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Table of Contents
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Political Science |
Chapter | Chapter 7 |
Chapter Name | वैश्वीकरण |
Category | Class 12 Political Science |
Medium | Hindi |
राजनीति विज्ञान अध्याय-7: वैश्वीकरण
वैश्वीकरण / Globalization
वैश्वीकरण एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है जो दुनिया को आपस में जोड़ती है। यह विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करता है, जिसमें अर्थव्यवस्था, संस्कृति, राजनीति और समाज शामिल हैं।
इस प्रक्रिया के कुछ प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
- प्रवाह: वैश्वीकरण का आधार विभिन्न प्रकार के “प्रवाह” हैं, जिनमें वस्तुओं, पूंजी, श्रम, विचारों और सूचनाओं का एक स्थान से दूसरे स्थान पर मुक्त आवागमन शामिल है।
- अंतर-निर्भरता: वैश्वीकरण विभिन्न देशों और अर्थव्यवस्थाओं को एक दूसरे पर अधिक निर्भर बनाता है।
- सांस्कृतिक मिश्रण: वैश्वीकरण विभिन्न संस्कृतियों के बीच संपर्क और आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, जिसके परिणामस्वरूप विचारों, मूल्यों और जीवन शैली का मिश्रण होता है।
- असमानता: वैश्वीकरण के लाभों का वितरण हमेशा समान नहीं होता है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ देशों और लोगों के बीच असमानता बढ़ सकती है।
वैश्वीकरण के कुछ सकारात्मक प्रभावों में शामिल हैं:
- आर्थिक विकास: वैश्वीकरण व्यापार और निवेश को बढ़ावा दे सकता है, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सकती है।
- गरीबी में कमी: वैश्वीकरण गरीबी को कम करने में मदद कर सकता है, खासकर विकासशील देशों में।
- सांस्कृतिक समृद्धि: वैश्वीकरण विभिन्न संस्कृतियों के बीच समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा दे सकता है।
हालांकि, वैश्वीकरण के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- आर्थिक असमानता: वैश्वीकरण कुछ देशों और लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक लाभ पहुंचा सकता है, जिससे असमानता बढ़ सकती है।
- सांस्कृतिक हानि: वैश्वीकरण स्थानीय संस्कृतियों को कमजोर कर सकता है और उन्हें पश्चिमी संस्कृति के प्रभावों के अधीन कर सकता है।
- पर्यावरणीय क्षति: वैश्वीकरण पर्यावरणीय क्षति में योगदान कर सकता है, जैसे प्रदूषण और संसाधनों का अत्यधिक दोहन।
वैश्वीकरण के कारण / Reasons for globalization
तकनीकी प्रगति और व्यापक संबंध:
- उन्नत प्रौद्योगिकी और विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव के कारण, आज विश्व एक वैश्विक ग्राम का रूप लेता है। इससे हमारा दृष्टिकोण सीमाओं को पार करके विश्व को एक संबंधित एवं समृद्ध समाज में बदल रहा है।
सूचना तकनीकी क्रांति:
- टेलीग्राफ, टेलीफोन, माइक्रोचिप, इंटरनेट, और अन्य सूचना तकनीकी साधनों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार में क्रांति की है। यह संचार की सुविधा ने भूमण्डलीय संबंध बनाने में सहायक होकर विश्व समृद्धि की ऊँचाइयों की ओर बढ़ने का माध्यम प्रदान किया है।
पर्यावरण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
- वैश्विक समस्याओं जैसे सुनामी, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक तापवृद्धि का सामना करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग का महत्वपूर्ण स्थान है। यह संयुक्त प्रयासों के माध्यम से हमें आपसी समझ और सहायता का स्वरूप प्राप्त होता है, जिससे हम विश्व स्तर पर समृद्धि और समरसता की दिशा में अग्रसर होते हैं।
इस प्रकार, वैश्वीकरण न केवल एक आर्थिक अस्तित्व में बदलाव का संकेत है, बल्कि यह विभिन्न विषयों में सहयोग और संबंध का एक नया परिचय प्रदान करता है जो समृद्धि की सामरिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक पहलुओं को समेटता है।
वैश्वीकरण की विशेषताएँ / Features of globalization
गतिशील एवं मुक्त प्रवाह:
- वैश्वीकरण की मुख्य विशेषता यह है कि यह पूंजी, श्रम, वस्तु, और विचारों का एक गतिशील एवं मुक्त प्रवाह स्थापित करता है। इससे विभिन्न सांस्कृतिक, आर्थिक और विचारात्मक धाराएँ समृद्धि की दिशा में प्रवृत्ति करती हैं।
पूंजीवादी व्यवस्था और खुलेपन:
- वैश्वीकरण से पूंजीवादी व्यवस्था में वृद्धि होती है, जिससे खुलेपन एवं विश्व व्यापार में वृद्धि होती है। यह एक सामंजस्यपूर्ण आर्थिक मिलनसर वातावरण बनाता है जिससे सभी देश सहयोग करके आर्थिक समृद्धि में योगदान करते हैं।
आपसी जुड़ाव और अन्तरदृष्टि:
- वैश्वीकरण से देशों के बीच आपसी जुड़ाव और अन्तःनिर्भरता में वृद्धि होती है। यह एक विश्व समरसता की भावना को बढ़ावा देता है और विभिन्न देशों को साझा सृष्टि, विकास और सांघर्षण की दृष्टि से देखने में मदद करता है।
वैश्विक सहयोग और प्रभाव:
- विभिन्न आर्थिक घटनाएँ और सामाजिक मुद्दे, जैसे कि मंदी और महामारियों के मामलों में, वैश्विक सहयोग की आवश्यकता को उजागर करती हैं। इससे हम समृद्धि की दिशा में सामूहिक रूप से प्रबंधन करते हैं और एक एकजुट जनसमुदाय की स्थिति में सुधार करने का सामर्थ्य प्राप्त करते हैं।
इस प्रकार, वैश्वीकरण न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने का साधन है, जिससे समृद्धि की दिशा में समृद्धि हो सकती है।
वैश्वीकरण के उदाहरण / Examples of globalization
विदेशी वस्तुओं की उपलब्धता:
- आधुनिक वैश्वीकरण का एक प्रमुख उदाहरण है विभिन्न विदेशी वस्तुओं की भारत में उपलब्धता। यह लोगों को नई तकनीक, फैशन और विभिन्न विकसित देशों की उत्पादों से आवगमन करने का अवसर प्रदान करता है।
नए कैरियर अवसर:
- वैश्वीकरण से युवा पीढ़ी को नए कैरियर अवसर मिलते हैं। विभिन्न विदेशी कंपनियों और उद्यमियों के साथ सहयोग करने का अवसर बढ़ता है, जिससे वे अपने करियर को नई ऊँचाइयों तक पहुँचा सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय सेवा:
- एक और उदाहरण है किसी भारतीय का अमेरिकी कैलेंडर एवं समयानुसार सेवा प्रदान करना। यह एक आंतरराष्ट्रीय सामरिक संबंध का उदाहरण है जो सीमाएँ पार करता है और विभिन्न समय-क्षेत्रों में सहायता प्रदान करता है।
खुदरा व्यापारियों की चुनौती:
- अनेक खुदरा व्यापारियों को डर है कि विदेशी निवेश से बड़ी रिटेल कंपनियाँ आएंगी और उनका रोजगार छीन जाएगा। यह व्यापारिक एवं रोजगार स्तर पर बदलाव का उदाहरण है।
आर्थिक असमानता:
- वैश्वीकरण के कुछ पहलुओं में आर्थिक असमानता में वृद्धि हो रही है, जहां कुछ लोग समृद्धि का अधिक लाभ उठा रहे हैं और कुछ लोग इसमें पीछे हैं।
इन उदाहरणों से हम देख सकते हैं कि वैश्वीकरण न केवल विकास की दिशा में है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक परिवर्तनों की गहरी दिशा में भी है।
वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव / Positive effects of globalization
वस्तुओं एवं सेवाओं का प्रवाह:
- वैश्वीकरण ने वस्तुओं और सेवाओं का अद्भुत प्रवाह बनाया है, जिससे लोगों को विश्वभर में उच्चतम गुणवत्ता के उत्पादों और सेवाओं का लाभ हो रहा है।
रोजगार के अवसरों का उत्पन्न होना:
- वैश्वीकरण ने रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं, जिससे लोग नई क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
तकनीक एवं शिक्षा का अदान-प्रदान:
- वैश्वीकरण ने तकनीकी प्रगति और शिक्षा के क्षेत्र में अदान-प्रदान किया है, जिससे लोगों को नवीनतम ज्ञान एवं कौशलों का लाभ हो रहा है।
जीवन शैली में परिवर्तन:
- वैश्वीकरण ने लोगों की जीवन शैली में वृद्धि की है, जिससे उन्हें विभिन्न सांस्कृतिक एवं आर्थिक प्रथाओं से अधिक संपर्क मिला है।
विश्व के लोगों से जुड़ाव:
- वैश्वीकरण ने लोगों को विश्व के भिन्न भागों से जुड़ने का मौका दिया है, जिससे विभिन्न समृद्धि और साझा सृष्टि में योगदान हो रहा है।
आर्थिक मजबूती और आत्मनिर्भरता:
- वैश्वीकरण ने देशों को आर्थिक मजबूती प्रदान की है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है। यह देशों को आपसी अधीनता से मुक्त करके स्वतंत्रता प्रदान करता है।
इस प्रकार, वैश्वीकरण न केवल अर्थशास्त्रिक परिवर्तनों का सूचक है, बल्कि यह समृद्धि, सांस्कृतिक विविधता, और शिक्षा में भी सकारात्मक परिवर्तनों की दिशा में है।
वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव / Negative effects of globalization
लघु-कुटीर उद्योग का पतन:
- वैश्वीकरण ने कुछ स्थानीय उद्योगों को अपनी ताक़त के सामने हारना देखा है, जिससे लघु-कुटीर उद्योगों का पतन हो रहा है और यह लोगों को नौकरी खोने का सामना कर रहे हैं।
आमिर और गरीब की असमानता:
- वैश्वीकरण के कुछ पहलुओं में आमिर अधिक अमीर हो रहे हैं, जबकि गरीब और गरीब हो रहा है। इससे आर्थिक असमानता में वृद्धि हो रही है और समाज में तनाव बढ़ रहा है।
सांस्कृतिक पतन:
- विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों के कारण, वैश्वीकरण ने कई स्थानों पर सांस्कृतिक पतन को गति दी है। यह स्थानीय विरासतों, भाषाओं, और रीति-रिवाजों की कमी को बढ़ा सकता है।
आर्थिक गतिविधियों का विदेशी कंपनियों का वर्चश्व:
- वैश्वीकरण के कारण, आर्थिक गतिविधियों में विदेशी कंपनियों का वर्चश्व बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय उद्यमियों को तकलीफ हो रही है और उनकी स्थिति कठिन हो रही है।
पूंजीपतियों का वर्चश्व:
- वैश्वीकरण के कुछ पहलुओं में, पूंजीपतियों का वर्चश्व बढ़ रहा है, जिससे आर्थिक संदर्भ में विशेषाधिकार पैदा हो रहा है और लोगों के बीच आर्थिक असमानता बढ़ रही है।
इन नकारात्मक प्रभावों के साथ ही, समाधान निकालने और सुधारने के लिए सकारात्मक कदम उठाना आवश्यक है ताकि वैश्वीकरण से समृद्धि और सामाजिक समरसता की दिशा में प्रबंधित किया जा सके।
वैश्वीकरण के प्रकार / Types of globalization
i. राजनीतिक वैश्वीकरण:
- राजनीतिक दृष्टि से वैश्वीकरण ने राज्य की क्षमता में कमी लाई है। अब बाजार ने आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का मुख्य निर्धारक बनाया है और राज्य की प्रधानता बरकरार है। हालांकि, इससे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूस्ट ने राज्य को नागरिकों के बारे में सूचना जुटाने और कार्य करने में सक्षम बनाया है।
ii. आर्थिक वैश्वीकरण:
- आर्थिक दृष्टि से वैश्वीकरण ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्वबैंक, और विश्व व्यापार संगठन जैसी संस्थाओं द्वारा आर्थिक नीतियों का निर्माण किया है। इन संस्थाओं में धनी, प्रभावशाली एवं विकसित देशों का प्रभुत्व है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में उनका अधिकार सुनिश्चित होता है।
iii. सांस्कृतिक वैश्वीकरण:
- सांस्कृतिक दृष्टि से वैश्वीकरण ने विश्व में पश्चिमी संस्कृतियों को बढ़ावा देने का कारण बनाया है। इससे खाने-पीने और पहनावे में विकल्पों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन साथ ही संस्कृतियों की मौलिकता में भी बुरा असर हो रहा है। इससे लोगों में सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रति दुविधा है, जो समृद्धि और सामाजिक समरसता के माध्यम से समाप्त की जा सकती है।
भारत और वैश्वीकरण / India and Globalization
स्वतंत्रता के बाद का संरक्षणवाद:
- भारत ने स्वतंत्रता के बाद अपने घरेलू उत्पादों को संरक्षणवादी दृष्टिकोण से देखा और इसे आत्मनिर्भर बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहा।
1991 की आर्थिक नीति:
- 1991 में लागू हुई नई आर्थिक नीति ने भारत को वैश्वीकरण के लिए तैयार किया और खुलेपन की दिशा में कदम उठाया।
आर्थिक वृद्धि:
- वैश्वीकरण के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर में वृद्धि हो रही है, जो आज 7.5 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही है। यह भारतीय अनिवासी लोगों के विदेशों में भारतीय संस्कृति को प्रमोट कर रहा है।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में वर्चस्व:
- भारतीय लोगों ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है।
भारतीय लोगों की उच्च पदों पर आसीनता:
- आज भारतीय लोग वैश्विक स्तर पर उच्च पदों पर आसीन होने में सफल हो रहे हैं, जिससे देश का नाम बढ़ रहा है।
वैश्वीकरण का विरोध / Opposition to globalization
वामपंथी दृष्टिकोण:
- वामपंथी विचारक वैश्वीकरण की आलोचना करते हैं, राजनीतिक दृष्टि से उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिंता है और वे आर्थिक निर्भरता और संरक्षणवाद की पक्षपाती नीतियों का समर्थन करते हैं।
आर्थिक निर्भरता का दौर:
- आर्थिक क्षेत्र में विशेषज्ञता के क्षेत्रों में आर्थिक निर्भरता का दौर कायम रखने की मांग हो रही है।
सांस्कृतिक संरक्षण:
- सांस्कृतिक दृष्टि से विरोध है कि वैश्वीकरण से परंपरागत संस्कृति को हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्यों और तौर-तरीकों से हाथ धो देंगे।
विरोध में सामूहिक मंच:
- विश्व सोशल फोरम (WSF) वैश्विक स्तर पर वैश्वीकरण के खिलाफ एक सामूहिक मंच है जिसमें मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, युवा और महिला कार्यकर्ता शामिल हैं।
व्यापार संगठन के खिलाफ:
- 1999 में सिएटल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री-स्तरीय बैठक का विरोध हुआ जिससे आर्थिक तौर पर ताकतवर देशों के अनुचित व्यापार तरीकों के खिलाफ आवाज उठी।
Best Notes & Questions
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