NCERT Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 3 मुद्रा और साख Notes in Hindi

NCERT 10 Class अर्थशास्त्र Chapter 3 मुद्रा और साख Notes in hindi

NCERT Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 3 मुद्रा और साख Notes in hindi. जिसमे मुद्रा विनिमय का एक माध्यम , मुद्रा के आधुनिक रूप , साख , साख की शर्तें , भारत में औपचारिक क्षेत्रक में साख , निर्धनों के लिए स्वयं सहायता समूह आदि के बारे में पढ़गे।

TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectअर्थशास्त्र Economics
ChapterChapter 3
Chapter Nameमुद्रा और साख
CategoryClass 10 अर्थशास्त्र Notes in Hindi
MediumHindi
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NCERT Class 10 Economics Chapter 3 मुद्रा और साख Notes in hindi

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📚 अध्याय = 3 📚
💠 मुद्रा और साख 💠

मुद्रा विनिमय का एक माध्यम

वस्तु विनिमय प्रणाली :-
⚬ वस्तुओं के बदले वस्तुओं का लेन-देन वस्तु विनिमय प्रणाली कहलाता है।

आवश्यकताओं का दोहरा संयोग :-


⚬ जब एक व्यक्ति किसी चीज को बेचने की इच्छा रखता हो, वही वस्तु दूसरा व्यक्ति भी खरीदने की इच्छा रखता हो अर्थात् मुद्रा का उपयोग किये बिना, तो उसे आवश्यकताओं का दोहरा संयाग कहा जाता है।
⚬ मुद्रा के अविष्कार से वस्तु विनिमय प्रणाली की सबसे बड़ी कठिनाई आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का समाधान हुआ।

मुद्रा :-

  • ​​​​​​​⚬ मुद्रा एक माध्यम है जिसके जरिये हम किसी भी चीज को विनिमय द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।
  • ​​​​​​​⚬ दूसरे शब्दों में मुद्रा के बदले में हम जो चाहें खरीद सकते हैं।
  • ​​​​​​​⚬ मुद्रा के तौर पर सबसे पहले सिक्कों का प्रचलन शुरु हुआ।
  • ​​​​​​​⚬ शुरु में सिक्के सोने-चाँदी जैसे महँगी धातु से बनाये जाते थे।
  • ​​​​​​​⚬ जब महँगी धातु की कमी होने लगी तो साधारण धातुओं से सिक्के बनाये जाने लगे।
  • ​​​​​​​⚬ बाद में सिक्कों के स्थान पर कागज के नोटों का इस्तेमाल होने लगा।
  • ​​​​​​​⚬ आज भी कम मूल्य वाले सिक्के इस्तेमाल किये जाते हैं।
  • ​​​​​​​⚬ सिक्कों और नोटों को सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी द्वारा जारी किया जाता है।
  • ​​​​​​​⚬ भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा इन नोटों को जारी किया जाता है।
  • ​​​​​​​⚬ भारत के करेंसी नोट पर आपको एक वाक्य लिखा हुआ मिलेगा जो उस करेंसी नोट के धारक को उस नोट पर लिखी राशि देने का वादा करता है।

रिर्जव बैंक के कार्य :-

​​​​​​​​​​​​​​⚬ मुद्रा जारी करना।
​​​​​​​⚬ बैंक व स्वयं सहायता समूहों की कार्यप्रणाली पर नजर रखना।
​​​​​​​⚬ ब्याज की दरों को निर्धारित करना।
​​​​​​​⚬ मौद्रिक नीति की समीक्षा करना।
​​​​​​​⚬ बैंको की कुछ राशि का नकद संचयन करना।

मुद्रा के आधुनिक रूप :-

​​​​​​​⚬ कागज के नोट
​​​​​​​⚬ सिक्के
​​​​​​​⚬ मोबाईल एवं नेट बैंकिग
​​​​​​​⚬ चेक
​​​​​​​⚬ यू.पी.आई
​​​​​​​⚬ क्रेडिट कार्ड
​​​​​​​⚬ डेबिट कार्ड

NCERT Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 3

मुद्रा का प्रयोग :-

  • ​​​​​​​⚬ मुद्रा का प्रयोग एक प्रकार की चीजें खरीदने और बेचने में किया जाता है।
  • ​​​​​​​⚬ मुद्रा का प्रयोग विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्राप्त करने में भी किया जा सकता है जैसे वकील से परामर्श लेने में या डॉक्टर की सलाह लेने में आदि।
  • ​​​​​​​⚬ मुद्रा की सहायता से कोई भी अपनी चीजें बेच भी सकता है और हमसे एक दूसरी चीजें खरीद भी सकता है।
  • ​​​​​​​⚬ इसी प्रकार में मुद्रा से सेवाओं का भी लेनदेन कर सकता है मुद्रा में भुगतान करने में बड़ी आसानी रहती है।
  • ​​​​​​​⚬ लोग बैंकों में अतिरिक्त नकद अपने नाम से खाता खोलकर जमा कर देते है। खातों में जमा धन की माँग जरिए निकाला जा सकता है जिसे मांग जमा कहाँ जाता है।
  • ​​​​​​​⚬ चेक एक ऐसा कागज है जो बैंक को किसी के खाते से चेक पर लिखे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक खास रकम का भुगतान करने का आदेश देता है।

मुद्रा के लाभ :-

​​​​​​​⚬ यह आवश्यकताओं के दोहरे संयोग से छुटकारा दिलाती है।
​​​​​​​⚬ यह कम जगह लेती है और इसे कहीं भी लाना ले जाना आसान होता है।
​​​​​​​⚬ मुद्रा को आसानी से हीं भी और कभी भी विनिमय के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
​​​​​​​⚬ आधुनिक युग में कई ऐसे माध्यम उपलब्ध हैं जिनकी वजह से अब करेंसी नोट को भौतिक रूप में ढ़ोने की जरूरत नहीं है।

साख :-

​​​​​​​⚬ साख का ऐसा समझौता है जिसके तहत ऋणदाता उधारकर्ता को धनराशि, वस्तु एवं सेवाएँ इस आश्वासन पर उधार देता है कि वह भविष्य में उसका भुगतान कर देगा।

साख संपत्ति के रूप में :-

​​​​​​​⚬ त्यौहारों के दौरान जूता निर्माता सलीम, को एक महीने के अंदर भारी मात्रा में जूता बनाने का आदेश मिलता है। इस उत्पादन को पूरा करने के लिए अतिरिक्त मजदूरों को काम पर ले आता है और उसे कच्चा माल खरीदना पड़ता है।

वह आपूर्तिकर्ता को तत्काल चमड़ा उपलब्ध कराने के लिए कहता है और उसके बाद में भुगतान करने का आश्वसन देता है। उसके बाद वह व्यापारी से कुछ उधार लेता है। महीने के अंत तक वह आदेश पूरा कर पाता है, अच्छा लाभ कमाता है और उसने जो भी उधार लिया होता है, उसका भुगतान कर देता है।

साख त्रणजाल के रूप में :-

​​​​​​​⚬ एक किसान सपना कृषि के खर्च को वहन करने के लिए साहुकार से उधार लेती है। लेकिन दुर्भाय से फसल कीड़ों या किसी अन्य वजह से बर्बाद हो जाती है। ऐसे में वह ऋण का भुगतान नहीं कर पाती है और ऋण ब्याज के साथ बढ़ता जाता है।

समर्थक ऋणाधार :-

​​​​​​​⚬ उधारदाता, उधार प्राप्तकर्ता से समर्थक ऋणाधार के रूप में ऐसी परिसम्पत्तियों की माँग करता है जिन्हें बेचकर वह अपनी ऋण राशि की वसूली कर सके।

ये परिसम्पत्तियों की माँग करता है जिन्हें बेचकर वह अपनी ऋण राशि की वसूली कर सके। ये परिसम्पत्तियाँ ही समर्थक ऋणाधार कहलाती है।
​​​​​​​⚬ जैसे – कृषि भूमि, जेवर, मकान, पशुधन व बैंक जमा।

बैंकों की ऋण संबंधी गतिविधियाँ :-

  • ​​​​​​​⚬ भारत में बैंक जमा का केवल 15% हिस्सा अपने पास रखते है।
  • ​​​​​​​⚬ इसे किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की संभावना को देखते हुए यह प्रावधान किया जाता है।
  • ​​​​​​​⚬ बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते है।
  • ​​​​​​​⚬ ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।

ऋण की शर्ते :-

​​​​​​​⚬ ब्याज की दर
​​​​​​​⚬ समर्थक ऋणाधार
​​​​​​​⚬ आवश्यक कागजात
​​​​​​​⚬ भुगतान के तरीके
​​​​​​​⚬ विभिन्न ऋण व्यवस्थाओं में ऋण की शर्ते अलग-अलग है।

भारत में औपचारिक क्षेत्रक में साख :-

​​​​​​​⚬ बैंक और सहकारी समितियों से लिए कर्ज औपचारिक क्षेत्रक त्रण कहलाते है।

अनौपचारिक क्षेत्रक में साख :-

​​​​​​​⚬ साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, दोस्त इत्यादि ऋण उपलब्ध कराते है।
​​​​​​​⚬ ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है।
​​​​​​​⚬ ऋणदाता ऐच्छिक दरों पर ऋण देते है।
​​​​​​​⚬ नाजायज तरीकों से अपना ऋण वापिस लेते है।

सेल्फ हेल्प ग्रुप :-

  • ​​​​​​​⚬ सेल्फ हेल्प ग्रुप का प्रचलन अभी नया नया है। इस प्रकार के ग्रुप में लोगों का एक छोटा समूह होता है । जैसे 15 से 20 सदस्य। सभी सदस्य अपने जमा किये हुए पैसे को इकट्‌ठा करते हैं। उस जमा रकम में से किसी भी सदस्य को छोटी राशि का कर्ज दिया जाता है। फिर वह सेल्फ हेल्प ग्रुप उस राशि पर ब्याज लेता है। इस तरह के कर्ज के सिस्टम को माइक्रोफिनांस कहते हैं।
  • ​​​​​​​⚬ सबसे पहले बंगलादेश के ग्रामीण बैंक ने माइक्रोफिनांस की परिपाटी शुरु की।
  • ​​​​​​​⚬ ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद यूनुस ने इस दिशा में काफी काम किया है और गरीबों की मदद की है।
  • ​​​​​​​⚬ उनके प्रयासों के लिये उन्हें 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • ​​​​​​​⚬ सेल्फ हेल्प ग्रुप ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनौपचारिक कर्ज दाताओं के प्रकोप को काफी हद तक कम किया है। आज भारत में कई बड़ी कंपनियाँ सेल्फ हेल्प ग्रुप को प्रश्रय दे रही है।

मुद्रा और साख महत्वपूर्ण प्रश्नउत्तर

1. वस्तु विनिमय प्रणाली की अनिवार्य शर्त क्या है?
उत्तर :- आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होना।

2. मुद्रा विनिमय का माध्यम क्यों हैं?
उत्तर :- मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करने के कारण।

3. प्रारम्भिक काल में मुद्रा के रूप में प्रयोग की जाने वाली दो वस्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर :- अनाज, पशु।

4. मुद्रा का आधुनिक रूप क्या है?
उत्तर :- करेंसी – कागज के नोट व सिक्के

5. आधुनिक मुद्रा बहुमूल्यय धातु से नहीं बनी फिर भी इसे विनिमय का माध्यम क्यों स्वीकार किया गया है?
उत्तर :- क्योंकि किसी देश की सरकार इसे प्राधिकृत करती हैं।

6. भारत में नोट कौन जारी करता है?
उत्तर :- भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया।

7. माँग जमा किसे कहते हैं?
उत्तर :- बैंक खातों में जमा धन को।

8. बैंकों की आय का प्रमुख स्त्रोत क्या हैं?
उत्तर :- कर्जदारों से लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिये गये ब्याज के बीच का अंतर।

9. ऋण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :- एक सहमति जहाँ साहूकार कर्जदार को धन, वस्तुएं या सेवाएं उपलबध कराता है और बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने का वादा लेता हैं।

10. समर्थक ऋणाधार क्या अभिप्राय है?
उत्तर :- ऐसी संपत्ति जिसका मालिक कर्जदार है और इसका इस्तेमाल वह उधारदाता को गांरटी देने के रूप में करता हैं।

11. बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों व जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थता का काम किस प्रकार करते हैं?
उत्तर :- अतिरिक्त मुद्रा को ऋण के रूप में प्रदान करके।

12. विभिन्न प्रकार के ऋणों को कितने वर्गों में बांटा गया है, नाम बताइए व प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर :- ऋणों को दो वर्गों में बाँटा गया है:
1. औपचारिक ऋण :- 
बैंकों और सहकारी समितियों द्वारा दिया गया ऋण औपचारिक ऋण कहलाता है। जैसे – बैंक और सहकारी समितियाँ।
2. अनौपचारिक ऋण :- साहूकारों, व्यापारियों, रिश्तेदारों और दोस्तों से लिया गया ऋण अनौपचारिक ऋण कहलाता है।

13. कर्जदाता कर्ज देते समय ऋणाधार माँग क्यों करते हैं? तीन बिन्दुओं में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- कर्जदाता कर्ज देते समय ऋणाधार की माँग इसलिए करते है कि –
1. कर्ज के रूप में भुगतान की गई राशि की वसूली/भुगतान सुनिश्चित की जा सके।
2. कर्ज न लौटाने पर कर्जदार द्वारा प्रस्तुत ऋणाधार के बीच का अपना पैसा वसूल सके।
3. कर्जदार सही समय पर अपने भुगतान कर देता है वह ऋण लेकर भागता नहीं है।

14. ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अनौपचारिक ऋण के स्रोतों की महत्ता बनी हुई है, क्यों? कोई तीन कारण दीजिए।
उत्तर :- ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अनौपचरिक ऋण के स्रोतों की महत्ता बनी हुई है क्योंकि –
1. ग्रामीण लोग समर्थक ऋणाधार नहीं जुटा पाते है जिससे उन्हें बैंकों से ऋण नहीं मिल पाता है।
2. ग्रामीण क्षेत्रों में औपचारिक ऋण स्रोतों का विस्तार नहीं हो पाया है, यह स्रोत अभी भी ग्रामीण लोगों की पहुँच से दूर है।
3. ग्रामीण लोग औपचारिक स्रोतों से प्राप्त ऋण के लिए आवश्यक कागजात नहीं जुटा पाते है जिससे उन्हें ऋण नहीं मिल पाता है जबकि अनौपचारिक क्षेत्र से उन्हें ऋण आसानी से मिल जाता है।

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Part- 03 मुद्रा और साख अभ्यास प्रश्नउत्तर

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1. जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्ज़दार के लिए ओर समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- जोखिम वाली परिस्थिति में ऋण कर्जदार के लिये ओर समस्याएँ खड़ी कर सकता है। इसे ‘ऋण जाल’ कहते हैं। इसे समझने के लिये एक छोटे किसान का उदाहरण लेते हैं जिसके पास जमीन का एक छोटा टुकड़ा है।

मान लीजिए कि वह किसान खाद और बीज खरीदने के लिए कुछ रुपये उधार लेता है। जो उपज होती है वह उसके परिवार के भरण पोषण के लिए भी काफी नहीं होती है। इसलिए वह इस स्थिति में कभी नहीं आ पाता है कि खेत से उपजे अनाज को बेचकर अपना कर्ज चुका सके। यदि बाढ़ या सूखे से उसकी फसल तबाह हो जाती है तो उसकी स्थिति और भी खराब हो जाती है। इस तरह से वह किसान कर्ज के कुचक्र में फंस कर रह जाता है।

2. मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर :- वस्तु विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या होती है। मान लीजिए कि कोई छात्र अपनी पुरानी किताबों को बेचकर उसके बदले एक गिटार लेना चाहता है। यदि वह वस्तु विनिमय प्रणाली को अपनाता है तो उसे किसी ऐसे व्यक्ति को तलाशना होगा जो अपने गिटार के बदले उसकी किताबें लेने को तैयार हो जाये।

लेकिन ऐसे व्यक्ति को ढ़ूँढ़ पाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन यदि वह छात्र अपनी किताबों को मुद्रा के बदले में बेच लेता है तो फिर वह आसानी से उन पैसों से गिटार खरीद सकता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को सुलझाती है।

3. अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं?
उत्तर :- वह लोग जिनके पास अतिरिक्त मुद्रा होती है वह अपने अतिरिक्त धन अर्थात् बचत को बैंक में जमा कर देते हैं। बैंक उनसे यह धन जमा खातों के रूप में स्वीकार करते हैं।

कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें ऋण की आवश्यकता होती है। वो लोग बैंक जाते हैं यदि उन्हें औपचारिक स्त्रोत से ऋण लेना होता है। बैंक अपने पास जमाराशि से ऐसे लोगों को ऋण मुहैया कराता है। इस तरह से बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थता का काम करता है।

4. 10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर :- 10 रुपये के नोट पर निम्न पंक्ति लिखी होती है, “मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।“ इस कथन के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है।

यह कथन दर्शाता है कि रिजर्व बैंक ने उस करेंसी नोट पर एक मूल्य तय किया है जो देश के हर व्यक्ति और हर स्थान के लिये एक समान होता है। भारतीय कानून के अनुसार रिज़र्व बैंक के अतिरिक्त किसी व्यक्ति या संस्था को मुद्रा जारी करने की इजाजत नहीं है। इसके अलावा कानून रुपयों को विनिमय का माध्यम जैसे इस्तेमाल करने की वैधता प्रदान करता है।

5. हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है?
उत्तर :- हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों का विस्तार करने की आवश्यकता है:
 ऋण के अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के लिए क्योंकि इनकी ब्याज दर ज़्यादा होती है और ऋण लेने वाले को अधिक लाभ नहीं होता है।
 देश के विकास के लिए सस्ता ऋण आवश्यक है।
 बैंकों और सहकारी समितियों को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अपने ऋण में वृद्धि करनी चाहिए।

6. गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या है? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- स्वयं सहायता समूहों का गठन वैसे गरीबों के लिये किया जाता है जिनकी पहुँच ऋण के औपचारिक स्रोतों तक नहीं है। कई ऐसे कारण हैं जिनसे ऐसे लोगों को बैंक या सहकारी समिति से ऋण नहीं मिल पाता है।

ये लोग इतने गरीब होते हैं कि अपनी साख को सिद्ध नहीं कर पाते। उनके द्वारा लिये गये ऋण की राशि इतनी कम होती है कि ऋण देने में आने वाले खर्चे की वसूली भी नहीं हो पाती है। अशिक्षा और जागरूकता के अभाव से उनकी समस्या और भी बढ़ जाती है। स्वयं सहायता समूह ऐसे लोगों को छोटा ऋण देती है ताकि उनकी आजीविका चलती रहे। इसके अलावा स्वयं सहायता समूह ऐसे लोगों में ऋण अदायगी की आदत भी डालती है।

7. क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर :- बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज़ देने के लिए इसलिए तैयार नहीं होते क्योंकि वे ऋण की शर्तों को पूरा नहीं कर पाते हैं। उनकी ऋण अदायगी की क्षमता विश्वसनीय नहीं होती है तथा उनके पास गिरवी रखने के लिए कोई संपत्ति भी नहीं होती है जिसके कारण बैंक उन्हें ऋण देने से कतराते हैं।

यदि बैंक इन लोगों को ऋण दे दें तो उसे ऋण को वापसी भी नहीं होगी जिससे बैंक के अस्तित्व को खतरा पैदा हो सकता है। बैंक तभी चल सकते हैं जब उन्हें ऋण वापसी के साथ-साथ ब्याज भी मिले परंतु ऐसे लोगों को ऋण देने से उसे दोनों प्रकार के भुगतान प्राप्त नहीं होते हैं।

8. भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है? यह जरूरी क्यों है?
उत्तर :- भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है। यह भारत के बैंकिंग सेक्टर के लिये नीति निर्धारण का काम करता है। बैंक किसी भी अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालते हैं इसलिये बैंकिंग सेक्टर के लिये सही नियम और कानून की जरूरत होती है।

बैंकों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करके रिजर्व बैंक न केवल बैंकिंग और वितीय स्थिति को सही दिशा में ले जाता है बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को भी सुचारु ढंग से चलने में मदद करता है।

9. विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर :- विकास में ऋण की अहम भूमिका होती है। ऋण के माध्यम से लोगों की आय बढ़ सकती है जिससे बहुत से लोग अपनी विभिन्न जरूरतों की पूर्ति के लिए सस्ती दरों पर कर्ज ले सकें। वे फ़सल उगा सकते हैं, कोई कारोबार शुरु कर सकते हैं, नए उद्योग लगा सकते हैं या वस्तुओं का व्यापार कर सकते हैं।

इस तरह ऋण से लोगों की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी और उनका जीवन स्तर ऊँचा होगा। उद्योगों और कृषि का विकास होने से उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे देश का विदेशी व्यापार भी बढ़ता है। अतः ऋण देश के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

10. मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिए ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से? चर्चा कीजिए।
उत्तर :- अपनी संपत्ति और तमाम किस्म के काग़जातों के आधार पर मानव को यह तय करना पड़ेगा कि उसे ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से।

ऋणाधार की गैर-मौजूदगी के कारण गरीब परिवार बैंकों से ऋण ले पाने में असमर्थ होते हैं जबकि साहूकार जो इन कर्जदारों को निजी स्तर पर जानते हैं बिना ऋणाधार के भी ऋण देने के लिए तैयार हो जाते हैं। जरूरत पड़ने पर कर्जदार पुराना बकाया चुकाए बिना, नया कर्ज लेने के लिए साहूकार के पास जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त ब्याज की दर के आधार पर भी मानव ऋण लेने का निश्चय कर सकता है।

11. भारत में 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की ज़रूरत होती है।

(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?
उत्तर :- क्योंकि छोटे किसानों के पास ऋणाधार की कमी होती है।

(ख) वे दूसरे स्रोत कौन-से हैं जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं?
उत्तर :- साहूकार, महाजन, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, दोस्त आदि।

(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं?
उत्तर :- यदि कोई छोटा किसान ऋण ले भी लेता है तो उसके खेत की उपज इतनी नहीं होती कि फसल बेचकर वह अपना परिवार भी पाल ले और ऋण भी चुकता कर पाये। यदि कोई प्राकृतिक विपदा आई और उसका फसल बरबाद हो जाता है तो किसान की मुसीबत और भी बढ़ जाती है। ऐसे में किसान और भी मुसीबत में पड़ जाता है।

(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।
उत्तर :- स्वयं सहायता समूहों का गठन करके छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।

12. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
(क) ………………………….. परिवारों की ऋण की अधिकांश ज़रूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
(ख) …………………………. ऋण को लागत ऋण का बोझ बढ़ाता है।
(ग) ………………………….. केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
(घ) बैंक …………………….. पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
(ङ) ………………………. संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता।
उत्तर :-
(क) ग़रीब
(ख) ऊँची
(ग) भारतीय रिज़र्व बैंक
(घ) जमा
(ङ) जमीन का टुकड़ा

13. सही उत्तर का चयन करें:
(क) आत्मनिर्भर गुट में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लेते हैं।
• बैंक
• सदस्य
• गैर-सरकारी संस्था
उत्तर :- सदस्य

(ख) ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है
• बैंक
• सहकारी समिति
• मालिक
उत्तर :- मालिक

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