9 class Science Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई Notes In Hindi PDF
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9th Class Science Chapter 5 THE FUNDAMENTAL UNIT OF LIFE Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Vigyan Chapter 5 Jiivan kii monil ikaaii Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar.
Class 9 Science Notes In Hindi || 9 class Science Notes Download
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Biology | विज्ञान |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | जीवन की मौलिक इकाई |
Category | Class 9 Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
9th Science Chapter 5 Notes PDF Download in Hindi
💠 Class 09 विज्ञान 💠
📚 अध्याय = 5 📚
💠जीवन की मौलिक इकाई💠
💠THE FUNDAMENTAL UNIT OF LIFE 💠
❇️ कोशिका :-
🔹 सभी जीव सूक्ष्म इकाईयों के बने होते हैं । जिन्हें कोशिका कहते हैं । सभी जीवों की संरचनात्मक व कार्यात्मक इकाई कोशिका ( Cell ) है । कोशिका के आकार , आकृति व संगठन का अध्ययन साइटोलॉजी ( Cytology ) कहलाता है ।
सजीव
सभी जीव कोशिकाओं के बने होते हैं-
- सभी जीव सूक्ष्म इकाईयों के बने होते हैं। जिन्हें कोशिका कहते हैं।
- सभी जीवों की संरचनात्मक व कार्यात्मक इकाई कोशिका (Cell) है।
- कोशिका के आकार, आकृति व संगठन का अध्ययन साइटोलॉजी (Cytology) कहलाता है
- सन् 1665 में मृत कार्क कोशिकओं में ‘रॉबर्ट हुक’ ने कोशिका को सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा।
- सर्वप्रथम सूक्ष्मदर्शी में जीवित कोशिका को एन्टोनी ल्यूवेनहाक ने देखा।
- प्रोटोप्लाज्म के विभिन्न संगठन में जल, आयन, नमक इसके अतिरिक्त दूसरे कार्बनिक पदार्थ जैसे-प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, न्यूक्लिक अम्ल, व विटामिन आदि होते हैं जो कोशिका का निर्माण करते है।
- विभिन्न लक्षणों के आधार पर कोशिका में जीवद्रव्य सोल-जेल अवस्था में स्थिति होता है।
कोशिका सिद्धांतः कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन जीव वैज्ञानिक स्लीडन व स्वान ने किया जिसके अनुसार-
- सभी पौधे व जीव कोशिका के बने होते हैं।
- कोशिका जीवन की मूल इकाई है।
- सभी कोशिकाएँ पूर्व निर्मित कोशिकाओं से पैदा होती हैं।
जीव दो प्रकार के होते है:-
लक्षण | एककोशिकीय जीव | बहुकोशिकीय जीव |
---|---|---|
कोशिका संख्या | एक कोशिकीय | अधिक मात्रा में कोशिकाएँ |
कार्य | कोशिका के सभी कार्य एक कोशिका द्वारा किए जाते है। | विभिन्न कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के कार्य करती हैं। |
कार्य का विभाजन | नहीं होता | विशेष कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के कार्य करती है |
जनन | जनन एकल कोशिका द्वारा | विशेष कोशिकाएँ (जनन कोशिकाएँ) जनन में भाग लेती हैं। |
आयु | छोटी | लम्बी |
उदाहरण | अमीबा, वैक्टीरिया | पादप, कवक, जन्तु |
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दो प्रकार की कोशिकाओं में अन्तर:-
प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ | यूकैरियोटिक कोशिकाएँ |
---|---|
आकार में बहुत छोटी (1 to 10-6m) | आकार में बड़ी |
कोशिका का केन्द्रकीय भाग (Nucleoid) न्यूक्लिअर झिल्ली से नहीं ढका होता है | केन्द्रकीय भाग न्यूक्लिर झिल्ली द्वारा घिरा होता है। |
केन्द्रक अनुपस्थित | केन्द्रक उपस्थित |
झिल्ली द्वारा घिरे अगंक अनुपस्थित | झिल्ली द्वारा घिरे अंगक उपस्थित |
कोशिका विभाजन विखंडन या कोशिका विभाजन (budding) द्वारा | कोशिका विभाजन माइटोसिस (Mitosis) या मियोसिस (Meiosis) द्वारा |
हमेशा एककोशिकीय (जीवाणु) | एक एवम् बहुकोशिकीय जीव |
कोशिका आकार:
कोशिकाओं का विभिन्न आकार व आकृति होती है। सामान्यतः कोशिकाएँ अंडाकार (spherical) होती हैं, वे लम्बाकार, स्तम्भाकार या डिस्क के आकार की भी होती है। कोशिका का आकार उसके कार्य पर निर्भर होता है।
विभिन्न जीवों (पादप और जन्तु) की कोशिकाएँ विभिन्न आकार एवम् प्रकार की होती है। कुछ कोशिकाएँ सूक्ष्मदर्शीय होती हैं जबकि कुछ कोशिकाएँ नंगी आँखों से देखी जा सकती हैं इनका आकार 0.2� m से 18 सेमी. तक होता है।
- एक बहुकोशीय जीव की किसी कोशिका का आकार सामान्यतः 2-120 �m होता है।
- सबसे बड़ी कोशिका शुतरमुर्ग का अण्डा ( 15 सेमी. लम्बा व 13 सेमी. चौड़ा)
- सबसे छोटी कोशिका-माइकोप्लाज्मा (0.1Ao)
- सबसे लंबी कोशिका-तंत्रिका कोशिका (1 मीटर तक)
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कोशिका झिल्ली
- कोशिका झिल्ली को प्लाज्मा झिल्ली या प्लाज्मालेमा (Plasma lema) कहते हैं।
- कोशिका झिल्ली वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली (Selectively permeable membrane) होती है। जो कोशिका के अन्दर या बाहर से केवल कुछ पदार्थों को अन्दर या बाहर आने.जाने देती है।
- यह प्रत्येक कोशिका को दूसरी कोशिका के कोशिका द्रव्य से अलग करती है।
- यह जन्तु कोशिका व पादप कोशिका दोनों में पाई जाती है।
- यह प्रोटीन (Protein) व लिपिड (Lipid) की बनी होती है।
Singer और Nicholson के Fluid mosaic model के अनुसार यह लिपिड और प्रोटीन से बनी परत है जिसमें प्रोटीन, लिपिड की दो परतों के बीच सैंडविच की तरह धँसी होती है। 75 Ao मोटी होती है।
यह लचीली होती है जो कि मोड़ी, तोड़ी व दुबारा जुड़ सकती है।
प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane) के कार्य-
- यह कोशिका के अन्दर व बाहर अणुओं को आने.जाने देती है।
- यह कोशिका के निश्चित आकार को बनाए रखती है।
- प्लाज्मा झिल्ली के अन्दर व बाहर अणुओं का आदान.प्रदान दो प्रकार से होता है।विसरण व (b) परासरण।
कोशिका भित्ति
- यह पादप कोशिका की सबसे बाह्य झिल्ली है, यह जन्तु कोशिका में अनुपस्थित होती है।
- यह सख्त, मजबूत, मोटी, संरन्ध्र अजीवित संरचना है, यह सेलुलोज की बनी होती है, कोशिकाएँ मध्य भित्ति (Middle lamellae) द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी होती है।
- पादप कोशिकाएँ एक दूसरे से Plasmodesmat से संम्पर्क मे रहती है।
- कवकों मे पाई जाने वाली कोशिकों भित्ति काइटिन नामक रसायन की बनी होती है।
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कोशिका भित्ति के कार्य-
- कोशिका को संरचना प्रदान करना।
- कोशिका को मजबूती प्रदान करना।
- यह संरध्र होती है और विभिन्न अणुओं को आर-पार जाने देती है।
- इसमें मरम्मत करने व पुनर्जनन की क्षमता होती है।
केंद्रक
- यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो कि कोशिका की सभी क्रियाओं का नियन्त्रण करता है।
- यह कोशिका का केन्द्र (Head Quarter of cell) कहलाता है।
- यूकैरियोटिक कोशिकाओं में स्पष्ट केन्द्रक होता है जबकि प्रौकेरियोटिक कोशिकाओं में प्राथमिक केन्द्रक होता है।
- इसके ऊपर की द्विस्तरीय झिल्ली को केन्द्रक झिल्ली (Nuclear membrane) कहते हैं।
- केन्द्रक द्रव्य में केन्द्रकाय (Nucleolus) व क्रोमेटिन (Chromatin) धागे होते हैं।
- क्रोमोसोम या क्रोमेटिन धागे डी. एन. ए. के बने होते हैं जो कि आनुवंशिक सूचनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जनन के द्वारा भेजते हैं।
- DNA के बुनियादी और कार्यक्षम घटक को जीन (GENES) कहते हैं।
केन्द्रक के कार्य-
- यह कोशिका की सभी उपापचय क्रियाओं का नियन्त्रण करता है।
- यह आनुवंशिकी सूचनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक भेजने का कार्य करता है।
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कोशिका द्रव्य
कोशिका का वह द्रव्य जिसमें सभी कोशिका अंगक पाए जाते हैं कोशिका द्रव्य कहलाता है। यहाँ जिसमें जैविक व कैटाबोलिक क्रियाएँ सम्पन्न होती है। इसके दो भाग होते हैं-
- सिस्टोल (Cystol)- जलीय द्रव जिसमें विभिन्न प्रोटीन होती है। इसमे 90% जल, 7% प्रोटिन, 2% कार्वोहाईड्रेट और 1% अन्य अव्यव होते है।
- कोशिका अंगक (Cell Organelles)- विभिन्न प्रकार के अंगक जो प्लाज्मा झिल्ली द्वारा घिरी होती है। कुछ कोशिका अंगक एक झिल्ली, दो झिल्ली या बिना झिलली के होते है जैसे:
एक प्लाज्मा झिल्ली वोल अंगक | दोहरी झिल्ली वाले अंगक | बिना झिल्ली वाले अंगक |
---|---|---|
अंतर्द्रव्यी जालिका, लाइसोसोम, गाल्जीकाय और रिक्तिका | माइटोकॉण्ड्रिया और लवक इनके पास अपना खुद का DNA भी होता है। | राइबोसोम, सेन्ट्रोसोम माइक्रोटयुबुल्स |
कोशिका अंगक
अंतर्द्रव्यी जालिका, गॉल्जी उपकरण, लाइसोसोम, माइटोकॉन्ड्रिया तथा प्लैस्टिड; कोशिका अंगकों के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। ये इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये कोशिकाओं के बहुत निर्णायक कार्य करते हैं।
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अंतर्द्रव्यी जालिका (ER)
- यह झिल्ली युक्त नलिकाओं तथा शीट का विशाल तन्त्र होता है।
- झिल्ली जीवात् जननः ER द्वारा निर्मित प्रोटीन और वसा का कोशिका झिल्ली बनाने में सहायक।
- यह प्रोकैरियोटिक कोशिका व स्तनधारी इरेथ्रोसाइट (Mammallian erythrocyte) के अलावा सभी में पाया जाता है।
- अंतर्द्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है:
(i) खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (RER) (ii) चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका (SER)
अन्तर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulam) के कार्य-
- यह केवल ऐसा अंगक है जो कोशिका के अन्दर और केन्द्रक के बीच पदार्यों के परिवहन के लिए नलिका सुविधा प्रदान करता है।
- यह अंगकों के बीच Bio-chemical क्रियाओं के लिए स्थान उपलब्ध कराता है।
- यह वसा, व प्रोटीन के संश्लेषण में मदद करता है।
- SER यकृत की कोशिकाओं में विष तथा दवा को निराविषीकरण (Detoxification) करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गॉल्जी उपकरण-
ये पतली झिल्ली युक्त चपटी पुटिकाओं का समूह है जो एक-दूसरे के ऊपर समान्तर सजी रहती है इनका आविष्कार (खोज) (Camilo golgi) ने किया। ये प्रौकेरियोट, स्तनधारी, (RBC) व Sieve cells में यह अनुपस्थित होती है।
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गाल्जीकाय के कार्य-
यह लिपिड बनाने में सहायता करता है। यह मध्य लेमिला बनाने का कार्य करता है।
यह स्वभाव से स्रावी होता है, यह मेलेनिन संश्लेषण में सहायता करता है।
अर्न्तद्रव्यी जालिका में संश्लेषित प्रोटीन व लिपिड का संग्रहण गाल्जीकाय में किया जाता है और उन्हें कोशिका के बाहर तथा अंदर विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिया जाता है।
लाइसोसोम-
गाल्जी उपकरण की कुछ पुटिकाओं में एन्जाइम इकट्ठे हो जाते हैं। ये एकल झिल्ली युक्त पुटिका लाइसोसोम कहलाती है, होती है। इनका कोई निश्चित आकृति या आकार नहीं होता ये मुख्यतः जन्तु कोशिका में व कुछ पादप कोशिकाओं में पाये जाते हैं।
कार्य- इनका मुख्य कार्य कोशिका को साफ रखना है।
[उपापचय प्रक्रियाओं में जब कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती है तो लाइसोसोम की पुटिकाएँ फट जाती हैं और एन्जाइम स्रावित हो जाते हैं और अपनी कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए लाइसोसोम को कोशिका की आत्मघाती थैली (Suicide bag) भी कहा जाता है।]
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माइटोकॉन्ड्रिया
ये प्रोकेरियोटिक में अनुपरिथत होती है।
इसको कोशिका का पावर हाउस (ऊर्जाघर) भी कहते हैं।
यह दोहरी झिल्ली वाले होते हैं और सभी यूकैरियोटिकस में उपस्थित होते है। (Except RBC)
बाह्य परत चिकनी एवं छिद्रित होती है। अतः परत बहुत वलित होती है और क्रिस्टी (Cristae) का निर्माण करते हैं।
इसमें अपना खुद का DNA और राइबोसोम होता है।
माइटोकॉण्ड्रिया के कार्य
- इसका मुख्य कार्य ऊर्जा निमार्ण कर ATP के रूप में संचित करना है।
- यह क्रेब्स चक्र (Kreb Cycle) या कोशिकीय श्वसन का मुख्य स्थान है। जिसमे ATP का निर्माण होता है।
प्लैस्टिड
- ये केवल पादप एवम् Algae (काई) कोशिकाओं में पाए जाने वाले अंगक हैं जिनके आन्तरिक संगठन में झिल्ली की दो परतें होती हैं। जो एक पदार्थ के अन्दर धँसी होती हैं। इस पदार्थ को स्ट्रोमा कहते हैं। ये विभिन्न आकार व आकृति जैसे कपनुमा, फीताकार, मेखलाकार आदि तरह के होते हैं। लवक में अपना DNA (डी.एन.ए.) और राइबोसोम होते हैं।
- ये तीन प्रकार के होते हैं:-
- अवर्णी लवक- (1) ल्यूकोप्लास्ट (सफेद) (तने, जड़ों में)
- वर्णी लवक- (2) क्रोमोप्लास्ट (लाल, भूरे, अन्य) (जड़ें, तना, पत्ती)
- हरित लवक- (3) क्लोरोप्लास्ट (हरा) (पत्तियों में)
रसधानियाँ
- रसधानियाँ ठोस अथवा तरल पदार्थों की संग्राहक थैलियाँ हैं। जंतु कोशिकाओं में रसधानियाँ छोटी होती हैं जबकि पादप कोशिकाओं में रसधानियाँ बहुत बड़ी होती हैं। कुछ पौधों की कोशिकाओं की केंद्रीय रसधानी की माप कोशिका के आयतन का 50% से 90% तक होता है।
- पादप कोशिकाओं की रसधानियों में कोशिका द्रव्य भरा रहता है और ये कोशिकाओं को स्फीति तथा कठोरता प्रदान करती हैं। पौधों के लिए आवश्यक बहुत से पदार्थ रसधानी में स्थित होते हैं। ये अमीनो अम्ल, शर्करा, विभिन्न कार्बनिक अम्ल तथा कुछ प्रोटीन हैं। एककोशिक जीवों, जैसे अमीबा, की खाद्य रसधानी में उनके द्वारा उपभोग में लाए गए खाद्य पदार्थ होते हैं। कुछ एककोशिक जीवों में विशिष्ट रसधानियाँ अतिरिक्त जल तथा कुछ अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं।
- प्रत्येक कोशिका की अपनी एक संरचना होती है, जिसके द्वारा वे विशिष्ट कार्य जैसे श्वसन, पोषण तथा अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन अथवा नई प्रोटीन बनाने में सहायता करते हैं। ऐसा उनकी झिल्ली तथा अंगकों की विशिष्ट संरचना के कारण संभव हो पाता है।
- अतः कोशिका सजीवों की एक मूलभूत संरचनात्मक इकाई है। यह जीवन की एक मूलभूत क्रियात्मक इकाई भी है।
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कोशिका विभाजन
- जीवधारियों में वृद्धि हेतु नई कोशिकाएं बनती हैं जिससे पुरानी मृत एवं क्षतिग्रस्त कोशिकाओं का प्रतिस्थापन और प्रजनन हेतु युग्मक बनते हैं। नई कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया को कोशिका विभाजन कहते हैं। सम सूत्री विभाजन और अर्ध सूत्री विभाजन नामक दो मुख्य प्रकार की कोशिका विभाजन की प्रक्रिया है।
कोशिका विभाजन की प्रक्रिया जिससे अधिकतर कोशिकाएं वृद्धि हेतु विभाजित होती हैं उसे सूत्री विभाजन कहते हैं। इस प्रक्रिया में प्रत्येक कोशिका जिसे मातृ कोशिका भी कह सकते हैं, विभाजित होकर दो समरूप संतति कोशिकाएं बनाती हैं (चित्र)। संतति कोशिकाओं में गुणसुत्रों की संख्या मातृकोशिका के समान होती है। यह जीवों में वृद्धि एवं ऊतको के मरस्मत में सहायता करती है।
कोशिका विभाजन की प्रक्रिया जिससे अधिकतर कोशिकाएं वृद्धि हेतु विभाजित होती हैं उसे सूत्री विभाजन कहते हैं। इस प्रक्रिया में प्रत्येक कोशिका जिसे मातृ कोशिका भी कह सकते हैं, विभाजित होकर दो समरूप संतति कोशिकाएं बनाती हैं (चित्र)। संतति कोशिकाओं में गुणसुत्रों की संख्या मातृकोशिका के समान होती है। यह जीवों में वृद्धि एवं ऊतको के मरस्मत में सहायता करती है।
- जंतुओं और पौधों के प्रजनन अंगों अथवा ऊतकों की विशेष कोशिकाएं विभाजित होकर युग्मक बनाती है जो निषेचन के पश्चात् संतति निर्माण करती है। यह एक अलग प्रकार का विभाजन है जिसे अर्धसूत्रण कहते हैं जिसमें क्रमशः दो विभाजन होते हैं। जब कोशिका अर्ध सूत्रण द्वारा विभाजित होती है तो इससे दो की जगह चार नई कोशिकाएं बनती हैं (चित्र)। नई कोशिकाओं में मात् कोशिकाओं की तुलना में गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है।
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