2023-24 NCERT Class 9 Science Chapter 8 बल तथा गति के नियम Notes in Hindi

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9th Class Science Chapter 8 FORCE AND LAWS OF MOTION Notes in Hindi | कक्षा 9 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 9 Vigyan Chapter 8 Bal tatha gati ke niyam Notes PDF Hindi me Notes PDF 2023-24 New Syllabus ke anusar.

Class 9 Science ch 8 Notes In Hindi || 9 class Science Notes Download

TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectPhysics | विज्ञान
ChapterChapter 8
Chapter Nameबल तथा गति के नियम
CategoryClass 9 Science Notes in Hindi
MediumHindi
class-9-science-chapter-8 -FORCE AND LAWS OF MOTION notes-in-hindi

💠 Class 09 विज्ञान 💠
📚 अध्याय = 8 📚
💠बल तथा गति के नियम💠

💠FORCE AND LAWS OF MOTION 💠

बल तथा गति के नियम

बल :-  बल एक प्रकार का धक्का या खिंचाव हैं जिसमें किसी वस्तु की अवस्था में परिवर्तन करने की प्रवृत्ति होती हैं। इस में वस्तु में गति ला सकने की क्षमता होती हैं। बल प्रयोग के द्वारा वस्तु का आकार या आकृत्ति भी बदली जा सकती हैं।
सूत्र :-  F = m.a
मात्रक :-  न्यूटन (N) अथवा Kg. m/s2
राशि :- सदिश राशि। (इनमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं।)

बल का प्रभाव :-

1. बल किसी स्थिर वस्तु को गतिशील बनाता हैं।
उदाहरण  एक फुटबॉल को पैर से मारने पर गतिशील हो जाती हैं।

2. बल किसी गतिशील वस्तु को स्थिर कर देती हैं।
उदाहरण   गाड़ियों में ब्रेक लगाने से गाडी रूक जाती हैं।

3. बल किसी गतिशील वस्तु की दिशा बदल देता हैं।
उदाहरण   साईकिल की हैंडल से उसकी दिशा बदल जाती हैं।

घर्षण बल अभिकेन्द्रीकरण बल चुम्बकीय बल गुरूत्वाकर्षण बल
आप पढ़ रहे है – Class 9 Science Chapter 8 बल तथा गति के नियम Notes In Hindi

1. घर्षण बल- 

 यह वह बल है जो किसी वस्तु की गति की दिशा के विपरित दिशा में कार्य करता हैं। यह दो सतहों के बीच कार्य करता हैं।
उदा.
(i) चप्पल या जूते और धरती के बीच कार्य।
(ii) सड़क और कार के टायर के बीच।

2. अभिकेन्द्रीकरण बल :-

 जब कोई वस्तु वृत्तीय पथ पर गति करता हैं तो उसके केन्द्र से उस पर एक बल लगता हैं जो उसे प्रत्येक बिन्दु पर केन्द्र की और खीचंता हैं, इस बल को अभिकेन्द्रीय बल कहते हैं।
उदा. सूर्य के चारों और पृथ्वी की गति

3. चुम्बकीय बल :-

 चुम्बक द्वारा किसी चुम्बकीय धातु पर लगाया गया बल चुम्बकीय बल कहलाता हैं।

4. गुरूत्वाकर्षण बल:-

 दो पिण्डों के मध्य लगने वाले बल को गुरूत्वाकर्षण बल कहते हैं।
उदा. पृथ्वी और सूर्य के बीच लगने वाला बल।
बल की प्रबलता के आधार पर दो प्रकार के होते हैं।

आप पढ़ रहे है – Chapter 8. बल और गति का नियम Class 9 Science CBSE notes

1. संतुलित बल :-

 किसी वस्तु पर लगने वाले अनेक बलों का यदि परिणामी बल शून्य हो तो ऐसे बल को सन्तुलित बल कहते हैं।
उदा.  रस्सा कशी के खेल में जब दोनों टीम रस्से को बराबर बल से खींचती हैं, तब परिणामी बल शून्य होता हैं। अत: दोनों टीमें अपने स्थान पर स्थिर बने रहते हैं। अत: बल संतुलित हैं।
उदा.

balanced force संतुलित बल

2. असन्तुलित बल :-

 किसी वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का परिणामी बल शून्य नहीं हैं, तो ऐसे बल को असन्तुलित बल कहा जाता हैं।

  • यदि किसी वस्तु पर असंतुलित बल लगाया जाता हैं तो वस्तु की चाल या गति की दिशा में परिवर्तन होता हैं।
  • त्वरण उत्पन्न करने के लिए असंतुलित बल की आवश्यकता होती हैं।
  • गतिशील वस्तु को स्थिर बना देता हैं।

सन्तुलित बल व असन्तुलित बल में अन्तर

क्र.स.

सन्तुलित बल

असन्तुलित बल

  1.  

जब किसी वस्तु पर कार्यरत विभिन्न बलों का परिणामी बल शून्य हो तो, उसे सन्तुलित बल कहते हैं।

जब किसी वस्तु पर कार्यरत विभिन्न बलों का परिणामी बल शून्य न हो तो उसें असन्तुलित बल कहते हैं।

  1.  

ये बल वस्तु की स्थिति में परिवर्तन नहीं करते हैं।

ये बल विरामावस्था में स्थित वस्तु को गतिमान कर सकते हैं।

  1.  

ये बल वस्तु की आकृति, आकार में परिवर्तन कर सकते हैं।

ये बल वस्तु की आकृति व आकार में परिवर्तन नहीं कर सकते हैं।

आप पढ़ रहे है – Notes of Class 9th: Ch 8 बल तथा गति के नियम विज्ञान
Difference between balanced force and unbalanced force सन्तुलित बल व असन्तुलित बल में अन्तर

(1) गति का प्रथम नियम (The First Law of Motion):


 गति के प्रथम नियम के अनुसार:- प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एक समान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्यरत न हो ।
सभी वस्तुएँ अपनी अवस्था परिवर्तन  का विरोध करती है।

गति का प्रथम नियम (The First Law of Motion)

गति के प्रथम नियम से हमें यह पता चलता है कि किसी वस्तु पर असंतुलित बल लगाने से गति करता है। अर्थात् किसी वस्तु पर असंतुलित बल लगाया जाता है तो यह बल के कारण गति करता है।
गति का प्रथम नियम यह बताता है कि किसी वस्तु पर लगने वाला असंतुलित बाह्य बल उसके वेग में परिवर्तन करता है और वस्तु त्वरित हो जाती है।

जड़त्व का नियम (Inertia) :

 किसी वस्तु के विरामावस्था में रहने या समान वेग से गतिशील रहने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते है। यही कारण है कि गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते है।
जड़त्व प्रत्येक वस्तु का गुण या प्रवृत्ति है।
जड़त्व को वस्तु के द्रव्यमान से मापा जाता है।

मात्रक किलोग्राम (Kg)
जड़त्व का नियम (Law of Inertia) :  विराम अवस्था की वस्तुएँ विराम में ही बनी रहती है और गतिमान वस्तुएँ गति की अवस्था में उसी वेग से बनी रहती है जब उस पर बाहरी बल न लगाया जाये । इस नियम को जड़त्व का नियम कहते हैं।

जड़त्व का नियम (Law of Inertia) :
आप पढ़ रहे है – 9th Science Chapter 8 | Hindi Medium | Force and Laws of

जड़त्व के प्रकार (Types of Inertia) :

(i) विराम का जड़त्व (Inertia of Rest )
(ii) गति का जड़त्व (Inertia of Motion)
(iii) दिशा में जड़त्व (Inertia of direction)

जड़त्व का उदाहरण (Examples of Inertia) :  (i) कार में यात्रा : जब हम किसी कार में यात्रा करते हैं तो चलती हुई कार के सापेक्ष हमारा शरीर गति की अवस्था में रहता है। परन्तु जब ब्रेक लगाया जाता है तो गाड़ी के साथ-साथ सीट भी विराम अवस्था में आ जाता है परन्तु हमारा शरीर जड़त्व के कारण गतिज अवस्था में आ जाता है परन्तु हमारा शरीर जड़त्व के कारण गतिज अवस्था में ही बना रहना चाहता है।

इसलिए हमारा शरीर ब्रेक लगने पर आगे की तरफ तेजी से झुकता है। इससे हमें गहरी चोट भी लग सकती है यहाँ तक की मृत्यु भी हो सकती है। यही कारण है कि कार में यात्रा करते समय सुरक्षा बेल्ट का उपयोग करते हैं। ये सुरक्षा बेल्ट हमारे आगे बढ़ने की गति को धीमा करता है।


(ii) बस में खड़ा होना :- जब हम मोटर बस में खड़े होते हैं एवं मोटर बस अचानक चल पड़ती है। इस स्थिति में हम पीछे की ओर झुक जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है। क्योंकि मोटर बस के अचानक गति में आ जाने से हमारा पैर, जो मोटर बस के फर्श के संपर्क में रहता है, गति में आ जाता है । परंतु शरीर का ऊपरी भाग जड़त्व के कारण इस गति का विरोध करता है।


(iii) तीव्र मोड़ से गुजरती तेज गति की कार : जब कोई मोटरकार तीव्र गति के साथ किसी तीक्ष्ण मोड़ पर मुड़ती है तो हम एक ओर झुकने लगते है। इसे भी जड़त्व के नियम से समझा जा सकता है। हमारा शरीर अपनी एक सरल रेखीय गति को बनाए रखना चाहता है। जब मोटर कार की दिशा को बदलने के लिए इंजन द्वारा एक असंतुलित बल लगाया जाता है तब हम अपने शरीर के जड़त्व के कारण सीट पर एक ओर झुक जाते है।


(iv) स्ट्राइकर से कैरम की गोटी को मारना :  जब हम स्ट्राइकर से कैरम की ढ़री की सबसे निचली गोटी को अपनी अँगुलियों से तीव्रता से क्षेतिज झटका देते हैं तो स्ट्राइकर निचली गोटी को तेजी से धक्का देता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि केवल नीचे  वाली गोटी ही शीघ्रता से ढ़ेरी से बाहर आ जाती है। नीचे वाली गोटी के बाहर आ जाने से शेष कैरम की गोटियाँ लंबवत नीचे गिरती हैं बिखरती नहीं । ऐसा जड़त्व के कारण ही होता है।

Hitting the carrom ball with the striker स्ट्राइकर से कैरम की गोटी को मारना :

यही कारण है कि गति के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम भी कहते है। बाह्य बल लगने के बाद भी कुछ वस्तुएँ अपनी प्रवृत्ति के कारण जड़त्व में बनी रहती है। यह बल असंतुलित हो तभी वह अपनी जड़त्व में बनी रहती है। यह बल असंतुलित हो तभी वह अपनी अवस्था में परिवर्तन करती है, विराम में आती है या गतिमान हो जाती है।

द्रव्यमान (Mass) : किसी वस्तु में उपस्थिति पदार्थ की मात्रा को उस वस्तु का द्रव्यमान कहते है। द्रव्यमान को m से लिखा जाता है और इसे ग्राम (g) या किलोग्राम (Kg) में मापा जाता है।
द्रव्यमान किसी वस्तु की जड़त्व का माप (Measure) होता है।

द्रव्यमान (Mass) : किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा को उस वस्तु का द्रव्यमान कहते हैं। द्रव्यमान m से लिखा जाता है। ओर इसे ग्राम (g) या किलोग्राम (kg) में मापा जाता है।
द्रव्यमान किसी वस्तु की जड़त्व का माप (Measure) होता है।

आप पढ़ रहे है – force and laws of motion | class 9 science solution | physics in

जड़त्व और द्रव्यमान में अंतर :-

जड़त्व

द्रव्यमान

1. जड़त्व किसी वस्तु का गुण या प्रवृत्ति है।
2. किसी वस्तु के जड़त्व को उसके द्रव्यमान से मापा जाता है।

1. द्रव्यमान किसी वस्तु में उपस्थिति पदार्थ की मात्रा होता है।
2. द्रव्यमान स्वयं से ही मापा जाने वाला राशि है।

गति का द्वितीय नियम (The Second Law of Motion):

  • गति का द्वितीय नियम यह बताता है कि किसी वस्तु में उत्पन्न त्वरण इस पर लगाये गए बल पर निर्भर करता है तथा लगाये बल को मापने की विधि को बताता है।
  • गति का द्वितीय नियम किसी वस्तु पर लगाये गए बल को ज्ञात करने का सूत्र प्रदान करता है।
  • यदि कोई वस्तु त्वरित होती है तो हम जानते है कि अधिक वेग प्राप्त करने के लिए अधिक बल लगाने की आवश्यकता होती है।
  • किसी वस्तु द्वारा उत्पन्न प्रभाव उसके द्रव्यमान और वेग पर निर्भर करता है। जैसे- हम हथोड़ी से किसी किल पर चोट मारते है तो चोट का प्रभाव कितना प्रबल होगा यह हथौड़ी के द्रव्यमान और उसके वेग पर ही निर्भर करता है।

संवेग (Momentum) :  संवेग एक अन्य प्रकार की राशि है जिसे न्यूटन ने प्रस्तुत किया था  ।
किसी वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग के गुणनफल को संवेग कहते हैं।
इसे “p” से सूचित करते हैं।


यह एक सदिश राशि है क्योंकि इसके परिमाण और दिशा दोनों होते हैं ।
इसकी दिशा वही होती है जो वेग की दिशा होती है।
संवेग का S.I. मात्रक किलोग्राम – मीटर / सेकंड (kilogram -meter/second) या (kgms-1) है।
दो कारक जो किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन कर सकते है।

(i) किसी वस्तु के द्रव्यमान में परिवर्तन करके,
(ii) किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन करके

  •  किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन के लिए बल की आवश्यकता होती है। जो उस समय दर पर निर्भर करता है। जो उस समय दर पर निर्भर करता है जिस पर संवेग में परिवर्तन हुआ है।

गति का द्वितीय नियम यह बताता है कि किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगने वाले असंतुलित बल की दिशा में बल के समानुपातिक होती है।


गति का द्वितीय नियम किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापने का नियम / विधि देता है।
गणितीय रूप से गति के द्वितीय नियम से बल ज्ञात करना
माना कि m द्रव्यमान की कोई वस्तु का प्रांरभिक वेग =  u  ms-1
और इसका अंतिम वेग = v  ms-1
लिया गया समय = t
और द्रव्यमान  = m


गति के द्वितीय नियम के अनुसार
प्रारंभिक संवेग p1 = mu  kgms-1
अंतिम संवेग P2= mv  kgms-1
अंतिम संवेग P2 =  mv kgms-1
संवेग में परिवर्तन  ∝ P2 – P1
∝ mv – mu
∝ m (v – u )
संवेग में परिवर्तन की दर ∝ m(u-v)/t
∝ ma   [∴ a = (v-u)/t ]

  • ma से बल का सूत्र प्राप्त होता है।

F = kma kgms-2
राशी K अनुपतिकता स्थिरांक है।

  • बल का मात्रक Kg ms-2 है।
  • संवेग में परिवर्तन की दर में कमी होने से बल की मात्रा में कमी होता है।

हमारे दैनिक जीवन में संवेग में परिवर्तन की दर या बल को कम कैसे करे :

(i) एक क्रिकेट खिलाड़ी बॉल लपकते समय अपना हाथ खिंच लेता है:

क्रिकेट मैच के दौरान मैदान में क्षेत्ररक्षक को तेज गति से आ रही गेंद को लपकते समय हाथ को पीछे की ओर खींच लेता है। तेज घुमती बॉल में उसके वेग के कारण संवेग की मात्रा अधिक होती है ।

इसलिए, बॉल में काफी बल  होता है। समय को बढ़ाने के लिए क्षेत्ररक्षक हाथ पीछे खींचता है, इस प्रकार से क्षेत्ररक्षक गेंद के वेग को शून्य करने में अधिक समय लगाता है और गेंद में संवेग परिवर्तन की दर कम हो जाती है। इस कारण तेज गति से आ रही गेंद  का प्रभाव हाथ पर कम पड़ता है। हाथ चोटिल होने से बच जाता है।

एक क्रिकेट खिलाड़ी बॉल लपकते समय अपना हाथ खिंच लेता है A cricket player stretches his hand while catching the ball
आप पढ़ रहे है – बल और गति के नियम कक्षा 9 नोट्स विज्ञान अध्याय 8 – Learn CBSE

(ii) ऊँची छलांग के लिए कुशन विस्तार अथवा भुरी मिट्‌टी / बालू का उपयोग किया है:
ऊँची कूद वाले मैदान में ,  खिलाड़ियों को कुशन या बालू पर कूदना होता है। ऐसा खिलाड़ियों के छलाँग लगाने के बाद गिरने के समय को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस स्थिति में संवेग में परिवर्तन की दर तथा बल कम होती है।

उदाहरण 9.1 एक 5 kg द्रव्यमान वाली वस्तु पर 2s के लिए एक नियत बल कार्यरत होता है। यह वस्तु के वेग को 3 m/s से बढ़ा कर 7 m/s कर देता है। लगाए गए बल की मात्रा ज्ञात करें । यदि इस बल को 5s के लिए आरोपित किया जाए, तो वस्तु का अंतिम वेग क्या होगा ?


उत्तर :-
 हमें ज्ञात है : u = 3 ms-1 और v = 7 ms-1,
t = 2s और m=5 kg
F = m (v-u)/t मान रखने पर
F = 5 kg (7ms-1-3ms-1)/2 s = 10 N
अब अगर 5s (t=5 s) तब बल लगाया जाता है तो अंतिम वेग प्राप्त किया जा सकता है।
u=u+ Ft/m
u, F, m और t का मान रखने पर अंतिम वेग v = 13 ms-1 है।

उदाहरण 9.2 किसमें अधिक बल की आवश्यकता होगी: 2 kg द्रव्यमान वाली किसी वस्तु को 5m s-2 की दर से त्वरित करने में या 4 kg द्रव्यमान वाली वस्तु को 2ms-2 की दर से त्वरित करने में ?
उत्तर:-
 कार का प्रारंभिक वेग
u= 108 km/h
= 108 x 1000 m / (60x60s)
= 30 ms-1
 तथा कार का अंतिम वेग ,  v= 0 ms-1
कार का कुल द्रव्यमान = 1000 kg तथा कार को रोकने में लगा समय t = 4 s से ब्रेक लगाने वाले बल F का परिमाण m (v-u)/t है।


मान रखने पर ,
F = 1000 kg x (0-30) ms-1/4 s
=- 7500 kg ms-2 या  -7500 N
ऋणात्मक चिह्न दर्शाता है कि ब्रेक के द्वारा लगाया गया बल गाड़ी की गति के विपरीत दिशा में आरोपित है।

उदाहरण 9.4 5 N का एक बल किसी द्रव्यमान m1 को 10 ms-2 का त्वरण देता है तथा द्रव्यमान m2 को 20ms-2 का त्वरण देता है। अगर दोनों द्रव्यमानों को एक साथ मिला दिया जाए, तो इस बल के द्वारा क्या त्वरण उत्पन्न होगा?
हल:
 m1= F/a1 ; तथा
m2 = F/a2
यहाँ a1 = 10 ms-2 ,
a2= 20 ms-2 तथा F= 5N
इस प्रकार , m1 = 5 N / 10 ms-2 = 0.50 kg :
तथा


m2=5 N / 20 ms-2 = 0.25 kg
जब दोनों द्रव्यमानों को एक साथ मिलाया जाता है,
पूरा द्रव्यमान  m = 0.50 kg + 0.25 kg
= 0.75 kg
द्रव्यमान m पर 5 N बल द्वारा उत्पन्न किया गया त्वरण
a= F /m =  5 N / 0.75 kg = 6.67 ms-2

उदाहरण 9.5 एक लंबी मेज़ पर सीधी रेखा में जा रही 20g द्रव्यमान की गेंद का वेग-समय ग्राफ चित्र 9.9 में दिया गया है। गेंद को विरामावस्था में लाने के लिए मेज़ द्वारा कितना बल लगेगा?

एक लंबी मेज़ पर सीधी रेखा में जा रही 20g द्रव्यमान की गेंद का वेग-समय ग्राफ चित्र 9.9 में दिया गया है
आप पढ़ रहे है – NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 8 Force and

हल: गेंद का प्रारंभिक वेग 20 cm s-1 है। मेज़ के द्वारा गेंद पर घर्षण बल लगने के कारण गेंद का वेग 10 s में शून्य हो जाता है । चूँकि वेग-समय ग्राफ एक सीधी रेखा है इससे स्पष्ट है कि गेंद एक नियम त्वरित बल के साथ चलती है।
त्वरण, a = v-u /t


= (0 cm s-1 – 20 cm s-1)/ 10 s
= – 2 cm s-2 = – 0.02 ms-2
गेंद पर लगा घर्षण बल,
F= ma = (20/1000) kg x (-0.02 ms-2)
= – 0.0004 N
 ऋणात्मक चिह्न दर्शाता है कि गेंद की गति की दिशा के विपरीत मेज द्वारा घर्षण बल आरोपित किया जाता है।

गति का तृतीय नियम
गति  के तीसरे नियम के अनुसार , जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहली वस्तु पर तात्क्षणिक बल लगाया जाता है । ये दोनों बल परिमाण में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि बल सदैव युगल रूप में होते हैं। ये बल कभी एक वस्तु पर कार्य नहीं करते बल्कि दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।

third law of motion
गति का तृतीय नियम

उदाहरण : फूटबॉल के खेल में प्राय: हम गेंद को तेज गति से किक मारने के क्रम में विपक्षी टीम के खिलाड़ी से टकरा जाता है। इसे क्रम में दोनों खिलाड़ी एक – दूसरे पर बल लगाते हैं, अतएव दोनों ही खिलाड़ी चोटिल होते हैं।
क्रिया बल : जब किसी वस्तु पर कोई वस्तु  पर कोई वस्तु बल लगाती है तो इस प्रकार लगने वाले बल को क्रिया बल कहते हैं।

गोली चलने पर बंदूक का प्रतिक्षेपित होना

प्रतिक्रिया बल : जब कोई वस्तु किसी वस्तु पर बल लगाती है तो वह वस्तु भी विपरीत दिशा में बल लगाती है इस प्रकार विपरीत दिशा में लगने वाले बल को प्रतिक्रिया बल कहते है।

  • क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करता है।

क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल मान में समान होते हैं परन्तु ये एकसामान परिमाण में त्वरण उत्पन्न नहीं करते है:

क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करता है
आप पढ़ रहे है – Class 9th Science Chapter 8 .बल तथा गति के नियम

क्रिया और प्रतिक्रिया बल मान में हमेशा समान होते हैं फिर भी ये बल एकसमान परिमाण के त्वरण उत्पन्न नहीं कर सकते । ऐसा इसलिए है क्योंकि  प्रत्येक बल अलग -अलग द्रव्यमान की वस्तुओं पर कार्य करते है।


1. गोली चलने पर बंदूक का प्रतिक्षेपित होना : एक बन्दूक से जब एक गोली चलती है , तब बन्दूक से आगे की ओर गोली  पर एक बल प्रयुक्त होता है।  इसे क्रिया बल कहते है। गोली भी बन्दूक पर पीछे की ओर बराबर बल प्रयोग करती है। इसे प्रतिक्रिया बल कहते है ।  बन्दूक के बड़े द्रव्यमान के कारण बन्दूक चलने वाले आदमी के कंधे पर पीछे की ओर सिर्फ एक झटका लगता है। बन्दूक के पीछे हटने को प्रतिक्षेपण कहते है।

गोली चलने पर बंदूक का प्रतिक्षेपित होना

2. जमीन पर चलने वाला आदमी :

earth walker जमीन पर चलने वाला आदमी
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3. नाव चलाना :

sail  नाव चलाना

4. आदमी तैरते हुए आगे बढ़ता है :

man swimming forward आदमी तैरते हुए आगे बढ़ता है

5. रॉकेट प्रणोदन :

NCERT Class 9 Science Notes in Hindi

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