2023-24 NCERT Class 9 Geography Chapter 4 जलवायु  Notes in Hindi

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9th Class Geography Chapter 4 Climate Notes in Hindi | कक्षा 9 भूगोल नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Bhuugol Chapter 4 Jalavaayu  Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar.

TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectGeography | भूगोल
ChapterChapter 4
Chapter Nameजलवायु 
CategoryClass 9 Geography Notes in Hindi
MediumHindi
class-9-Geography-chapter-4-Climate notes-in-hindi

Class 09 भूगोल
अध्याय = 4
जलवायु 

Climate

जलवायु:

जलवायु

  • किसी क्षेत्र के प्राकृतिक पर्यावरण को समझने के लिए तीन मूल तत्व को समझना आवश्यक है।
    1. स्थलाकृति
    2. अपवाह
    3. वायुमंडलीय अवस्थाएँ या जलवायु

परिभाषा

1. जलवायु :-

“एक विशाल क्षेत्र में लंबी समयावधि (30 वर्ष से अधिक) में मौसम की अवस्थाओं तथा विविधताओं का कुल योग जलवायु कहलाता है।”

2. मौसम :-

“एक विशेष समय में एक क्षेत्र विशेष के वायुमंडलीय अवस्थाओं को मौसम कहते हैं।”

  • मौसम की अवस्थाएँ प्रायः एक दिन में कई बार बदलती है।
  • नोट- मौसम तथा जलवायु के तत्व एक समान होते हैं। जैसे-

1. तापमान
2. वायुमंडलीय दाब
3. पवन
4. आर्द्रता
5. वर्षण

  • वायुमंडलीय अवस्थाएँ कुछ सप्ताह महीनों तक एक समान ही बनी रहती है। जैसे-
    • दिन गर्म या ठंडे हो सकते हैं,
    • हवादार या शांत हो सकते हैं,
    • आसमान बादलों से घिरा या साफ हो सकता है
    • आर्द्र व शुष्क हो सकता है।
  • महीनों के औसत वायुमंडलीय अवस्था के आधार पर वर्ष को अलग-अलग ऋतुओ में बाँटा जा सकता है। जैसे-

A. ग्रीष्म ऋतु
B. शीत ऋतु
C. वर्षा ऋतु

  • विश्व को अनेक जलवायु प्रदेशों में बांटा गया है।
  • भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है।

मानसून शाब्दिक अर्थ –

  • मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द ‘मौसिम’ से हुई है जिसका अर्थ है- मौसम
  • मौसम का अर्थ है- एक वर्ष में पवनों की दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन।
  • भारत में अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी से चलने वाली हवाओं की दिशा ऋतु परिवर्तन के साथ बदलती जाती है। इसी कारण भारतीय जलवायु को ‘मानसूनी जलवायु’ की संज्ञा दी जाती है।
  • एशिया में इस प्रकार की जलवायु मुख्यतः दक्षिण तथा दक्षिण पूर्व में पाई जाती है।

तापमान एवं वर्षण

  • देश की जलवायु अवस्था में तापमान एवं वर्षण में पाई जाने वाली विभिन्नता के कारण एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में भिन्नता देखने को मिलती है।

1. तापमान-

  • गर्मियों में राजस्थान के मरुस्थल के कुछ स्थानों पर तापमान लगभग 50° सेल्सियस तक पहुँच जाता है, जबकि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में तापमान लगभग 20° सेल्सियस रहता है।
  • सर्दी की रात में जम्मू कश्मीर में द्रास का तापमान -45° सेल्सियस तक हो सकता है जबकि तिरुअनंतपुरम में यह 22° सेल्सियस हो सकता है।
  • कुछ क्षेत्रों में रात एवं दिन के तापमान में बहुत अधिक अंतर होता है जैसे-
  1. थार के मरुस्थल में दिन का तापमान 50℃ तक तथा उसी रात का तापमान 15℃ तक पहुँच जाता है।
  2. केरल या अंडमान निकोबार में दिन और रात के तापमान में लगभग समानता रहती है।

2. वर्षण-

  • वर्षण के रूप तथा प्रकार में भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर विभिन्नता पाई जाती है।
  • मेघालय में वार्षिक वर्षा 400 सेंटीमीटर से लेकर लद्दाख एवं पश्चिमी राजस्थान में 10 सेंटीमीटर से भी कम होती है।
  • देश के अधिकतर भागों में जून से सितंबर तक वर्षा होती है।
  • लेकिन कुछ क्षेत्रों जैसे तमिलनाडु तट पर अधिकतर वर्षा अक्टूबर और नवंबर में होती है।
  • नोट-
  • “जलवाष्प के संघनन के बाद नमी की मुक्त होने की अवस्था को वर्षण कहते हैं।”
  • यह हिम या जल की बूंदों के रूप में हो सकती है।

प्रभाव

  • तटीय क्षेत्र के तापमान में अंतर कम होता है।
  • देश के आंतरिक भागों में मौसमी या ऋतुवत अंतर अधिक होता है।
  • उत्तरी मैदान में वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर घटती जाती है।
  • यह भिन्नताएँ लोगों के जीवन में विविधता लाती है जो उनके भोजन, वस्त्र और घरों के प्रकार में दिखाई देती है।
  • राजस्थान में अत्यधिक तापमान तथा कम वर्षा के कारण घरों की दीवार मोटी तथा छतें चपटी होती है। चूंकि मोटी दीवारें अधिक तापमान को रोकती है तथा चपटी दीवारों से वर्षा के जल को संग्रहित किया जा सकता है।
  • तराई क्षेत्र तथा गोवा एवं मैंगलोर में अत्यधिक वर्षा के कारण ढाल वाली छतों का निर्माण किया जाता हैं।
  • असम में अत्यधिक वर्षा के कारण जलभराव होने के कारण घर बाँस के खंभों पर बनाए जाते हैं

जलवायवी नियंत्रण

  • किसी भी क्षेत्र की जलवायु को नियंत्रित करने वाले छ: प्रमुख कारक हैं –

1. अक्षांश,
2. तुंगता (ऊंचाई)

3. वायु दाब एवं पवन तंत्र,
4. समुद्र से दूरी,

5. महासागरीय धाराएँ
6. उच्चावच लक्षण।

1. अक्षांश

  • पृथ्वी की गोलाई के कारण, इसे प्राप्त सौर ऊर्जा की मात्रा अक्षांशों के अनुसार अलग-अलग होती है।
  • इसके परिणामस्वरूप तापमान विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर सामान्यत: घटता जाता है।

2. तुंगता (ऊंचाई)

  • पृथ्वी की सतह से ऊँचाई की ओर जाने पर वायुमंडल की सघनता कम हो जाती है तथा तापमान घट जाता है इसलिए पहाड़ियाँ गर्मी के मौसम में भी ठंडी होती हैं।

3. वायु दाब एवं पवन तंत्र

  • किसी भी क्षेत्र का वायु दाब एवं पवन तंत्र उस स्थान के अक्षांश तथा ऊँचाई पर निर्भर करती है इस प्रकार यह तापमान एवं वर्षा के वितरण को प्रभावित करता है।

4.समुद्र से दूरी

  • समुद्र का जलवायु पर समकारी प्रभाव पड़ता है जैसे-जैसे समुद्र से दूरी बढ़ती है यह प्रभाव कम होता जाता है एवं लोग विषम मौसमी अवस्थाओं को महसूस करते हैं विषम मौसमी अवस्थाओं को महाद्वीपीय अवस्था कहते हैं।
  • स्थल गर्मी में बहुत अधिक गर्म एवं सर्दी में बहुत अधिक ठंडें हो जाते है जबकि जलीय भाग धीरे-धीरे गर्म एवं धीरे-धीरे ठंडे होते हैं यही कारण है कि समुद्र तटों पर तापमान में ज्यादा अंतर नहीं रहता जबकि महाद्वीपों के आंतरिक भागों में तापमान में अत्यधिक अंतर पाया जाता है।

5. महासागरीय धाराएँ

  • महासागरीय धाराएँ समुद्र से तट की ओर चलने वाली हवाओं के साथ तटीय क्षेत्रों की जलवायु को प्रभावित करती हैं गर्म जलधाराओं वाले तटीय क्षेत्रों में जब वायु की दिशा समुद्र से तट की ओर हो, तब तट गर्म हो जातें है।
  • ठण्डी जलधाराओं वाले तटीय क्षेत्रों में जब वायु की दिशा समुद्र से तट की ओर हो, तब तट ठण्डे हो जातें है तटों के ठंडे होने पर तथा ठंडी जल धाराओं की उपस्थिति के कारण वाष्पीकरण की प्रक्रिया कम होती है।
  • नोट-
  • महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर ठंडी महासागर धाराओं की उपस्थिति के कारण तथा व्यापारिक पवनों के वृष्टि छाया क्षेत्र  होने के कारण बादल नहीं बन पाते और फिर वहाँ वर्षा नहीं हो पाती।
  • यही कारण है कि महाद्वीपों के पश्चिमी किनारे पर अधिकतर मरूस्थल स्थित हैं।

6. उच्चावच लक्षण।

  • ऊँचे पर्वत ठंडी अथवा गर्म वायु को अवरोधित करते हैं।
  • यदि उनकी ऊँचाई इतनी हो कि वे वर्षा लाने वाली वायु के रास्तों को रोकने में सक्षम होते हैं, तो ये उस क्षेत्र में वर्षा का कारण भी बन सकते हैं।
  • पर्वतों के पवनाभिमुख ढाल आर्द्र तथा पवनविमुख ढाल अपेक्षाकृत सुखे रहते हैं।

भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
अक्षांश

► कर्क वृत्त देश के मध्य भाग, पश्चिम में कच्छ के रन से लेकर पूर्व में मिजोरम, से होकर गुजरती है देश का लगभग आधा भाग कर्क वृत्त के दक्षिण में स्थित है, जो उष्ण-कटिबंधीय क्षेत्र है।
► कर्क वृत्त के उत्तर में स्थित शेष भाग उपोष्ण-कटिबंधीय जलवायु में स्थित है अतः भारत में उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु दोनों की विशेषताएँ उपस्थित है।

ऊँचाई

► भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत है औसत ऊँचाई –  लगभग 6,000 मीटर। भारत का तटीय क्षेत्र भी विशाल है, जहाँ अधिकतम ऊँचाई लगभग 30 मीटर है हिमालय मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाओं को भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करने से रोकता है इन्हीं पर्वतों के कारण इस क्षेत्र में मध्य एशिया की तुलना में ठंड कम पड़ती है।

वायु दाब एवं पवन

• भारत में जलवायु तथा संबंधित मौसमी अवस्थाएँ निम्नलिखित वायुमंडलीय अवस्थाओं से संचालित होती हैं :

1. वायुदाब एवं धरातलीय पवनें
2. ऊपरी वायु परिसंचरण
3. पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ एवं उष्णकटिबंधीय चक्रवात

वायु दाब एवं धरातलीय पवनें

► भारत उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनों वाले क्षेत्र में स्थित है।
► ये पवनें उत्तरी गोलार्द्ध के उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब वाली पटि्टयों से उत्पन्न होती हैं।
► ये दक्षिण की ओर बहती, कोरिआलिस बल के कारण दाहिनी और मुड़कर विषुवतीय निम्न दाब वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ती है।

कोरिओलिस बल :

► पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न आभासी बल को कोरिओलिस बल कहते हैं।
►इस बल के कारण पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर विक्षेपित हो जाती हैं।
► इसे फेरेल का नियम भी कहा जाता है।

  • सामान्यतः इन पवनों में नमी की मात्रा बहुत कम होती है इसलिए इन पवनों के द्वारा वर्षा कम या नहीं होती है इस प्रकार भारत को शुष्क क्षेत्र होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है।

शीत ऋतु

  • इस ऋतु में हिमालय के उत्तर में उच्च दाब होता है इस क्षेत्र की ठंडी शुष्क हवाएँ दक्षिण में निम्न दाब वाले महासागरीय क्षेत्र के ऊपर बहती हैं।

ग्रीष्म ऋतु

  • इस ऋतु में, आंतरिक एशिया एवं उत्तर-पूर्वी भारत के ऊपर निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है इसके कारण गर्मी के दिनों में वायु की दिशा पूरी तरह से परिवर्तित हो जाती है।
  • वायु दक्षिण में स्थित हिंद महासागर के उच्च दाब वाले क्षेत्र से दक्षिण-पूर्व दिशा से बहते हुए विषुवत वृत्त को पार कर दाहिनी ओर मुड़ते हुए भारतीय उपमहाद्वीप पर स्थित निम्न दाब की ओर बहने लगती हैं इन्हें दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों के नाम से जाना जाता है।
  • ये पवनें कोष्ण महासागरों के ऊपर से बहती हैं, नमी ग्रहण करती हैं तथा भारत की मुख्य भूमि पर वर्षा करती हैं इस प्रदेश में, ऊपरी वायु परिसंचरण पश्चिमी प्रवाह के प्रभाव में रहता है इस प्रवाह का एक मुख्य घटक जेट धारा है।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. विश्व में सबसे अधिक वर्षा कहाँ होती है?
उत्तर– मासिनराम

प्रश्न 2. गर्मी के मौसम में उत्तरी मैदानों में बहने वाली गर्म एवं शुष्क पवन को क्या कहा जाता है?
उत्तर– लू

प्रश्न 3. भारत में सबसे ठंडा स्थान कौन सा है?
उत्तर– द्रास

प्रश्न 4. काल बैसाखी को स्पष्ट करें?
उत्तर– पश्चिमी बंगाल में तीव्र हवाओं के साथ बैशाख के महीने में होने वाली मूसलाधार वर्षा। जो भारी तबाही का कारण बनती है। काल बैसाखी कहलाती है।

प्रश्न 5. वह प्रदेश जहाँ दिन और रात के तापमान में अधिक अंतर नहीं पाया जाता हैकौन सा है?
उत्तर– केरल

प्रश्न 6. भारत में मानसून का आगमन कब होता है?
उत्तर– जून के प्रारम्भ में।

प्रश्न 7. भारत में शीतऋतु में स्थल से समुद्र की और बहने वाली पवनों को क्या कहा जाता है?
उत्तर– उत्तरी – पूर्वी व्यापारिक पवनें ।

प्रश्न 8. भारत में कौन सी मुख्य ऋतुएँ पायी जाती है?
उत्तर– भारत में चार मुख्य ऋतुएँ पाई जाती है जो कि निम्न है :
1. शीतऋतु
2. ग्रीष्म ऋतु
3. वर्षा ऋतु
4. लौटते हुए मानसून की ऋतु।

प्रश्न 9. एलनीनो की व्याख्या कीजिये?
उत्तर– एलनीनों एक गर्म जलधारा है। यह पेरु के तट पर उत्पन्न होती है और पेरु की शीत जलधारा को अस्थायी रूप से हटाकर उसका स्थान ले लेती है। एलनिनो एक स्पैनिश शब्द है, जिसका अर्थ होता है बच्चा, जोकि बेबी क्राइस्ट को व्यक्त करता है।
क्योंकि यह धारा क्रिसमस के समय बहना शुरू करती है।

प्रश्न 10. दक्षिणी – पश्चिमी मानसून और उत्तरी पूर्वी मानसून के बीच अंतर बताइये।   
उत्तर– दक्षिणी – पश्चिमी मानसून
✯ यह मानसून अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उत्तर की और बढ़ता है।
✯ ये मानसूनी पवनें जून से सितम्बर माह में बहती है।
✯ ये पवने देश व्यापी वर्षा करती है।
✯ उत्तरी – पूर्वी मानसून
✯ यह मानसून उत्तर – पूर्व से समुद्र की और बढ़ता है।
✯ ये पवनें अक्टूबर – नवम्बर माह में चलती हैं।
✯ ये पवने तमिलनाडु में वर्षा करती है।

प्रश्न 11. भारत के किस भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है एवं क्यों?
उत्तर – 1. यह भारत का उत्तरी – पश्चिमी हिस्सा है। यहाँ का तापमान 48 डिग्री तक बढ़ जाता है।
2. मई – जून माह में भारत के उत्तर – पश्चिमी हिस्सो में न्यून वायुदाब की दशायें तीव्र हो जाती हैं।
3. भारत में दक्षिणी – पश्चिमी मानसूनी हवायें प्रवेश करती हैं। जिससे इन भागों में आर्द्रता एवं उमस बढ़ जाती है।
4. मई जनू के माह में धूल भरी, गर्म और शुष्क पवनें चलती हैं, जिन्हें लू कहा जाता है।

प्रश्न 12. भारत में वर्षा का वितरण असमान क्यों हैं
उत्तर –  भारत में वर्षा का वितरण असमान है क्यों कि
1. मानसूनी पवने नियमित नहीं हैं।
2. उष्ण कटिबन्धीय स्थल व समुद्रों के ऊपर प्रवाह के दौरान ये विभिन्न वायुमंडलीय अवस्थाओं से प्रभावित होती हैं।
3. मानसून का समय जून से लेकर सितम्बर तक होता है।

प्रश्न 13. पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ की व्याख्या कीजिए?
उत्तर –  सर्दी के महीनों में उत्पन्न होने वाला पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ भूमध्यसागरीय क्षेत्रों से आने वाले पश्चिमी प्रवाह के कारण होता है। वे प्राय: भारत के उत्तर एवं उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात मानसूनी महीनों के साथ-साथ अक्टूबर व नवम्बर के महीनों में भी आते है। तथा ये पूर्वी प्रवाह के एक भाग होते हैं। एवं देश के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 14. अत: उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?      
उत्तर –  विषुवतीय अंक्षाशो में विस्तृत गर्त एवं निम्न दाब का क्षेत्र होता है। यही पर उत्तर पूर्वी तथा दक्षिण – पूर्वी व्यापारिक पवनें आपस में मिलती हैं। यह अभिसरण क्षेत्र विषुवत वृत्त के लगभग समानान्तर होता है। लेकिन सूर्य की आभासी गति के साथ-साथ यह उत्तर या दक्षिण की और खिसकता है।

प्रश्न 15. भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की विशेषताएँ बताइयें। 
उत्तर –  भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की विशेषताएँ इस प्रकार है –
✯ वर्षा का समय व मात्रा देश की अधिकांश वर्षा मानसूनी पवनों द्वारा गर्मी के मौसम में होती है।
✯ असमान वितरण – देश में वर्षा का वितरण समान नहीं हैं।
✯ अनिश्चितता – भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की मात्रा पूरी तरह निश्चित नहीं हैं।
✯ मूसलाधार वर्षा – मानूसनी वर्षा अत्यधिक मात्रा में और कई – कई दिनों तक लगातार होती है।
✯ शुष्क अन्तराल – कई बार शुरुआत में मानसूनी वर्षा लगातार न होकर कुछ दिन या सप्ताह के अंतराल से होती है।

प्रश्न 16. मौसम और जलवायु में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–  मौसम और जलवायु में अंतर को इस प्रकार समझें :

जलवायुमौसम
एक विशाल इलाके में एक लंबी समयावधि (30 वर्ष से अधिक) में मौसम की अवस्थाओं तथा विविधताओं का कुल योग ही जलवायु है।मौसम एक विशेष समय में एक क्षेत्र के वायुमंडल की स्थिति को बताता है।

प्रश्न 17. भारत की शीत ऋतु की विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर– भारत की शीत ऋतु की विशेषताएँ इस प्रकार है –
✯ इस ऋतु में आसमान साफ, तापमान और आद्रता कम एवं पवनें शिथिल एवं परिवर्तित होती है।
✯ दिन सामान्यत: गर्म और राते ठंडी होती है।
✯ मध्य नवम्बर से फरवरी तक।

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