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Class 10 science Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Notes in Hindi
📚 Chapter = 4 📚
💠 कार्बन एवं उसके यौगिक💠
Class 10 विज्ञान कार्बन एवं उसके यौगिक
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | विज्ञान |
Chapter | Chapter 4 |
Chapter Name | कार्बन एवं उसके यौगिक |
Category | Class 10 Science Notes |
Medium | Hindi |
अध्याय एक नजर में Class 10 Science Chapter 4 PDF
कार्बन में आबंधन-सहसंयोजी आबंध
हमने देखा है कि आयनिक यौगिकों के गलनांक एवं क्वथनांक उच्च होते हैं तथा ये विलयन में अथवा गलित अवस्था में विद्युत चालन करते हैं। हमने देखा कि आयनिक यौगिकों में आबंधन की प्रकृति इन गुणधर्मों की व्याख्या करती है।
जैसा कि हमने देखा, अधिकांश कार्बन यौगिक अच्छे विद्युत चालक नहीं होते हैं। उपरोक्त यौगिकों के क्वथनांक एवं गलनांकों जो कि आयनिक यौगिकों के क्वथनांक तथा गलनांक की तुलना में काफ़ी कम है (अध्याय) के आँकड़ों (सारणी) के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि इन परमाणुओं के बीच प्रबल आकर्षण बल नहीं है।
चूँकि अधिकांशत: ये यौगिक विद्युत के कुचालक होते हैं, अतः हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि इन यौगिकों के आबंधन से किसी आयन की उत्पत्ति नहीं होती।
यौगिक | गलनांक (K) | क्वथनांक (K) |
एसीटिक एसिड (CH3COOH) | 290 | 391 |
क्लोरोफॉर्म (CHCl3) | 209 | 334 |
एथेनॉल (CH3CH2OH) | 156 | 351 |
मेथेन (CH4) | 90 | 111 |
बाहरी कोश को पूरी तरह से भर देने अर्थात उत्कृष्ट गैस विन्यास को प्राप्त करने की प्रवृत्ति के आधार पर तत्वों की अभिक्रियाशीलता समझायी जाती है।
आयनिक यौगिक बनाने वाले तत्व सबसे बाहरी कोश से इलेक्ट्रॉन प्राप्त करके या उनका ह्रास करके इसे प्राप्त करते हैं। कार्बन के सबसे बाहरी कोश में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं तथा उत्कृष्ट गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिए इसको चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने या खोने की आवश्यकता होती है। यदि इन्हें इलेक्ट्रॉनों को प्राप्त करना या खोना हो तो:
- ये चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर C4- ॠणायन बना सकता है। लेकिन छः प्रोटॉन वाले नाभिक के लिए दस इलेक्ट्रॉन, अर्थात चार अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन धारण करना मुश्किल हो सकता है।
- ये चार इलेक्ट्रॉन खो कर C4+ धनायन बना सकता है। लेकिन चार इलेक्ट्रॉनों को खो कर छः प्रोटॉन वाले नाभिक में केवल दो इलेक्ट्रॉनों का कार्बन धनायन बनाने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी।
कार्बन अपने अन्य परमाणुओं अथवा अन्य तत्वों के परमाणुओं के साथ संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी करके इस समस्या को सुलझा लेता है। केवल कार्बन ही नहीं बल्कि अनेक अन्य तत्व भी इसी प्रकार इलेक्ट्रॉन की साझेदारी करके अणुओं का निर्माण करते हैं।
जिन इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी की जाती है वे दोनों परमाणुओं के बाहरी कोश के ही होते हैं, तथा इनके फलस्वरूप दोनों ही परमाणु उत्कृष्ट गैस विन्यास की स्थिति को प्राप्त करते हैं। कार्बन के यौगिकों की चर्चा करने से पहले इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बने कुछ सामान्य अणुओं को समझते हैं।
इस तरह से बने अणुओं में सबसे सामान्य अणु हाइड्रोजन का है। जैसा कि हमने पहले अध्ययन किया है, हाइड्रोजन की परमाणु संख्या 1 है। अत: इसके K कोश में एक इलेक्ट्रॉन है तथा K कोश को भरने के लिए इसको एक और इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है।
इसलिए हाइड्रोजन के दो परमाणु अपने इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी करके हाइड्रोजन का अणु, H2 बनाते हैं। परिणामस्वरूप हाइड्रोजन का प्रत्येक अणु अपने निकटतम उत्कृष्ट गैस, हीलियम के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को प्राप्त करता है, जिसके K कोश में दो इलेक्ट्रॉन होते हैं। संयोजकता इलेक्ट्रॉन दर्शाने के लिए हम बिंदुओं अथवा क्रॉस का उपयोग कर सकते हैं ।
इलेक्ट्रॉन के सहभागी युग्म हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के बीच सहसंयोजी एक आबंध बनाते हैं। इस आबंध को दो परमाणुओं के बीच एक रेखा के द्वारा भी व्यक्त किया जाता है जैसा कि चित्र (ii) में दिखाया गया है।
क्लोरीन की परमाणु संख्या 17 है। क्लोरीन द्विपरमाणुक अणु, Cl2 बनाती है। केवल संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉन को ही चित्रित करने की आवश्यकता होती है।
ऑक्सीजन के दो परमाणुओं के बीच द्विआबंध का बनना दिखाई देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऑक्सीजन के परमाणु के L कोश में छः इलेक्ट्रॉन होते हैं (ऑक्सीजन की परमाणु संख्या आठ है) तथा इसे अष्टक पूरा करने के लिए दो और इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
अतः ऑक्सीजन का प्रत्येक परमाणु ऑक्सीजन के अन्य परमाणु के साथ दो इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी करता है, जिससे हमें चित्र (iii) के अनुसार संरचना प्राप्त होती है। ऑक्सीजन के प्रत्येक परमाणु के द्वारा प्रदान किए गए दो इलेक्ट्रॉनों से इलेक्ट्रॉनों के दो सहभागी युग्म प्राप्त होते हैं। इसे दो परमाणुओं के बीच द्विआबंध बनना कहते हैं।
नाइट्रोजन की परमाणु संख्या 7 है। अष्टक प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन के एक अणु में नाइट्रोजन का प्रत्येक परमाणु तीन इलेक्ट्रॉन देता है, जिससे इलेक्ट्रॉन के तीन सहभागी युग्म प्राप्त होते हैं। इसे दो परमाणुओं के बीच त्रिआबंध का बनना कहा जाता है। N2 की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना तथा इसके त्रिआबंध को चित्र (iv) के अनुसार दर्शाया जा सकता है।
अगर हम मेथेन को देखते हैं जो कार्बन का यौगिक है। ईंधन के रूप में मेथेन का अधिकाधिक उपयोग होता है तथा यह बायोगैस एवं संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) का प्रमुख घटक है। यह कार्बन के सर्वाधिक सरल यौगिकों में से एक है।
मेथेन का सूत्र CH4 है। हाइड्रोजन की संयोजकता 1 है, कार्बन चतुःसंयोजक है क्योंकि इसमें चार संयोजकता इलेक्ट्रॉन होते हैं। उत्कृष्ट गैस विन्यास की स्थिति को प्राप्त करने के लिए कार्बन इन इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी हाइड्रोजन के चार परमाणुओं के साथ करता है, जैसा कि चित्र (v) में दिखाया गया है।
इस प्रकार दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के एक युग्म की साझेदारी के द्वारा बनने वाले आबंध सहसंयोजी आबंध कहलाते हैं। सहसंयोजी आबंध वाले अणुओं में भीतर तो प्रबल आबंध होता है, लेकिन इनका अंतराअणुक बल दुर्बल होता है।
फलस्वरूप इन यौगिकों के क्वथनांक एवं गलनांक कम होते हैं। चूँकि परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है और आवेशित कण बनते हैं; सामान्यतः ऐसे मेथेन की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना सहसंयोजी यौगिक विद्युत के कुचालक होते हैं।
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कार्बन की सर्वतोमुखी प्रकृति
सहसंयोजी बंध की प्रकृति के कारण कार्बन में बड़ी संख्या में यौगिक बनाने की क्षमता होती है। कार्बन में दो कारक देखे गए हैं:
- कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है जिससे बड़ी संख्या मे अणु बनते हैं। इस गुण को शृंखलन (catenation) कहते हैं। इन यौगिकों में कार्बन की लंबी शृंखला, कार्बन की विभिन्न शाखाओं वाली शृंखला अथवा वलय में व्यवस्थित कार्बन भी पाए जाते हैं। साथ ही, कार्बन के परमाणु एक, द्वि अथवा त्रि आबंध से जुड़े हो सकते हैं।
- कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एक आबंध से जुड़े कार्बन के यौगिक संतृप्त यौगिक कहलाते हैं। द्वि- अथवा त्रि-आबंध वाले कार्बन के यौगिक असंतृप्त यौगिक कहलाते हैं। कार्बन यौगिकों में जिस सीमा तक शृंखलन का गुण पाया जाता है वह किसी और तत्व में नहीं मिलता।
- सिलिकॉन हाइड्रोजन के साथ यौगिक बनाते हैं जिनमें सात या आठ परमाणुओं तक की शृंखला हो सकती है, लेकिन यह यौगिक अति अभिक्रियाशील होते हैं। कार्बन-कार्बन आबंध अत्यधिक प्रबल होता है, अतः यह स्थायी होता है। फलस्वरूप अनेक कार्बन परमाणुओं के साथ आपस में जुड़े हुए अनेक यौगिक प्राप्त होते हैं।
- चूँकि कार्बन की संयोजकता चार होती है, अतः इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य एक संयोजक तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फ़र, क्लोरीन तथा अनेक अन्य तत्वों के साथ कार्बन के यौगिक बनते हैं, फलस्वरूप ऐसे विशेष गुण वाले यौगिक बनते हैं जो अणु में कार्बन के अतिरिक्त उपस्थित तत्व पर निर्भर करते हैं।
- अधिकतर अन्य तत्वों के साथ कार्बन द्वारा बनाए गए आबंध अत्यंत प्रबल होते हैं जिनके फलस्वरूप ये यौगिक अतिशय रूप में स्थायी होते हैं। कार्बन द्वारा प्रबल आबंधों के निर्माण का एक कारण इसका छोटा आकार भी है। इसके कारण इलेक्ट्रॉन के सहभागी युग्मों को नाभिक मज़बूती से पकड़े रहता है। बड़े परमाणुओं वाले तत्वों से बने आबंध तुलना में अत्यंत दुर्बल होते हैं।
संतृप्त एवं असंतृप्त कार्बन यौगिक
मेथेन की संरचना हम पहले ही समझ चुके हैं। कार्बन एवं हाइड्रोजन से बनने वाला अन्य यौगिक एथेन है जिसका सूत्र C2H6 है। सरल कार्बन यौगिकों की संरचना प्राप्त करने के लिए सबसे पहले कार्बन के परमाणुओं को एक आबंध के द्वारा आपस में जोड़ा जाता है तथा फिर कार्बन की शेष संयोजकता को संतुष्ट करने के लिए हाइड्रोजन के परमाणुओं का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, निम्न चरणों में एथेन की संरचना को प्राप्त किया जाता है:
चरण 1: एक आबंध के द्वारा जुड़े कार्बन परमाणु
C-C
प्रत्येक कार्बन परमाणु की तीन संयोजकता असंतुष्ट रहती है, अतः प्रत्येक का आबंध तीन हाइड्रोजन परमाणुओं के साथ किया जाता है जिससे निम्न प्राप्त होता है:
चरण 2: तीन हाइड्रोजन परमाणुओं से जुड़े प्रत्येक कार्बन परमाणु
किंतु कार्बन एवं हाइड्रोजन के एक अन्य यौगिक का सूत्र C2H4 है जिसे एथीन कहते हैं। इस अणु को कैसे चित्रित करने के लिए हम पहले जैसी चरणबद्ध विधि अपनाएँगे।
चरण 1: C – C
एक आबंध के द्वारा जुड़े कार्बन परमाणु (चरण 1)
चरण 2:
हम देखते हैं कि प्रति कार्बन परमाणु की एक संयोजकता असंतुष्ट रहती है (चरण 2)। इसको तभी संतुष्ट किया जा सकता है जब दो कार्बनों के बीच द्विआबंध हो (चरण 3) जिससे हमें निम्न प्राप्त हो:
नीचे दिए गए चित्र में एथीन की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना दी गई है।
हाइड्रोजन एवं कार्बन के एक अन्य यौगिक का सूत्र C2H2 है जिसे एथाइन कहते हैं। कार्बन परमाणुओं के बीच इस प्रकार द्वि- या त्रि-आबंध वाले कार्बन यौगिकों को कार्बन यौगिक कहते हैं तथा ये संतृप्त कार्बन यौगिकों की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील होते हैं।
शृंखलाएँ, शाखाएँ एवं वलय
पिछले खंड में हमने क्रमश: 1, 2 तथा 3 कार्बन परमाणुओं वाले कार्बन यौगिकों मेथेन, एथेन तथा प्रोपेन की चर्चा की। कार्बन परमाणुओं की इस प्रकार की शृंखलाओं में दसों कार्बन परमाणु हो सकते हैं।
कार्बन परमाणु की संख्या | नाम | सूत्र | सरंचना |
1 | मेथेन | CH4 | |
2 | एथेन | C2H6 | |
3 | प्रोपेन | C3H8 | |
4 | ब्यूटेन | C4H10 | |
5 | पेन्टेन | C5H12 | |
6 | हेक्सेन | C6H14 |
किंतु ब्यूटेन पर पुनर्विचार करें। यदि हम चार कार्बन परमाणुओं से कार्बन ‘कंकाल’ बनाएँ तो हमें पता चलता है कि दो विभिन्न ‘कंकाल’ बन सकते हैं:
C – C – C – C
शेष संयोजकता के स्थान पर हाइड्रोजन भरने से हमें निम्नलिखित प्राप्त होता है:
C4H10 सूत्र से दो संरचनाओं के लिए संपूर्ण अणु
हम देखते हैं कि इन दोनों संरचनाओं में एक ही सूत्र C4H10 है। समान आणविक सूत्र लेकिन विभिन्न संरचाओं वाले ऐसे यौगिक संरचनात्मक समावयन कहलाते हैं।
सीधी तथा शाखाओं वाली कार्बन शृंखलाओं के अतिरिक्त कुछ यौगिकों में कार्बन के परमाणु वलय के आकार में व्यवस्थित होते हैं। जैसे, साइक्लोहेक्सेन का सूत्र C6H12 है तथा उसकी संरचना निम्न है:
सीधी शृंखला, शाखित शृंखला तथा चक्रीय कार्बन यौगिक सभी संतृप्त अथवा असंतृप्त यौगिक हो सकते हैं। जैसे, बेन्जीन (C6H6) की संरचना निम्न है:
बेन्जीन – C6H6
बेन्जीन की संरचना
केवल कार्बन एवं हाइड्रोजन वाले ये सभी कार्बन यौगिक हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। इनमें से संतृप्त हाइड्रोकार्बन ‘ऐल्केन’ कहलाते हैं। ऐसे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें एक या अधिक दोहरे आबंध होते हैं ‘ऐल्कीन’ कहलाते हैं। एक या अधिक त्रि-आबंध वाले ‘ऐल्काइन’ कहलाते हैं।
Ncert Class 10 science Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Notes
कार्बन अत्यंत मैत्रीपूर्ण तत्व है। अभी तक हमने कार्बन तथा हाइड्रोजन के यौगिकों की चर्चा की। लेकिन कार्बन अन्य तत्वों; जैसे-हैलोजेन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा सल्फ़र के साथ भी आबंध बनाता है। हाइड्रोकार्बन शृंखला में यह तत्व एक या अधिक हाइड्रोजन को इस प्रकार प्रतिस्थापित करते हैं कि कार्बन की संयोजकता संतुष्ट रहती है। ऐसे यौगिकों में हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करने वाले तत्वों को विषम परमाणु कहते हैं। यह विषम परमाणु कुछ प्रकार्यात्मक समूहों में भी उपस्थित होते हैं, जैसा कि नीचे दिए गई सारणी में दिया गया है। यह विषम परमाणु और वे प्रकार्यात्मक समूह जिनमें यह उपस्थित होते हैं, यौगिकों को विशिष्ट गुण प्रदान करते हैं। यह गुण कार्बन श्रृंखला की लम्बाई और प्रकृति पर निर्भर नहीं होते, फलस्वरूप यह प्रकार्यात्मक समूह (Functional group) कहलाते हैं। सारणी में कुछ महत्वपूर्ण प्रकार्यात्मक समूह दिए गए हैं। एकल रेखा के द्वारा समूह की मुक्त संयोजकता अथवा संयोजकताएँ दर्शायी गई हैं। हाइड्रोजन के एक या अधिक अणुओं को प्रतिस्थापित करके इस संयोजकता के द्वारा प्रकार्यात्मक समूह कार्बन शृंखला से जुड़े रहते हैं।
कार्बन यौगिकों में कुछ प्रकार्यात्मक समूह
विषम परमाणु | यौगिकों का प्रकार | प्रकार्यात्मक समूह का फॉर्मूला |
Cl/Br | हैलो – (क्लोरो / ब्रोमो) ऐल्केन | -Cl, -Br |
ऑक्सीजन | 1. ऐल्कोहॉल | -OH |
| 2. ऐल्डिहाइड | |
| 3. कीटोन | |
| 4. कार्बोक्सिलिक अम्ल |
समजातीय श्रेणी
कार्बन परमाणुओं को आपस में जोड़कर विभिन्न लंबाई की शृंखलाएँ बनाई जा सकती हैं। ये शृंखलाएँ शाखित भी हो सकती हैं। साथ ही, इन कार्बन शृंखलाओं में स्थित हाइड्रोजन तथा अन्य परमाणुओं को उपरोक्त किसी भी प्रकार्यात्मक समूहों से प्रतिस्थापित किया जा सकता है। एल्कोहॉल जैसे प्रकार्यात्मक समूह की उपस्थिति कार्बन यौगिक के गुणधर्मों को तय करती है, चाहे कार्बनशृंखला की लंबाई कुछ भी हो। जैसे, CH3OH, C2H5OH, C3H7OH तथा C4H9OH के रासायनिक गुणधर्मों में अत्यधिक समानता है। अतः यौगिकों की ऐसी शृंखला जिसमें कार्बन शृंखला में स्थित हाइड्रोजन को एक ही प्रकार का प्रकार्यात्मक समूह प्रतिस्थापित करता है, उसे समजातीय श्रेणी कहते हैं।
यदि हम उत्तरोत्तर यौगिकों के सूत्रों को देखें, जैसे:
CH4 तथा C2H6 – इनमें एक – CH2 – इकाई का अंतर है
C2H6 तथा C3H8 – इनमें एक -CH2 – इकाई का अंतर है
जब किसी समजातीय श्रेणी में आणविक द्रव्यमान बढ़ता है तो भौतिक गुणधर्मों में क्रमबद्धता दिखाई देती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आणविक द्रव्यमान के बढ़ने के साथ गलनांक एवं क्वथनांक में वृद्धि होती है। किसी विशेष विलायक में विलेयता जैसे भौतिक गुणधर्म भी इसी प्रकार की क्रमबद्धता दर्शाते हैं। किंतु पूर्ण रूप से प्रकार्यात्मक समूह के द्वारा सुनिश्चित किए जाने वाले रासायनिक गुण समजातीय श्रेणी में एकसमान बने रहते हैं।
कार्बन यौगिकों की नामपद्धति
किसी समजातीय श्रेणी में यौगिकों के नामों का आधार बेसिक कार्बन की उन मूल शृंखलाओं पर आधारित होता है जिनको प्रकार्यात्मक समूह की प्रकृति के अनुसार ‘पूर्वलग्न’ ‘उपसर्ग’ या ‘अनुलग्न’ ‘प्रत्यय’ के द्वारा संशोधित किया गया हो। जैसे ऐल्कोहॉलों के नाम हैं-मेथेनॉल, एथेनॉल, प्रोपेनॉल तथा ब्यूटेनॉल।
निम्न विधि के द्वारा किसी कार्बन यौगिक का नामकरण किया जा सकता है:
- यौगिक में कार्बन परमाणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए। तीन कार्बन परमाणु वाले यौगिक का नाम प्रोपेन होगा।
- प्रकार्यात्मक समूह की उपस्थिति में इसको पूर्वलग्न अथवा अनुलग्न के साथ यौगिक के नाम में दर्शाया जाता है (सारणी के अनुसार)।
- यदि प्रकार्यात्मक सूमह का नाम अनुलग्न के आधार पर दिया जाना हो तथा यदि प्रकार्यात्मक समूह के अनुलग्न नाम स्वर a, e, i, o, u से प्रारंभ होता हो तो कार्बन शृंखला के नाम से अंत का ‘e’ हटाकर, उसमें समुचित अनुलग्न लगाकर संशोधित करते हैं। जैसे, कीटोन सूमह की तीन कार्बन वाली शृंखला को निम्न विधि से नाम दिया जाएगा: Propane – ‘e’ = propan + ‘one’ = propanone प्रोपेनोन.
- असंतृप्त कार्बन शृंखला में कार्बन शृंखला के नाम में दिए गए अंतिम ‘ane’ को सारणी के अनुसार ‘ene’ या ‘yne’ से प्रतिस्थापित करते हैं। जैसे, द्विआबंध वाली तीन कार्बन की शृंखला प्रोपीन कहलाएगी तथा त्रि-आबंध होने पर यह प्रोपाइन (propyne) कहलाएगी।
यौगिकों का प्रकार | पूर्वलग्न/अनुलग्न | उदाहरण |
1. हैलो ऐल्केन | पूर्वलग्न क्लोरो, ब्रोमो, आदि | क्लोरोप्रोपेन |
|
| ब्रोमोप्रोपेन |
2. ऐल्कोहॉल | अनुलग्न – ol | प्रोपेनॉल |
3. ऐल्डिहाइड | अनुलग्न – al | प्रोपैनैल |
4. कीटोन | अनुलग्न – one | प्रोपेनोन |
5. कार्बोक्सिलिक अम्ल | अनुलग्न – oic acid | प्रोपेनॉइक अम्ल |
6. ऐल्कीन | अनुलग्न – ene | प्रोपीन |
7. ऐल्काइन | अनुलग्न – yne | प्रोपाइन |
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CBSE कक्षा 10 विज्ञान
पाठ-4 कार्बन एवं उसके यौगिक
कार्बन और इसके यौगिक : Science class 10th:Hindi Medium
- कार्बन एक सर्वतोमुखी तत्व है।
- कार्बन भूपर्पटी में खनिज के रूप में 2.2% उपस्थिति है। वायुमंडल में यह कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में 0.03% उपस्थित है।
- सभी सजीव संरचनाएं कार्बन पर आधारित है।
- कार्बन में सहसंयोजी आबंध:
- कार्बन की परमाणु संख्या 6 हैं तथा इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2.4। उत्कृष्ट गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिये कार्बन का परमाणु।
- 4 इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर सकता है, परंतु नाभिक के लिये 4 अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन धारण करना कठिन है।
- 4 इलेक्ट्रॉन खो सकता है, परंतु इसके लिये अत्याधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी।
- इस प्रकार कार्बन के परमाणु के लिये 4 इलेक्ट्रॉन प्राप्त करना या खो देना अत्यंत कठिन होता है।
- कार्बन परमाणु उत्कृष्ट गैस विन्यास अन्य परमाणुओं के साथ संयोजकता इलेक्ट्रॉन की साझेदारी करके प्राप्त करता है।
- H, O, N एवं Cl जैसे तत्व के परमाणु साझेदारी करने में सक्षम हैं।
H2O2, N2 अणुओं के निर्माण के चित्र :
हाइड्रोजन परमाणुओं के मध्य एकल-आबंध
OxxxxxxxxOxxxx ऑक्सीजन परमाणु
xxNxxxxxxNxx नाइट्रोजन परमाणु - नाइट्रोजन परमाणुओं के मध्य त्रि-आबंध
- साझा इलेक्ट्रॉन के जोड़ों की संख्या एक, दो या तीन हो सकती है। H2O तथा CH4 के अणुओं की संरचना बनाने का प्रयास करो।
- परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के एक युग्म की साझेदारी के द्वारा बनने वाले आबंध सहसंयोजी आबंध कहलाते हैं।
- सहसंयोजी यौगिकों के क्वथनांक एवं गलनांक कम होते हैं। इसका कारण अंतरा अणुक बल का कम होना है। सामान्यतः ये अणु विद्युत के कुचालक होते हैं क्योंकि आवेशित कण नहीं बनते।
- सहसंयोजी आबंध की प्रकृति के कारण कार्बन में बड़ी संख्या में यौगिक बनाने की क्षमता हैं।
इसके दो कारक हैं-- श्रंखलन: कार्बन के परमाणु अपने मध्य आबंध बनाते हैं। इसकी प्रकार सिलिकॉन हाइड्रोजन के साथ यौगिक बनाना है।
- चतुः संयोजकता: कार्बन परमाणु की संयोजकता 4 हैं जिसके कारण यह परमाणु O, H, N, S, Cl तथा अन्य तत्वों के परमाणुओं के साथ सहसंयोजी आबंध बनाने में सक्षम है।
- कार्बन परमाणु के छोटे आकार के कारण इलेक्ट्रॉन फलस्वरूप, ये यौगिक अतिराय रूप से स्थायी होते हैं।
- संतृप्त एवं असंतृप्त कार्बनिक यौगिक:
हाइड्रोकार्बन | |
संतृप्तः कार्बन परमाणुओं के मध्य एकल-आबंध।
| असंतृप्तः कार्बन परमाणुओं के मध्य द्वि या त्रि-आबंध।
|
- एल्केन : CaH2n+2
- एल्कीन :CnH2n
- एल्काईन : CnH2n-2
- एथेन (संतृप्त हाइड्रोकार्बन) की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना
एथेन (असंतृप्त हाइड्रोकार्बन) की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना
- कार्बन एवं हाइड्रोजन के संतृप्त यौगिकों के सूत्र एवं संरचनाएं
C परमाणु की संख्या | नाम | सूत्र | संरचना |
1 | Methane | CH4 | |
2 | Ethane | C2H6 | |
3 | Propane | C3H8 | |
4 | Butane | C4H10 | |
5 | Pentane | C5H12 |
- संरचना के आधार पर हाइड्रोकार्बन हो सकते हैं।
C – C – C – C सीधी श्रृंखला
- संरचनात्मक समाचयक : वे यौगिक जिनके आणविक सूत्र तो समान होते हैं परंतु संरचना भिन्न होती हैं। उदाहरण के लिए ब्यूटेन के समावयव:
सीधी श्रृंखला वाला समावय
शाखित श्रृंखलीय समावयव - विषम परमाणु एवं प्रकार्यात्मक समूह : हाइड्रोकार्बन श्रृंखला में हाइड्रोजन के एक या एक से अधिक परमाणु को प्रतिस्थापित करने वाले तत्वों को विषम परमाणु कहते हैं।
- विषम परमाणु तथा वे समूह जिनका यह भाग होते हैं, यौगिक को विशिष्ट रासायनिक गुण प्रदान करते हैं, फलस्वरूप में प्रकार्यात्मक समूह कहलाते हैं।
विषम परमाणु | प्रकार्यात्मक समूह | प्रकार्यात्मक समूह का सूत्र |
Cl / Br | लैलो – (क्लोरो/ब्रोमो) | [-Cl2, -Br] |
| – एल्कोहॉल | [-OH] |
| – ऐल्डिहाइड | |
| – कीटोन | |
| – कार्बोक्सिलिक |
- समजातीय श्रेणी : यौगिकों की वह श्रृंखला जिसमें कार्बन श्रृंखला में स्थित हाइड्रोजन एक ही प्रकार के प्रकार्यात्मक समूह द्वारा प्रतिस्थापित होता है।
उदाहरणार्थ- एल्कोहॉल :CH3 OH, C2H5 OH, C3H2 OH, C4H9 OH - समजातीय श्रेणी में उत्तरोत्तर सदस्यों में- -CH2 का अंतर तथा 14 द्रव्यमान इकाईयों का अंतर होता है।
- इन सदस्यों को प्रकार्यात्मक समूह रासायनिक विशिष्टताएं प्रदान करता हैं फलस्वरूप ये सदस्य समस्त रासायनिक गुणधर्म तथा भिन्न भौतिक गुणधर्म दर्शाते हैं।
- सदस्यों के अणु द्रव्यमान में अंतर होने के कारण इनके भौतिक गुणधर्मों में अंतर आता है।
- अणु द्रव्यमान के बढ़ने के साथ सदस्यों का गलनांक एवं क्वथनांक बढ़ता है।
- कार्बन यौगिकों की नाम पद्धति:
- यौगिक में कार्बन परमाणुओं की संख्या ज्ञात करो।
- प्रकार्यातमक समूह को पूर्वलग्न या अनुलग्न के साथ दर्शाओ।
प्रकार्यात्मक समूह | अनुलग्न | पूर्वलग्न | |
ऐल्किन/द्वि-आबंध | → | – ene | |
ऐल्काइन/त्रि-आबंध | → | – Yne |
|
ऐल्कोहॉल | → | – ol |
|
ऐल्डीहाइड | → | – al |
|
कीटोन | → | – one |
|
कार्बोक्सिलिक अम्ल | → | – oic acid |
|
क्लोरीन |
|
| → क्लोरो |
- यदि एक अनुलग्न लगाया जाना हैं तब अंत का ‘e’ हटाया जाता है। जैसे मेथेनॉल (Methanol) Methane-e = Methari + ol)
कार्बनिक यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म :
- 1. दहन
सामान्यतः ये यौगिक वायु (ऑक्सीजन) में दहित होकर कार्बन डाइऑक्साइड, जल उत्पन्न करते हैं। तथा प्रचुर मात्रा में ऊष्मा एवं प्रकाश को मुक्त करते हैं। - संतृप्त हाइड्रोकार्बन वायु की प्रचुर मात्रा में जलने पर नीली ज्वाला तथा वायु की सीमित आपूर्ति में कज्जली ज्वाला उत्पन्न करते हैं।
- असंतृप्त हाइड्रोजकार्बन दहन करने पर कज्जली ज्वाला उत्पन्न करते हैं।
- कोयले तथा पेट्रोलियम के दहन द्वारा सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड निर्मित होते हैं जो अम्लीय वर्षा के लिए उत्तरदायी है।
- 2. ऑक्सीकरणः
ऑक्सीकारक के रूप में अम्लीय पोटाशियम डाइक्रोमेट तथा क्षारीय पोटाशियम परमैंगनेट का उपयोग कर, एल्कोहॉल के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप कार्बोक्सिलिक अम्ल उत्पन्न होते हैं।
CH3 – CH2 – OH CH3COOH - 3. संकलन अभिक्रियाः
निकैल या पैलेडियम की उपस्थिति में हाइड्रोजन असंतृप्त हाइड्रोकार्बन के साथ जुड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन निर्मित करते हैं।
इस प्रक्रम द्वारा वनस्पति तेल को वनस्पति घी में परिवर्तित किया जाता हैं।
संतृप्त वसीय अम्ल स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं। भोजन पकाने के लिये असंतृप्त वसीय अम्ल प्रयुक्त तेलों का उपयोग करना चाहिए। - 4. प्रतिस्थापन अभिक्रियाः
संतृप्त हाइड्रोकार्बन में, कार्बन के साथ जुड़े हाइड्रोजन को, सौर प्रकार की उपस्थिति में अन्य परमाणु या अणु से प्रतिस्थापित किया जा सकता है। - महत्वपूर्ण कार्बन यौगिक : ऐथेनॉल एवं एथेनोइक अम्ल
- ऐथेनॉल
- गलनांक 156k
- जल में घुलनशील
- क्वथनांक 351 k
- जनाने वाला स्वाद
- ऐथेनॉल के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं तथा शुद्ध ऐथेनॉल की थोड़ी-सी मात्रा प्राणघातक सिद्ध हो सकती है।
ऐथेनॉल के रासायनिक गुणधर्म | |
C2H5OH की सोडियम के साथ अभिक्रिया में सोडियम इथॉक्साइड तथा हाइड्रोजन उत्पन्न होती हैं। | सांद्र H2SO4 के साथ 443k के तापमान पर ऐथेनॉल को निर्जलीकरण द्वारा एथीन उत्पन्न होती है। |
ऐथेनॉल के उपयोग
- साबुन निर्माण में
- प्रयोगशाला अभिकारक के रूप में
- एल्कोहॉलिक पेयों में
- दवाओं तथा टॉनिक में
- ऐथेनोइक अम्ल (CH3COOH) / ऐसिटिक अम्ल:
ऐथेनोइक अम्ल
- गलनांक 290 k
- जल में घुलनशील
- क्वथनांक 391 k
- स्वाद में खट्टा
- ऐसिटिक अम्ल का 5-8% का जलीय विलयन सिरका कहलाता है।
- परिशुद्ध ऐसिटिक अम्ल को ग्लैशियल ऐसिटिक अम्ल कहते हैं।
ऐथेनाइक अम्ल | |
अभिक्रिया करता है | उत्पाद |
सोडियम Na | सोडियम एथेनोऐट एवं हाइड्रोजन गैस |
सोडियम कार्बोनेट Na2CO3 | सोडियम एथेनोऐट एवं कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल |
सोडियम बाइकार्बोनेट NaHCO3 | सोडियम एथेनोऐट, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल |
एथेनॉल (सांद्र H2SO4 की उपस्थित में CH3CH2 – OH | ऐस्टर तथा जल |
- एस्टरीकरण अभिक्रिया: कार्बोक्सिलिक अम्ल सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में एल्कोहॉल के साथ अभिक्रिया कर मृदु गंध वाले पदार्थ एस्टर बनाते हैं।
- जलीय अवघटन एस्टर अम्ल या क्षारक के साथ अभिक्रिया करके प्रारंभिक ऐल्कोहॉल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाते हैं।
CH3COOCH2CH3 + NaOH CH3COONa + CH3-CH2OH
CH3COOCH2CH2 CH3COOH + C H3-CH2OH - एस्टर का क्षारीय जलीय अपघटन साबुनीकरण कहलाता है।
साबुन तथा अपमार्जक:
- साबुन लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम एवं पोटाशियम लवण होते हैं।
- साबुन केवल मृदु जल के साथ सफाई क्रिया करते हैं तथा कठोर जल के साथ प्रभावहीन होते हैं।
- अपमार्जक लंबी कार्बोक्सिलिक अम्ल श्रृंखला के अमोनियम एवं सल्फोनेट लवण होते हैं। अपमार्जक मृदु तथा कठोर जल के साथ सफाई प्रक्रिया कर सकते हैं।
- साबुन के अणु में जलरागी एवं जलविरागी समूह होते हैं।
साबुन के अणु की संरचना
साबुन की सफाई प्रक्रिया
- अधिकांश मैल तैलीय होता हैं तथा जलविरागी और इस मैल के साथ जुड़ जाता है।
- जल के अणु जलरागी छोर पर साबुन के अणु को घेर लेते हैं।
- फलस्वरूप साबुन के अणु मिसेली संरचना बनाते हैं।
- इस प्रक्रिया में साबुन के अणु और तैलीय मैल का पायस बनता हैं तथा विभिन्न भौतिक विधियों जैसे पटकना, डंडे से पीटना, ब्रुश से रगड़ना आदि की सहायता से वस्त्र साफ होता है।
- अघुलनशली पदार्थ/स्कम
कठोर जल में प्रयुक्त मैग्नीशियम तथा कैल्शियम के लवण साबुन के जलरागी भाग से अभिक्रिया करके अघुलनशील पदार्थ या स्कम बनाते हैं, जिसके कारण सफाई प्रक्रिया बाधित होती है। - अपमार्जक के अणु का आवेशित सिरा कौर जल में उपस्थित कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील पदार्थ नहीं बनातें, फलस्वरूप सफाई प्रक्रिया प्रभावशाली रूप से संपन्न होती है।
- संक्षेप में-
- कार्बन सर्वतोमुखी तत्व (अधातु) है।
- O, N, H तथा CI जैसी अधातुओं के समान कार्बन का परमाणु संयोजी इलैक्ट्रॉन की साझेदारी करता है।
- श्रृंखलन तथा चतुः संयोजकता के फलस्वरूप कार्बन अधिक यौगिकों का निर्माण करता हैं।
- कार्बन एकल, द्वि और त्रि-आबंध बनाता है।
- कार्बन एवं हाइड्रोजन मिलकर हाइड्रोकार्बन बनाते हैं जो संतृप्त या असंतृप्त हो सकते हैं।
- संरचना के आधार पर हाइड्रोकार्बन सीधी श्रृंखला वाले, शाखित श्रृंखला वाले अथवा चक्रीय हो सकते हैं।
- एक ही अणु में अलग-अलग संरचनात्मक व्यवस्था संभव होती है, इसे समावयवन कहते हैं।
- हाइड्रोकार्बन में, विषम परमाणु हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करते हैं तथा उस यौगिक की रसायनिक विशिष्टताओं को निर्धारित करते हैं।
- समाजातीय श्रेणी में सदस्यों की रासायनिक विशिष्टताएं एक समान तथा भौतिक गुणधर्म भिन्न होते हैं।
- कार्बन आधार वाले यौगिक अच्छे इंधन होते हैं।
- ऐथेनॉल एक महत्वपूर्ण यौगिक हैं। यह क्रियाशील धातुओं के साथ अभिक्रिया करता है। निर्जलीकरण के पश्चात् यह ऐथीन गैस बनाता है।
- ऐथेनोइक अम्ल एक अन्य महत्वपूर्ण यौगिक हैं। यह ऐथेनॉल के साथ अभिक्रिया करके मृदु-गंध वाले एस्टर बनाता है।
- सफाई प्रक्रिया के लिये साबुन एवं अपमार्जक का उपयोग होता है। अपमार्जक मृदु एवं कठोर जल के साथ प्रभावशाली रूप से सफाई अभिक्रिया करते हैं।
Class 10 विज्ञान
पुनरावृति नोट्स
कार्बन एवं उसके यौगिक
कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म
दहन
अपने सभी अपररूपों में कार्बन, ऑक्सीजन में दहन करके ऊष्मा एवं प्रकाश के साथ कार्बन डाइऑक्साइड देता है। दहन पर अधिकांश कार्बन यौगिक भी प्रचुर मात्रा में ऊष्मा एवं प्रकाश को मुक्त करते हैं। निम्नलिखित वे ऑक्सीकरण अभिक्रियाएँ हैं जिनका अध्ययन हमने पहले अध्याय में किया था:
- C + O2 → CO2 + ऊष्मा एवं प्रकाश
- CH4 + O2 → CO2 + H2O + ऊष्मा एवं प्रकाश
- CH3CH2OH + O2 → CO2 + H2O + ऊष्मा एवं प्रकाश
संतृप्त हाइड्रोकार्बन से सामान्यतः स्वच्छ ज्वाला निकलेगी जबकि असंतृप्त कार्बन यौगिकों से अत्यधिक काले धुएँ वाली पीली ज्वाला निकलेगी। इसके परिणामस्वरूप धातु की तश्तरी पर कज्जली निक्षेपण होगा। लेकिन, वायु की आपूर्ति को सीमित कर देने से अपूर्ण दहन होने पर संतृप्त हाइड्रोकार्बनों से भी कज्जली ज्वाला निकलेगी। घरों में उपयोग में लाई जाने वाली गैस/केरोसीन के स्टोव में वायु के लिए छिद्र होते हैं जिनसे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन-समृद्ध मिश्रण जलकर स्वच्छ नीली ज्वाला देता है।
यदि कभी बर्तनों के तले काले होते हुए दिखाई दें तो इसका अर्थ होगा कि वायु छिद्र अवरुद्ध हैं तथा ईंधन का व्यर्थ व्यय हो रहा है। कोयले तथा पेट्रोलियम जैसे ईंधनों में कुछ मात्रा में नाइट्रोजन तथा सल्फ़र होती हैं। इनके दहन के फलस्वरूप सल्फ़र तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड का निर्माण होता है जो पर्यावरण में प्रमुख प्रदूषक हैं।
ऑक्सीकरण – दहन करने पर कार्बन यौगिकों को सरलता से ऑक्सीकृत किया जा सकता है। इस पूर्ण ऑक्सीकरण के अतिरिक्त ऐसी अभिक्रियाएँ भी होती हैं जिनमें ऐल्कोहॉल को कार्बोक्सिलिक अम्ल में बदला जाता है:
CH3 – CH2OH
CH3COOH
कुछ पदार्थों में अन्य पदार्थों को ऑक्सीजन देने की क्षमता होती है। इन पदार्थों को ऑक्सीकारक कहा जाता है।
क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट अथवा अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट ऐल्कोहॉलों को अम्लों में आक्सीकृत करते हैं अर्थात ये आरंभिक पदार्थ में ऑक्सीजन जोड़ते हैं। अतएव इनको ऑक्सीकारक कहते हैं।
संकलन अभिक्रिया – पैलेडियम अथवा निकैल जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हाइड्रोजन जोड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन देते हैं। उत्प्रेरक वे पदार्थ होते हैं जिनके कारण अभिक्रिया भिन्न दर से आगे बढ़ती है जो अभिक्रिया को प्रभावित नहीं करते हैं। निकैल उत्प्रेरक का उपयोग करके साधारणतः वनस्पति तेलों के हाड्रोजनीकरण में इस अभिक्रिया का उपयोग होता है। वनस्पति तेलों में साधारणतः लंबी असंतृप्त कार्बन शृंखलाएँ होती हैं जबकि जंतु वसा में संतृप्त कार्बन शृंखलाएँ होती हैं।
कुछ विज्ञापनों में कहा जाता है कि वनस्पति तेल ‘स्वास्थ्यवर्धक’ होते हैं। साधारणतः, जंतु वसा में संतृप्त वसा अम्ल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं। भोजन पकाने के लिए असंतृप्त वसा अम्लों वाले तेलों का उपयोग करना चाहिए।
प्रतिस्थापन अभिक्रिया – संतृप्त हाइड्रोकार्बन अत्यधिक अनभिक्रित होते हैं तथा अधिकांश अभिकर्मकों की उपस्थिति में अक्रिय होते हैं। हालाँकि, सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अति तीव्र अभिक्रिया में क्लोरीन का हाइड्रोकार्बन में संकलन होता है। क्लोरीन एक-एक करके हाइड्रोजन के परमाणुओं का प्रतिस्थापन करती है। इसको प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं, क्योंकि एक प्रकार का परमाणु, अथवा परमाणुओं के समूह दूसरे का स्थान लेते हैं। साधारणतः, उच्च समजातीय ऐल्केन के साथ अनेक उत्पादों का निर्माण होता है।
CH4 + Cl2
CH3Cl + HCl
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पुनरावृति नोट्स
कार्बन एवं उसके यौगिक
कुछ महत्वपूर्ण कार्बन यौगिक: एथनॉल तथा एथेनॉइक अम्ल
अनेक कार्बन यौगिक हमारे लिए अनमोल होते हैं। किंतु यहाँ हम व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण दो यौगिकों- एथनॉल तथा एथेनॉइक अम्लों के गुणधर्मों का अध्ययन करेंगे।
एथनॉल के गुणधर्म
एथनॉल कक्ष के ताप पर द्रव अवस्था में होता है। सामान्यतः एथेनॉल को ऐल्कोहॉल कहा जाता है तथा यह सभी ऐल्कोहॉली पेय पदार्थों का महत्वपूर्ण अवयव होता है। इसके अतिरिक्त यह एक अच्छा विलायक है इसलिए इसका उपयोग टिंचर आयोडीन, कफ़ सीरप, टॉनिक आदि जैसी औषधियों में होता है। एथनॉल को किसी भी अनुपात में जल में मिलाया जा सकता है। तनु एथनॉल की थोड़ी सी भी मात्रा लेने पर नशा आ जाता है। हालाँकि ऐल्कोहॉल पीना निंदनीय है लेकिन समाज में बड़े पैमाने पर प्रचलित है। लेकिन शुद्ध एथनॉल (परिशुद्ध ऐल्कोहॉल) की थोड़ी सी भी मात्रा घातक सिद्ध हो सकती है। काफ़ी समय तक ऐल्कोहॉल का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
एथनॉल की अभिक्रियाएँ
- सोडियम के साथ अभिक्रिया-
2Na + 2CH3CH2OH →
ऐल्कोहॉल सोडियम से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करता है। एथनॉल के साथ अभिक्रिया में दूसरा उत्पाद सोडियम एथॉक्साइड बनता है। - असंतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने की अभिक्रिया: 443 K तापमान पर एथनॉल को अधिक्य सांद्र सल्फ़्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर एथनॉल का निर्जलीरण होकर एथीन बनता है।
CH3 – CH2OH CH2 = CH2 + H2O
इस अभिक्रिया में सल्फ़्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक के रूप में काम करता है जो एथनॉल से जल को अलग कर देता है।
एथेनॉइक अम्ल के गुणधर्म
एथेनॉइक अम्ल को सामान्यतः ऐसीटिक अम्ल कहा जाता है तथा यह कार्बोक्सिलिक अम्ल समूह से संबंधित है। ऐसीटिक अम्ल के 3-4% विलयन को सिरका कहा जाता है एवं इसे अचार में परिरक्षक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। शुद्ध एथनॉइक अम्ल का गलनांक 290 K होता है और इसलिए ठंडी जलवायु में शीत के दिनों में यह जम जाता है। इस कारण इसे ग्लैशल ऐसीटिक अम्ल कहते हैं। कार्बोक्सिलिक अम्ल कहा जाने वाला कार्बनिक यौगिकों के समूह का अभिलक्षण इसकी अम्लीयता होती है। हालाँकि खनिज अम्लों के विपरीत कार्बोक्सिलिक अम्ल दुर्बल अम्ल होते हैं। खनिज अम्ल जैसे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, पूरी तरह आयनीकृत हो जाते हैं।
एथेनॉइक अम्ल की अभिक्रियाएँ
- एस्टरीकरण अभिक्रिया: एस्टर मुख्य रूप से अम्ल एवं ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया से निर्मित होते हैं। एथेनॉइक अम्ल किसी अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में परिशुद्ध एथनॉल से अभिक्रिया करके एस्टर बनाते हैं:
सामान्यतया एस्टर की गंध मृदु होती है। इसका उपयोग इत्र बनाने एवं स्वाद उत्पन्न करने वाले कारक के रूप में किया जाता है। सोडियम हाइड्राक्साइड से अभिक्रिया द्वारा, जो एक क्षार है, एस्टर पुन: ऐल्कोहॉल एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल का सोडियम लवण बनाता है। इस अभिक्रिया को साबुनीकरण कहा जाता है क्योंकि इससे साबुन तैयार किया जाता है। साबुन दीर्घ शृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों सोडियम अथवा पोटैशियम लवण होते हैं।
CH3COOC2H5 → C2H5OH + CH3COONa - क्षारक के साथ अभिक्रिया: खनिज अम्ल की भाँति एथेनॉइक अम्ल सोडियम हाइड्रोक्सॉइड जैसे क्षारक से अभिक्रिया करके लवण (सोडियम एथेनोएट या सोडियम ऐसीटेट) तथा जल बनाता है।
NaOH + CH3COOH → CH3COONa + H2O - कार्बोनेट एवं हाइड्रोजनकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया : एथेनॉइक अम्ल कार्बोनेट एवं हाइड्रोजनकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करके लवण, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल बनाता है। इस अभिक्रिया में उत्पन्न लवण को सोडियम ऐसीटेट कहते हैं।
2CH3COOH + Na2CO3 → 2CH3COONa + H2O + CO2
CH3COOH + NaHCO3 → CH3COONa + H2O + CO2
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पुनरावृति नोट्स
कार्बन एवं उसके यौगिक
साबुन और अपमार्जक
तेल पानी में अघुलनशील है और साबुन के अणु लंबी शृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम एवं पोटैशियम लवण होते हैं। साबुन का आयनिक भाग जल से जबकि कार्बन शृंखला तेल से पारस्परिक क्रिया करती है। इस प्रकार साबुन के अणु मिसेली संरचना तैयार करते हैं (चित्र (i)) जहाँ अणु का एक सिरा तेल कण की ओर तथा आयनिक सिरा बाहर की ओर होता है। इससे पानी में इमल्शन बनता है। इस प्रकार साबुन का मिसेल मैल को पानी बाहर निकलने में मदद करता है और हमारे कपड़े साफ़ हो जाते है (चित्र (ii))।
क्या कभी स्नान करते समय अनुभव किया है कि झाग मुश्किल से बन रहा है एवं जल से शरीर धो लेने के बाद भी कुछ अघुलनशील पदार्थ (स्कम) जमा रहता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि साबुन कठोर जल में उपस्थित कैल्सियम एवं मैग्नीशियम लवणों से अभिक्रिया करता है। ऐसे में हमे अधिक मात्रा में साबुन का उपयोग करना पड़ता है। एक अन्य प्रकार के यौगिक यानी अपमार्जक का उपयोग कर इस समस्या को निपटाया जा सकता है। अपमार्जक सामान्यतः लंबी कार्बन शृंखला वाले सल्फ़ोनिक लवण अथवा लंबी कार्बन शृंखला वाले अमोनियम लवण होते हैं जो क्लोराइड या बोमाइड आयनों के साथ बनते हैं। इन यौगिकों का आवेशित सिरा कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील पदार्थ नहीं बनाते हैं। इस प्रकार वह कठोर जल में भी प्रभावी बने रहते हैं। सामान्यत: अपमार्जकों का उपयोग शैंपू एवं कपड़े धोने के उत्पाद बनाने में होता है।
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पुनरावृति नोट्स
कार्बन एवं उसके यौगिक
सारांश
- कार्बन एक सर्वतोमुखी तत्व है जो सभी जीवों एवं हमारे उपयोग में आने वाली वस्तुओं का आधार है।
- कार्बन की चतुःसंयोजकता एवं शृंखलन प्रकृति के कारण यह कई यौगिक बनाता है।
- अपने-अपने बाहरी कोशों को पूर्ण रूप से भरने के लिए दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से सहसंयोजक आबंध बनता है।
- कार्बन अपने या दूसरे तत्वों; जैसे-हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, सल्फ़र, नाइट्रोजन एवं क्लोरीन के साथ सहसंयोजक आबंध बनाता है।
- कार्बन ऐसे यौगिक भी बनाता है जिसमें कार्बन परमाणुओं के बीच द्वि-या त्रिआबंध होते हैं। कार्बन की यह शृंखला, सीधी, शाखायुक्त या वलीय किसी भी रूप में हो सकती है।
- कार्बन की शृंखला बनाने की क्षमता के कारण यौगिकों की एक समजाती श्रेणी उत्पन्न होती है जिसमें विभिन्न लंबाई वाली कार्बन शृंखला से समान प्रकार्यात्मक समूह जुड़ा होता है।
- ऐल्कोहॉल, ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल जैसे समूह कार्बन यौगिकों का अभिलाक्षणिक गुण प्रदान करते हैं।
- कार्बन तथा उसके यौगिक हमारे ईंधन के प्रमुख स्रोत हैं।
- कार्बन यौगिक एथनॉल एवं एथेनॉइक अम्ल का हमारे दैनिक जीवन में काफ़ी महत्व है।
- साबुन एवं अपमार्जक की प्रक्रिया अणुओं में जलरागी तथा जलविरागी दोनों समूहों की उपस्थिति पर आधारित है। इसकी मदद से तैलीय मैल का पायस बनता है और बाहर निकलता है।
कार्बन ऑक्सीजन में दहन कर कार्बन डाइऑक्साइड और प्रचुर मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है, यह किस प्रकार की अभिक्रिया है ?
Solution
कार्बनिक यौगिक ऑक्सीजन में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल वाष्प बनाते हैं। इस प्रक्रिया में ऊष्मा एवं प्रकाश का उत्सर्जन होता हैं। यह अभिक्रिया दहन कहलाती है।
C + O 2 → CO 2 + ऊष्मा एवं प्रकाश
CH 4 + O 2 → CO 2 + H 2 O + ऊष्मा एवं प्रकाश
संतृप्त हाइड्रोकार्बन के दहन से स्वच्छ ज्वाला निकलती है , क्योंकि उनका पूरा दहन होता है। जबकि असंतृप्त कार्बन यौगिकों से अत्यधिक काले धुएँ वाली पीली ज्वाला निकलती है, क्योंकि इनका पूरा दहन नहीं होता है।
हीरा और ग्रेफाइट कार्बन के क्या हैं ?
क्रिस्टलीय अपररूप – वे अपररूप जिसमें कॉर्बन परमाणु एक निश्चित व्यवस्था में रहते हुए जिसकी संरचना निश्चित है तथा निश्चित कोण है, उसे क्रिस्टलीय अपररूप कहते है।
क्रिस्टलीय अपररूप के प्रकार –
हीरा, ग्रेफाइट व फुलरीन
उस हाइड्रोकार्बन का नाम बतायें जिससे एथेनॉल बना है –
एथेन हाइड्रोकार्बन है जिससे एथेनॉल बना है। यह एल्कोहॉल का समूह है।
संतृप्त हाइड्रोकार्बन वायु में जलकर किस प्रकार की ज्वाला उत्पन्न करती है ?
Solution
कार्बनिक यौगिक ऑक्सीजन में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल वाष्प बनाते हैं। इस प्रक्रिया में ऊष्मा एवं प्रकाश का उत्सर्जन होता हैं। यह अभिक्रिया दहन कहलाती है।
संतृप्त हाइड्रोकार्बन के दहन से स्वच्छ ज्वाला निकलती है, क्योंकि उनका पूरा दहन होता है। जबकि असंतृप्त कार्बन यौगिकों से अत्यधिक काले धुएँ वाली पीली ज्वाला निकलती है, क्योंकि इनका पूरा दहन नहीं होता है।
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Author: NCERT
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