2023-24 NCERT Class 9 Science Chapter 1 हमारे आस पास के पदार्थ Notes in Hindi

9 class Science Chapter 1 हमारे आस पास के पदार्थ Notes In Hindi PDF

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9th Class Science Chapter 1 MATTER IN OUR SURROUNDINGS Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Vigyan Cha 1 Hamaare aas paas ke padaartha Ke Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar.

Class 9 Science Notes In Hindi || 9 class Science Notes Download

TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectChemistry | विज्ञान
ChapterChapter 1
Chapter Nameहमारे आस पास के पदार्थ
CategoryClass 9 Science Notes in Hindi
MediumHindi
class-9-science-chapter-1 MATTER IN OUR SURROUNDINGS-notes-in-hindi

9th Science Chapter 1 Notes PDF Download in Hindi

💠 Class 09 विज्ञान 💠
📚 अध्याय = 1 📚
💠हमारे आस पास के पदार्थ 💠

💠MATTER IN OUR SURROUNDINGS 💠

पदार्थ का भौतिक स्वरूप

पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है
बहुत समय तक पदार्थ की प्रकृति के बारे में दो विचारधाराएँ प्रचलित थीं। एक विचारधारा का यह मानना था कि पदार्थ लकड़ी के टुकड़े की तरह सतत होते हैं। परंतु अन्य विचारधारा का मानना था कि पदार्थ रेत की तरह के कणों से मिलकर बने हैं।

कणों के भौतिक गुण


पदार्थ कणों से बना है। यह सतत् नहीं है। पदार्थ के कण अत्यंत छोटे होते हैं।

पदार्थ के कणों के अभिलाक्षणिक गुण-

पदार्थ के कण निरंतर गति करते हैं। यानि उनके पास गतिज ऊर्जा होती है।

तापमान बढ़ने से कणों की गति तेज हो जाती है क्योंकि कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।

पदार्थ के कणों के बीच में रिक्त स्थान होता है।
जब हम चाय, कॉफी या नीबू पानी बनाते हैं तो एक तरह के पदार्थ के कण दूसरे तरह के पदार्थ के कणों के बीच उपरिथति रिक्त स्थान में समावेशित हो जाते हैं। इससे पता चलता है कि पदार्थ के कणों के बीच में पर्याप्त रिक्त स्थान होता है।

जब हम जल में नमक घोलते हैं, तो नमक के कण जल के कणों के बीच के रिक्त स्थानों में
समावेशित हो जाते हैं

पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
जब हम पानी के नल को खोलते हैं और पानी की धार को अपनी अँगुली से तोड़ने की कोशिश करते हैं। क्या वह धार टूट जाती है-नहीं। क्योंकि पानी की धार जुड़ी रहती है। इसका मतलब यह है पानी के कण एक-दूसरे के साथ आकर्षण बल से जुड़े होते हैं।

  • पदार्थ के कणों के बीच का रिक्त स्थान और उनकी गतिज ऊर्जा ठोस पदार्थों में सबसे कम होती है द्रव अवस्था में मध्यम और गैसीय अवस्था में अत्यधिक होते हैं।
  • आकर्षण बल भी ठोस में अत्यधिक, द्रव में मध्यम और गैस में सबसे कम होता है।
  • गैसीय अवस्था में कणों में गति अधिकतम होती है। द्रव अवस्था में मध्यम होती है और ठोस अवस्था में न्यूनतम होती है।

पदार्थ की अवस्थाएँ

भौतिक रूप से पदार्थ तीन अवस्थाओं में पाया जाता है-

  1. ठोस अवस्था
  2. द्रव अवस्था
  3. गैसीय अवस्था।
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ठोस अवस्था

  1. एक निश्चित आकार होता है।
  2. ठोस अवस्था में स्पष्ट सीमाएँ होती हैं।
  3. निश्चित या रिथर आयतन होता है।
  4. इनकी संपीड्यता नगण्य होती है। ये दृढ़ होते हैं।

कुछ अपवाद उदाहरण-

  • बल लगाने से रबड़ बैंड का आकार बदल जाता है, लेकिन बल हटा लेने से यह पुनः अपने मूल आकार में आ जाता है। अगर अत्यधिक बल लगाया जाए तो रबड़ बैंड टूट जाता है।
  • ठोस पदार्थों में कणों की गतिज ऊर्जा न्यूनतम होती है इसलिए ठोस पदार्थों का एक निश्चित और दृढ़ (rigid) आकार होता है।
  • शर्करा और नमक जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसी बर्तन का आकार ले लेते हैं। लेकिन ये ठोस पदार्थ हैं। क्योंकि क्रिस्टलों का आकार वही रहता है।
  • हाथ से दबाकर स्पंज को काफी हद तक संपीडित कर सकते हैं। लेकिन फिर भी यह ठोस है। कारण यह है कि स्पंज के छिद्रों में हवा भरी होती है, दबाने से हवा बाहर निकल जाती है।

द्रव अवस्था

  1. द्रव तरल होते हैं, उनमें बहाव होता है।
  2. द्रव का कोई स्थिर आकार नहीं होता है। वे बर्तन का आकार लेते हैं।
  3. द्रव का निश्चित आयतन होता है।
  4. द्रवों में बहुत कम संपीडन होता है।
  • द्रव के कणों का आकर्षण बल, उसका आयतन निश्चित रखता है।
  • द्रव जिस बर्तन में रखे जाते हैं, वह उसी बर्तन का आकार ले लेते हैं।
  • गैसें जैसे ऑक्सीजन (Oxygen) और कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) पानी में विसरण करती हैं और यही जलीय पौधे व जीव (aquatic plants and animals) पानी में घुली ऑक्सीजन के कारण पानी में साँस ले पाते हैं।
  • द्रव अवस्था में विसरण अधिक होता है और ठोस अवस्था में कम होता है क्योंकि कणों में गति द्रव में ज्यादा होती है, और ठोस में कणों की गति कम होती है।
आप पढ़ रहे है -हमारे आस-पास के पदार्थ : Science class 9th:Hindi Medium

गैसीय अवस्था

  1. गैसों में बहाव होता है।
  2. गैसों में संपीडन अधिक होता है।
  3. गैसों में कोई निश्चित सीमाएँ नहीं होती हैं।
  4. गैसों में कोई निश्चित आकार नहीं होता है।
  5. गैसों में कोई निश्चित आयतन नहीं होता है।
  • गैस में कण इधर-उधर घूमने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होते हैं, उनमें आकर्षण बल कम होता है इसलिए गैसों में बहाव होता है।
  • गैस का कोई निश्चित आयतन नहीं होता है इसलिए गैस जिस भी बर्तन में रखी जाती है, वह उसी बर्तन का आयतन घेर लेती है।
  • गैसीय अवस्था में कण अनियमित रूप से तेजी से गति करते हैं। इसी कारण कण आपस में और बर्तन की दीवारों से टकराते हैं। बर्तन की दीवार पर गैस कणों द्वारा प्रति इकाई क्षेत्र पर लगे बल के कारण गैस का दबाव बनता है।

पदार्थ की अवस्था

तापमान में परिवर्तन

गलनांक (Melting point)जिस तापमान पर (वायुमंडलीय दाब पर) कोई ठोस पिघल कर द्रव बनता है, वह इसका गलनांक कहलाता है। बर्फ का गलनांक 273.16 K है। सुविधा के लिए हम इसे 0°C अर्थात् 273 K लेते हैं।

संगलन की गुप्त ऊष्मा- वायुमंडलीय दाब पर 1 किग्रा. ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे संगलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। अतः 0°C बर्फ के कणों की तुलना में 0°C पर पानी के कणों से अधिक ऊर्जा होती है।

क्वथनांक (Boiling Point)- वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है, इसका क्वथनांक कहलाता है। क्वथनांक समष्टि गुण है।
जल का क्वथनांक =373 K (100°C + 273 = 373 K)

वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा  वायुमंडलीय दाब पर 1 किग्रा द्रव को उसके क्वथनांक पर वाष्प में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

जब पानी को उबाला जाता है, तो उसके तापमान में वृद्धि नहीं होती है तापमान 100°C ही रहता है क्योंकि वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा, पानी के कणों के बीच के आकर्षण बल को तोड़ती है।
अतः 100 °C तापमान पर वाष्प के कणों में उसी तापमान पर पानी के कणों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है।

तापमान में परिवर्तन से पदार्थ की अवस्था को एक से दूसरी में बदला जा सकता है, जैसा कि नीचे के आरेख में दिखाया गया है।

A change in temperature can change the state of matter from one state to another. तापमान में परिवर्तन से पदार्थ की अवस्था को एक से दूसरी में बदला जा सकता है


25°C – जल, 0°C – बर्फ, 100°C – वाष्प

ऊर्ध्वपातन  कुछ ऐसे पदार्थ हैं, जो द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ठोस अवस्था से सीधे गैस में और वापिस ठोस में बदल जाते हैं। इस प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं।

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दाब परिवर्तन का प्रभाव –

यदि हम तापमान घटाने पर सिलिंडर में गैस लेकर उसे संपीडित करें, तो कणों के बीच की दूरी कम हो जाएगी और गैस द्रव में बदल जायेगी।
दाब बढ़ाना + तापमान घटाना → गैस को द्रव में बदलना

ज्यादा दाब बढ़ाने से गैस के कण नजदीक आ जाते हैं।

दाब और तापमान के प्रभाव से पदार्थों की तीनों अवस्थाओं का अंतरा रूपांतरण इस प्रकार है-

Under the influence of pressure and temperature, the inter-conversion of the three states of matter is as follows


वाष्पीकरण

हम जानते हैं कि पदार्थ के कण हमेशा गतिशील होते हैं और कभी रुकते नहीं। एक निश्चित तापमान पर गैस, द्रव या ठोस के कणों में विभिन्न मात्रा में गतिज ऊर्जा होती है। द्रवों में सतह पर स्थित कणों के कुछ अंशों में इतनी गतिज ऊर्जा होती है कि वे दूसरे कणों के आकर्षण बल से मुक्त हो जाते हैं। क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में परिवर्तित होने की इस प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं।

वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक

आप पढ़ रहे है -कक्षा 9 विज्ञान के नोट्स हिंदी में अध्याय 1 – हमारे आसपास के पदार्थ


आपने ध्यान दिया होगा कि वाष्पीकरण की दर निम्नलिखित के साथ बढ़ती है:

  • सतह क्षेत्र बढ़ने पर: अब हम जानते हैं कि वाष्पीकरण एक सतही प्रक्रिया है। सतही क्षेत्र बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर भी बढ़ जाती है। जैसे, कपड़े सुखाने के लिए हम उन्हें फैला देते हैं।
  • तापमान में वृद्धि: तापमान बढ़ने पर अधिक कणों को पर्याप्त गतिज ऊर्जा मिलती है, जिससे वे वाष्पीकृत हो जाते हैं।
  • आर्द्रता में कमी: वायु में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं। किसी निश्चित तापमान पर हमारे आस-पास की वायु में एक निश्चित मात्रा में ही जल वाष्प होता है। जब वायु में जल कणों की मात्रा पहले से ही अधिक होगी, तो वाष्पीकरण की दर घट जाएगी।
  • वायु की गति में वृद्धि: हम जानते हैं कि तेज़ वायु में कपड़े जल्दी सूख जाते हैं। वायु के तेज़ होने से जलवाष्प के कण वायु के साथ उड़ जाते हैं जिससे आस-पास के जल-वाष्प की मात्रा घट जाती है।

वाष्पीकरण के कारण शीतलता कैसे होती है?

खुले हुए बर्तन में रखे द्रव में निरंतर वाष्पीकरण होता रहता है। वाष्पीकरण के दैारान कम हुई ऊर्जा को पुन: प्राप्त करने के लिए द्रव के कण अपने आस-पास से ऊर्जा अवशोषित कर लेते हैं। इस तरह आस-पास से ऊर्जा के अवशोषित होने के कारण शीतलता हो जाती है।

गर्मियों में हमें सूती कपड़े क्यों पहनने चाहिए?


शारीरिक प्रक्रिया के कारण गर्मियों में हमें ज़्यादा पसीना आता है, जिससे हमें शीतलता मिलती है। जैसा कि हम जानते हैं, वाष्पीकरण के दौरान द्रव की सतह के कण हमारे शरीर या आसपास से ऊर्जा प्राप्त करके वाष्प में बदल जाते हैं। वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा के बराबर ऊष्मीय ऊर्जा हमारे शरीर से अवशोषित हो जाती है, जिससे शरीर शीतल हो जाता है। चूँकि सूती कपड़ों में जल का अवशोषण अधिक होता है, इसलिए हमारा पसीना इसमें अवशोषित होकर वायुमंडल में आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है।

बर्फ़ीले जल से भरे गिलास की बाहरी सतह पर जल की बूँदें क्यों नज़र आती हैं?


किसी बर्तन में हम बर्फ़ीला जल रखते हैं। जल्दी ही बर्तन की बाहरी सतह पर हमें जल की बूँदें नज़र आने लगेंगी। वायु में उपस्थित जलवाष्प की ऊर्जा ठंडे पानी के संपर्क में आकर कम हो जाती है और यह द्रव अवस्था में बदल जाता है, जो हमें जल की बूँदों के रूप में नज़र आता है।

कुछ मापने योग्य राशियाँ और उनके मात्रक जिनका हमें ज्ञान होना चाहिए।

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राशि

मात्रक

प्रतीक

तापमान

केल्विन

K

लंबाई

मीटर

m

संहति

किलोग्राम

kg

भार

न्यूटन

N

आयतन

घन मीटर

m3

घनत्व

किलोग्राम प्रति घनमीटर

kgm-3

दाब

पास्कल

Pa

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Author: NCERT

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Author: NCERT

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Pros

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