2023-24 Class 9 Political Science Chapter 3 चुनावी राजनीति Notes in Hindi

NCERT Class 9 Political Science Chapter 3 चुनावी राजनीति|लोकतांत्रिक राजनीति- I

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9th Class Politial Science Chapter 3 Electoral Politics Notes in Hindi | कक्षा 9 राजनीति विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Raajaniiti Vigyan Chapter 3 Chunaavii raajaniiti Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar .

TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectPolitial Science | राजनीति विज्ञान
ChapterChapter 3
Chapter Nameचुनावी राजनीति | Electoral Politics
CategoryClass 9 Political Science Notes in Hindi
MediumHindi
class-9-Political Science-chapter-3-Electoral Politics notes-in-hindi

Class 09 राजनीति विज्ञान
अध्याय = 3
चुनावी राजनीति 

Electoral Politics

चुनाव

चुनावी राजनीति

चुनाव क्यो?
✯ हरियाणा में 1987 के चुनावों में देवीलाल (लोक शक्ति दल के नेता) एक जनसभा को संबोधित करने के लिए (करनाल) पहुँचने वाले है।
✯  जनता उत्सुकतापूर्वक देवीलाल का इंतजार कर रही है। देवीलाल देरी से पहुँचते है तथा जनता को संबोधित करते है।
✯  1982 में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी तथा 1987 में देवीलाल (लोकशक्ति) ने जनता से यह वादा किया कि उनकी सरकार बनने पर वे किसानों तथा छोटे व्यापारियों का ऋण माफ कर देंगे।
✯  चुनाव परिणाम आने पर लोकशक्ति रूप दल व उनके गठबंधन को 90 में 76 सीट मिलीं तथा अकेले लोकशक्ति दल को 60 सीटें प्राप्त हुई तथा चुनाव परिणाम के तीन दिन बाद ही देवीलाल (मुख्यमंत्री) बने तथा अपना वादा पुरा करते हुए उन्होंने ऋण माफी की घोषणा की।
✯  लेकिन 1991 में हुए चुनावों में लोकशक्ति दल चुनाव द्वारा तथा पुन: कांग्रेस की सरकार बनी।

बहुमत
आधी से अधिक सीटें किसी राजनीतिक दल द्वारा जीतना
हरियाणा विधान सभा चुनाव (90 सीट कुल)
बहुमत =  46 सीट
वर्तमान लोकसभा = (543 कुल सीट)
बहुमत = (273 सीट)

लोकतंत्र
1. प्रत्यक्ष प्रजातंत्र – जिनमें जनता नीति निर्माण में प्रत्यक्ष भूमिका निभाए।
2. अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र प्रतिनिधि प्रजातंत्र – जिसमें जनप्रतिनिधि विधि व नीति निर्माण करें (लगभग सभी देशों में)

चुनावों की जरूरत क्यों है?

  • ✯ वर्तमान समय में विश्व के अधिकत्तर देशों में लोकतंत्र है तथा लगभग सभी देशों (लोकतांत्रिक देश या गैर लोकतांत्रिक देश) में चुनाव संपन्न करवाए जाते है।
  • ✯ हम कुछ पलों के लिए बिना चुनाव की शासन प्रणाली की कल्पना करते हैं।
  • ✯ यह व्यवस्था बहुत कम जनसंख्या वाले देश या राज्य में संभव है।
  • ✯ प्राचीन काल में कम जनसंख्या के कारण यह व्यवस्था संभव थी लेकिन वर्तमान समय में विस्तृत भू-भाग तथा अत्यधिक जनसंख्या के कारण एक स्थान पर सभी लोगों द्वारा मिल बैठकर निर्णय कर पाना संभव नहीं है।
  • ✯ जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शासन व्यवस्था चलाने की प्रणाली विकसित हुई है। इस प्रणाली को अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र या प्रतिनिध्यात्मक प्रजातंत्र कहा जाता है।
  • ✯ प्रतिनिध्यात्मक प्रजातंत्र में जन प्रतिनिधि जनता द्वारा निर्वाचित होकर शासन का संचालन करते है। जनता इन प्रतिनिधियों का चुनाव जनहित के उद्देश्य से करती है।
  • ✯ जनता विधि निर्माण करने वाले प्रतिनिधियों (सांसद) तथा नीति को लागू करने वाले तथा देशहित में निर्णय लेने वाले प्रतिनिधियों मंत्रिमण्डल का चुनाव करते है।

चुनाव में मतदाता कई तरह से चुनाव करते है
✯  वे अपने लिए कानून बनाने वाले का चुनाव कर सकते हैं।
✯  वे सरकार बनाने और बड़े फ़ैसले करने वाले का चुनाव कर सकते है वे सरकार और उसके द्वारा बनने वाला कानूनों का दिशा-निर्देश करने वाली पार्टी का चुनाव कर सकते हैं।

चुनाव को लोकतांत्रिक मानने के आधार क्या हैं?

  • ✯ चुनाव कई तरह से हो सकते हैं।
  • ✯ लोकतांत्रिक देशों में तो चुनाव होते ही हैं।
  • ✯ यहाँ तक कि अधिकांश गैर-लोकतांत्रिक देशों में भी किसी – न – किसी तरह के चुनाव होते हैं।
  • ✯ हमने अध्याय प्रथम में चीन, मैक्सिको, जिबाब्वे, पाकिस्तान के लोकतंत्र व चुनावों की चर्चा की थी।
  • ✯ इन सभी र देशों चुनाव होने के बावजूद लोकतंत्र नाममात्र/दिखावा बनकर रह गया।
  • ✯ चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष हो जिसमें जनता के पास पर्याप्त विकल्प हो।
  • 1. हर किसी को चुनाव करने की सुविधा हो। यानि हर किसी को मताधिकार हो और हर किसी के मत का समान मोल हो।
  • 2. चुनाव में विकल्प उपलब्ध हों। पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव में उतरने की आजादी हो और वे मतदाताओं के लिए विकल्प पेश करें।
  • 3. चुनाव का अवसर नियमित अंतराल पर मिलता रहे। नए चुनाव कुछ वर्षो में जरूर कराए जाने चाहिए।
  • 4. लोग जिसे चाहें वास्तव में चुनाव उसी का होना चाहिए।
  • 5. चुनाव स्वतंत्र और निष्प्क्ष ढंग से कराए जाने चाहिए जिससे लोग सचमुच अपनी इच्छा से व्यक्ति का चुनाव कर सकें।
  • ✯  ये शर्तें बहुत आसान और सरल लग सकती हैं लेकिन अनेक देश ऐसे हैं जहाँ के चुनावों में इन शर्तों को भी पूरा नहीं किया जाता।

क्या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अच्छी चीज़ है?

  • ✯ चुनाव का मतलब राजनैतिक प्रतियोगिता या प्रतिद्वंद्विता है।
  • ✯ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बिना लोकतंत्र की कल्पना करना संभव नहीं है।
  • ✯ चुनावों के दौरान हम अलग-अलग राजनीतिक दलों व नेताओं को एक-दूसरे के विरूद्ध चुनाव लड़ते हुए तथा जनता का मत व समर्थन प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे पर दोषारोपण करते हुए देखते हैं।
  • ✯ राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता एक दृष्टिकोण से अच्छी है क्योंकि ऐसी प्रतियोगिता से लोकतंत्र मजबूत होता है।
  • ✯ उदाहरण – जिस प्रकार बाजार में एक ही प्रकार का सामान बेचने की अनेक दुकानें होती है तथा प्रत्येक दुकानदान न चाहते हुए भी ग्राहकों को अच्छी सेवा देने की कोशिश करता है। जिससे वह अधिक ग्राहकों को अपनी दुकान की और आकर्षित कर सके।
  • ✯ चुनावों के दौरान होने वाली प्रतिद्वन्द्विता जनता के लिए लाभदायक हैं। संविधान निर्माता भी इस बात को जानते थे कि चुनावों के दल एक-दूसरें से प्रतिद्वन्द्विता रखेंगे। इस दौरान आरोप-प्रत्यारोप भी लगेंगे लेकिन लोकतंत्र के हित संविधान में इस प्रणाली को स्वीकार किया गया।
  • ✯ प्रत्येक राजनीतिक दल अपने शासन काल में जनहित में अच्छा कार्य करने का प्रयास करता जिससे वह दुबारा चुनाव जीतकर सत्ता में आ सके।
  • ✯ 26 मई 2014 में NDA (नरेन्द्र मोदी-पी.एम.) की सरकार बनी अच्छे काम किए इसलिए दुबारा 30 मई 2019 में NDA की सरकार बनी।

चुनाव की हमारी प्रणाली क्या है?
✯ यहाँ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हर पाँच साल बाद होते हैं।
✯ पाँच साल के बाद सभी चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है।
✯ लोकसभा और विधानसभाएँ ‘भंग’ हो जाती हैं।
✯ सभी चुनाव क्षेत्रों में एक ही दिन चुनाव होते हैं। इसे आम चुनाव कहते हैं। कई बार सिर्फ एक क्षेत्र में चुनाव होता है जो किसी सदस्य की मृत्यु या इस्तीफे से खाली हुआ होता है। इसे उपचुनाव कहते हैं।

चुनाव क्षेत्र –
✯ अपने देश में हम क्षेत्र विशेष पर आधारित प्रतिनिधित्व की प्रणाली से काम करते हैं।
✯ चुनाव के उद्देश्य से देश को अनेक क्षेत्रों में बाँट लिया गया है। इन्हें निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं।
✯ एक क्षेत्र में रहने वाले मतदाता अपने एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।
✯ सासंद – लोकसभा चुनाव के लिए देश को 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है हर क्षेत्र से चुने गए प्रतिनिधियों को संसद सदस्य कहते हैं।
✯ लोकतांत्रिक चुनाव की एक विशेषता है हर वोट का बराबर मूल्य। इसीलिए हमारे संविधान में यह व्यवस्था है कि हर चुनाव क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या काफ़ी हद तक एक समान हो।


✯ विधायक – प्रत्येक राज्य को उसकी विधानसभा की सीटों के हिसाब से बाँटा गया है। इन सीटों से निर्वाचित प्रतिनिधियों को विधायक कहते हैं।
✯ प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा के कई-कई निर्वाचन क्षेत्र आते हैं।
✯ पंचायतों और नगरपालिका के चुनावों में भी यही तरीका अपनाया जाता है।
✯ प्रत्येक पंचायत को कई ‘वार्डों’ में बाँटा जाता है जो छोटे-छोटे निर्वाचन क्षेत्र हैं।
✯ प्रत्येक वार्ड से पंचायत या नगरपालिका के लिए एक सदस्य का चुनाव होता है।
✯ कई बार निर्वाचन क्षेत्रों को सीट‘ भी कहा जाता है क्योंकि हर क्षेत्र संसद या विधानसभा की एक सीट का प्रतिनिधित्व करता है।
✯ इसलिएहम जब कहते हैं कि लोकदल ने हरियाणा की 60 सीटें जीतीं तो इसका मतलब है कि विधानसभा के 60 निर्वाचन क्षेत्रों से लोकदल के 60 लोग जीतकर राज्य विधानसभा में पहुँचे।

आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र

  • ✯ हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को अपना प्रतिनिधि चुनने और जनप्रतिनिधि के तौर पर चुने जाने का अधिकार देता है।
  • ✯ लेकिन हमारे संविधान निर्माताओं को चिंता थी कि संभव है खुले चुनावी मुकाबले में कुछ कमजोर समूहों के लोग लोकसभा और विधानसभाओं में पहुँच नहीं पाए।
  • ✯ संभव है कि चुनाव लड़ने और जीतने लायक जरूरी संसाधनशिक्षा और संपर्क उनके पास हों ही नहीं।
  • ✯ संसाधनों वाले प्रभावशाली लोग उनको चुनाव जीतने से रोक भी सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो संसद और विधानसभाओं में हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से की आवाज़ ही नहीं पहुँच पाएगी।
  • ✯ इससे हमारे लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का चरित्र कमजोर होगा और यह व्यवस्था कम लोकतांत्रिक होगी। इसलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र की विशेष व्यवस्था सोची।
  • ✯ इसी कारण कुछ चुनाव क्षेत्र अनुसूचित जातियों के लोगों के लिए आरक्षित हैं तो कुछ क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए।
  • ✯ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर केवल अनुसूचित जाति का ही व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है।
  • ✯ इसी तरह सिर्फ अनुसूचित जनजाति के ही व्यक्ति अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं।
  • ✯ अभी लोकसभा की 84 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए और 47 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं (1 सितंबर 2012 की स्थिति )। ये सीटें पूरी आबादी में इन समूहों के हिस्से के अनुपात में हैं।
  • ✯ इस प्रकार अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षित सीटें किसी अन्य समूह के उचित हिस्से में से कुछ नहीं लेतीं।
  • ✯ कमजोर समूहों के लिए आरक्षण की यह व्यवस्था बाद में जिला और स्थानीय स्तर पर भी लागू की गई।
  • ✯ अनेक राज्यों में अब ग्रामीण (पंचायतों) और शहरी (नगरपालिका और नगर निगमों) स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए भी आरक्षण लागू हो गया है, पर हर राज्य में आरक्षित सीटों का अनुपात अलग- अलग है, इसी प्रकार ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में एक –तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं।

मतदाता सूची

  • ✯ एक बार जब निर्वाचन क्षेत्र का फैसला हो जाता है तब यह तय किया जाता है कि कौन वोट दे सकता हैकौन नहीं।
  • ✯ इस फैसले को अंतिम दिन तक के लिए किसी के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।
  • ✯ लोकतांत्रिक चुनाव में मतदान की योग्यता रखने वालों की सूची चुनाव से काफी पहले तैयार कर ली जाती है और हर किसी को दे दी जाती है, इस सूची को आधिकारिक रूप से मतदाता सूची कहते हैं, आम बोलचाल में इसे वोटर लिस्ट भी कहते हैं।
  • ✯ यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है क्योंकि इसका सीधा संबंध लोकतांत्रिक चुनाव की पहली शर्तअपना प्रतिनिधि चुनने के लिए हर किसी को समान अवसर मिलने से है।
  • ✯ सार्वभौम वयस्क मताधिकार व्यवहार में इसका मतलब है कि हर किसी को मत देने का अधिकार होना चाहिए और हर एक का मत समान मोल का होना चाहिए।
  • ✯ जब तक ठोस कारण  हो किसी को भी मताधिकार (वोट देने का अधिकार) से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
  • ✯ हमारे देश में 18 वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के सभी नागरिक चुनाव में वोट डाल सकते हैं।
  • ✯ नागरिक की जाति, धर्म, लिंग चाहे जो हो उसे मत देने का अधिकार है।
  • ✯ अपराधियों और दिमागी असंतुलन वाले कुछ लोगों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है लेकिन ऐसा सिर्फ बेहद खास पस्थितियों में ही होता है।
  • ✯ सभी सक्षम मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में हो यह व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है।
  • ✯ हर अगले चुनाव में नए लोग मतदाता बनने की उम्र तक आ जाते हैं इसलिए हर चुनाव से पूर्व मतदाता सूची को सुधारा जाता है।
  • ✯ लोग उस इलाके से बाहर चले जाते हैं या जिनकी मौत हो जाती है उनके नाम इस सूची से काट दिए जाते हैं।
  • ✯ हर पाँच वर्ष में मतदाता सूची का पूर्ण नवीनीकरण किया जाता है।
  • ✯ ऐसा मतदाता सूची को एकदम ताजा रखने के लिए किया जाता है, पिछले कुछ वर्षों से चुनावों में फोटो पहचान-पत्र की नई व्यवस्था लागू की गई है।
  • ✯ सरकार ने मतदाता सूची में दर्जं सभी लोगों को यह कार्ड देने की कोशिश की है, वोट देने जाते समय मतदाता को यह पहचान-पत्र साथ रखना होता है जिससे किसी एक का वोट कोई दूसरा न डाल दे।
  • ✯ मतदान के लिए यह कार्ड अभी तक अनिवार्य नहीं हुआ है, वोट देने के लिए मतदाता राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान पत्र भी दिखा सकते हैं।

उम्मीदवारों का नामांकन

  • ✯ लोकतांत्रिक चुनावों में लोगों के पास वास्तविक विकल्प होना चाहिए। यह तभी होगा जब किसी के भी चुनाव लड़ने पर लगभग किसी किस्म की बंदिश न हो।
  • ✯ हमारी चुनाव प्रणाली ऐसा ही करती है। जो कोई व्यक्ति मतदाता है वह उम्मीदवार भी हो सकता है।
  • ✯ कोई भी व्यक्ति 18 वर्ष की उम्र में ही वोट डालने का अधिकारी हो जाता है जबकि उम्मीदवार बनने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष है।
  • ✯ उम्मीदवार बनने में अपराधियों वगैरह पर रोक है लेकिन यह पाबंदी भी बहुत ही कम मामलों में लागू होती है।
  • ✯ राजनैतिक दल अपने उम्मीदवार मनोनीत करते हैं जिन्हें पार्टी का चुनाव चिह्न और समर्थन मिलता है। पार्टी के मनोनयन को आम बोलचाल की भाषा में ‘टिकट’ कहते हैं।
  • ✯ चुनाव लड़ने के इच्छुक हर एक उम्मीदवार को एक ‘नामांकन पत्र’ भरना पड़ता है और कुछ रकम जमानत के रूप में जमा करवानी पड़ती है।
  • ✯ हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर उम्मीदवारों से एक घोषणा-पत्र भरवाने की नई प्रणाली भी शुरू हुई है।
  • ✯ अब हर उम्मीदवार को अपने बारे में कुछ ब्यौरा देते हुए वैधानिक घोषणा करनी होती है।
  • ✯ प्रत्येक उम्मीदवार को इन मामलों के सारे विवरण देने होते हैं।
  • 1. उम्मीदवार के खिलाफ चल रहे गंभीर अपराधिक मामले।
  • 2. उम्मीदवार और उसके परिवार के सदस्यों की संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा।
  • 3. उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता।
  • ✯ इस सूचनाओं को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इससे मतदाताओं को उम्मीदवारों द्वारा खुद के बारे में सूचना के आधार पर अपने फैसले करने का मौका मिलता है।

चुनाव अभियान

  • ✯ चुनावों का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपनी पसंद के प्रतिनिधियों, सरकार और नीतियों का चुनाव करने का अवसर देना है।
  • ✯ इसलिए, कौन प्रतिनिधि बेहतर है, कौन पार्टी अच्छी सरकार देगी या अच्छी नीति कौन-सी है, इस बारे में स्वतंत्र और खुली चर्चा भी बहुत जरूरी है। चुनाव अभियान के दौरान यही होता है।
  • ✯ हमारे देश में उम्मीदवारों की अंतिम सूची की घोषणा होने और मतदान की तारीख के बीच आम तौर पर दो सप्ताह का समय चुनाव प्रचार के लिए दिया जाता है।
  • ✯ इस अवधि में उम्मीदवार मतदाताओं से संपर्क करते हैं, राजनेता चुनावी सभाओं में भाषण देते हैं और राजनैतिक पार्टियाँ अपने समर्थकों को सक्रिय करती हैं।
  • ✯ इसी अवधि में अखबार और टीवी चैनलों पर चुनाव से जुड़ी खबरें और बहसें भी होती हैं। पर असल में चुनाव अभियान सिर्फ दो हफ्ते नहीं चलता।
  • ✯ राजनैतिक दल चुनाव होने के महीनों पहले से इसकी तैयारियाँ शुरू कर देते हैं।
  • ✯ चुनाव अभियान के दौरान राजनैतिक पार्टियाँ लोगों का ध्यान कुछ बड़े मुद्दों पर केंद्रित कराना चाहती हैं।
  • ✯ वे लोगों को इन मुद्दों पर आकर्षित करती हैं और अपनी पार्टी के पक्ष में वोट देने को कहती हैं।
  • ✯ विभिन्न चुनावों में विभिन्न दलों द्वारा उठाए गए कुछ सफल नारों पर गौर करें।
  • ✯ इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने 1971 के लोकसभा चुनावों में गरीबी हटाओं का नारा दिया था। पार्टी ने वायदा किया कि वह सरकार की सारी नीतियों में बदलाव करके सबसे पहले देश से गरीबी हटाएगी।
  • ✯ 1977 में हुए लोकसभा चुनावों में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी ने नारा दिया लोकतंत्र बचाओं। पार्टी ने आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों को समाप्त करने और नागरिक आजादी को बहाल करने का वायदा किया।
  • ✯ वामपंथी दलों ने 1977 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जमीन-जोतने वाले का नारा दिया था।
  • ✯ 1983 के आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनावों में तेलुगु देशम पार्टी के नेता एन. टी. रामाराव ने तेलुगु स्वाभिमान का नारा दिया था।
  • ✯ लोकतंत्र में राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को अपनी मर्जी के मुताबिक चुनाव प्रचार करने के लिए आजाद छोड़ देना ही सबसे अच्छा होता है।
  • ✯ सभी दलों को उचित और समान अवसर मिले इसके लिए कई बार कुछ दखल देना जरूरी होता है।
  • ✯ चुनाव के कानूनों के अनुसार कोई भी उम्मीदवार या पार्टी सब काम नहीं कर सकती, मतदाता को प्रलोभन देना, घूस देना या धमकी देना। उनसे जाति या धर्म के नाम पर वोट माँगना, चुनाव अभियान में सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल करना, लोकसभा चुनाव में एक निर्वाचन क्षेत्र में 25 लाख या विधानसभा चुनाव में 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करना, अगर वे इसमें से किसी भी मामले में दोषी पाए गए तो चुने जाने के बावजूद उनका चुनाव रद्द घोषित हो सकता है, इन कानूनों के अलावा हमारे देश की सभी राजनैतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार की आदर्श आचार संहिता को भी स्वीकार किया है। इसमें उम्मीदवारों और पार्टियों को यह सब करने की मनाही है।
  • 1. चुनाव प्रचार के लिए किसी धर्मस्थल का उपयोग।
  • 2. सरकारी वाहन, विमान या अधिकारियों का चुनाव में उपयोग।
  • ✯ चुनाव की अधिघोषणा हो जाने के बाद मंत्री किसी बड़ी योजना का शिलान्यास, बड़े नीतिगत फैसले या लोगों को सुविधाएँ देने वाले वायदे नहीं कर सकते।

मतदान और मतगणना

  • ✯ चुनाव का आखिरी चरण है मतदाताओं द्वारा वोट देना। इस दिन को आम तौर पर चुनाव का दिन कहते हैं।
  • ✯ मतदाता सूची में नाम वाला हर व्यक्ति अपने इलाके में स्थित मतदान केंद्र पर जाता है।
  • ✯ यह अस्थायी तौर पर स्थानीय स्कूल या किसी सरकारी इमारत में बना होता है। जब मतदाता मतदान केंद्र में जाता है तो चुनाव अधिकारी उसे पहचानकर उसकी अँगुली पर एक काला निशान लगा देते हैं और उसे वोट डालने की अनुमति देते हैं।
  • ✯ सभी उम्मीदवारों के एजेंटों को मतदान केंद्र के अंदर बैठने की इजाजत होती है जिससे कि वे देख सकें कि चुनाव ठीक ढंग से हो रहा है।
  • ✯ पहले मतदाता एक मतपत्र पर अलग-अलग छपे उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिह्न में से अपनी पसंद के उम्मीदवार के चुनाव चिह्न पर मोहर लगाकर अपनी पसंद जाहिर करते थे।
  • ✯ अब मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल होने लगा है। मशीन के ऊपर उम्मीदवारों के नाम और उनके चुनाव चिह्न बने होते हैं।
  • ✯ निर्दलीय उम्मीदवारों को भी चुनाव अधिकारी चुनाव चिह्न देते हैं। मतदाता को जिस उम्मीदवार को वोट देना होता है उसके चुनाव चिह्न के आगे बने बटन को एक बार सिर्फ दबा देना होता है।
  • ✯ मतदान हो जाने के बाद सभी वोटिंग मशीनों को सील बंद करके एक सुरक्षित जगह पर पहुँचा दिया जाता है।
  • ✯ फिर एक तय तारीख पर एक चुनाव क्षेत्र की सभी मशीनों को एक साथ खोला जाता है और मतों की गिनती की जाती है।
  • ✯ वहाँ सभी दलों के एजेंट रहते हैं जिससे मतगणना का काम निष्पक्ष ढंग से हो सके।
  • ✯ किसी चुनाव क्षेत्र में सबसे ज्यादा मत पाने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित किया जाता है। आम चुनाव में अमूमन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मतगणना एक ही तारीख पर होती है।
  • ✯ टीवी चैनल, रेडियों और अखबारों के लिए यह बहुत बड़ा अवसर होता है और वे इसकी खबरें पूरे विस्तार से देते हैं।
  • ✯ कुछ घंटों की गिनती में ही सारे परिणाम मालूम हो जाते हैं और यह स्पष्ट हो जाता है कि कौन अगली सरकार बनाने जा रहा है।

भारत में चुनाव क्यों लोकतांत्रिक है?
✯ चुनाव में गड़बड़ी या धांधली चुनावों के दौरान अनेक प्रकार की गड़बड़िया देखी जाती है जैसे फर्जी वोट डालना, मतदान केन्द्र पर गुंडागर्दी करना, मतदाता को डराना, धमकाना या लालच देकर उसका मत खरीद लेना, मतगणना में गलती करना, वोटिंग मशीन में तकनीकी खराबी करना इत्यादि।
✯ यद्यपि चुनावों के दौरान गड़बड़िया देखने को मिलती है लेकिन अन्य देशों की अपेक्षा भारत में चुनाव स्वस्थ या स्वच्छ तरीके से सम्पन्न होते हैं। भारत में निर्वाचन आयोग की संविधान में जिस प्रकार की व्यवस्था है उससे निर्वाचन काफी हद तक स्वच्छ होता है।

स्वतंत्र चुनाव आयोग

  • ✯ चुनाव निष्पक्ष हुए हैं या नहीं इसे जाँचने का एक सरल  तरीका है यह देखना कि उनका संचालन कौन करता है।
  • ✯ चुनाव एक स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से कराने का कार्य चुनाव आयोग का होता हैं।
  • ✯ भारत के संविधान में अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग का उल्लेख है। अनुच्छेद 324 स्पष्ट करता कि भारत में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्य सभा, विधान सभा व विधान परिषदों के चुनावों को निर्देशित, क्रियान्वित व नियंत्रित करने का दायित्व स्वतंत्र निर्वाचन आयोग पर होता है।
  • ✯ निर्वाचन आयोग का गठन –
  •  इसके मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों (तीन सदस्य निर्वाचन आयोग एक मुख्य + दो अन्य निर्वाचन आयुक्त) की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है लेकिन निर्वाचन आयोग को स्वतंत्र रखने के दृष्टिकोण से पद से हटाने के लिए महाभियोग (अनुच्छेद – 61) प्रक्रिया को अपनाया जाएगा।
  • ✯ निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता के लिए अन्य प्रावधान भी है जो सर्वोच्च न्यायालय के समान है अर्थात जिस प्रकार न्यायपालिका को कार्यपालिका व व्यवस्थापिका से स्वतंत्र रखने के लिए संविधान में अनेक प्रावधान किए गए है उसी प्रकार निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।

निर्वाचन आयोग के कार्य –

  • 1. चुनावों की तिथियों की घोषण करना।
  • 2. सत्तारूढ़ दल को सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करने से रोकना।
  • 3. चुनाव आचार संहिता की घोषणा करना।
  • 4. सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्वाचन संपन्न करवाने के काम मे लेना। चुनावी प्रक्रिया के दौरान जिन सरकारी कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी पर लगाया जाता है उन पर चुनाव आयोग का पूरा नियंत्रण रहता है।
  • 5. निर्वाचन के दौरान चुनावों का निरीक्षण करना।
  • 6. चुनावों में धांधली होने पर उस निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव को रद्ध करना।
  • 7. निर्वाचन संपन्न होने के पश्चात मतगणना करवाना तथा परिणाम की घोषणा करना।
  • 8. उपरोक्त कार्य स्वतंत्रता पूर्वक संपन्न करवाने के कारण ही भारत का निर्वाचन आयोग अन्य देशों के निर्वाचन आयोग की अपेक्षा अधिक सक्षम व स्वतंत्र दिखाई देता है।

चुनाव में लोगो की भागीदारी
1. भारत और ब्रिटेन में मतदान का प्रतिशत

नोट – ब्रिटेन में मतदाताओं की भागीदारी निरंतर कम भारत में मतदाताओं की भागीदार निरंतर बढ़ी।

चुनावी भागीदारी

  • ✯ भारत में सामन्यतया उच्च वर्ग (धनी वर्ग तथा बुद्धिजीवी वर्ग) चुनावों से दूर रहता है जबकि मध्यम वर्ग तथा निम्न चुनावों अधिक भागीदारी निभाते है।
  • ✯ विकसित देशों में अमीर वर्ग तथा बुद्धिमानी वर्ग सक्रिय भूमिका निभाते हैं जबकि मध्यम व गरीब वर्ग चुनावी भागीदारी कम करते हैं।
  • ✯ भारत और अमेरिका में विभिन्न सामाजिक समूहों में मतदान प्रतिशत की तुलना भारत में ऊंची जातियों की तुलना में पिछड़ी जातियां तथा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति क्रमानुसार मतदान में अधिक भागीदार है।
  • ✯ इस वृत्ताकार ग्राफ से यह स्पष्ट है कि मतदान स्त्रोत राष्ट्रीय चुनाव से फर्क पडता है।
  • ✯ भारत चुनाव से संबंधित किसी भी गतिविधि में भाग लेने वालों का प्रतिशत इस ग्राफ से यह स्पष्ट होता है कि 1996 से 2004 तक निरंतर भारत के लोगों की राजनीति में भागीदारी बढ़ी है।

चुनावी नतीजों को स्वीकार करना

✯ चुनाव परिणाम आने के पश्चात् प्रत्येक उम्मीदवार व राजनीतिक दल परिणाम स्वीकार कर लेता है चाहे पक्ष में हो या विपक्ष में।
✯ भारत में शासक दल राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर अकसर चुनाव हारते हैं। बल्कि पिछले पंद्रह वर्षों में भारत में जितने चुनाव हुए हैं उनमें से प्रत्येक तीन में से दो में शासक पार्टियाँ हारी ही हैं।
✯ ‘वोट खरीदने ’ में सक्षम पैसे वाले उम्मीदवार हों या अपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार, उनका भी चुनाव हारना बहुत आम है।
✯ कुछ एक अपवादों को छोड़ दें तो अकसर हारी हुई पार्टी भी चुनाव के नतीजों को जनादेश मानकर स्वीकार कर लेती है।

नोट – अमेरिका में 2020 में संपन्न राष्ट्रपति चुनाव में सत्तारूढ डोनाल्ड ट्रंप की हार के परिणाम को स्वीकार नहीं किया तथा ट्रंप के समर्थकों ने हिंसा कर लोकतंत्र को शर्मसार किया।

✯ भारत में 1952 से वर्तमान समय तक 2019(17 वीं लोकसभा) संपन्न हुए चुनावों में अनेक बार सत्ता परिवर्तित हुई है।
✯ 1952 से 1977 तथा 1980 से 1989 तक कांग्रेस का शासन, 1977 में जनता पार्टी का शासन 1989-1991 तक जनता दल का शासन 2004 से 2014 तक UPA (कांग्रेस) का शासन 2014 से वर्तमान NDA (भा.ज.पा) का शासन।
✯ उपरोक्त आंकलन यह स्पष्ट करता है कि भारत में चुनाव निष्पक्ष व स्वतंत्र होते हैं जिसमें जनाधार (जनमत) सरकार को तय करता है।
✯ प्रत्येक राज. दल परिणाम को स्वीकार भी करता है।

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की चुनौतियाँ

  • ✯ भारत में चुनाव बुनियादी रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं।
  • ✯ पार्टी चुनाव जीतकर सरकार बनाती है उसे लोगों का समर्थन प्राप्त होता ही है।
  • ✯ भारतीय चुनाव व्यवस्था की सीमाओं और चुनौतियों की ओर हमारा ध्यान दिलाते हैं।
  • ✯ ज्यादा रूपये-पैसे वाले उम्मीदवार और पार्टियाँ गलत तरीके से चुनाव जीत ही जाएँगे यह कहना मुश्किल है पर उनकी स्थिति दूसरों से ज्यादा मजबूत रहती है।
  • ✯ देश के कुछ इलाकों में अपराधिक पृष्ठभूमि और संबंधों वाले उम्मीदवार दूसरों को चुनाव मैदान से बाहर करने और बड़ी पार्टियों के टिकट पाने में सफल होने लगे हैं।
  • ✯ अलग – अलग पार्टियों में कुछ परिवारों का जोर है और उनके रिश्तेदार आसानी से टिकट पा जाते हैं।
  • ✯ अकसर आम आदमी के लिए चुनाव में कोई ढंग का विकल्प नहीं होता क्योंकि दोनों प्रमुख पार्टियों की नीतियाँ और व्यवहार कमोबेश एक-से होते हैं।
  • ✯ बड़ी पार्टियों की तुलना में छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को कई तरह की परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं।
  • ✯ ये चुनौतियाँ भारत की ही नहीं है। कई स्थापित लोकतांत्रिक की भी यही स्थिति है।
  • ✯ लोकतंत्र में जो लोग आस्था रखते हैं उनके लिए ये चीजें गहरी चिंता का विषय हैं। इनमें से कुछ समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए चुनाव प्रणाली में जरूरी बदलावों की माँग नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों की तरफ से रही है।
  • ✯ चुनावी धांधली – चुनाव में अपने वोट बढ़ाने के लिए उम्मीदवारों और पार्टियों द्वारा की जाने वाली गड़बड़ या फरेब। इसमें कुछ ही लोगों द्वारा काफी सारे लोगों के वोट डाल देना एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग लोगों के नाम पर वोट डालना और मतदान – अधिकारियों को डरा-धमकाकर या रिश्वत देकर अपने उम्मीदवार के पक्ष में काम करवाना जैसी बातें शामिल हैं।
  • ✯ मतदान केंद्र पर कब्जा – किसी उम्मीदवार या पार्टी के समर्थकों या भाड़े के अपराधियों द्वारा मतदान केंद्र पर कब्जा करना, असली मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर आने से रोकना और खुद सारे या ज्यादातर वोट डाल देना।
  • ✯ निर्वाचन क्षेत्र – एक खास भौगोलिक क्षेत्र के मतदाता जो एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।


✯ आचार – संहिता – चुनाव के समय पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा माने जाने वाले कायदे-कानून और दिशा-निर्देश।
(1) अपराध
(2) भ्रष्टाचार
(3) गरीबी
(4) अशिक्षा
(5) मीडिया की स्वतंत्र व निष्पक्ष भूमिका का अभाव
(6) धन व बाहुबल
वर्तमान समय में इन बाधाओं पर काफी हद तक नियंत्रण किया गया है लेकिन जब तक प्रत्येक मतदाता अपने मत का सही मूल्य नहीं समझेगा तब तक इन बाधाओं पर पूर्ण नियंत्रण संभव नहीं।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में इनमें से कौन-सा वाक्य ठीक नहीं है?
(
क) चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं।
(ख) लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं।
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।
(घ) लोग चुनाव के अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं।
उत्तर : (ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।

प्रश्न 2. भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बताने के लिए इनमें कौन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता?
(
क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।
(ख) भारत में चुनाव आयोग काफी शक्तिशाली हैं।
(ग) भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है।
(घ) भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती हैं।
उत्तर –  भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में मेल ढूँढ़े:

(क) समय-समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरणआवश्यक है ताकि1. समाज के हर तबके का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके।
(ख) कुछ निर्वाचन क्षेत्र अनु. जाति और अनु. जनजाति के लिए आरक्षित हैं ताकि2. हर एक को अपना प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले।
(ग) प्रत्येक को सिर्फ एक वोट डालने का हक है ताकि3. हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले।
(घ) सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि4. संभव है कुछ लोग जगह से अलग चले गए हों जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था।

उत्तर :

(क) समय-समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरणआवश्यक है ताकि4. संभव है कुछ लोग जगह से अलग चले गए हो जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था।
(ख) कुछ निर्वाचन क्षेत्र अनु. जाति और अनु. जनजाति के लिए आरक्षित हैं ताकि1. समाज के हर तबके का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके।
(ग) प्रत्येक को सिर्फ एक वोट डालने का अधिकार है ताकि2. हर एक को अपना प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले।
(घ) सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि3. हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले।

प्रश्न 4. इस अध्याय में वर्णित चुनाव संबंधी सभी गतिविधियों को सूची बनाएँ और उन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें से कुछ मामले हैं:
चुनाव घोषणा पत्र जारी करना, वोटों की गिनती, मतदाता सूची बनानाचुनाव अभियानचुनाव नतीजों की घोषणामतदानपुनर्मतदान के आदेश, चुनाव प्रक्रिया की घोषणा, नामांकन दाखिल करना।
उत्तर : चुनाव क्षेत्र निश्चित करना, मतदाता सूची तैयार करना, चुनाव कार्यक्रम की घोषणा, चुनाव घोषणा – पत्र जारी करना, नामांकन पत्र दाखिल करना, नाम की वापसी, जाँच और आक्षेप, चुनाव प्रचार, मतदान, चुनाव परिणाम की घोषणा, चुनाव खर्च का ब्यौरा, निर्वाचन के विरुद्ध प्रार्थना।

प्रश्न 5. सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए।
(
क) चुनाव प्रचार
(ख) मतदान के दिन।
(ग) मतगणना के दिन।
उत्तर :
(
क) चुनाव प्रचार – उसे विभिन्न कर्त्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जैसे कि यह सुनिश्चित करना है कि उम्मीदवार मतदाताओं को रिश्वत या धमकी नहीं दें, खर्च सीमा एक उम्मीदवार द्वारा पार नहीं की जाए, उम्मीदवार धर्म या जाति के नाम पर वोट देने की अपील नहीं करें, वे पूजा स्थान का उपयोग नहीं करें या अभियान में किसी भी सरकारी संसाधनों का उपयोग ना करें।
(ख) मतदान के दिन – चुनाव अधिकारी को यह देखना चाहिए कि चुनाव शांतिपूर्वक हों और मतदाता निष्पक्ष रूप से अपने मत का प्रयोग कर सकें।
(ग) मतगणना के दिन – चुनाव अधिकारी को मतगणना के लिए पूरी व्यवस्था करनी होती है ताकि मतगणना ठीक ढंग से हो। मतगणना में किसी प्रकार की धाँधली न हो और जो उम्मीदवार जीत रहा हो उसे ही विजयी घोषित किया जाए।

प्रश्न 6. नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों के विजयी उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समुदाय के सदस्यों का क्या अनुपात था। ये किस अनुपात में जीते इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण की सुझाव देंगे? अगर हाँतो क्यों किस समुदाय के लिए? अगर नहीं, तो क्यों?           

समुदाय का प्रतिनिधित्व (प्रतिशत में)
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा मेंअमेरिकी समाज में
अश्वेत813
हिस्पैनिक513
श्वेत8670

उत्तर : हाँ, अमेरिकी कांग्रेस में आरक्षण की पद्धति की जानी चाहिये क्योंकि इसके द्वारा प्रत्येक समुदाय को प्रतिनिधि सभा में बराबर का प्रतिनिधित्व (उनकी आबादी के अनुपात में) मिलना संभव हो सकेगा।
आबादी में काले लोगों तथा हिस्पैनिक का कुल प्रतिशत हिस्सा 26% होने के बावजूद, कांग्रेस में केवल उन्हें 13% (अर्थात् अपनी आबादी के अनुपात में आधा) प्रतिनिधित्व प्राप्त है, जबकि गोरे लोगों को उनकी आबादी से भी 16% अधिक प्रतिनिधित्व प्राप्त है।

प्रश्न 7. क्या हम इस अध्याय में दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं? इनमें से सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए।
(
क) भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं हैं।

  • चुनाव आयोग को चुनाव संबंधी सभी मामलों पर निरीक्षण, निर्देश तथा नियंत्रण का अधिकार प्राप्त है।
  • चुनाव आयोग किसी निर्वाचन क्षेत्र के कुछ मतदान केंद्रों पर पुन: मतदान करवा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर पूरे चुनाव क्षेत्र का चुनाव रद्द कर सकता है।

(ख) हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती हैं।

  • भारत में चुनावों में आम जनता की भागीदारी बहुत है। भारत में आम चुनावों में मतदान प्राय: 55 से 60 प्रतिशत के बीच होता है। भारत में 2009 में लोकसभा के चुनाव में मतदान लगभग 60 प्रतिशत था।
  • भारत में अमीर व शिक्षित नागरिक वोट डालने कम जाते हैं जबकि गरीब, अशिक्षित लोग अधिक वोट डालने जाते हैं।
  • आम जनता भारत में चुनावों को बहुत अधिक महत्व देती है। पिछले कुछ वर्षों से मतदाताओं की रुचि में चुनाव से संबंधित गतिविधियों में काफी वृद्धि हुई है।

(ग) सत्ताधारी पार्टी के लिये चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।

  • सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं है, क्योंकि:
  • भारत में चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष होते हैं।
  • चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग जिम्मेवार है, जो कि स्वतंत्र चुनाव करवाता है।

(घ) अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने के लिये कई कदम उठाने जरूरी हैं।

  • भारत की चुनाव प्रणाली में अनेक दोष पाए जाते हैं। चुनाव को पूरी तरह स्वतंत्र व निष्पक्ष बनाने के लिए सुधारों की आवश्यकता है।
  • जाली मतदान को रोकने के लिए सभी मतदाताओं को परिचय पत्र दिए जाने चाहिए।
  • अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।
  • चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक मशीन के द्वारा मतदान होना चाहिए।

प्रश्न 8. चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने का दोषी माना गया था। दोनों की अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धांतो के खिलाफ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर : न्यायालय का यह निर्णय लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के विरूद्ध नहीं जाता है। आयोग के निर्देशानुसार गंभीर आपराधिक मामले जिन व्यक्तियों पर साबित हुये हैं, उन्हें वह चुनाव लड़ने से वंचित कर सकता है। पहले को दहेज के जुर्म में सजा मिली थी और दूसरे ने संवैधानिक प्रावधान के तहत छुआछूत के व्यवहार का एक दंडनीय अपराध किया था।

प्रश्न 9. यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोर्ट दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों में सुधार के लिए भारत में कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे?
(
क) नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारों ने जान-बूझकर एक उम्मीदवार को मिलें वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे जीता हुआ घोषित कर दिया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को उस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था।
उत्तर : हाँ, यह देश भारतीय मतगणना पद्धति से सीख ले सकता है। हमारे यहाँ मतगणना के समय चुनाव में भाग लेने वाल सभी प्रतिनधियों के पर्यवेक्षक मौजूद होते हैं तथा उनके सामने मतों की गणना की जाती है। इतना ही नहीं, किसी भी तरह का संदेह होने पर पुनर्मतगणना की भी व्यवस्था हैं।

(ख) फिजी में चुनाव के ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमें धमकी दी गई थी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेंन्द्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थीं।
उत्तर : इस मामले में, प्रत्येक उम्मीदवार के प्रतिनिधियों को यह सुनिश्चित करने के लिए उपस्थित होना चाहिए कि वोट निष्पक्ष तरीके से गिने जाए।

(ग) अमेरिका के हर प्रांत में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। सन् 2000 के चुनाव में फ्लोरिडा प्रांत के अधिकारियों के जॉर्ज बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका।
उत्तर : अमेरिका, भारतीय चुनाव पद्धति से सीख ले सकता है-
1. 
यहाँ चुनाव में आयोजन के लिये एकीकृत व्यवस्था है जो राष्ट्रीय चुनाव आयोग के रूप में काम करती है। इसके नियम और आदेश संपूर्ण देश में समान रूप से लागू होते हैं।
2. यह संस्था स्वतंत्र तथा सरकारी प्रभाव से मुक्त है। यह चुनाव के दौरान सरकार के फैसलों पर रोक लगा सकती है, यदि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के हित में न हों।

प्रश्न 10. भारत में चुनावी गड़बड़ियों से संबंधित कुछ रिपोर्टें यहाँ दी गई हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?
(
क) चुनाव की घोषणा होते ही मंत्री महोदय ने बंद पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।
(ख) विपक्षी दलों का आरोप था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली।
(ग) चुनाव आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सूची में 20 लाख फर्जी मतदातओं के नाम मिले।
(घ) एक राजनैतिक दल के गुंडे बंदूकों के साथ घूम रहे थे, दूसरी पार्टियों के लोगों को मतदान में भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनाव सभाओं पर हमले कर रहे थे।
उत्तर :
(क) (i) चुनाव की घोषणा के बाद मंत्री द्वारा की गई यह घोषणा जनमत को प्रभावित करने वाला कदम है जो निष्पक्ष चुनाव में बाधक है। यह आचार संहिता का खुला उल्लंघन है।
(ii) इसके लिये चुनाव आयोग मंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी करे तथा अपेक्षित जवाब नहीं मिलने पर उसकी उस घोषणा को अवैध घोषित करे तथा दंडात्मक कार्यवाही करे।
(ख) (i) यह निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न करने में बाधक है। इससे उन पाटियों को जनता पर अपनी बात पहुंचाने का समान अवसर प्राप्त नहीं हुआ है। फलत: मतदान के प्रभावित होने की आशंका है।
(ii) आयोग को चाहिये कि अविलंब इसकी जाँच करवाए तथा सही पाये जाने पर उन पार्टियों की भी दूरर्शन तथा रेडियों तक पर्याप्त पहुँच सुनिश्चित करने की व्यवस्था करें।
(ग) (i) इस तरह से स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव बाधित होगा क्योंकि ये सभी वोटर किसी एक पार्टी के पक्ष में मत करेंगे।
(ii) चुनाव आयोग इस मतदाता सूची को खारिज करे तथा सही मतदाता सूची तैयार करने का आदेश जारी करे।
(घ) (i) राजनीति के इस अपराधीकरण से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के होने की संभावना कम हो जायेगी। लोग इनके डर से चुनाव में भाग लेने के लिए आगे नहीं आयेंगे।
(ii) आयोग को चाहिए कि ऐसे तत्वों तथा संबंधित पार्टी का पता लगाकर उन पर उचित कार्यवाही करे। सभी उम्मीदवारों को समुचित सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाये। प्रशासन से विधि-व्यवस्था की चौकसी बढ़ाने के लिये कहा जाये।

प्रश्न 11. जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी है?
(
क) औरतें उसी तरह वोट देती हैं जैसा पुरूष उनसे कहते हैं इसलिए उनको मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं हैं।
(ख) पार्टी-पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। चुनाव में सबकी सहमति वाला फैसला होना चाहिए, प्रतिद्वंद्विता नहीं होनी चाहिए।
(ग) सिर्फ स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए।
उत्तर :
(
क) बयान गलत है क्योंकि गुप्त मतदान की नीति यह सुनिश्चित करती है कि कोई व्यक्ति जो चाहे उसे वोट दे सकता है। महिलाएँ अपने दम पर निर्णय लेने और अपनी पसंद के उम्मीदवार का चयन करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
(ख) प्रतियोगिता राजनीतिक उम्मीदवारों के लिए निवारक और प्रेरक दोनों के रूप में काम करती है। चुनाव हारने का डर और चुनाव जीतने की प्रेरणा लोगों के पक्ष में काम करती है।
(ग) लोगों की आवश्यकताओं को समझने और उनके हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है। इसलिए, राजनीतिज्ञों के लिए स्नातक होना आवश्यक नहीं है।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव कितने वर्षों के बाद होते है?
उत्तर : पाँच वर्षों के बाद।

प्रश्न 2. आम चुनाव किसे कहते है?
उत्तर : सभी चुनाव क्षेत्रों में एक ही दिन अथवा एक छोटे अंतराल में अलग – अलग दिन चुनाव होते है, इसे आम चुनाव कहते है।

प्रश्न 3. उपचुनाव किसे कहते है?
उत्तर : कई बार किसी सदस्य की मृत्यु अथवा इस्तीफे से पद खाली हुआ होता है तो ऐसी स्थिति में किसी एक क्षेत्र में चुनाव होते है जिसे उपचुनाव कहा जाता है।

प्रश्न 4. निर्वाचन क्षेत्र किसे कहते है?
उत्तर चुनाव के उद्देश्य से पूरे देश को अनेक क्षेत्रों में बाँट लिया गया है, जिन्हें निर्वाचन क्षेत्र कहते है।

प्रश्न 5. लोकसभा चुनाव के लिए भारत को कितने निर्वाचन क्षेत्र में बाँट लिया गया है?
उत्तर : 543 निर्वाचन क्षेत्र।।

प्रश्न 6. संसद – सदस्य किसे कहते है?
उत्तर : प्रत्येक क्षेत्र से चुने गए प्रतिनिधियों को संसद सदस्य कहते है।

प्रश्न 7. लोकतांत्रिक चुनाव की एक महत्वपूर्ण विशेषता लिखो?
उत्तर : हर वोट का बराबर मूल्य।

प्रश्न 8. विधायक किसे कहते है?
उत्तर : विधानसभा की सीटों से निर्वाचित प्रतिनिधियों को विधायक कहते है।

प्रश्न 9. निर्वाचन क्षेत्रों को सीट क्यों कहा जाता है?
उत्तर : क्योंकि हर क्षेत्र संसद अथवा विधानसभा की एक सीट का प्रतिनिधित्व करता है।

प्रश्न 10. लोकसभा की अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए कितनी सीटें आरक्षित की है?
उत्तर : लोकसभा की अनुसूचित जातियों के लिए 84 तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए 47 सीटें आरक्षित की है।

प्रश्न 11. मतदाता सूची या वोटर लिस्ट किसे कहते है?
उत्तर लोकतांत्रिक चुनाव में मतदान की योग्यता रखने वाले लोगों की सूची चुनाव से काफी पहले बना ली जाती है तथा हर किसी को दे दी जाती है। इसे अधिकारिक रूप से मतदाता सूची कहते है। आम बोल चाल में इसे वोटर लिस्ट कहते है।

प्रश्न 12. क्या कारण है हर चुनाव से पहले मतदाता सूची को सुधारा जाता है?
उत्तर : सभी सक्ष्म मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में शामिल हो, यह व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है। चूंकि हर अगले चुनाव में नए लोग मतदाता बनने की उम्र में आ जाते है इसलिए हर चुनाव से पहले मतदाता सूची को सुधारा जाता है।

प्रश्न 13. वोट डालने का अधिकारी होने के लिए व्यक्ति की उम्र कितनी होनी चाहिए?
उत्तर : 18 वर्ष।

प्रश्न 14. उम्मीदवार बनने की न्यूनतम उम्र कितनी होनी चाहिए?
उत्तर 25 वर्ष।

प्रश्न 15. टिकट किसे कहते है?
उत्तर पार्टी द्वारा चुनाव के लिए उम्मीदवार का मनोनयन टिकट कहलाता है।

प्रश्न 16. प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव में खड़े होने के लिए किन चीजों का विवरण देना पड़ता है?
उत्तर : प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव में खड़े होने के लिए निम्न चीजों का विवरण देना पड़ता है –
1. 
उम्मीदवार के खिलाफ चल रहे गंभीर अपराधिक मामले।
2. उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता।
3. उम्मीदवार तथा उसके परिवार के सदस्यों की संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा।

प्रश्न 17. हमारे देश में उम्मीदवारों की अंतिम सूची की घोषणा होने तथा मतदान की तारीख के बीच कितना समय चुनाव प्रचार के लिए दिया जाता है?
उत्तर : लगभग दो सप्ताह।

प्रश्न 18. इंदिरा गाँधी का नेत्तृत्व करने वाली कांग्रेस पार्टी ने 1971 के लोकसभा चुनाव के दौरान कौनसा नारा दिया था?
उत्तर “गरीबी हटाओ” नारा दिया था।

प्रश्न 19. 1977 में हुए अगले लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी ने कौनसा नारा दिया था?
उत्तर लोकतंत्र बचाओ।

प्रश्न 20. वामपंथी दलों ने 1977 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में किसकों नारा दिया था?
उत्तर : जमीन जोतने वालों को।

प्रश्न 21. 1983 के आंध्रप्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान तेलुगु देशम पार्टी के नेता एन.टी.रामाराव ने किसका नारा दिया था?
उत्तर : तेलुगु स्वाभिमान।

प्रश्न 22. चुनाव के कानूनों के अनुसार कोई भी उम्मीदवार अथवा पार्टी कौनसे काम नहीं कर सकता है?
उत्तर : चुनाव के कानूनों के अनुसार कोई भी उम्मीदवार अथवा पार्टी ये सब काम नहीं कर सकता –

  • मतदाता को प्रलोभन देना, घूस देना अथवा धमकी देना।
  • उनसे जाति अथवा धर्म के नाम पर वोट मांगना।
  • चुनाव अभियान में सरकारी साधनों का उपयोग करना।
  • लोकसभा चुनाव में एक निर्वाचन क्षेत्र में 25 लाख या फिर विधानसभा चुनाव में 10 लाख रूपये से ज्यादा खर्च करना।

प्रश्न 23. हमारे देश के सभी आदर्श आचार संहिता के अनुसार पार्टी को किन चीजो को करने की मनाही है?
उत्तर इन सभी चीजों की मनाही है –

  • सरकारी वाहन, विमान या अधिकारियों का चुनाव में उपयोग।
  • चुनाव प्रचार के लिए किसी धर्मस्थल का उपयोग।
  • चुनाव की आधिघोषणा हो जाने के बाद मंत्री किसी बड़ी योजना का शिलान्यास बड़े नीतिगत फैसले अथवा लोगों की सुविधाए देने वाले वायदे नहीं कर सकते।

प्रश्न 24. मुख्य चुनाव आयुक्त् कि नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर : भारत के राष्ट्रपति।

प्रश्न 25. चुनाव के दिन अधिकांश खबर में किस प्रकार की गड़बड़ियों की सूचना होती है?
उत्तर : चुनाव के दिन अधिकांश खबरों में निम्न प्रकार की गड़बड़ियों की सूचना होती है –

  • मतदाता सूची में फर्जी नाम डालने और असली नाम को गायब करने की सूचना।
  • शासक दल द्वारा सरकारी सुविधाओं और अधिकारियों के दुरूप्रयोग की सूचना।
  • मतदान के दिन चुनावी धांधली, मतदाताओं को डराना और फर्जी मतदान करना।

प्रश्न 26. भारत के चुनाव आयोग के अधिकार लिखिए?
उत्तर : भारत के चुनाव आयोग के अधिकार निम्नलिखित है –

  • चुनाव आयोग की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनावी नतीजों की घोषणा तक, पूरी चुनाव प्रक्रिया के संचालन के प्रत्येक पहलू पर निर्णय लेता है।
  • यह आदर्श चुनाव संहिता लागू करता है और इसका उल्लंघन करने वाली पार्टियों और उम्मीदवारों को सजा देता है।
  • चुनाव आयोग चुनाव के दौरान सरकार को दिशा निर्देश मानने का आदेश दे सकता है इसमें सरकार द्वारा चुनाव जीतनें के लिए चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरू प्रयोग रोकना अथवा अधिकारियों का तबादला करना भी शामिल है।

प्रश्न 26. हमें चुनाव की जरूरत क्यों होती है?
उत्तर : हमें चुनाव की जरूरत इसलिए होती है क्योंकि चुनाव के द्वारा हम अपने शासक खुद चुन सकते है, इसलिए ज्यादातर लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से ही शासन करते है।

प्रश्न 27. चुनाव क्या है?
उत्तर : जिससे लोग एक नियमित अंतराल पर अपने प्रतिनिधियों को चुन सके तथा यदि इच्छा हो तो उन्हें बदल भी दे, इसी व्यवस्था का नाम चुनाव है।

प्रश्न 28. लोकतंत्र चुनाव की न्यूनतम शर्ते क्याक्या है?
उत्तर : लोकतंत्र चुनाव की न्यूनतम शर्ते निम्न है –
1. 
हर किसी को चुनाव करने की सुविधा हो यानी हर किसी को मताधिकार प्राप्त हो तथा हर किसी को मताधिकार को मत का समान मोल हो।
2. चुनाव में कुछ विकल्प उपलबध हो पार्टियों तथा उम्मीदवारों को चुनाव में उतरने की पूरी आजादी हो तथा व मतदाताओं के लिए विकल्प पेश करे।
3. चुनाव का अक्सर नियमित अंतराल पर उलब्ध होता रहे। नए चुनाव कुछ वर्षों में जरूर कराये जाने चाहिए।
4. लोग जिसे चाहे वास्तव में चुनाव उसी का होना चाहिए।
5. चुनाव निष्पक्ष एवं स्वतंत्र ढंग से कराए जाने चाहिए, जिससे लोग सचमुच अपनी अपनी इच्छा से अपने उम्मीदवार का चुनाव कर सके।

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