10 Class Science Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक notes in Hindi
Class 10 science Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक notes in hindi. जिसमे हम कार्बन यौगिकों में सहसंयोजक बंधन , कॉर्बन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, कार्बन की बहुमुखी प्रकृति , समजातीय श्रृंखला , संतृप्त हाइड्रोकार्बन और असंतृप्त हाइड्रोकार्बन के बीच अंतर।
कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुण (दहन, ऑक्सीकरण, जोड़ और प्रतिस्थापन प्रतिक्रिया , इथेनॉल और एथेनोइक एसिड ( गुण और उपयोग), साबुन और अपमार्जक आदि के बारे में जानेगे ।
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | विज्ञान |
Chapter | Chapter 4 |
Chapter Name | कार्बन एवं उसके यौगिक |
Category | Class 10 Science Notes |
Medium | Hindi |
कॉर्बन एवं उसके यौगिक
कॉर्बन का परिचय →
• कॉर्बन एक अधातु (Non- metal) है।
• इसको ‘C’ से प्रदर्शित करते हैं।
• परमाणु संख्या = प्रोटॉनों की संख्या = 6
• परमाणु भार → 12
• परमाणु संख्या (Z) → 6
• न्यूट्रॉनों की संख्या (N) → परमाणु भार (A)– परमाणु संख्या (z)
• जेम्स चैडविक → खोजकर्ता
N = 12 – 6
N = 6
P = 6
A = P + N = 12
कॉर्बन एक सर्वतोमुखी तत्व (सभी स्थानों पर पाया जाने वाला तत्व)
• कॉर्बन भूपर्पटी में 0.02% तथा वायुमंडल में कॉर्बन की मात्रा 0.03% गैस के रूप में हैं।
• जीव-जंतुओं व पेड़-पौधे कॉर्बन के यौगिकों से मिलकर बना है।
कॉर्बन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास →
परमाणु संख्या = इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 6
K L
↓ ↓
2 4
कार्बन द्वारा यौगिक
⚬ कार्बन चर्तुसंयोजी है। कार्बन न तो चार इलेक्ट्रॉन खोकर (C4+ धनायन) न ही चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर (C4-ऋणायन) आयनिक आबंध बनता। चार अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनों को धारण करना कार्बन के लिए अत्यंत कठिन है। कार्बन द्वारा चार इलेक्ट्रॉन खोने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी । इसीलिए कार्बन अपने अन्य परमाणु अथवा अन्य तत्वों के परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों के साथ साझेदारी कर आबंध बनता हैं।
⚬ कार्बन के अतिरिक्त के परमाणु हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और क्लोरीन भी इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से आबंध बनाते हैं।
सहसंयोजी बंध
एक ही प्रकार या विभिन्न प्रकार के परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बने आबंध को सह-संयोजी आबंध कहते हैं।
आयनिक यौगिक व सहसंयोजी यौगिक में अन्तर –
आयनिक यौगिक | सहसंयोजी में अन्तर |
→ गलनांक एवं क्वथनांक → उच्च | सहसंयांजी में अन्तर |
प्रबल अंतर आण्विक बल | दुर्बल (कमजोर) |
विद्युत के सुचालक | विद्युत के कुचालक |
सहसंयोजी यौगिक के भौतिक गुण →
• गलनांक एवं क्वथनांक → कम निम्न
• इनके मध्य अंतराण्विक बल दुर्बल (कमजोर) होता है अर्थात् आसानी से टूट जाता है।
• ये विद्युत के कुचालक होते हैं क्योंकि इन यौगिकों के आबंध में किसी प्रकार के आयन का निर्माण नहीं होता हैं। ये इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बनते हैं।
आप पढ़ रहे है-Chapter 4 Science Class 10
कार्बन के गुणधर्म →
(i) चतु: संयोजकता →
कॉर्बन की संयोजकता 4 होती है।
जिसके कारण कार्बन चार अन्य कार्बन परमाणु, एक संयोजी परमाणु (H,Cl) ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और सल्फर के साथ आबंध बना सकता हैं।
(ii) श्रंखलन →
कॉर्बन व कॉर्बन के मध्य या अन्य तत्त्वों के साथ एक श्रंखला के रूप में जुड़ा होता है अर्थात् कार्बन कार्बन परमाणुओं के बीच सहसंयोजी आबंध बनाकर लम्बी श्रृंखला, शाखित, श्रृंखला और वलय संरचना वाले भौतिकों का निर्माण करता है। कार्बन के परमाणु एक-दूसरे से एकल, द्वि या त्रि आबंध द्वारा जुड़े हो सकते हैं।
(a) एकल बन्ध (-)
(b) द्विबन्ध (=)
(c) त्रिबन्ध (≡)
इलेक्ट्रॉन बिन्दु से संरचना
(i) H2
हाइड्रोजन के बाह्य कोश में 1 इलेक्ट्रॉन था। हाइड्रोजन व हाइड्रोजन के मध्य एकल बन्ध का निर्माण।
(ii) CO2 अणु
ऐथेन (C2H6) की संरचना
प्रश्न. CNG का पूरा नाम लिखिए व इसके मुख्य घटक की संरचना का निर्माण कीजिए।
उत्तर:- CNG :- संपीड़ित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas)
CH4 (मेथेन) →
कार्बन के अपररूप
1. हीरा
2. ग्रेफाइट
3. फुलरीन
1. हीरा
2. ग्रेफाइट
3. फुलरीन
अपररूप
किसी तत्व के विभिन्न रूप जिनमें भौतिक गुण अलग-अलग होते है तथा रासायनिक गुण एक समान होते है, उसे अपररूप कहा जाता है। इस गुण को दर्शाने वाले तत्त्व को अपररूपता कहते है।
क्रिस्टलीय अपररूप
वे अपररूप जिसमें कॉर्बन परमाणु एक निश्चित व्यवस्था में रहते हुए जिसकी संरचना निश्चित है तथा निश्चित कोण है, उसे क्रिस्टलीय अपररूप कहते है।
क्रिस्टलीय अपररूप के प्रकार
आप पढ़ रहे है-Class 10 Chapter 4 Science Notes in Hindi
हीरा (Diamond)
- → हीरा सबसे कठोर तत्त्व है।
- → चमकदार
- → विद्युत का कुचालक
- → चतुष्फलकीय संरचना
- → C-C परमाणुओं के मध्य की दूरी 154 Pm होती है।
- → पारदर्शक
- → शुद्ध कार्बन
उपयोग
- आभूषण बनाने में
- काँच काटने में
ग्रेफाईट
- → मुलायम व भंगुर प्रकृति
- → परतदार संरचना (षट्कोणीय)
- → विद्युत का सबसे अच्छा सुचालक
- → प्रत्येक कॉर्बन तीन अन्य कॉर्बन परमाणुओं से एक ही तल में जुड़ा है।
उपयोग
- → सीसा व पेन्सिल बनाने में
- → इलेक्ट्रोड बनाने में
फुलरीन
- → अमेरिकी वैज्ञानिक बकमिन्सटर फुलरीन ने बताया ।
- → सबसे पहले C-60 बना
- → इसकी सरंचना बॉल जैसी होती है, इसीलिए इसे बकीबॉल भी कहते है।
कार्बोनिक यौगिक
वे यौगिक जो कॉर्बन और हाइड्रोजन से मिलकर बने होते हैं, उसे हाइड्रोकॉर्बन कहा जाता है।
पूर्व लग्न (n→ कॉर्बन की संख्या)
n | 1 | (मेथ) | n-7 | (हेप्ट) |
n | 2 | (ऐथ) | n-8 | (ऑक्ट) |
n | 3 | (प्रोप) | n-9 | (नॉन) |
n | 4 | (ब्यूट) | n-10 | (डेक) |
n | 5 | (पेन्ट) | n-11 | (अनडेक) |
n | 6 | (हेक्स) | n-12 | (डोडेक) |
Q. संतृप्त व असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में अन्तर लिखिए।
संतृप्त हाइड्रोकार्बन | असंतृप्त हाइड्रोकार्बन |
1. इसमें कार्बन परमाणुओं के बीच एकल बंध होता है। | कार्बन परमाणुओं के बीच द्विबंध या त्रिबंध होता हैं |
2. यह एक नीली लौ के साथ जलता हैं। | यह एक जलती हुई लो के साथ जलता है। |
3. सूत्र CnH2n+2 | सूत्र CnH2n या CnH2n-2 |
4. कम प्रतिक्रियाशील | अधिक प्रतिक्रियाशील |
5. मेथेन (CH4) , ऐथेन (C2H6) | CH2= CH2 |
Q. एल्केन, एल्कीन व एल्काइन श्रेणी में अन्तर लिखिए ।
क्रं. सं. | अन्तर | पैराफीन्स | ओलिफीन्स | ऐसीटिलीन |
1. | IUPAC नाम | एल्केन | एल्कीन | एल्काइन |
2. | सामान्य सूत्र | CnH2n+2 | CnH2n | CnH2n-2 |
3. | क्रियाशीलता | सबसे कम क्रियाशील | अधिक क्रियाशील | सबसे अधिक क्रियाशील रंगहीन |
Q. संतृप्त व अंसतृप्त हाइड्रोकॉर्बन अलग कीजिए
- मेथेन, एथीन, प्रोपाइन, ब्यूटेन
- संतृप्त मेथेन, ब्यूटेन
- अंसतृप्त एथीन, प्रोपाइन
Q. संतृप्त व असंतृप्त को छांटिए
- CH4, C2H6, C4H8 , C5, H8
- संतृप्त CH4, C2H6
- अंसतृप्त C4H8 , C5, H8
कॉर्बन के संरचनात्मक भाग
1. सीधी कॉर्बन श्रेणी
2. शाखित शाखाएँ श्रेणी
पेन्टेन के संरचनात्मक समावयव C5H12
1. सामान्य पेन्टेन
2. आइसो पेन्टेन
3. नियो पेन्टेन
चक्रीय हाइड्रोकॉर्बन वलय के रूप में (कार्बन की श्रंखला)
1. साइक्लो प्रोपेन C3H6
2. साइक्लो ब्यूटेन → C4H8
3. साइक्लो पेन्टेन C5H10
4. साइक्लो हैक्सेन
बेन्जीन (C6H6)
आप पढ़ रहे है-कार्बन और उसके यौगिक Class 10th Notes
कार्बन यौगिकों की नामपद्धति
- (i) यौगिक में कार्बन परमाणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए । तीन कार्बन परमाणु वाले यौगिक का नाम प्रोपेन होगा।
- (ii) प्रक्रार्यात्मक समूह की उपस्थिति में इसको पूर्वलग्न अथवा अनुलग्न के साथ यौगिक के नाम से दर्शाया जाता है।
- (iii) यदि प्रकार्यात्मक समूह का नाम अनुलग्न के आधार पर दिया जाना हो तथा यदि प्रकार्यात्मक समूह के अनुलग्न नाम स्वर a,e,i,o,u से प्रारम्भ होता हो तो कार्बन श्रृंखला के नाम से अंत का ‘e’ हटाकर, उसमें समुचित अनुलग्न लगाकर संशोधित करते है। जैसे, कीटोन समूह की तीन कार्बन वाल श्रृंखला को निम्न विधि से नाम दिया जाएगा: Propane – + ‘One = propanone प्रोपनोन.’
- (iv) असंतृप्त कार्बन श्रृंखला में कार्बन श्रृंखला के नाम में दिए गए अंतिम ‘ane’ को सारणी 4.4 के अनुसार ‘ene’ या ‘yne’ से प्रतिस्थापित करते है। होने पर यह प्रोपाइन (Propyne) कहलाएगी।
♦ सरंचनात्मक समावयवी
ऐसे यौगिक जिनका आण्विक सूत्र समान हो लेकिन संरचना भिन्न हो समावयवी कहलाते हैं ।
उदाहरण:- ब्यूटेन के समावयवी
• प्रकार्यात्मक समूह (Functional Group)
यौगिक में हाइड्रोजन को विस्थापित करने वाले तत्वों को विषम परमाणु कहते हैं। इनसे कार्बनिक यौगिकों को विशिष्ट गुण मिलते हैं। इसलिए इन्हें प्रकार्यात्मक समूह करते हैं।
समजातीय श्रेणी (Homologous Series)
यौगिकों की ऐसी श्रृंखला जिसमे कार्बन श्रृंखला में स्थित हाइड्रोजन को एक ही प्रकार का प्रकार्यात्मक समूह प्रतिस्थापित करता है, उसे समजातीय श्रेणी कहते हैं।
समजातीय श्रेणी की विशेषताएँ
- • इसमें कार्बन यौगिकों को उसमें उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या के बढ़ते क्रम में लगाया जाता है।
- • दो क्रमागत यौगिकों के बीच CH2 का अंतर होता है।
- • दो क्रमागत यौगिकों के आण्विक द्रव्यमान में 14u का अंतर होता है।
कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म (Chemical properties of Carbon Compound)
1. दहन
कार्बनिक यौगिक ऑक्सीजन में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल वाष्प बनाते हैं। इस प्रक्रिया में ऊष्मा एवं प्रकाश का उत्सर्जन होता हैं। यह अभिक्रिया दहन कहलाती है।
C + O2 → CO2 + ऊष्मा एवं प्रकाश
CH4 +O2 → CO2+ H2O + ऊष्मा एवं प्रकाश
CH3CH2OH +O2→CO2+ H2O + ऊष्मा एवं प्रकाश
संतृप्त हाइड्रोकार्बन के दहन से स्वच्छ ज्वाला निकलती है, क्योंकि उनका पूरा दहन होता है। जबकि असंतृप्त कार्बन यौगिकों से अत्यधिक काले धुएँ वाली पीली ज्वाला निकलती है, क्योंकि इनका पूरा दहन नहीं होता है।
ईंधन-
वे कार्बन यौगिक, जिनमें ऊर्जा होती है तथा ऊष्मा एवं प्रकाश के साथ जलते हैं ईंधन कहलाते हैं, निकली हुई ऊर्जा, ऊष्मा या प्रकाश का प्रयोग विभिन्न उद्देश्यों जैसे खाना बनाने, उद्योगों में मशीनों को चलाने आदि में प्रयोग करते हैं।
जैसे कोयला, कोक, चारकोल, पेट्रोल, पेट्रोलियम आदि।
2. ऑक्सीकरण (oxidation)
ऑक्सीजन को ग्रहण करने या हाइड्रोजन को त्यागने की प्रक्रिया ऑक्सीकरण कहलाती है।
उदाहरण,
क्षारीय kMnO4+ऊष्मा
CH3CH2OH———————->CH3COOH
या अम्लीकृत K2Cr2O7+ऊष्मा
कुछ पदार्थो में अन्य पदार्थो को ऑक्सीजन देने की क्षमता होती है, इन पदार्थो को ऑक्सीकारक कहा जाता है।
जैसे क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट या अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट।
3. संकलन अभिक्रिया (Addition Reaction) या हाइड्रोजनीकरण
उत्प्रेरकों की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हाइड्रोजन से जुड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन में बदल जाते है।
उत्प्रेरक वे पदार्थ हैं जिनके कारण अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है और जो अभिक्रिया को प्रभावित नहीं करते है।
जैसे पैलेडियम या निकेल।
निकेल उत्प्रेरक के प्रयोग से वनस्पति तेल को हाइड्रोजनीकरण कर वनस्पति घी में बदला जा सकता है। इस क्रिया को हाइड्रोजनीकरण कहते हैं।
वनस्पति तेल (असंतृप्त वसा) स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।
जन्तु वसा में संतृप्त वसा अम्ल पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है।
अतः हमे भोजन पकाने के लिए असंतृप्त वसा वाले तेलों का प्रयोग करना चाहिए।
4. प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Substitution Reaction)
जिन अभिक्रिया में किसी कार्बनिक अणु के किसी एक या अधिक परमाणु या परमाणु समूह का प्रतिस्थापन होता है, प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।
क्लोरीनीकरण
हाइड्रोजन परमाणुओं के क्लोरीन परमाणुओं के द्वारा प्रतिस्थापित होने की क्रिया क्लोरोनीकरण कहलाती है।
जैसे मेथेन की क्रिया सूर्य की प्रकाश में अभिक्रिया कराने पर क्लोरीन एक एक करके हाइड्रोजन के परमाणुओं को विस्थापित कर देता है।
♦ कुछ महत्वपूर्ण कार्बन यौगिक: एथेनॉल तथा एथेनॉइक अम्ल
एथेनॉल के गुणधर्म
- ⚬ कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होता है।
- ⚬ सामान्य नाम – एल्कोहॉल
- ⚬ अणुसूत्र- C2H5OH
- ⚬ सरंचना सूत्र- CH3CH2OH
- ⚬ जल में घुलनशील
- ⚬ रंगहीन गंध और जलने वाला स्वाद
- ⚬ उदासीन प्रकृति
रासायनिक गुणधर्म-
1. सोडियम के साथ अभिक्रिया:
- 2Na + 2CH3CH2OH ――> 2CH3CH2ONa + H2
- • एल्कोहोल सोडियम से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाता है इसमें नया उत्पाद सोडियम एथोक्साइड बनता है।
- • हाइड्रोजन गैस की उत्पति से एथेनॉल की जाँच इस अभिक्रिया द्वारा की जा सकती है।
2. निर्जलीकरण (असंतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने की अभिक्रिया)
- 443 के ताप पर एथेनॉल को सल्फ़्यूरिक अम्ल की अधिक मात्रा के साथ गर्म करने पर एथेनॉल का निर्जलीकरण होकर एथीन बनता है।
- कुछ देशो में एल्कोहॉल तथा पेट्रोल का मिश्रण एक स्वछ ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
एथेनॉइक अम्ल के गुणधर्म
- ⚬ रंगहीन द्रव,स्वाद में खट्टा,सिरके जैसी गन्ध
- ⚬ सामान्य नाम – एसिटिक अम्ल
- ⚬ 3-4% विलयन को सिरका कहा जाता है।
- ⚬ शुद्ध एथेनॉइक अम्ल का गलनांक 290 K होता है।
- ⚬ यह ठंडी जलवायु में जम जाता है इस कारण इसे ग्लेशल एसीटिक अम्ल कहते है।
रासायनिक गुणधर्म-
1. एस्टरीकरण:
- एथॉनोइक अम्ल व एल्कोहॉल से किसी अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया करके एस्टर बनाते है।
- एस्टर का प्रयोग इत्र बनाने या स्वाद उत्पन्न करने वाले कारक की तरह किया जाता है।
साबुनीकरण
- एस्टर अम्ल या क्षारक की उपस्थिति में अभिक्रिया करके फिर से एल्कोहॉल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाते है।इस अभिक्रिया को साबुनीकरण कहते है क्योकि इससे साबुन तैयार होता है।
2. क्षारक के साथ अभिक्रिया
एथॉनोइक अम्ल सोडियम हाइड्रोक्साइड जैसे क्षारक से अभिक्रिया कर लवण एव जल बनाता है।
NaOH+CH3COOH ⟶ CH3COONa + H2O
3. कार्बोनेट तथा हाइड्रोजनकार्बोंनेट के साथ अभिक्रिया
एथॉनोइक अम्ल कार्बोनेट तथा हाइड्रोजनकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया कर लवण, कार्बन डाइऑक्साइड व जल बनाता है।इस अभिक्रिया में बने लवण को सोडियम एसीटेट कहर है।
2CH3COOH+Na2CO3 ⟶ 2CH3COONa + H2O + CO2
CH3COOH+NaHCO3 ⟶ CH3COONa + H2O + CO2
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साबुन और अपमार्जक
साबुन लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम पोटैशियम लवण होते है।
उदाहरण- C17H35COONa
साबुन केवल मृदु जल में सफाई करते है।
अपमार्जक
- लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलीक अम्लों के अमोनियम या सल्फोनेट लवण होते हैं।
- अपमार्जक कठोर व मृदु जल दोनो में सफाई किया जाता है।
- वसा अम्लों के ग्लिसरोल एस्टर को जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर साबुन का निर्माण होता है।इस अभिक्रिया को साबुनीकरण कहते है।
- वसा+ सोडियम हाइड्रॉक्साइड —-> साबुन+ग्लिसरोल
साबुन के अणु की सरंचना
1. लम्बा हाइड्रोकार्बन भग जो जल विरोधी सिरा होता है किन्तु तेल व ग्रीस जैस हाइड्रोकार्बन्स में विलेय होता है।
जलविरागी सिरा(लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला)
2. —COO–Na+ युक्त छोटा आयनिक भाग जो जलरागी सिरा होता है किन्तु तेल व ग्रीस में अविलेय होता है।
साबुन अणु की संरचना को टेडपोल संरचना वाला कहा जाता है।
जलरागी सिर (आयनिक भाग)
साबुन की सफाई की प्रक्रिया
मेल तेलीय होते है ।साबुन के अणु का जलरागी सिरा जल से व जलविरागी सिर तेल से आपस में क्रिया करता है। इससे मिसेली सरंचना बन जाती है।
इस तरह साबुन के अणु मिसेली सरंचना बनाते है जहाँ अणु का एक सिरा तेल कण की तरफ तथा आयनिक सिरा बाहर की ओर रहता है।इससे पानी में इम्लशन बनता है।इस तरह साबुन का मिसेल मैल को पानी में घुलाने में मदद करता है तथा हमारे कपड़े साफ हो जाते है।
साबुन की सीमाएँ
- ⚬ कठोर जल में प्रयोग नही किया जा सकता है।
- ⚬ साबुन कठोर जल में उपस्थित मैग्नीशियम व कैल्शियम के लवण के साथ अभिक्रिया करके अघुलनशील पदार्थ स्कम बनाता है।
- ⚬ यह स्कम सफ़ाई में कठिनाई पैदा करता है।
अपमार्जक के लाभ
- कठोर व कोमल जल दोनो में उपयोग किया जा सकता है।
- अघुलनशील पदार्थ नही बनता।
क्र.सं. | साबुन | अपमार्जक |
1. | ये प्राय: वसा अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण होते हैं | ये प्राय: ऐल्किल बेंजीन सल्फोनिक अम्ल के सोडियम लवण होते हैं। |
2. | ये कठोर जल में कपड़े साफ नहीं करते हैं। | ये मृदु जल के अतिरिक्त कठोर जल में भी कपड़ों को साफ करते हैं। |
3. | इनका जलीय विलयन क्षारीय होता है। | इनका जलीय विलयन उदासीन होता हैं। |
4. | ये तेलयुक्त होते हैं इसलिये इनमें सफाई का गुण अपमार्जक की तुलना में कम होता है। | ये तेल रहित होते हैं इसलिये इनमें सफाई का गुण साबुन की तुलना में अधिक होता है। |
5. | इनका उपयोग कोमल वस्त्रों को साफ करने के लिये नहीं किया जा सकता है। | इनका उपयोग कोमल वस्त्रों को साफ करने के लिये किया जा सकता हैं। |
प्रश्न:- 1. CO2 सूत्र वाले कार्बन डाइऑक्साइड की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होगी ?
उत्तर:- कार्बन डाइऑक्साइड में कार्बन परमाणु के साथ ऑक्सीजन के दो परमाणु जुड़े होते हैं । कार्बन की परमाणु संख्या 6 होती है और इसके बाहरी कक्ष में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं । इसे अष्टक बनाने की लिए चार इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजन को केवल 2 इलेक्ट्रॉनों की बाहरी कक्ष में आवश्यकता होती है। इसलिए उसका इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना होगी
C की परमाणु संख्या = 6 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2,4
O की परमाणु संख्या = 8 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 6
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