाद्यसामग्री, वायु के सम्पर्क में आने पर उपचयित हो जाते हैं जिससे उनके स्वाद और गंध में परिवर्तन हो जाता हैं इसे विकृतगंधिता कहते हैं।
• प्रति ऑक्सीकारक का उपयोग करके
• वायुरोधी बर्तन में खाद्य सामग्री रखकर
• वायु के स्थान पर नाइट्रोजन गैस द्वारा
• शीतलन द्वारा
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