CUET Hindi Mock Test- 01 CUET Hindi Question Paper
यदि आप CUET की तेयारी कर रहे है तो आपको Mock Test देना बहुत अच्छा रहेगा Hindi Mock Test -01 CUET Hindi Question Paper
CUET Hindi 2023 Mock Test
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हिन्दी में राम काव्य की विस्तृत परम्परा मिलती है। हिन्दी में सर्वप्रथम सं. 1342 में लिखित कवि भूपति कृत ‘रामचरित रामायण’ का संकेत मिलता है, परन्तु उसकी अभी तक कोई प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं है। हिन्दी में तुलसी ही रामायण के प्रमुख कवि हैं। तुलसी के समकालीन कवियों में से मुनिलाल कृत ‘रामप्रकाश’ काव्य मिलता है, जो रीति शास्त्र के आधार पर लिखा गया है। महाकवि केशव ने ‘रामचन्द्रिका’ नामक महाकाव्य की रचना की है, जिसमें काव्य कौशल का तो प्राधान्य है, परन्तु चरित्र-चित्रण एवम् प्रबंधात्मकता की उपेक्षा की गई है। सेनापति ने भी अपने ‘कवित्त रत्नाकार’ में चौथी एवम् पाँचवीं तरंगों के अन्तर्गत रामायण एवम् राम रसायन का वर्णन किया है। तुलसी के समकालीन कवियों के उपरान्त भी हिन्दी में राम-काव्य के दर्शन होते हैं। इनमें से हृदयाराम कृत ‘हनुमन्नाटक’ मिलता है। तदुपरान्त प्राणचंद्र चौहान कृत ‘रामायण महानाटक’ मिलता है जो संवाद रूप में लिखा गया है।
Q.1
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है-
[1] तुलसी काव्य
✔[2]राम काव्य
[3] केशव काव्य
[4] उपर्युक्त सभी
Solution
राम काव्य
CUET Hindi (UG) 2023 Free Mock Test
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हिन्दी में राम काव्य की विस्तृत परम्परा मिलती है। हिन्दी में सर्वप्रथम सं. 1342 में लिखित कवि भूपति कृत ‘रामचरित रामायण’ का संकेत मिलता है, परन्तु उसकी अभी तक कोई प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं है। हिन्दी में तुलसी ही रामायण के प्रमुख कवि हैं। तुलसी के समकालीन कवियों में से मुनिलाल कृत ‘रामप्रकाश’ काव्य मिलता है, जो रीति शास्त्र के आधार पर लिखा गया है। महाकवि केशव ने ‘रामचन्द्रिका’ नामक महाकाव्य की रचना की है, जिसमें काव्य कौशल का तो प्राधान्य है, परन्तु चरित्र-चित्रण एवम् प्रबंधात्मकता की उपेक्षा की गई है। सेनापति ने भी अपने ‘कवित्त रत्नाकार’ में चौथी एवम् पाँचवीं तरंगों के अन्तर्गत रामायण एवम् राम रसायन का वर्णन किया है। तुलसी के समकालीन कवियों के उपरान्त भी हिन्दी में राम-काव्य के दर्शन होते हैं। इनमें से हृदयाराम कृत ‘हनुमन्नाटक’ मिलता है। तदुपरान्त प्राणचंद्र चौहान कृत ‘रामायण महानाटक’ मिलता है जो संवाद रूप में लिखा गया है।
Q.2
निम्न में से किस काव्य की अभी तक कोई प्रतिलिपि प्राप्त नहीं हुई है-
✔[1]रामचरित रामायण
[2] रामप्रकाश काव्य
[3] रामचित्रण
[4] रामचरित मानस
Solution
रामचरित रामायण
सीयूईटी मॉक टेस्ट 2023 (CUET Mock Test 2023) – मुफ्त
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हिन्दी में राम काव्य की विस्तृत परम्परा मिलती है। हिन्दी में सर्वप्रथम सं. 1342 में लिखित कवि भूपति कृत ‘रामचरित रामायण’ का संकेत मिलता है, परन्तु उसकी अभी तक कोई प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं है। हिन्दी में तुलसी ही रामायण के प्रमुख कवि हैं। तुलसी के समकालीन कवियों में से मुनिलाल कृत ‘रामप्रकाश’ काव्य मिलता है, जो रीति शास्त्र के आधार पर लिखा गया है। महाकवि केशव ने ‘रामचन्द्रिका’ नामक महाकाव्य की रचना की है, जिसमें काव्य कौशल का तो प्राधान्य है, परन्तु चरित्र-चित्रण एवम् प्रबंधात्मकता की उपेक्षा की गई है। सेनापति ने भी अपने ‘कवित्त रत्नाकार’ में चौथी एवम् पाँचवीं तरंगों के अन्तर्गत रामायण एवम् राम रसायन का वर्णन किया है। तुलसी के समकालीन कवियों के उपरान्त भी हिन्दी में राम-काव्य के दर्शन होते हैं। इनमें से हृदयाराम कृत ‘हनुमन्नाटक’ मिलता है। तदुपरान्त प्राणचंद्र चौहान कृत ‘रामायण महानाटक’ मिलता है जो संवाद रूप में लिखा गया है।
Q.3
निम्न में से कौनसा काव्य रीतिकाल के आधार पर लिखा गया है-
[1] रामचरित रामायण
✔[2]रामप्रकाश
[3] हनुमन्नाटक
[4] रामचंद्रिका
Solution
रामप्रकाश
NTA CUET Mock Test Series 2023 by SuperGrads [Free Mocks]
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हिन्दी में राम काव्य की विस्तृत परम्परा मिलती है। हिन्दी में सर्वप्रथम सं. 1342 में लिखित कवि भूपति कृत ‘रामचरित रामायण’ का संकेत मिलता है, परन्तु उसकी अभी तक कोई प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं है। हिन्दी में तुलसी ही रामायण के प्रमुख कवि हैं। तुलसी के समकालीन कवियों में से मुनिलाल कृत ‘रामप्रकाश’ काव्य मिलता है, जो रीति शास्त्र के आधार पर लिखा गया है। महाकवि केशव ने ‘रामचन्द्रिका’ नामक महाकाव्य की रचना की है, जिसमें काव्य कौशल का तो प्राधान्य है, परन्तु चरित्र-चित्रण एवम् प्रबंधात्मकता की उपेक्षा की गई है। सेनापति ने भी अपने ‘कवित्त रत्नाकार’ में चौथी एवम् पाँचवीं तरंगों के अन्तर्गत रामायण एवम् राम रसायन का वर्णन किया है। तुलसी के समकालीन कवियों के उपरान्त भी हिन्दी में राम-काव्य के दर्शन होते हैं। इनमें से हृदयाराम कृत ‘हनुमन्नाटक’ मिलता है। तदुपरान्त प्राणचंद्र चौहान कृत ‘रामायण महानाटक’ मिलता है जो संवाद रूप में लिखा गया है।
Q.4
‘रामचन्द्रिका‘ काव्य के कवि है-
[1] सूरदास
[2] तुलसीदास
✔[3]केशव
[4] मुनिलाल
Solution
केशव
CUET Hindi practice questions | Mock Tests & Sample Papers
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हिन्दी में राम काव्य की विस्तृत परम्परा मिलती है। हिन्दी में सर्वप्रथम सं. 1342 में लिखित कवि भूपति कृत ‘रामचरित रामायण’ का संकेत मिलता है, परन्तु उसकी अभी तक कोई प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं है। हिन्दी में तुलसी ही रामायण के प्रमुख कवि हैं। तुलसी के समकालीन कवियों में से मुनिलाल कृत ‘रामप्रकाश’ काव्य मिलता है, जो रीति शास्त्र के आधार पर लिखा गया है। महाकवि केशव ने ‘रामचन्द्रिका’ नामक महाकाव्य की रचना की है, जिसमें काव्य कौशल का तो प्राधान्य है, परन्तु चरित्र-चित्रण एवम् प्रबंधात्मकता की उपेक्षा की गई है। सेनापति ने भी अपने ‘कवित्त रत्नाकार’ में चौथी एवम् पाँचवीं तरंगों के अन्तर्गत रामायण एवम् राम रसायन का वर्णन किया है। तुलसी के समकालीन कवियों के उपरान्त भी हिन्दी में राम-काव्य के दर्शन होते हैं। इनमें से हृदयाराम कृत ‘हनुमन्नाटक’ मिलता है। तदुपरान्त प्राणचंद्र चौहान कृत ‘रामायण महानाटक’ मिलता है जो संवाद रूप में लिखा गया है।
Q.5
निम्न में से कौनसा काव्य संवाद रूप में लिखा गया है-
✔[1]रामायण महानाटक
[2] रामचरित रामायण
[3] राम प्रकाश
[4] रामचंद्रिका
Solution
रामायण महानाटक
CUET Hindi Study Material 2022-23 PDF Download – SelfStudys
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हिन्दी में राम काव्य की विस्तृत परम्परा मिलती है। हिन्दी में सर्वप्रथम सं. 1342 में लिखित कवि भूपति कृत ‘रामचरित रामायण’ का संकेत मिलता है, परन्तु उसकी अभी तक कोई प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं है। हिन्दी में तुलसी ही रामायण के प्रमुख कवि हैं। तुलसी के समकालीन कवियों में से मुनिलाल कृत ‘रामप्रकाश’ काव्य मिलता है, जो रीति शास्त्र के आधार पर लिखा गया है। महाकवि केशव ने ‘रामचन्द्रिका’ नामक महाकाव्य की रचना की है, जिसमें काव्य कौशल का तो प्राधान्य है, परन्तु चरित्र-चित्रण एवम् प्रबंधात्मकता की उपेक्षा की गई है। सेनापति ने भी अपने ‘कवित्त रत्नाकार’ में चौथी एवम् पाँचवीं तरंगों के अन्तर्गत रामायण एवम् राम रसायन का वर्णन किया है। तुलसी के समकालीन कवियों के उपरान्त भी हिन्दी में राम-काव्य के दर्शन होते हैं। इनमें से हृदयाराम कृत ‘हनुमन्नाटक’ मिलता है। तदुपरान्त प्राणचंद्र चौहान कृत ‘रामायण महानाटक’ मिलता है जो संवाद रूप में लिखा गया है।
Q.6
निम्न में से ‘ राम भक्ति‘ के कवि नहीं है-
[1] तुलसीदास
[2] केशव
[3] हृदयाराम
✔ [4] सूरदास
Solution
सूरदास
CUET Test Series for Hindi 2022-23 (Free Available)
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
विद्यार्थीजीवन ही वह समय है जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार, आचरण को जैसा चाहे, वैसा रूप दिया जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भाँति है, जिसे जिधर चाहो मोड़ा जा सकता है। पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट तो सकती हैं पर मुड़ नहीं सकतीं। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है, जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा सकता है। सफेद चादर पर एक रंग जो चढ़ गया, सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती। इसीलिए प्राचीन काल से ही विद्यार्थी जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था से सुसंस्कार और सद्वृतियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसीलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।
Q.7
प्रस्तुत गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है-
[1] चरित्र और व्यवहार
[2] कठोर अनुशासन
✔[3]विद्यार्थी जीवन
[4] छात्र एक वृक्ष
Solution
विद्यार्थी जीवन
CUET Hindi Mock Test Paper 10 | CUET Hindi Domain | CUET
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
विद्यार्थीजीवन ही वह समय है जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार, आचरण को जैसा चाहे, वैसा रूप दिया जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भाँति है, जिसे जिधर चाहो मोड़ा जा सकता है। पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट तो सकती हैं पर मुड़ नहीं सकतीं। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है, जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा सकता है। सफेद चादर पर एक रंग जो चढ़ गया, सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती। इसीलिए प्राचीन काल से ही विद्यार्थी जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था से सुसंस्कार और सद्वृतियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसीलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।
Q.8
व्यवहार को सुधारने का सर्वोत्तम समय होता है-
[1] प्रौढ़ावस्था
[2] युवावस्था
[3] वृद्धावस्था
✔ [4] छात्रावस्था
Solution
छात्रावस्था
CUET Mock Test 2023, Practice Online Test Series FREE
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
विद्यार्थीजीवन ही वह समय है जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार, आचरण को जैसा चाहे, वैसा रूप दिया जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भाँति है, जिसे जिधर चाहो मोड़ा जा सकता है। पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट तो सकती हैं पर मुड़ नहीं सकतीं। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है, जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा सकता है। सफेद चादर पर एक रंग जो चढ़ गया, सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती। इसीलिए प्राचीन काल से ही विद्यार्थी जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था से सुसंस्कार और सद्वृतियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसीलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।
Q.9
छात्रों को गुरुकुल में छोड़ा जाता था-
✔[1]कठोर अनुशासन के लिए
[2] घर से दूर रखने के लिए
[3] अच्छे संस्कार विकसित करने के लिए
[4] इनमें से कोई नहीं
Solution
कठोर अनुशासन के लिए
Hindi Language – CUET mock test series by Smartkeeda
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
विद्यार्थीजीवन ही वह समय है जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार, आचरण को जैसा चाहे, वैसा रूप दिया जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भाँति है, जिसे जिधर चाहो मोड़ा जा सकता है। पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट तो सकती हैं पर मुड़ नहीं सकतीं। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है, जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा सकता है। सफेद चादर पर एक रंग जो चढ़ गया, सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती। इसीलिए प्राचीन काल से ही विद्यार्थी जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था से सुसंस्कार और सद्वृतियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसीलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।
Q.10
छात्रावस्था की उपयुक्त तुलना की गई है-
[1] विकसित वृक्ष से
✔[2]सफेद चादर से
[3] अविकसित वृक्ष से
[4] वृक्ष की विकसित शाखा से
Solution
सफेद चादर से
CUET Mock Test in Hindi PDF
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
विद्यार्थीजीवन ही वह समय है जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार, आचरण को जैसा चाहे, वैसा रूप दिया जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भाँति है, जिसे जिधर चाहो मोड़ा जा सकता है। पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट तो सकती हैं पर मुड़ नहीं सकतीं। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है, जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा सकता है। सफेद चादर पर एक रंग जो चढ़ गया, सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती। इसीलिए प्राचीन काल से ही विद्यार्थी जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था से सुसंस्कार और सद्वृतियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसीलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।
Q.11
इनमें से किस शब्द में उपसर्ग का प्रयोग नहीं किया गया है-
✔[1]महत्त्व
[2] सुसंस्कार
[3] अनुशासन
[4] अविकसित
Solution
महत्त्व
CUET Mock Test in Hindi medium
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
विद्यार्थीजीवन ही वह समय है जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार, आचरण को जैसा चाहे, वैसा रूप दिया जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भाँति है, जिसे जिधर चाहो मोड़ा जा सकता है। पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट तो सकती हैं पर मुड़ नहीं सकतीं। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है, जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा सकता है। सफेद चादर पर एक रंग जो चढ़ गया, सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती। इसीलिए प्राचीन काल से ही विद्यार्थी जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था से सुसंस्कार और सद्वृतियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसीलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।
Q.12
प्राचीनकाल से किसके जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है-
[1] बच्चों के
[2] वृक्षों के
[3] बूढ़ों के
✔ [4] विद्यार्थी के
Solution
विद्यार्थी के
CUET Mock Test in Hindi 2023
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हर समाज की एक मातृभाषा होती है। उसका अपना विशिष्ट साहित्य होता है। उस भाषा के साहित्य का अध्ययन करके हम उस भाषा-भाषी समाज के बारे में, उसकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। विदेशी भाषा का अध्ययन करना बुरी बात नहीं है। इससे हमारी संवेदना व्यापक होती है, हमारे ज्ञान का विस्तार होता है, हमारे मानवीय दृष्टिकोण में व्यापकता आती है और विचारों में उदारता का समावेश होता है। इस दृष्टिकोण से यदि हम सोचें तो कई मायनों में विदेशी भाषा का ज्ञान बहुत व्यापक सिद्ध होता है। हम जिसे अपना बनाना चाहते हैं, उसकी भाषा का ज्ञान हमारे पास है, तो हम उससे सुगमता से संबंध स्थापित कर सकते हैं। किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के मोह में हम अपनी ही भाषा की उपेक्षा कर दें। भाषा किसी जाति की सभ्यता और संस्कृति की वाहक होती है।
यदि हमारे पास अपनी भाषा का ज्ञान नहीं होगा तोहम अपनी पहचान खो देंगे। अपनी भाषा या मातृभाषा में हृदय बोलता है। हमारा राष्ट्र-हृदय उसमें धड़कता है, इसलिए विदेशी भाषा की अपेक्षा मातृभाषा का महत्व अधिक होता है। एक स्वाभिमानी स्वतंत्र राष्ट्र अपनी भाषा के स्थान पर किसी विदेशी भाषा को शिक्षा या राज-काज की भाषा के रूप में ग्रहण करना किसी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता। जब तक कोई राष्ट्र अपनी भाषा को नहीं अपनाता तब तक वह स्वावलंबी नहीं बन सकता, विकास नहीं कर सकता। उसकी सारी शक्ति अनुवाद और अनुकरण में ही समाप्त हो जाती है। उसकी मौलिक प्रतिभा कुण्ठित हो जाती है। प्रशासक और जनता के बीच एक गहरी खाई बन जाती है, जिसे पाटने के लिए दलाल बीच में आकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लग जाते हैं। इसलिए कोई विदेशी भाषा चाहे कितनी ही समृद्ध क्यों न हो, उसका चाहे कितना ही व्यापक क्षेत्र क्यों न हो, पर अपनी मातृभाषा के सामने उसका
कोई सार्थक महत्व नहीं हो सकता। मातृभाषा चिंतन और मनन की भाषा होती है, परंपरा का वह जीवंत प्रतिबिंब है। संपूर्ण समाज उसी के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है।,
Q.13
विदेशी भाषा का ज्ञान क्यों आवश्यक माना गया है?
[1] अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की स्थापना हेतु
[2] ज्ञान का विस्तार करने हेतु
[3] अपनी संवेदनाओं को व्यापक बनाने हेतु
✔ [4] उपर्युक्त सभी
Solution
उपर्युक्त सभी
CUET Mock Test free
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हर समाज की एक मातृभाषा होती है। उसका अपना विशिष्ट साहित्य होता है। उस भाषा के साहित्य का अध्ययन करके हम उस भाषा-भाषी समाज के बारे में, उसकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। विदेशी भाषा का अध्ययन करना बुरी बात नहीं है। इससे हमारी संवेदना व्यापक होती है, हमारे ज्ञान का विस्तार होता है, हमारे मानवीय दृष्टिकोण में व्यापकता आती है और विचारों में उदारता का समावेश होता है। इस दृष्टिकोण से यदि हम सोचें तो कई मायनों में विदेशी भाषा का ज्ञान बहुत व्यापक सिद्ध होता है। हम जिसे अपना बनाना चाहते हैं, उसकी भाषा का ज्ञान हमारे पास है, तो हम उससे सुगमता से संबंध स्थापित कर सकते हैं। किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के मोह में हम अपनी ही भाषा की उपेक्षा कर दें। भाषा किसी जाति की सभ्यता और संस्कृति की वाहक होती है।
यदि हमारे पास अपनी भाषा का ज्ञान नहीं होगा तोहम अपनी पहचान खो देंगे। अपनी भाषा या मातृभाषा में हृदय बोलता है। हमारा राष्ट्र-हृदय उसमें धड़कता है, इसलिए विदेशी भाषा की अपेक्षा मातृभाषा का महत्व अधिक होता है। एक स्वाभिमानी स्वतंत्र राष्ट्र अपनी भाषा के स्थान पर किसी विदेशी भाषा को शिक्षा या राज-काज की भाषा के रूप में ग्रहण करना किसी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता। जब तक कोई राष्ट्र अपनी भाषा को नहीं अपनाता तब तक वह स्वावलंबी नहीं बन सकता, विकास नहीं कर सकता। उसकी सारी शक्ति अनुवाद और अनुकरण में ही समाप्त हो जाती है। उसकी मौलिक प्रतिभा कुण्ठित हो जाती है। प्रशासक और जनता के बीच एक गहरी खाई बन जाती है, जिसे पाटने के लिए दलाल बीच में आकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लग जाते हैं। इसलिए कोई विदेशी भाषा चाहे कितनी ही समृद्ध क्यों न हो, उसका चाहे कितना ही व्यापक क्षेत्र क्यों न हो, पर अपनी मातृभाषा के सामने उसका
कोई सार्थक महत्व नहीं हो सकता। मातृभाषा चिंतन और मनन की भाषा होती है, परंपरा का वह जीवंत प्रतिबिंब है। संपूर्ण समाज उसी के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है।,
Q.14
गद्यांश के अनुसार, वर्तमान परिस्थितियों में किसे अनिवार्य माना गया है?
✔[1]विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त करना
[2] विदेशी संस्कृति को समझना
[3] मातृभाषा के महत्व को कम आँकना
[4] स्वदेशी वस्तुओं को महत्व देना
Solution
विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त करना
CUET History Mock Test in Hindi
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हर समाज की एक मातृभाषा होती है। उसका अपना विशिष्ट साहित्य होता है। उस भाषा के साहित्य का अध्ययन करके हम उस भाषा-भाषी समाज के बारे में, उसकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। विदेशी भाषा का अध्ययन करना बुरी बात नहीं है। इससे हमारी संवेदना व्यापक होती है, हमारे ज्ञान का विस्तार होता है, हमारे मानवीय दृष्टिकोण में व्यापकता आती है और विचारों में उदारता का समावेश होता है। इस दृष्टिकोण से यदि हम सोचें तो कई मायनों में विदेशी भाषा का ज्ञान बहुत व्यापक सिद्ध होता है। हम जिसे अपना बनाना चाहते हैं, उसकी भाषा का ज्ञान हमारे पास है, तो हम उससे सुगमता से संबंध स्थापित कर सकते हैं। किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के मोह में हम अपनी ही भाषा की उपेक्षा कर दें। भाषा किसी जाति की सभ्यता और संस्कृति की वाहक होती है।
यदि हमारे पास अपनी भाषा का ज्ञान नहीं होगा तोहम अपनी पहचान खो देंगे। अपनी भाषा या मातृभाषा में हृदय बोलता है। हमारा राष्ट्र-हृदय उसमें धड़कता है, इसलिए विदेशी भाषा की अपेक्षा मातृभाषा का महत्व अधिक होता है। एक स्वाभिमानी स्वतंत्र राष्ट्र अपनी भाषा के स्थान पर किसी विदेशी भाषा को शिक्षा या राज-काज की भाषा के रूप में ग्रहण करना किसी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता। जब तक कोई राष्ट्र अपनी भाषा को नहीं अपनाता तब तक वह स्वावलंबी नहीं बन सकता, विकास नहीं कर सकता। उसकी सारी शक्ति अनुवाद और अनुकरण में ही समाप्त हो जाती है। उसकी मौलिक प्रतिभा कुण्ठित हो जाती है। प्रशासक और जनता के बीच एक गहरी खाई बन जाती है, जिसे पाटने के लिए दलाल बीच में आकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लग जाते हैं। इसलिए कोई विदेशी भाषा चाहे कितनी ही समृद्ध क्यों न हो, उसका चाहे कितना ही व्यापक क्षेत्र क्यों न हो, पर अपनी मातृभाषा के सामने उसका
कोई सार्थक महत्व नहीं हो सकता। मातृभाषा चिंतन और मनन की भाषा होती है, परंपरा का वह जीवंत प्रतिबिंब है। संपूर्ण समाज उसी के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है।,
Q.15
विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें किसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए?
[1] प्राचीन सभ्यता की
[2] अन्य भाषाओं की
✔[3]अपनी भाषा की
[4] अपने समाज की
Solution
अपनी भाषा की
Accountancy: CUET Mock Test
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हर समाज की एक मातृभाषा होती है। उसका अपना विशिष्ट साहित्य होता है। उस भाषा के साहित्य का अध्ययन करके हम उस भाषा-भाषी समाज के बारे में, उसकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। विदेशी भाषा का अध्ययन करना बुरी बात नहीं है। इससे हमारी संवेदना व्यापक होती है, हमारे ज्ञान का विस्तार होता है, हमारे मानवीय दृष्टिकोण में व्यापकता आती है और विचारों में उदारता का समावेश होता है। इस दृष्टिकोण से यदि हम सोचें तो कई मायनों में विदेशी भाषा का ज्ञान बहुत व्यापक सिद्ध होता है। हम जिसे अपना बनाना चाहते हैं, उसकी भाषा का ज्ञान हमारे पास है, तो हम उससे सुगमता से संबंध स्थापित कर सकते हैं। किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के मोह में हम अपनी ही भाषा की उपेक्षा कर दें। भाषा किसी जाति की सभ्यता और संस्कृति की वाहक होती है।
यदि हमारे पास अपनी भाषा का ज्ञान नहीं होगा तोहम अपनी पहचान खो देंगे। अपनी भाषा या मातृभाषा में हृदय बोलता है। हमारा राष्ट्र-हृदय उसमें धड़कता है, इसलिए विदेशी भाषा की अपेक्षा मातृभाषा का महत्व अधिक होता है। एक स्वाभिमानी स्वतंत्र राष्ट्र अपनी भाषा के स्थान पर किसी विदेशी भाषा को शिक्षा या राज-काज की भाषा के रूप में ग्रहण करना किसी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता। जब तक कोई राष्ट्र अपनी भाषा को नहीं अपनाता तब तक वह स्वावलंबी नहीं बन सकता, विकास नहीं कर सकता। उसकी सारी शक्ति अनुवाद और अनुकरण में ही समाप्त हो जाती है। उसकी मौलिक प्रतिभा कुण्ठित हो जाती है। प्रशासक और जनता के बीच एक गहरी खाई बन जाती है, जिसे पाटने के लिए दलाल बीच में आकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लग जाते हैं। इसलिए कोई विदेशी भाषा चाहे कितनी ही समृद्ध क्यों न हो, उसका चाहे कितना ही व्यापक क्षेत्र क्यों न हो, पर अपनी मातृभाषा के सामने उसका
कोई सार्थक महत्व नहीं हो सकता। मातृभाषा चिंतन और मनन की भाषा होती है, परंपरा का वह जीवंत प्रतिबिंब है। संपूर्ण समाज उसी के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है।,
Q.16
गद्यांश के अनुसार कोई भी राष्ट्र कब तक विकसित नहीं हो सकता?
✔[1]जब तक अपनी मातृभाषा को नहीं अपनाता
[2] जब तक विदेशी भाषा के महत्व को नहीं पहचानता
[3] जब तक विदेशी भाषा को शिक्षा की भाषा के रूप में स्वीकार नहीं करता
[4] जब तक मातृभाषा को विदेशी भाषा की अपेक्षा अधिक महत्व नहीं देता
Solution
जब तक अपनी मातृभाषा को नहीं अपनाता
CUET PG Test series
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हर समाज की एक मातृभाषा होती है। उसका अपना विशिष्ट साहित्य होता है। उस भाषा के साहित्य का अध्ययन करके हम उस भाषा-भाषी समाज के बारे में, उसकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। विदेशी भाषा का अध्ययन करना बुरी बात नहीं है। इससे हमारी संवेदना व्यापक होती है, हमारे ज्ञान का विस्तार होता है, हमारे मानवीय दृष्टिकोण में व्यापकता आती है और विचारों में उदारता का समावेश होता है। इस दृष्टिकोण से यदि हम सोचें तो कई मायनों में विदेशी भाषा का ज्ञान बहुत व्यापक सिद्ध होता है। हम जिसे अपना बनाना चाहते हैं, उसकी भाषा का ज्ञान हमारे पास है, तो हम उससे सुगमता से संबंध स्थापित कर सकते हैं। किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के मोह में हम अपनी ही भाषा की उपेक्षा कर दें। भाषा किसी जाति की सभ्यता और संस्कृति की वाहक होती है।
यदि हमारे पास अपनी भाषा का ज्ञान नहीं होगा तोहम अपनी पहचान खो देंगे। अपनी भाषा या मातृभाषा में हृदय बोलता है। हमारा राष्ट्र-हृदय उसमें धड़कता है, इसलिए विदेशी भाषा की अपेक्षा मातृभाषा का महत्व अधिक होता है। एक स्वाभिमानी स्वतंत्र राष्ट्र अपनी भाषा के स्थान पर किसी विदेशी भाषा को शिक्षा या राज-काज की भाषा के रूप में ग्रहण करना किसी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता। जब तक कोई राष्ट्र अपनी भाषा को नहीं अपनाता तब तक वह स्वावलंबी नहीं बन सकता, विकास नहीं कर सकता। उसकी सारी शक्ति अनुवाद और अनुकरण में ही समाप्त हो जाती है। उसकी मौलिक प्रतिभा कुण्ठित हो जाती है। प्रशासक और जनता के बीच एक गहरी खाई बन जाती है, जिसे पाटने के लिए दलाल बीच में आकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लग जाते हैं। इसलिए कोई विदेशी भाषा चाहे कितनी ही समृद्ध क्यों न हो, उसका चाहे कितना ही व्यापक क्षेत्र क्यों न हो, पर अपनी मातृभाषा के सामने उसका
कोई सार्थक महत्व नहीं हो सकता। मातृभाषा चिंतन और मनन की भाषा होती है, परंपरा का वह जीवंत प्रतिबिंब है। संपूर्ण समाज उसी के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है।,
Q.17
मातृभाषा के सम्मुख किसका कोई महत्व नहीं हो सकता है?
[1] मनुष्य का
[2] साहित्य का
[3] समाज का
✔ [4] विदेशी भाषा का
Solution
विदेशी भाषा का
CUET 2023 Mock Test Paper
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़िए और उचित विकल्पों का चयन करके उत्तर दीजिये –
हर समाज की एक मातृभाषा होती है। उसका अपना विशिष्ट साहित्य होता है। उस भाषा के साहित्य का अध्ययन करके हम उस भाषा-भाषी समाज के बारे में, उसकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। विदेशी भाषा का अध्ययन करना बुरी बात नहीं है। इससे हमारी संवेदना व्यापक होती है, हमारे ज्ञान का विस्तार होता है, हमारे मानवीय दृष्टिकोण में व्यापकता आती है और विचारों में उदारता का समावेश होता है। इस दृष्टिकोण से यदि हम सोचें तो कई मायनों में विदेशी भाषा का ज्ञान बहुत व्यापक सिद्ध होता है। हम जिसे अपना बनाना चाहते हैं, उसकी भाषा का ज्ञान हमारे पास है, तो हम उससे सुगमता से संबंध स्थापित कर सकते हैं। किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि विदेशी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के मोह में हम अपनी ही भाषा की उपेक्षा कर दें। भाषा किसी जाति की सभ्यता और संस्कृति की वाहक होती है।
यदि हमारे पास अपनी भाषा का ज्ञान नहीं होगा तोहम अपनी पहचान खो देंगे। अपनी भाषा या मातृभाषा में हृदय बोलता है। हमारा राष्ट्र-हृदय उसमें धड़कता है, इसलिए विदेशी भाषा की अपेक्षा मातृभाषा का महत्व अधिक होता है। एक स्वाभिमानी स्वतंत्र राष्ट्र अपनी भाषा के स्थान पर किसी विदेशी भाषा को शिक्षा या राज-काज की भाषा के रूप में ग्रहण करना किसी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता। जब तक कोई राष्ट्र अपनी भाषा को नहीं अपनाता तब तक वह स्वावलंबी नहीं बन सकता, विकास नहीं कर सकता। उसकी सारी शक्ति अनुवाद और अनुकरण में ही समाप्त हो जाती है। उसकी मौलिक प्रतिभा कुण्ठित हो जाती है। प्रशासक और जनता के बीच एक गहरी खाई बन जाती है, जिसे पाटने के लिए दलाल बीच में आकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लग जाते हैं। इसलिए कोई विदेशी भाषा चाहे कितनी ही समृद्ध क्यों न हो, उसका चाहे कितना ही व्यापक क्षेत्र क्यों न हो, पर अपनी मातृभाषा के सामने उसका
कोई सार्थक महत्व नहीं हो सकता। मातृभाषा चिंतन और मनन की भाषा होती है, परंपरा का वह जीवंत प्रतिबिंब है। संपूर्ण समाज उसी के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है।,
Q.18
संपूर्ण समाज की अभिव्यक्ति का माध्यम किसे माना गया है?
[1] जाति व्यवस्था को
[2] विदेशी भाषा को
✔[3]मातृभाषा को
[4] संस्कृति को
Solution
मातृभाषा को
Q.19
मृदुल का विलोम शब्द है-
[1] कठिन
[2] खराब
[3] रुक्ष
✔ [4] कठोर
Solution
कठोर
Q.20
सूची – I को सूची –II से सुमेलित कीजिए-
सूची – I | सूची – II |
A. कलुष | I.सर्वाधिकार |
B. सन्यासी | II. परकीय |
C. स्वकीय | III. गृहस्थ |
D. एकाधिकार | IV.निष्कलुष |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:-
[1] A-III, B-II, C-I, D-IV
[2] A-II, B-III, C-IV, D-I
✔[3]A-IV, B-III, C-II, D-I
[4] A-I, B-IV, C-II, D-III
Solution
A-IV, B-III, C-II, D-I
Q.21
श्रीगणेश का विलोम शब्द है-
[1] श्रीराधा
[2] विनाश
✔[3]इतिश्री
[4] इनमें से कोई नहीं
Solution
इतिश्री
Q.22
आकर्षण का विलोम शब्द है-
[1] आकृष्ट
✔[2]विकर्षण
[3] अनाकर्षण
[4] पराकर्षण
Solution
विकर्षण
Q.23
समास का शाब्दिक अर्थ क्या होता है?
✔[1]संक्षेप
[2] विस्तार
[3] विग्रह
[4] विच्छेद
Solution
संक्षेप
Q.24
सूची – I को सूची –II से सुमेलित कीजिए-
सूची – I | सूची – II |
A. प्रतिदिन | I. अव्ययीभाव |
B. श्वेतांबर | II. बहुव्रीहि |
C. गजानन | III. द्वंद्व |
D. देवासुर | IV.कर्मधारय समास |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:-
[1] A-III, B-II, C-I, D-IV
[2] A-II, B-III, C-IV, D-I
[3] A-IV, B-III, C-II, D-I
✔ [4] A-I, B-IV, C-II, D-III
Solution
A-I, B-IV, C-II, D-III
Q.25
वनगमन में कौन सा समास है?
[1] बहुव्रीहि
[2] द्विगु
[3] तत्पुरुष
[4] कर्मधारय
Solution
तत्पुरुष
Q.26
देशभक्ति में कौन सा समास है?
[1] द्विगु
✔[2]तत्पुरुष
[3] द्वंद्व
[4] बहुव्रीहि
Solution
तत्पुरुष
Q.27
‘विपत्ति में उसकी अक्ल ……………….. उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए:-
✔[1]खो जाना
[2] ठनक जाना
[3] चकरा जाना
[4] आग बबूला हो जाना
Solution
खो जाना
Q.28
सच्चे शूरवीर देश की रक्षा में प्राणों की ……………….. हैं। रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए :-
✔[1]बाजी लगा देते हैं।
[2] जान लगा देते हैं।
[3] ताकत लगा देते हैं।
[4] आहुति लगा देते हैं।
Solution
बाजी लगा देते हैं।
Q.29
सूची – I को सूची –II से सुमेलित कीजिए-
सूची – I | सूची – II |
A. अंधा होना | I. मूर्ख होना |
B. अपना उल्लू सीधा करना | II. कुछ न सूझना |
C. अँधेरे घर का उजाला | III. स्वार्थ सिद्ध करना |
D. अक्ल का दुश्मन होना | IV. इकलौता बेटा |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:-
[1] A-III, B-II, C-I, D-IV
✔[2]A-II, B-III, C-IV, D-I
[3] A-IV, B-III, C-II, D-I
[4] A-I, B-IV, C-II, D-III
Solution
A-II, B-III, C-IV, D-I
Q.30
‘आप घर जाएँगें या पार्क जाएँगे।’ वाक्य संबंधित है-
✔[1]संयुक्त वाक्य से
[2] सरल वाक्य से
[3] मिश्र वाक्य से
[4] प्रश्न वाक्य से
Solution
संयुक्त वाक्य से
Q.31
‘राम आया; सब प्रसन्न हो गए।’ वाक्य का संयुक्त वाक्य रूपांतरण है-
✔[1]राम आया और सब प्रसन्न हो गए।
[2] जैसे ही राम आया सभी प्रसन्न हो गए।
[3] राम के आते ही सभी प्रसन्न हो गए।
[4] उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution
राम आया और सब प्रसन्न हो गए।
Q.32
सही पद-क्रमानुसार नीचे दिए गए विकल्पों को जोड़कर सार्थक वाक्य बनाइए:-
I. गिर पड़ा
II. खाकर
III. उसने पिज्जा
IV. चक्कर
V. खाया और
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:-
[1] I, II, III, IV, V
[2] II, IV, V, III, I
✔[3]III, V, IV, II, I
[4] II, IV, V, I, III
Solution
III, V, IV, II, I
Q.33
दयानन्द में प्रयुक्त संधि का नाम है –
[1] गुण संधि
✔[2]दीर्घ संधि
[3] व्यंजन संधि
[4] यण संधि
Solution
दीर्घ संधि
Q.34
सूची – I को सूची –II से सुमेलित कीजिए-
सूची – I | सूची – II |
A. पुस्तक +आलय | I. स्वागत |
B. नर+इंद्र | II. सदैव |
C. सदा+एव | III. नरेंद्र |
D. सु+ आगत | IV. पुस्तकालय |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:-
[1] A-III, B-II, C-I, D-IV
[2] A-II, B-III, C-IV, D-I
✔[3]A-IV, B-III, C-II, D-I
[4] A-I, B-IV, C-II, D-III
Solution
A-IV, B-III, C-II, D-I
Q.35
कपीश में प्रयुक्त संधि का नाम है –
[1] वृद्धि संधि
✔[2]दीर्घ संधि
[3] यण संधि
[4] विसर्ग संधि
Solution
दीर्घ संधि
Q.36
सदैव में प्रयुक्त संधि का नाम है-
[1] व्यंजन संधि
✔[2]स्वर संधि
[3] विसर्ग संधि
[4] इनमें से कोई नहीं
Solution
स्वर संधि
Q.37
इनमें से कौन-सा स्वर संधि का उदाहरण है?
[1] संयोग
[2] मनोहर
[3] नमस्कार
✔ [4] पवन
Solution
पवन
Q.38
निम्नांकित में से कौन-सा शब्द वृद्धि संधि का उदाहरण नहीं है?
[1] सदैव
[2] जलौघ
✔[3]गुरूपदेश
[4] परमौदार्य
Solution
गुरूपदेश
Q.39
निम्न में से दीर्घ संधि युक्त पद कौन-सा है?
[1] महर्षि
[2] देवेन्द्र
[3] सूर्योदय
✔ [4] दैत्यारि
Solution
दैत्यारि
Q.40
इत्यादि का सही संधि-विच्छेद है-
[1] इत् + यादि
[2] इति + यादि
[3] इत् + आदि
✔ [4] इति + आदि
Solution
इति + आदि
Q.41
‘मुदित महिपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए’ में कौन सा अलंकार है?
✔[1]अनुप्रास अलंकार
[2] यमक अलंकार
[3] उपमा अलंकार
[4] रूपक अलंकार
Solution
अनुप्रास अलंकार
Q.42
‘चरण-कमल बन्दों हरि राई।’ में कौन सा अलंकार है?
[1] अनुप्रास अलंकार
[2] यमक अलंकार
[3] उपमा अलंकार
✔ [4] रूपक अलंकार
Solution
रूपक अलंकार
Q.43
सूची – I को सूची –II से सुमेलित कीजिए-
सूची – I | सूची – II |
A. नील गगन-सा शांत हृदय था सो रहा। | I. अनुप्रास अलंकार |
B. फूल हँसे कलियाँ मुसकाई। | II. मानवीकरण अलंकार |
C. बंदौ गुरु पद पदुम परगा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा | III. उपमा अलंकार |
D. सपना-सपना समझ कर भूल न जाना | IV. यमक अलंकार |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:-
[1] A-III, B-II, C-I, D-IV
[2] A-II, B-III, C-IV, D-I
[3] A-IV, B-III, C-II, D-I
[4] A-I, B-IV, C-II, D-III
Solution
A-III, B-II, C-I, D-IV
Q.44
‘विस्मित‘ का उपयुक्त अर्थ होगा-
✔[1]हैरान
[2] भूला हुआ
[3] परेशान
[4] बिछड़ा हुआ
Solution
हैरान
Q.45
‘परि’ उपसर्ग युक्त शब्द छाँटिए-
[1] परित
[2] पर्वत
✔[3]परिजन
[4] परिंदा
Solution
परिजन
Q.46
‘सम्‘ उपसर्ग से बना शब्द नहीं है –
[1] सम्मान
[2] संस्कृत
✔[3]समान
[4] संचय
Solution
समान = स + मान (उपसर्ग – स) से बना है।
Q.47
‘अशोक के फूल’ नामक निबंध-संग्रह किसका है?
✔[1]हजारी प्रसाद द्विवेदी
[2] नंददुलारे वाजपेयी
[3] विद्यानिवास मिश्र
[4] ठाकुर प्रसाद सिंह
Solution
‘अशोक के फूल’ निबंध-संग्रह हजारी प्रसाद द्विवेदी का है। हजारी प्रसाद द्विवेदी के अन्य निबंध-संग्रह कल्पलता, मध्यकालीन धर्म साधना, विचार और वितर्क, विचार प्रवाह, कुटज, साहित्य सहचर आलोक पर्व इत्यादि हैं।
Q.48
‘सरोज-स्मृति‘ रचना किसकी रचना की है?
[1] रामनरेश त्रिपाठी
[2] रामधारी सिंह ‘दिनकर’
[3] जयशंकर प्रसाद
✔ [4] सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
Solution
‘सरोज-स्मृति’ सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ रचना की है।
अन्य रचनाएँ– परिमल, अनामिका, गीतिका, कुकुरमुत्ता, अणिमा, अर्चना, राम की शक्तिपूजा आदि।
Q.49
रहीम के दोहों पर कुण्डलियों की रचना किसने की?
✔[1]ठाकुर जगमोहन सिंह
[2] अम्बिका दत्त व्यास
[3] राधाकृष्णदास
[4] राधाचरण गोस्वामी
Solution
रहीम के दोहों पर कुण्डलियों की रचना ठाकुर जगमोहन ने की।
Q.50
सूची – I को सूची –II से सुमेलित कीजिए-
सूची – I | सूची – II |
A. इत्यलम् | I. रामवृक्ष बेनीपुरी |
B. बेला | II. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ |
C. नीहार | III. सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ |
D. चिता के फूल | IV. महादेवी वर्मा |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:-
[1] A-III, B-II, C-I, D-IV
✔[2]A-II, B-III, C-IV, D-I
[3] A-IV, B-III, C-II, D-I
[4] A-I, B-IV, C-II, D-III
Solution
A-II, B-III, C-IV, D-I
people Search in Google
CUET Hindi 2023 Mock Test
CUET Hindi (UG) 2023 Free Mock Test
सीयूईटी मॉक टेस्ट 2023 (CUET Mock Test 2023) – मुफ्त
NTA CUET Mock Test Series 2023 by SuperGrads [Free Mocks]
CUET Hindi practice questions | Mock Tests & Sample Papers
CUET Hindi Study Material 2022-23 PDF Download – SelfStudys
CUET Test Series for Hindi 2022-23 (Free Available)
CUET Hindi Mock Test Paper 10 | CUET Hindi Domain | CUET
CUET Mock Test 2023, Practice Online Test Series FREE
Hindi Language – CUET mock test series by Smartkeeda
CUET Mock Test in Hindi PDF
CUET Mock Test in Hindi medium
CUET Mock Test in Hindi 2023
CUET Mock Test free
CUET History Mock Test in Hindi
Accountancy: CUET Mock Test
CUET PG Test series
CUET 2023 Mock Test Paper
RBSE Model paper Class 12 Political
बोर्ड परीक्षा की तैयारी को प्रबल व बेहतर बनाने के लिए हम लेकर आये है बोर्ड परीक्षा पाठ्यक्रम पर आधारित 10 मॉडल टेस्ट पेपर्स RBSE Model paper Class 12Political उपलब्ध है।
URL: https://my-notes.in/
Author: G S
4.89
Pros
- BEST NOTES