2023-24 NCERT Class 9 Geography Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप Notes in Hindi

NCERT Class 9 History Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप|समकालीन भारत I

प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको सत्र 2023-24 के लिए NCERT Class 9 Geography Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप Notes in Hindi | कक्षा 9 भूगोल के नोट्स उपलब्ध करवा रहे है |

9th Class Geography Chapter 2 Physical Features of India Notes in Hindi | कक्षा 9 भूगोल नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Bhuugol Chapter 2 Bhaarat kaa bhowtik svaruupa Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar.

TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectGeography | भूगोल
ChapterChapter 2
Chapter Nameभारत का भौतिक स्वरूप
CategoryClass 9 Geography Notes in Hindi
MediumHindi
class-9-Geography-chapter-2-Physical Features of India notes-in-hindi

Class 09 भूगोल
अध्याय = 2
भारत का भौतिक स्वरूप

Physical Features of India

परिचय

  • भारत विभिन्न स्थलाकृतियों वाला एक विशाल देश है।
  • यहाँ कई प्रकार के क्षेत्र/भूभाग जैसे मैदानी क्षेत्र, पर्वतीय क्षेत्र रहते हैं।
  • क्षेत्र दूर तक फैले विशाल मैदानों और ढलानों व घाटियों हर प्रकार के भू-आकृतियाँ पायी जाती है।
  • पर्वत, मैदान, मरुस्थल, पठार तथा द्वीप समूह है।
  • भारत की मुख्य भू-आकृतियों की विशेषताएँ तथा उनकी संरचना :-
  • यहाँ विभिन्न प्रकार की शैलें पायी जाती है, जिनमें से कुछ संगमरमर की तरह कठोर होती है, जिसका प्रयोग ताजमहल के निर्माण में हुआ है एवं कुछ सेलखड़ी की तरह मुलायम होती हैं, जिसका प्रयोग टेल्कम पाउडर बनाने में होता है।
  • एक स्थान से दूसरे स्थान पर मृदा के रंगों में भिन्नता पायी जाती है क्योंकि मृदा विभिन्न प्रकार की शैलों से बनी होती है।
  • भारत एक विशाल भू-भाग है, इसका निर्माण विभिन्न भूगर्भीय कालों के दौरान हुआ है, जिसने इसके उच्चावचों को प्रभावित किया है।
  • भूगर्भीय निर्माणों के अतिरिक्त, कई अन्य प्रक्रियाओं, जैसे – अपक्षय, अपरदन तथा निक्षेपण के द्वारा वर्तमान उच्चावचों का निर्माण तथा संशोधन हुआ है।
  • कुछ प्रमाणों पर आधारित सिद्धांतों की सहायता से भूगर्भशास्त्रियों ने इन भौतिक आकृतियों के निर्माण की व्याख्या करने की कोशिश की है।
  • इसी तरह का एक सर्वमान्य सिद्धांत, प्लेट विवर्तनिक का सिद्धांत है।
  • इस सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी की ऊपरी पर्पटी सात बड़ी एवं कुछ छोटी प्लेटों से बनी है।

भू-पृष्ठ की मुख्य प्लेटें

भू-पृष्ठ की मुख्य प्लेटें Earth's main plates
  • प्लेटों की गति के कारण प्लेटों के अंदर एवं ऊपर की ओर स्थित महाद्वीपीय शैलों में दबाव उत्पन्न होता है।
  • इसके परिणामस्वरूप वलन, भ्रंशीकरण तथा ज्वालामुखीय क्रियाएँ होती हैं।
  • सामान्य तौर पर इन प्लेटों की गतियों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है।
  • कुछ प्लेटें एक-दूसरे के करीब आती हैं और अभिसारित परिसीमा का निर्माण करती हैं।
  • जबकि कुछ प्लेट एक दूसरे से दूर जाती हैं और अपसारित परिसीमा का निर्माण करती है।
  • जब दो प्लेट एक-दूसरे के करीब आती है, तब या तो वे टकराकर टूट सकती हैं या एक प्लेट फिसल कर दूसरी प्लेट के नीचे जा सकती है।
  • कभी-कभी वे एक-दूसरे के साथ क्षैतिज दिशा में भी गति कर सकती हैं ओर रूपांतर परिसीमा का निर्माण करती है।
  • इन प्लेटों में लाखों वर्षों से हो रही गति के कारण महाद्वीपों की स्थिति तथा आकार में परिवर्तन आया है।
  • भारत की वर्तमान स्थलाकृति का विकास भी इस प्रकार की गतियों से प्रभावित हुआ है।
  • विश्व के अधिकतर ज्वालामुखी एवं भूकंप संभावी क्षेत्र, प्लेट के किनारों पर स्थित हैं। लेकिन कुछ प्लेट के अंदर भी पाये जाते हैं।
  • सबसे प्राचीन भूभाग (अर्थात् प्रायद्वीपीय भाग) गोंडवाना भूमि का एक हिस्सा था।
  • गोंडवाना भूभाग के विशाल क्षेत्र में भारत, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका तथा अंटार्कटिक के क्षेत्र शामिल थे।
  • संवहनीय धाराओं ने भू-पर्पटी को अनेक टुकड़ों में विभाजित कर दिया और इस प्रकार भारत-आस्ट्रेलिया की प्लेट गोंडवाना भूमि से अलग होने के बाद उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होने लगी।
  • उत्तर दिशा की ओर प्रवाह के परिणामस्वरूप ये प्लेट अपने से अधिक विशाल प्लेट, यूरेशियन प्लेट से टकरायी।
  • इस टकराव के कारण इन दोनो प्लेटों के बीच स्थित ‘टेथिस’ भू-अभिनति के अवसादी चट्‌टान, वलित होकर हिमालय तथा पश्चिम एशिया की पर्वतीय शृंखला के रूप में विकसित हो गये।
  • गोंडवाना भूमि – ये प्राचीन विशाल महाद्वीप पैंजिया का दक्षिणतम भाग है, जिसके उत्तर में अंगारा भूमि है।
  • ‘टेथिस’ के हिमालय के रूप में ऊपर उठने तथा प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी किनारेके नीचे धँसने के परिणामस्वरूप एक बहुत बड़ी द्रोणी का निर्माण हुआ।
  • समय के साथ-साथ यह बेसिन उत्तर के पर्वतों एवं दक्षिण के प्रायद्वीपीय पठारों से बहने वाली नदियों के अवसादी निक्षेपों द्वारा धीरे-धीरे भर गया। इस प्रकार जलोढ़ निक्षेपों से निर्मित एक विस्तृत समतल भूभाग भारत के उत्तरी मैदान के रूप में विकसित हो गया।
  • भारत की भूमि बहुत अधिक भौतिक विभिन्नताओं को दर्शाती है।
  • भूगर्भीय तौर पर प्रायद्वीपीय पठार पृथ्वी की सतह का प्राचीनतम भाग है। इसे भूमि का एक बहुत ही स्थिर भाग माना जाता था।
  • हिमालय एवं उत्तरी मैदान हाल में बनी स्थलाकृतियाँ हैं।
  • भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय पर्वत एक अस्थिर भाग है।
  • हिमालय की पूरी पर्वत श्रंखला एक युवा स्थलाकृतियों को दर्शाती है, जिसमें ऊँचे शिखर, गहरी घाटियाँ तथा तेज बहने वाली नदियाँ हैं।
  • उत्तरी मैदानी जलोढ़ निक्षेपों से बने हैं।
  • प्रायद्वीपीय पठार आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों वाली कम ऊँची पहाड़ियों एवं चौड़ी घाटियों से बना है।

मुख्य भौगोलिक वितरण

  • भारत की भौगोलिक आकृतियों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।
    1. हिमालय पर्वत श्रृंखला
    2. उत्तरी मैदान
    3. प्रायद्वीपीय पठार
    4. भारतीय मरुस्थल,
    5. तटीय मैदान
    6. द्वीप समूह

हिमालय पर्वत :-

  • भारत की उत्तरी सीमा पर विस्तृत हिमालय भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट के दृष्टिकोण से वलित पर्वत श्रृंखला है।
  • ये पर्वत श्रृंखलाएँ पश्चिम-पूर्व दिशा में सिंधु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक फैली हैं।
  • हिमालय विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है और एक अत्यधिक असम अवरोधों में से एक है।
  • ये 2,400 कि.मी. की लंबाई में फैले एक अर्द्धवृत्त का निर्माण करते हैं।
  • इसकी चौड़ाई कश्मीर में 400 कि.मी. एवं अरुणाचल में 150 कि.मी. है।
हिमालय पर्वत  Himalaya Mountains
  • इसमें हिमालय के सभी मुख्य शिखर हैं।
  • महान हिमालय के वलय की प्रकृति असंममित है।
  • हिमालय के इस भाग का क्रोड ग्रेनाइट का बना है।
  • यह श्रृंखला हमेशा बर्फ से ढँकी रहती है तथा इससे बहुत-सी हिमानियों का प्रवाह होता है।
  • हिमाद्रि के दक्षिण मे स्थित श्रृंखला सबसे अधिक असम है एवं हिमालय या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती है।
  • इन श्रृंखलाओं का निर्माण मुख्यत: अत्याधिक संपीडित तथा परिवर्तित शैलों से हुआ है।
  • इनकी ऊँचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है।
  • जबकि पीर पंजाल श्रृंखला सबसे लंबी तथा सबसे महत्वपूर्ण श्रृंखला है, धौलाधर एवं महाभारत श्रृंखलाएँ भी महत्वपूर्ण हैं।
  • इसी श्रृंखला में कश्मीर की घाटी तथा हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लू की घाटियाँ स्थित हैं।
  • इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरों के लिए जाना जाता है।
  • हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है, इनकी चौड़ाई 10 से 50 कि.मी. तथा ऊँचाई 900 से 1,100 मीटर के बीच है, ये श्रृंखलाएँ, उत्तर में स्थित मुख्य हिमालय की श्रृंखला से नदियों द्वारा लायी गयी असंपिडित अवसादों से बनी है। ये घाटियाँ बजरी तथा जलोढ़ की मोटी परत से ढँकी हुई है।
  • निम्न हिमाचल तथा शिवालिक के बीच में स्थित लंबवत् घाटी को दून के नाम से जाना जाता है, कुछ प्रसिद्ध दून हैं – देहरादून, कोटलीदून एवं पाटलीदून।
  • इस उत्तर-दक्षिण के अतिरिक्त हिमालय को पश्चिम से पूर्व तक स्थित क्षेत्रों के आधार पर भी विभाजित किया गया है,
  • इन वर्गीकरणों को नदी घाटियों की सीमाओं के आधार पर किया गया है, उदाहरण के लिए सतलुज एवं सिंधु के बीच स्थित हिमालय के भाग को पंजाब हिमालय के नाम से जाना जाता है, लेकिन पश्चिम से पूर्व तक क्रमश: इसे कश्मीर तथा हिमाचल हिमालय के नाम से भी जाना जाता है, सतलुज तथा काली नदियों के बीच स्थित हिमालय के भाग को कुमाँऊ हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
  • काली तथा तिस्ता नदियाँ, नेपाल हिमालय का एवं तिस्ता तथा दिहांग नदियाँ असम हिमालय का सीमांकन करती है।
  • ब्रह्मपुत्र हिमालय की सबसे पूर्वी सीमा बनाती है।
  • दिहांग महाखड्‌ड (गार्ज) के बाद हिमालय दक्षिण की ओर एक तीखा मोड़ बनाते हुए भारत की पूर्वी सीमा के साथ फैल जाता है।
  • इन्हें पूर्वाचल या पूर्वी पहाड़ियों तथा पर्वत श्रृंखलाओं के नाम से जाना जाता है।
  • ये पहाड़ियाँ उत्तर-पूर्वी राज्यों से होकर गुजरती हैं तथा मजबूत बलुआ पत्थर, जो अवसादी शैल है, से बनी है।
  • ये घने जंगलों से ढँकी हैं तथा अधिकतर समानांतर श्रृंखलाओं एवं घाटियों के रूप में फैली हैं।
  • पूर्वांचल में पटकाई, नागा, मिजो तथा मणिपुर पहाड़ियाँ शमिल हैं।

उत्तरी मैदान :-

  • उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों – सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों से बना है।
  • यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है।
  • लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन (द्रोणी) में जलोढ़ों का निक्षेप हुआ, जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ है।
  • इसका विस्तार 7 लाख वर्ग कि.मी. के क्षेत्र पर है।
  • यह मैदान लगभग 2,400 किमी. लंबा एवं 240 से 320 किमी. चौडा है।
  • ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजोली विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप हैं। जहाँ लोगों का निवास है।
  • यह सघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है।
  • समुद्ध मृदा आवरण, पर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से यह भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है।
  • उत्तरी पर्वतों से आने वाली नदियाँ निक्षेपण कार्य में लगी हैं।
  • नदी के निचले भागों में ढाल कम होने के कारण नदी की गति कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप नदीय द्वीपों का निर्माण होता है।
  • ये नदियाँ अपने निचले भाग में गाद एकत्र हो जाने के कारण बहुत-सी धाराओं में बँट जाती हैं, इन धाराओं को वितरिकाएँ कहा जाता है।
  • ‘दोआब’ का अर्थ है, दो नदियों के बीच का भाग।
  • उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन उपवर्गो में विभाजित किया गया है।
  • उत्तरी मैदान के पश्चिमी भागा को पंजाब का मैदान कहा जाता है।
  • सिंधु तथा इसकी सहायक नदियों के द्वारा बनाये गए इस मैदान का बहुत बड़ा भाग पाकिस्तान में स्थित है।
  • सिंधु तथा इसकी सहायक नदियाँ झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास तथा सतलुज हिमालय से निकलती हैं।
  • मैदान के इस भाग में दोआबों की संख्या बहुत अधिक है।
  • गंगा के मैदान का विस्तार घघ्घर तथा तिस्ता नदियों के बीच है।
  • यह उत्तरी भाग के राज्यों हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड के कुछ भाग तथा पश्चिम बंगाल में फैला है।
  • ब्रह्मपुत्र का मैदान इसक पश्चिम विशेषकर असम में स्थित है।
  • उत्तरी मैदानों की व्याख्या सामान्यत: इसके उच्चावचों में बिना किसी विविधता वाले समतल स्थल के रूप में की जाती है। यह सही नहीं है।
  • इन विस्तृत मैदानों की भौगोलिक आकृतियों मे भी विविधता है।
  • आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है।
  • नदियाँ पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 किमी. के चौड़ी पट्‌टी में गुटिका का निक्षेपण करती हैं।
  • इसे भाबर के नाम से जाना जाता है।
  • सभी सरिताएँ इस भाबर पट्‌टी में विलुप्त हो जाती हैं।
  • इस पट्‌टी के दक्षिण में ये सरिताएँ एवं नदियाँ पुन: निकल आती हैं।
  • एवं नम तथा दलदली क्षेत्र का निर्माण करती हैं, जिसे तराई कहा जाता है।
  • यह वन्य प्राणियों से भरा घने जंगलों का क्षेत्र था।
  • बँटवारे के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को कृषि योग्य भूमि उपलब्ध कराने के लिए इस जंगल को काटा जा चुका है।
  • उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग पुराने जलोढ़ का बना है।
  • वे नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं तथा वेदिक जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं। इस भाग को भांगर के नाम से जाना जाता है।
  • इस क्षेत्र की मृदा से चूनेदार निक्षेप पाए जाते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में कंकड़, कहा जाता है।
  • बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षेपों को खादर कहा जाता है।
  • इनका लगभग प्रत्येक वर्ष फिर से निर्माण होता है, इसलिए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के लिए आदर्श होते हैं।

प्रायद्वीपीय पठार :-

  • प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृति वाला स्थल है जो पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है।
  • यह गोंडवाना भूमि के टूटने एवं अपवाह के कारण बना था तथा यही कारण है कि यह प्राचीनतम भूभाग का एक हिस्सा है।
  • इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियाँ एवं गोलाकार पहाड़ियाँ हैं।
  • इस पठार के दो मुख्य भाग हैं –
    1. मध्य उच्चभूमि
    2. दक्कन का पठार।
  • नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि के नाम से जाना जाता है।
  • विध्य श्रृंखला दक्षिण में मध्य उच्चभूमि तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली से घिरी है।
  • पश्चिम में यह धीर-धीरे राजस्थान के बलुई वाली नदियाँ, चंबल, सिंध, बेतवा तथा केन दक्षिण-पश्चिम से उत्तर –पूर्व की तरफ बहती हैं, इस प्रकार वे इस क्षेत्र के ढाल को दर्शाती हैं।
  • मध्य उच्च भूमि पश्चिम में चौड़ी लेकिन पूर्व में संकीर्ण है।
  • इस पठार के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुंदेलखंड तथा बघेलखंड के नाम से जाना जाता है।
  • इसके ओर पूर्व के विस्तार को दामोदर नदी द्वारा अपवाहित छोटा नागपुर पठार दर्शाता है।
  • दक्षिण का पठार एक त्रिभुजाकार भूभाग है, जो नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है।
  • उत्तर में इसके चौड़े आधार पर सतपुड़ा का श्रृंखला है, जबकि महादेव, कैमूर की पहाड़ी तथा मैकाल श्रृंखला इसके पूर्वी विस्तार हैं।
  • दक्षिण का पठार पश्चिम में ऊँचा एवं पूर्व की ओर कम ढाल वाला है।
  • इस पठार का एक भाग उत्तर-पूर्व में भी देखा जाता है, जिसे स्थानीय रूप से ‘मेघालय’, ’कार्बी एंगलौंग पठार’ तथा उत्तर कचार पहाड़ी के नाम से जाना जाता है।
  • यह एक भ्रंश के द्वारा छोटा नागपुर पठार से अलग हो गया है।
  • पश्चिम से पूर्व की ओर तीन महत्वपूर्ण श्रृंखलाएँ गारो, खासी तथा जयंतिया हैं।
  • दक्षिण के पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर क्रमश: पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित है।
  • पश्चिमी घाट, पश्चिमी तट के समानांतर स्थित है।
  • वे सतत् हैं तथा उन्हें केवल दर्रों के द्वारा ही पार किया जा सकता है।
  • पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट की अपेक्षा ऊँचे हैं।
  • पूर्वी घाट के 600 मीटर की औसत ऊँचाई की तुलना में पश्चिमी घाट की ऊँचाई 900 से 1,600 मीटर है।
  • पूर्वी घाट का विस्तार महानदी घाटी से दक्षिण में नीलगिरी तक है।
  • पूर्वी घाट का विस्तार सतत् नहीं हैं। ये अनियमित है एवं बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इनको काट दिया है।
  • पश्चिमी घाट में पर्वतीय वर्षा होती है। यह वर्षा घाट के पश्चिमी ढाल पर आर्द्र हवा से टकराकर ऊपर उठने के कारण होती है।
  • पश्चिमी घाट को विभिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता है।
  • पश्चिमी घाट की ऊँचाई, उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती जाती है।
  • इस भाग के शिखर ऊँचे हैं, जैसे – अनाई मुडी (2.695 मी.) तथा डोडा बेटा (2.633 मी.)।
  • पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर महेंद्रगिरी (1,500 मी.) है।
  • पूर्वी घाट के दक्षिण-पश्चिम में शेवराय तथ जावेड़ी की पहाड़ियाँ स्थित हैं।
  • प्रायद्वीपीय पठार की एक विशेषता यहाँ पायी जानेवाली काली मृदा है, जिसे ‘दक्कन ट्रैप’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • इसकी उत्पत्ति ज्वालामुखी से हुई है, इसलिए इसके शैल आग्नेय हैं।
  • वास्तव में इन शैलों का समय के साथ अपरदन हुआ है, जिसने काली मृदा का निर्माण हुआ है।
  • अरावली की पहाड़ियाँ प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी एवं उत्तर-पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
  • ये बहुत अधिक अपरदित एवं  खंडित पहाड़ियाँ हैं।
  • ये गुजरात से लेकर दिल्ली तक दक्षिण-पश्चिम एवं उत्तर-पूर्व दिशा में फैली हैं।
  • भारतीय मरुस्थल
  • अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार का मरुस्थल स्थित है।
  • यह बालू के टिब्बों से ढँका का तरंगित मैदान है। इस क्षेत्र मे प्रति वर्ष 150 मि.मी. से भी कम वर्षा होती है।
  • वर्षा ऋतु में  ही कुछ सरिताएँ दिखती हैं और उसके बाद वे बालू में ही विलीन हो जाती हैं।
  • पर्याप्त जल नहीं मिलने से वे समुद्र तक नहीं पहुँच पाती हैं।
  • केवल ‘लूनी’ ही इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है।
  • बरकान (अर्धचंद्राकार बालू का टीला) का विस्तार बहुत अधिक क्षेत्र पर होता है, लेकिन लंबवत् टीले भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप प्रमुखता से पाए जाते हैं।
  • जैसलमेर में बरकान के समूह देखने को मिलते हैं।

तटीय मैदान

  • प्रायद्वीपीय पठार के किनारों पर संकीर्ण तटीय पट्‌टीयों का विस्तार है।
  • यह पश्चिम में अरब सागर से लेकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ है।
  • पश्चिमी तट, पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित एक संकीर्ण मैदान है, इस मैदान के तीन भाग है, तट के उत्तरी भाग को कोंकण (मुंबई तथा गोवा), मध्य भाग को कन्नड मैदान एवं दक्षिणी भाग को मालाबार तट कहा जाता है।
  • बंगाल की खाड़ी के साथ विस्तृत मैदान चौड़ा एवं समतल है।
  • उत्तरी भाग में इसे ‘उत्तरी सरकार’ कहा जाता है। जबकि दक्षिणी भाग ‘कोरोमंडल’ तट के नाम से जाना जाता है।
  • बड़ी नदियाँ, जैसे – महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी इस तट पर विशाल डेल्टा का निर्माण करती है।
  • चिल्का झील पूर्वी तट पर स्थित एक महत्वपूर्ण भू-लक्षण है।

द्वीप समूह

  • भारत का मुख्य स्थल भाग अत्यधिक विशाल है।
  • इसके अतिरिक्त भारत में दो द्वीपों का समूह भी स्थित है।
  • केरल के मालाबार तट के पास स्थित लक्षद्वीप की स्थिति को देखिए।
  • द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है। पहले इनको लकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था।
  • 1973 में इनका नाम लक्षद्वीप रखा गया यह 32 वर्ग कि.मी. के छोटे से क्षेत्र में फैला है।
  • कावारत्ती द्वीप लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय है।
  • इस द्वीप समूह पर पादप तथा जंतु के बहुत से प्रकार पाए जाते हैं।
  • पिटली द्वीप, जहाँ मनुष्य का निवास नहीं है, वहाँ एक पक्षी-अभयारण्य है।
  • अब बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण के तरफ फैले द्वीपों की श्रृंखला की देखिए, ये अंडमान एवं निकोबार द्वीप है।
  • यह द्वीप समूह आकार में बड़े तथा संख्या में बहुत बिखरे हुए हैं।
  • इन द्वीप समूहों को मुख्यत: दो भागों में बाँटा गया है – उत्तर में अंडमान तथा दक्षिण में निकोबार।
  • यह माना जाता है कि यह द्वीप समूह निमज्जित पर्वत श्रेणियों के शिखर है।
  • यह द्वीप समूह देश की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वूपूर्ण है। इन द्वीप समूहों में पाए जाने वाले पादप एवं जंतुओं में बहुत अधिक विविधता है।
  • ये द्वीप विषुवत वृत के समीप स्थित हैं एवं यहाँ की जलवायु विषुवतीय है तथा यह घने जंगलों से आच्छादित है।
  • विभिन्न भू-आकृतिक विभागों का विस्तृत विवरण प्रत्येक विभाग की विशेषताएँ स्पष्ट करता है परंतु यह स्पष्ट है कि ये विभाग एक-दूसरे के पूरक हैं और वे देश को प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध बनाते हैं।
  • उत्तरी पर्वत जल एवं वनों के प्रमुख स्रोत हैं।
  • उत्तरी मैदान देश के अन्न भंडार है।
  • इनसे प्राचीन सभ्यताओं के विकास को आधार मिला।
  • पठारी भाग खनिजों के भंडार हैं, जिसने देश के औद्यौगीकरण में विशेष भूमिका निभाई है।
  • तटीय क्षेत्र मत्स्यन और पोत संबंधी क्रिया-कलापों के लिए उपयुक्त स्थान हैं।
  • इस प्रकार देश की विविध भौतिक आकृतियाँ भविष्य में विकास की अनेक संभावनाएँ प्रदान करती हैं।

भारत का भौतिक स्वरूप अभ्यास प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

(i) एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हो-
(क) तट                                    (ख) प्रायद्वीप           (ग) द्वीप                       (घ) इनमें से कोई नहीं                 [ख]

(ii) भारत के पूर्वी भाग में म्यांमार की सीमा का निर्धारण करने वाले पर्वतों का संयुक्त नाम-
(क) हिमाचल                            (ख) पूर्वांचल             (ग) उत्तराखंड                (घ) इनमें से कोई नहीं                 [ख]

(iii) गोवा के दक्षिण में स्थित पश्चिम तटीय पट्टी –
(क) कोरोमण्डल                        (ख) कन्नड़              (ग) कोंकण                    (घ) उत्तरी सरकार                     [ग]

(iv) पूर्वी घाट का सर्वोच्च शिखर-
(क) अनाईमुडी                          (ख) महेन्द्रगिरी          (ग) कंचनजंघा                (घ) खासी।                             [ख]

प्रश्न 2. निम्नलिखत प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए

(i) ‘भाबर’ क्या हैं?
📝 नदियाँ पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 किमी. के चौड़ी पट्टी में गुटिका का निक्षेपण करती हैं। इसे भाबर के नाम से जाना जाता है। सभी सरिताएँ इस भाबर पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं। इस पट्टी के दक्षिण में ये सरिताएँ एवं नदियाँ पुन: निकल आती हैं।

(ii) हिमालय के तीन प्रमुख विभागों के नाम उत्तर से दक्षिण के क्रम में बताइए।
📝 (i) हिमाद्रि (ii) हिमाचल (iii) शिवालिक।

(iii) अरावली और विन्ध्याचल की पहाड़ियों में कौन-सा पठार स्थित है?
📝 मालवा का पठार।

(iv) भारत के उन द्वीपों के नाम बताइए जो प्रवाल भित्ति के हैं।
📝 लकादीवमीनीकाय एवं एमीनदीव। इन्हें आजकल लक्षद्वीप द्वीप समूह के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए-

(i) बांगर और खादर

बांगरखादर
1. उत्तरी मैदान के पुराने जलोढ़ को बांगर कहते हैं।
2. ये नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं। यहाँ बाढ़ का पानी नहीं पहुँच पाता है।
3. इनका प्रत्येक वर्ष पुनर्निर्माण नहीं होता है।
4. यह कम उपजाऊ होते हैं।
1. बाढ़ के मैदानों के नवीन जलोढ़ को खादर कहते हैं।
2. इन क्षेत्रों में बाढ़ के समय नदी का पानी सम्पूर्ण क्षेत्र में
फैल जाता है तथा नयी जलोढ़ की परत जम जाती है।
3. इनका प्रत्येक वर्ष पुनर्निर्माण होता है।
4. यह अधिक उपजाऊ होते हैं।

(ii) पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट

पूर्वी घाटपश्चिमी घाट
1. दक्षिण के पठार के पूर्वी सिरे पर पूर्वी घाट स्थित है।
2. ये श्रृंग पर्वतमाला है जो पूर्वी तट के समानान्तर फैली हुई है।
3. पूर्वी घाट कम ऊँचे हैं। इन घाटों की औसत ऊँचाई 600 मीटर है।
4. पूर्वी घाट को बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने काट दिया है।
5. महेन्द्रगिरी (1,500 मी.) पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है।  
1. दक्षिण के पठार के पश्चिमी सिरे पर पश्चिमी घाट स्थित है।
2. यह सतत् पर्वतमाला है जो पश्चिमी तट के समानान्तर स्थित है।
3. पश्चिमी घाट अधिक ऊँचे हैं। इन घाटों की औसत ऊँचाई 900 से 1600 मीटर है।
4. पश्चिमी घाट निरन्तरता लिए हुए हैं और इन्हें दर्रों से होकर ही पार किया जा सकता है।
5. अनाईमुडी (2,695) पश्चिमी घाट का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है।

प्रश्न 4. भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग कौन-से हैं? हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीपीय पठार के उच्चावच लक्षणों में क्या अन्तर है?
📝 भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग निम्नलिखित हैं-
(i) हिमालय पर्वत श्रृंखला, (ii) उत्तरी मैदान,  (iii) प्रायद्वीपीय पठार, (iv) भारतीय मरुस्थल, (v) तटीय मैदान,  (vi) द्वीप समूह।
हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में अन्तर निम्न प्रकार से हैं-

हिमालय क्षेत्रप्रायद्वीपीय पठार
1. यह नवीन वलित पर्वतीय क्षेत्र है।
2. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र की तीन वलित श्रेणियाँ हैं-
I. हिमाद्रि,  II. निम्न हिमालय,  III. शिवालिक।
3. हिमालय क्षेत्र में ऊँचे पर्वत शिखर एवं गहरी घाटियाँ हैं।
4. हिमालय क्षेत्र में अधिक हिमनद एवं दर्रे पाये जाते हैं।
5. इस पर्वतीय क्षेत्र का निर्माण मुख्य रूप से अत्यधिक संपीडित तथा परिवर्तित शैलों से हुआ है।
1. यह पठारी क्षेत्र अति प्राचीन भूखण्ड है।
2. प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग हैं-
I. मध्यवर्ती भूमि, II. दक्कन (दक्षिण)का पठार
3. इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियाँ एवं गोलाकार पहाड़ियाँ हैं।
4. पठारी भूमि होने के कारण हिमनद नहीं पाये जाते हैं।
केवल सीमित मात्रा में दर्रे पाये जाते हैं।
5. इस पठारी क्षेत्र का निर्माण पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय एवं रूपान्तरित शैलों से हुआ है।

प्रश्न 5. भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन कीजिए।
📝 भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन निम्न प्रकार से है-
1. उत्तरी मैदान हिमालय पर्वतीय एवं प्रायद्वीपीय पठार के मध्य में स्थित है।
2. इस मैदानी क्षेत्र का विस्तार 7 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में है। यह मैदान लगभग 2400 किमी. लम्बा एवं 240 से 320 किमी. चौड़ा है।
3. यह मैदान उत्तर में हिमालय से आने वाली नदियों द्वारा लाये गये महीन जलोढ़कों द्वारा निर्मित है।
4. उच्चावच में बहुत कम विषमताओं वाला यह लगभग समतल भू-भाग है।
5. यह मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों- सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों से निर्मित हुआ है।
6. यह मैदानी क्षेत्र की उपजाऊ मृदा, पर्याप्त जलापूर्ति एवं अनुकूल जलवायु इसे कृषि के लिए आदर्श बनाती है।
7. आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है-
i. भाबर
ii. तराई
iii. भांगर (बांगर)
iv. खादर।

प्रश्न 6. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
(i) मध्य हिमालय (ii) मध्य उच्च भूमि, (iii) भारत के द्वीप समूह।
(i) मध्य हिमालय –
1. मध्य हिमालय पर्वत श्रृंखला हिमालय पर्वत की सर्वोच्च श्रेणी हिमाद्रि के दक्षिण में समानान्तर रूप में फैली हुई है। इसे हिमाचल या निम्न हिमालय के नामसे भी जाना जाता है।
2. इसकी औसत ऊँचाई 3700 से 4500 मीटर है तथा औसत चौड़ाई लगभग 50 किलोमीटर है।
3. यह हिमालय की मध्यवर्ती श्रेणी है।
4. सका सर्वाधिक भाग असम राज्य में है।
5. इसमें पीरपंजाल श्रृंखला सबसे लम्बी एवं सबसे महत्वपूर्ण श्रृंखला है। धौलाधार एवं महाभारत श्रृंखलाएँ भी महत्त्वपूर्ण हैं।
6. इसी पर्वत श्रृंखला में कश्मीर की घाटी एवं हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लू की घाटियाँ स्थित हैं।
7. धर्मशाला, शिमला, मसूरी, नैनीताल एवं दाजिर्लिंग यहाँ के प्रमुख स्वास्थ्यवर्द्धक पर्वतीय स्थल है।

(ii) मध्य उच्च भूमि –
1. नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो मालवा के पठार के अधिकांश भागों पर फैला है, मध्य उच्च भूमि के नाम से जाना जाता है।
2. इस क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ – चम्बल, सिंध, बेतवा एवं केन दक्षिण-पश्चिम से उत्तर पूर्व की तरफ बहती हैं।
3. मध्यवर्ती उच्च भूमि पश्चिम से चौड़ी एवं पूर्व में सँकरी है।
4. इस पठार के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप में बुन्देलखंड एवं बघेलखंड के नाम से जाना जाता है।
5. सोन नदी के पूर्व में छोटा नागपुर का पठार स्थित है। यह पठारी भाग लावा के निक्षेपों की परतों से बना है।

(iii) भारत के द्वीप समूह – भारत के द्वीप समूहों को दो वर्गों में बाँटा जाता है-
लक्षद्वीप द्वीप समूह-
1. केरल के मालाबार तट के समीप स्थित छोटे-छोटे द्वीपों के समूह को लक्षद्वीप कहते हैं।
2. द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से मिलकर बना है।
3. इन द्वीपों को पहले लकादीव, मीनीकाय एवं एमीनदीव के नाम से जाना जाता था।
4. यह द्वीप समूह 32 किमी. के छोटे से क्षेत्र में फैला हुआ है।
5. कावारत्ती द्वीप लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय है।
6. इस द्वीप समूह पर वनस्पति एवं जन्तुओं के अनेक प्रकार पाये जाते हैं।
7. पिटली द्वीप पर मनुष्यों का निवास नहीं है। यहाँ एक पक्षी अभयारण्य है।

अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह –
1. ये द्वीप बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण की ओर फैले हुए हैं।
2. ये द्वीप समूह आकार में बड़े, संख्या में बहुल एवं बिखरे हुए हैं।
3. इन द्वीप समूहों को मुख्यत: दो भागों में बाँटा गया है- उत्तर में अण्डमान तथा दक्षिण में निकोबार।
4. यह माना जाता है कि यह द्वीप समूह निमज्जित पर्वत श्रेणियों के ऊपर उठे हुए हैं।
5. यह द्वीप समूह देश की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस द्वीप समूह का मुख्यालय पोर्ट ब्लेयर में है।
6. इन द्वीप समूह में पाये जाने वाले पादप और जन्तुओं में बहुत अधिक विविधता पायी जाती है।
7. ये द्वीप विषुवत् वृत के समीप स्थित हैं।
8. इन द्वीपों की जलवायु विषुवतीय है।
9. ये द्वीप घने वनों से आच्छादित हैं।

भारत का भौतिक स्वरूप महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय पर्वत कैसा है?
📝 वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय पर्वत एक नवीन, मोडदार पर्वत है।

प्रश्न 2. विश्व की सबसे ऊँची पर्वत शिखर कौन सी है?
📝 माउंट एवरेस्ट।

प्रश्न 3. हिमालय की सबसे बाहरी श्रंखला को क्या कहते है?
📝 शिवालिक।

प्रश्न 4. सतलुज तथा काली नदियों के बीच स्थित हिमालय के भूभाग को किस नाम से जाना जाता है?
📝 कुमाऊ हिमालय।

प्रश्न 5. उत्तरी मैदान कि तीन प्रमुख नदी प्रणालियाँ के नाम लिखे?
📝 उत्तरी मैदान की तीन प्रमुख नदियाँ प्रणालियाँ के नाम  है –
1. सिन्धु,
2. गंगा,
3. ब्रह्मपुत्र

प्रश्न 6. उत्तरी मैदान कौन सी मृदा से मिलकर बना है?
📝 जलोढ़ मृदा।

प्रश्न 7. वितराकाएँ धाराएँ किन्हें कहते है?
📝 नदियाँ अपने निचले भाग में गाद एकत्र हो जाने के कारण बहुत सी धाराओं में बट जाती है। एक धाराओं को वितरिकाएं कहा जाता है।

प्रश्न 8. दोआब को परिभाषित करे?
📝 दोआब का अर्थ है – दो नदियों के बीच का भाग। दोआब दो शब्दों से मिलकर बना है – दो तथा आब अर्थात पानी।

प्रश्न 9. भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी कहा पर स्थित है?
📝 भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के बैरन पर स्थित है।

प्रश्न 10. पश्चिमी घाट के ऊँची शिखर का नाम लिखे?
📝 अनाईमुड़ी (2695) मीटर, डोडा बेटा (2633) मीटर।

प्रश्न 11. पूर्वी घाट की सबसे ऊँची शिखर का नाम लिखे?
📝 महेन्द्रगिरी (1500) मीटर।

प्रश्न 12. भारतीय प्रायद्वीप की प्रमुख नदियों के नाम लिखे?
📝 1. महानदी, 2. गोदावरी, 3. कृष्णा 4. कावेरी

प्रश्न 13. सिंधु की सहायक नदियों के नाम लिखे?
📝 1. झेलम, 2. चेनाब, 3. रावी, 4. व्यास, 5. सतलुज

प्रश्न 14. भारत कि खारे पानी की सबसे बड़ी झील कौन सी है तथा यह कहाँ स्थित है?
📝 चिलका झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यह उड़ीसा में स्थित है।

❃❃❃❃❃

People Search In Google

Class 9 Geography Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप Notes In Hindi
Class 9 Geography Chapter 02 (भारत का भौतिक स्वरूप) Notes in
पाठ 2 – भारत का भौतिक स्वरुप भूगोल के नोट्स| Class 9th

  1. भारत का भौतिक स्वरुप : अभ्यास Geography class 9:Hindi …
    Class 9 Geography Chapter 2 in Hindi PDF | भारत का भौतिक
    क्लास 9 भूगोल अध्याय 2 भारत का भौतिक स्वरुप full chapter
    Class -9 th Geography Chap-2 भारत का भौतिक स्वरूप by Sachin .
    Class 9 Geography || Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप

  2. सीबीएसई नोट्स कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 – भारत की भौतिक विशेषताएं
    कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 नोट्स हिंदी में भारत का भौतिक स्वरूप
    अध्याय 2 : भारत का भौगोलिक स्वरूप –
    Class 9 Geography chapter 2 question answer in hindi

भारत का भौतिक स्वरूप PDF
भारत का भौतिक स्वरूप Class 9 question answer
भारत का भौतिक स्वरूप NCERT
भारत का भौतिक स्वरूप Notes


भारत का भौतिक स्वरूप Class 9 PDF
कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 PDF Download
भारत का भौतिक स्वरूप Class 9 Notes
भारत का भौतिक स्वरूप प्रश्न उत्तर

NCERT Class 9 Geography MCQs Chapter – 2 भारत का भौतिक …
NCERT Solution For Class 9 Social Science in Hindi …
NCERT Solutions for Class 9 Social Science Geography
नोट्स भूगोल Notes Bhugol Class 9 Geography Hindi Medium

  1. भारत का भौतिक स्वरुप Class 9 Geography in Hindi 2023
    Geography 2. भारत का भौतिक स्वरुप Class-9 महत्वपूर्ण

class 9 geography chapter 2 notes in hindi
class 9 geography chapter 2 short notes
notes of chapter 2 geography class 9th
class 9 geography chapter 1 short notes
class 9 economics chapter 2 short notes


class 9 geography chapter 2 explanation in hindi
ncert class 9 geography chapter 2 notes in hindi
ch 5 class 9 geography notes
class 9 geography chapter population notes
class 9 geography chapter 2 important points
chapter 2 class 9 geography notes

Chapter 2 Physical Features Of India – CBSE Notes For Class 9
Physical Features of India Class 9 Notes Geography Chapter 2
Notes of Ch 2 Physical Features of India| Class 9th Geography
Physical Features of India Class 9 Notes Geography Chapter 2
Class 9 Geography Chapter 2 Physical Features of India Notes
Geography Chapter 2 Physical Features of India – Class Notes


Physical Features of India Class 9 Geography Social Science
CBSE Notes Class 9 Geography Chapter 2 Physical Features
Class 9 Geography Chapter 2 || Physical Features of India
Physical Features of India class 9 Notes Geography

Class 9 Geography Chapter 2 Notes PDF
Class 9 Geography Chapter 2 handwritten Notes
Class 9 Geography Chapter 2 Notes Study Rankers
Class 9 Geography Chapter 2 exercise questions and answers
Class 9 Geography chapter 2 Notes PDF magnet brains
Class 9 Geography chapter 2 Notes magnet brains
Class 9 Geography Chapter 2 PDF
Physical features of India Class 9 Notes

class 9 geography chapter 2 notes
class 9 geography chapter 2 notes pdf
class 9 geography chapter 2 notes in hindi
class 9 geography chapter 2 notes study rankers
class 9 geography chapter 2 notes magnet brains
class 9 geography chapter 2 notes pdf magnet brains
class 9 geography chapter 2 notes pdf download


class 9 geography chapter 2 notes kerala syllabus
class 9 geography chapter 2 notes question answer
icse class 9 geography chapter 2 notes
ncert class 9 geography chapter 2 notes
ncert class 9 geography chapter 2 notes in hindi
learn cbse class 9 geography chapter 2 notes
vedantu class 9 geography chapter 2 notes
ncert class 9 geography chapter 2 notes pdf

NCERT Class 9 Science Notes in Hindi

प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको सत्र 2023-24 के लिए NCERT Class 9 Science Chapter 1 हमारे आस पास के पदार्थ Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान के नोट्स उपलब्ध करवा रहे है |

URL: https://my-notes.in/ncert-class-9-science-notes-in-hindi-pdf/

Author: NCERT

Name: NCERT Class 9 Science Notes in Hindi

Url: https://my-notes.in/ncert-class-9-science-notes-in-hindi-pdf/

Author: NCERT

Format: https://schema.org/EBook

Editor's Rating:
5

Pros

  • Best Book For Class 9th Science Notes in Hindi

Leave a Comment

Free Notes PDF | Quiz | Join टेलीग्राम
20seconds

Please wait...