NCERT Class 10 Political Science: सत्ता की साझेदारी के नोट्स हिन्दी में पाएं। इस महत्वपूर्ण अध्याय को आसान भाषा में समझें – सत्ता बंटवारे के महत्व, विभिन्न रूपों (ऊर्ध्वाधर, क्षैतिज, सामुदायिक) और लोकतंत्र में इसकी भूमिका पर विस्तृत नोट्स।
बेल्जियम और श्रीलंकाई उदाहरणों सहित, PDF डाउनलोड भी उपलब्ध! समझने योग्य, उच्च-गुणवत्ता वाले नोट्स से परीक्षा में सफल हों!
Table of Contents
10 Class लोकतांत्रिक राजनीति Chapter 1 सत्ता की साझेदारी Notes in Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | Political science |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | सत्ता की साझेदारी |
Category | Class 10 Political science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
सामाजिक विज्ञान (नागरिक शास्त्र) अध्याय-1: सत्ता की साझेदारी
सत्ता की साझेदारी / Power sharing
परिभाषा:
- सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है।
महत्व:
- यह लोकतंत्र का मूलमंत्र है जो समाज के सभी वर्गों को सम्मिलित करता है।
- इस व्यवस्था में हर नागरिक को सरकार में भागीदारी का मौका मिलता है, जिससे उनका स्वतंत्र और सक्रिय भागीदार बनता है।
विशेषताएँ:
- सरकारी निर्णयों में भागीदारी: सामाजिक समूह और समुदायों की साझेदारी से सरकारी निर्णयों में अधिक निष्पक्षता और उन्नति होती है।
- लोकतंत्र के संरक्षण: साझेदारी की व्यवस्था लोकतंत्र को संरक्षित रखती है और नागरिकों को न्यायाधीनता का अधिकार प्रदान करती है।
- सलाहकारी भूमिका: नागरिकों को शासन के तरीकों के बारे में सलाह देने का अधिकार मिलता है, जिससे समर्थन और सम्मति दोनों होते हैं।
उदाहरण:
- भारतीय लोकतंत्र में, नागरिकों को निर्वाचन द्वारा सरकार चुनने का अधिकार होता है, जिससे उनकी भागीदारी संविधानिक रूप से सुनिश्चित होती है।
सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है?
Why is power sharing important?
युक्तिपरक तर्क:
- विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव कम होता है: साझेदारी से, समाज के विभिन्न समूहों के साथ सहमति बनती है, जिससे टकराव कम होता है और समृद्धि बढ़ती है।
- राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा: साझेदारी राजनीतिक स्थायित्व को बढ़ावा देती है और समाज में स्थिरता लाती है।
नैतिक तर्क:
- सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र की आत्मा है: यह लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है, जो समाज के हर व्यक्ति को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक प्रक्रियाओं में भागीदार बनाता है।
- लोगों की भागीदारी आवश्यक है: साझेदारी के माध्यम से, नागरिकों को सामाजिक समर्थन प्राप्त होता है और उनका सम्मति प्राप्त होता है, जिससे सशक्तिकरण होता है और नैतिकता का विकास होता है।
- लोगों का अधिकार है कि उनसे सलाह ली जाए: साझेदारी लोकतंत्र के एक प्रमुख अंग के रूप में काम करती है, जिससे नागरिकों का अधिकार होता है कि उनकी सलाह संदेश ली जाए और सरकार उनके हित में निर्णय लें।
सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता
Need for power sharing
समाज में सौहार्द्र और शांति बनाए रखने के लिए:
- सत्ता की साझेदारी समाज में सहमति और सौहार्द्र को बढ़ावा देती है, जिससे टकराव कम होता है।
बहुसंख्यक के आतंक से बचने के लिए:
- साझेदारी के माध्यम से बहुसंख्यक के आतंक को रोका जा सकता है और समाज को सुरक्षित बनाया जा सकता है।
लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिए:
- साझेदारी लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांतों का समर्थन करती है और नागरिकों को सरकार में भागीदार बनाती है।
समझदारी और नैतिकता का प्रोत्साहन:
- साझेदारी भरी समझदारी और नैतिकता का प्रोत्साहन करती है, जो समाज को टकराव से बचाता है और लोकतंत्र की आत्मा को सुरक्षित रखता है।
सत्ता की साझेदारी के रूप
As power sharing
सत्ता का क्षैतिज बँटवारा:
- सत्ता का क्षैतिज बँटवारा शासन के विभिन्न अंगों के बीच होता है – विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका।
- यह बँटवारा शक्तियों को समान रूप से वितरित करता है, जिससे एक अंग के पास असीमित शक्ति नहीं होती।
सत्ता के उपयोग का अधिकार:
- कार्यपालिका के पास सत्ता के उपयोग का अधिकार होता है, लेकिन यह संसद के अधीन होता है।
- संसद के पास कानून बनाने का अधिकार होता है, लेकिन वह जनता को जवाब देने के लिए जिम्मेदार होती है।
न्यायपालिका का स्वतंत्रता:
- न्यायपालिका स्वतंत्र रहती है और इसका काम है निर्देश देना कि विधायिका और कार्यपालिका द्वारा बनाए गए नियमों का सही ढंग से पालन हो।
विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा
Distribution of power at different levels
केंद्र सरकार और राज्य सरकार:
- भारत में सरकार के दो मुख्य स्तर होते हैं: केंद्र सरकार और राज्य सरकार।
- केंद्र सरकार को पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी होती है, जबकि राज्य सरकारें गणराज्य की विभिन्न इकाइयों की जिम्मेदारी लेती हैं।
- दोनों सरकारों के अधिकार क्षेत्र में अलग-अलग विषय होते हैं, लेकिन कुछ विषय साझा लिस्ट में रहते हैं।
सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा:
- भारत में विविधता भरी है और अनगिनत सामाजिक, भाषाई, धार्मिक और जातीय समूह हैं।
- इन विविध समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा जरूरी होता है, ताकि समूहों का सही प्रतिनिधित्व हो सके।
- आरक्षण एक उदाहरण है जिसमें पिछड़े वर्ग को सरकारी संस्थानों में उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।
विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा
Power sharing between different types of pressure groups
राजनैतिक पार्टियों के बीच सत्ता का बँटवारा:
- सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने का मौका मिलता है।
- विपक्ष की जिम्मेदारी होती है सत्ताधारी पार्टी के काम को समीक्षित करना और लोगों की इच्छाओं के अनुसार काम करवाना।
- कई तरह की कमेटियाँ भी बनती हैं, जिनमें अलग-अलग पार्टियों के प्रतिनिधि होते हैं।
दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा:
- इसमें विभिन्न समूह जैसे एसोचैम, छात्र संगठन, मजदूर यूनियन आदि शामिल होते हैं।
- इन संगठनों के प्रतिनिधि नीतिनिर्धारक अंगों में भाग लेते हैं, जिससे उन्हें सत्ता में सहयोग मिलता है।
सत्ता की साझेदारी के लाभ
Benefits of power sharing
लोकतंत्र का मूलमंत्र:
- सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का मूलमंत्र है और इसके बिना प्रजातंत्र की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
राष्ट्र की मजबूती:
- सभी लोगों को देश की प्रशासनिक व्यवस्था में भागीदारी बनाने से देश और भी मजबूत होता है।
विभिन्न समूहों के हितों का ध्यान:
- बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों के हितों का ध्यान रखने से आपसी टकराव की संभावना कम होती है और देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है।
आपसी संघर्ष और गृहयुद्ध की संभावना को समाप्त करना:
- सत्ता की साझेदारी अपना के विभिन्न समूहों के बीच आपसी टकराव तथा गृहयुद्ध की संभावना को समाप्त कर सकती है।
बेल्जियम के समाज की जातीय बनावट
Ethnic composition of Belgian society
देश का आकार और आबादी:
- बेल्जियम यूरोप का छोटा सा देश है जिसकी आबादी हरियाणा से भी आधी है।
भाषाई बनावट:
- यहाँ रहने वाले लोग विभिन्न भाषाओं में बोलते हैं।
59% लोग डच भाषा बोलते हैं।
40% लोग फ्रेंच बोलते हैं।
1% लोग जर्मन बोलते हैं।
राजधानी की भाषाई बनावट:
- राजधानी ब्रुसेल्स में भी भाषाई बनावट है।
80% आबादी फ्रेंच भाषी हैं।
20% आबादी डच भाषी हैं।
समृद्धि और ताकत:
- अल्पसंख्यक फ्रेंच भाषी लोग तुलनात्मक रूप से ज्यादा समृद्ध और ताकतवर होते हैं।
बेल्जियम की समझदारी / Belgian wisdom
भाषाई विविधताओं का सांस्कृतिक और राजनीतिक झगड़ा:
- भाषाई विविधताओं के कारण सांस्कृतिक और राजनीतिक झगड़े होते रहे।
- डच भाषी लोगों को आर्थिक विकास और शिक्षा का लाभ नहीं मिलने के कारण नाराजगी थी।
भाषाई तनाव का बढ़ना:
- 1950 से 1960 के दशक में फ्रेंच और डच बोलने वाले समूहों के बीच तनाव बढ़ा।
- ब्रुसेल्स में डच भाषी लोगों की अल्पमत थी, जबकि वे देश में बहुमत में थे।
नवीन शासन पद्धति की अपनाना:
- लोगों ने नए शासन पद्धति को अपनाया जिससे सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधताओं के मध्य के मतभेदों को दूर किया गया।
संविधान में संशोधन:
- 1970 से 1993 के बीच चार संशोधन किए गए ताकि सभी को समानता का अहसास हो सके और न किसी को बेगानेपन का अहसास हो।
बेल्जियम में टकराव को रोकने के लिए उठाए गए कदम
Steps taken to prevent conflict in Belgium
संघीय सरकार में भाषाई समानता:
- केंद्र सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की समान संख्या की व्यवस्था की गई।
क्षेत्रीय सरकार को अधिक शक्ति:
- केंद्र सरकार ने देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकार को अनेक शक्तियाँ दी।
ब्रुसेल्स में समान सरकार:
- ब्रुसेल्स में अलग-अलग समुदायों को समान प्रतिनिधित्व देने वाली सरकारों की व्यवस्था की गई।
सामुदायिक सरकार का गठन:
- सामुदायिक सरकारों का गठन किया गया जिनका चुनाव संबंधित भाषा लोगों द्वारा होता है।
- इन सरकारों को सांस्कृतिक, शैक्षिक और भाषा संबंधी शक्तियाँ प्राप्त हैं।
श्रीलंका के समाज की जातीय बनावट
Ethnic composition of Sri Lankan society
भूगोलिक स्थिति:
- श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो भारत के दक्षिण तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- इसकी आबादी कोई दो करोड़ के लगभग है, जो हरियाणा के बराबर है।
जातिय समूहों का विवरण:
- श्रीलंका में कई जातिय समूहों के लोग रहते हैं।
- देश की आबादी का 74% भाग सिहलियों का है, जबकि करीब 18% लोग तमिल हैं।
- अन्य छोटे-छोटे जातिय समूह जैसे ईसाइयों और मुसलमानों भी हैं।
श्रीलंका में टकराव / Conflict in sri lanka
जातिय समूहों का विवरण:
- श्रीलंका में टकराव का मुख्य कारण देश के पूर्वी भागों में तमिल लोगों की अधिकता है, जबकि बाकी के हिस्सों में सिहली लोगों की बहुसंख्या है।
- यह जातिय समूहों के बीच राजनीतिक और सांस्कृतिक टकराव को बढ़ाता है।
टकराव का कारण:
- सिहली लोगों ने अपने बहुसंख्यकवाद को दूसरों पर थोपने का प्रयास किया, जिससे टकराव और संघर्ष उत्पन्न हुआ।
- इससे ग्राह्य युद्ध शुरू हुआ और वहाँ का राजनीतिक वातावरण अत्यधिक उथल-पुथल में डूबा।
समाधान की कोशिश:
- श्रीलंका में जातिय मसलों का समाधान करने के लिए लोगों के बीच विचार-विमर्श और समझौते की कई कोशिशें की गई हैं।
- हालांकि, टकराव अब भी स्थायी समस्या के रूप में मौजूद है और इसका समाधान करने के लिए आगे काम किया जा रहा है।
गृहयुद्ध / Civil war
परिभाषा:
- गृहयुद्ध एक मुल्क में सरकार विरोधी समूहों के बीच हिंसक लड़ाई को दर्शाता है।
- यह लड़ाई ऐसी होती है जिसमें सरकार और विरोधी समूहों के सदस्य शासन की ताकत के लिए जुझते हैं।
लक्षण:
- गृहयुद्ध में सामान्य नागरिकों को अपने घरों से बाहर भागना पड़ता है और सुरक्षित स्थानों की खोज करनी पड़ती है।
- इसमें हिंसा, आतंकवाद और संघर्ष के तंत्र बहुत ही सामान्य होते हैं।
कारण:
- गृहयुद्ध के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे नैतिक, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक।
- सामाजिक और आर्थिक असमानता, न्याय और समानता की कमी, युद्धाभ्यास, राजनीतिक उठापटन आदि इसके मुख्य कारण हो सकते हैं।
श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद
Majoritarianism in Sri Lanka
परिभाषा:
- बहुसंख्यकवाद एक ऐसी मान्यता है जिसके अनुसार, अगर कोई समुदाय बहुसंख्यक है तो वह अपने मनचाहे ढंग से देश का शासन कर सकता है।
- इसके अनुसार, अल्पसंख्यक समुदायों की अवहेलना की जाती है और उनकी जरूरतों को ध्यान में नहीं रखा जाता।
1956 के कानून द्वारा उठाए गए कदम:
- 1956 में श्रीलंका में एक कानून पास किया गया जिसमें सिहली समुदाय की सर्वोच्चता स्थापित की गई।
- नए संविधान में इसका प्रावधान किया गया कि सरकार बौद्ध मठ को संरक्षण और बढ़ावा देगी।
- सिहंलियों को विश्व विद्यालयों और सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी गई।
- सिहंली को एकमात्र राजभाषा घोषित किया गया जिससे तमिलों की अवहेलना हुई।
भारत में सत्ता की साझेदारी / Power sharing in india
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था:
- भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है जिसमें नागरिक सीधे मताधिकार के माध्यम से अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं।
- चुने हुए प्रतिनिधि एक सरकार को चुनते हैं जो नए नियम बनाती है या पूर्ववत के नियमों में संशोधन करती है।
प्रजा का स्रोत:
- किसी भी लोकतंत्र में हर प्रकार की राजनैतिक शक्ति का स्रोत प्रजा होती है, जो लोकतंत्र का मूलभूत सिद्धांत है।
- इस तरह की शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं के माध्यम से अपने आप पर शासन करते हैं।
साझेदारी की महत्ता:
- एक समुचित लोकतांत्रिक सरकार में समाज के विभिन्न समूहों और मतों को उचित सम्मान दिया जाता है।
- जन नीतियों के निर्माण में हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है।
- इसलिए लोकतंत्र में सत्ता का बँटवारा अधिक से अधिक नागरिकों के बीच होना चाहिए।
सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूप
Different forms of power sharing
सत्ता का उध्र्ध्वाधर वितरण :-
सरकार के विभिन्न स्तरों में मध्य सत्ता का वितरण
- केन्द्रीय सरकार
- राज्य सरकार
- स्थानीय निकाय
सत्ता का क्षैतिज वितरण :-
सरकार के विभिन्न अंगों के मध्य सत्ता का वितरण
- विधायिका,
- कार्यपालिका,
- न्यायपालिका
विभिन्न सामाजिक समूहों, मसलन, भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच सत्ता का वितरण। जैसे :- बेल्जियम में सामुदायिक सरकार
विभिन्न सामाजिक समूहों, दबाव समूहों एवं राजनीतिक दलों के मध्य सत्ता का वितरण।
क्षैतिज वितरण
Horizontal distribution
विद्यापिका :-
- (कानून का (निर्माण)
- (लोकसभा राज्य सभा, राष्ट्रपति)
कार्यपालिका :-
- (कानून का क्रियान्वयन)
- (प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद तथा नौकरशाह)
न्यायपालिका :-
- (कानून की व्याख्या)
- (सर्वोच्च न्यायालय मुख्य न्यायलय तथा अन्य जिला व सत्र न्यायलय)
उर्ध्वाधर वितरण
Vertical distribution
केंद्रीय सरकार (देश के लिए):
- केंद्रीय सरकार देश के संघीय संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- इसका प्रमुख कार्य देश के संघीय स्तर पर नीतियों का निर्धारण करना है।
- केंद्रीय सरकार राष्ट्रीय स्तर पर कई क्षेत्रों में प्रबंधन करती है, जैसे कि रक्षा, विदेशी मामले, आर्थिक विकास, और सामान्य सेवाएं।
राज्य / प्रांतीय सरकार (राज्यों के लिए):
- राज्य सरकार राज्य के विकास और प्रशासन का जिम्मा उठाती है।
- इसका कार्य राज्य के स्तर पर नीतियों और कानूनों का प्रबंधन करना है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और स्थानीय विकास शामिल होता है।
स्थानीय स्वशासन (ग्राम पंचायत, ब्लॉक समिति, जिला परिषद):
- स्थानीय स्वशासन का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर नीतियों का निर्धारण करना और स्थानीय स्तर पर प्रबंधन करना है।
- इसमें ग्राम पंचायत, ब्लॉक समिति, और जिला परिषद शामिल हैं, जो अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को संचालित करते हैं।
सत्ता के ऊर्ध्वाधर वितरण और क्षैतिज वितरण में अंतर
Difference between vertical distribution and horizontal distribution of power
- ऊर्ध्वाधर वितरण:
- सरकारी स्तरों के बीच बँटवारा:
सत्ता का बँटवारा सरकार के विभिन्न स्तरों (केन्द्र, राज्य, स्थानीय सरकार) में होता है।
- उच्चतर और निम्नतर स्तर की सरकारें:
यह वितरण उच्चतर और निम्नतर स्तर की सरकारों के बीच होता है।
- निम्नतर अंग का उच्चतर अंग के अधीन काम:
इसमें निम्नतर अंग (जैसे ग्राम पंचायत) उच्चतर अंग (जैसे जिला प्रशासन) के अधीन काम करते हैं।
- क्षैतिज वितरण:
- सरकारी अंगों के बीच बँटवारा:
सत्ता का बँटवारा सरकार के विभिन्न अंगों (विधायिका, कार्य पालिका, न्यायपालिका) के बीच होता है।
- समान स्तर पर सरकारी अंग:
यह वितरण समान स्तर पर सरकारी अंगों के बीच होता है, जैसे विधायिका, कार्य पालिका, और न्यायपालिका।
- प्रत्येक अंग का नियंत्रण:
इसमें प्रत्येक सरकारी अंग अपने क्षेत्र में पूर्ण नियंत्रण रखता है और अपनी शक्ति का उपयोग करता है।
आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके
Different methods of power sharing in modern democratic systems
सरकार विभिन्न अंगों के बीच साझेदारी:
- उदाहरण: विधायिका और कार्यपालिका के बीच सत्ता की साझेदारी।
सरकार के विभिन्न स्तरों में साझेदारी:
- उदाहरण: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता की साझेदारी।
सामाजिक समूहों के बीच साझेदारी:
- उदाहरण: सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण।
दबाव समूहों के बीच साझेदारी:
- उदाहरण: नए श्रम कानून के निर्माण के समय ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों से सलाह लेना।
भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण
An example of power sharing in the Indian context
विवरण: भारत में आरक्षण प्रणाली एक उत्कृष्ट उदाहरण है जहाँ सरकार ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, और अन्य पिछड़े वर्गों को समाज में उत्थान के लिए आरक्षण प्रदान किया है।
युक्तिपरक कारण: यह आरक्षण समाज में जाति और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को समान अवसर प्रदान करता है, जिससे टकराव कम होता है। इससे समाज में सौहार्द्र बढ़ता है।
नैतिक कारण: इस प्रकार की साझेदारी समाज में न्याय और समानता को बढ़ावा देती है, जो लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखने में मदद करती है।
सत्ता की साझेदारी के मुख्य रूप
Main forms of power sharing
परिभाषा: लोकतंत्र में शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा होता है, जहां सत्ता के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण: भारत में विधायिका (संसद), कार्यपालिका (सरकार), और न्यायपालिका (न्यायालय) के बीच सत्ता का बँटवारा होता है। इन अंगों को संविधान द्वारा अलग-अलग शक्तियों और कार्यों का प्रभाव करने की अनुमति दी जाती है।
विशेषता: इस प्रकार के बँटवारे में, विभिन्न संगठन एक ही स्तर पर स्थित रहते हैं और अपनी स्वतंत्रता के अनुसार कार्रवाई करते हैं, जिससे न्यायपालिका निर्णायक कार्यों को स्थानांतरित कर सकती है, कार्यपालिका नीतियों को लागू कर सकती है, और विधायिका नए कानून बना सकती है।
फायदे: इस बँटवारे से सत्ता का प्रशासनिक और न्यायिक प्रभावी रूप से व्यवस्थित होता है और सरकारी संस्थाओं के बीच बल और संतुलन बना रहता है।
उदाहरण: भारतीय संविधान में अलग-अलग संस्थाओं को उनकी स्वतंत्रता के आधार पर कार्रवाई करने की अनुमति दी गई है, जिससे सरकारी संरचना में संतुलन बना रहता है और न्यायपालिका न्याय की सुनिश्चितता के लिए जिम्मेदार होती है।
ब्लेजर मॉडल की मुख्य विशेषता
Main feature of blazer model
समान विशेषता:
- लोकतंत्रिक देश: भारत और बेल्जियम दोनों में ब्लेजर मॉडल का मुख्य विशेषता यह है कि ये दोनों लोकतंत्रिक देश हैं।
- केंद्र और राज्य सरकार: दोनों देशों में केंद्र सरकार राज्य सरकार से अधिक ताकतवर है।
- त्रि-स्तरीय सरकार: दोनों में त्रि-स्तरीय सरकार है, जिसमें केंद्र, राज्य, और स्थानीय स्तर पर सरकारें होती हैं।
भिन्न विशेषता:
- भारतीय संघ: भारत में कुछ राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है, जिसे “भारतीय संघ” कहा जाता है। इसका मतलब है कि इन राज्यों को कुछ विशेष अधिकार और स्वतंत्रता होती है जो अन्य राज्यों में नहीं होती।
आशा करते है इस पोस्ट NCERT Class 10 Political: सत्ता की साझेदारी Notes में दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी । आप हमें नीचे Comment करके जरुर बताये और अपने दोस्तों को जरुर साझा करे। यह पोस्ट सत्ता की साझेदारी notes, Class 10 civics chapter 1 notes in hindi पढ़ने के लिए धन्यवाद ! आपका समय शुभ रहे !!
NCERT Notes
स्वतंत्र भारत में, कांग्रेस पार्टी ने 1952 से 1967 तक लगातार तीन आम चुनावों में जीत हासिल करके एक प्रभुत्व स्थापित किया था। इस अवधि को 'कांग्रेस प्रणाली' के रूप में जाना जाता है। 1967 के चुनावों में, कांग्रेस को कुछ राज्यों में हार का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 'कांग्रेस प्रणाली' को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
URL: https://my-notes.in
Author: NCERT
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NCERT Notes
स्वतंत्र भारत में, कांग्रेस पार्टी ने 1952 से 1967 तक लगातार तीन आम चुनावों में जीत हासिल करके एक प्रभुत्व स्थापित किया था। इस अवधि को 'कांग्रेस प्रणाली' के रूप में जाना जाता है। 1967 के चुनावों में, कांग्रेस को कुछ राज्यों में हार का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 'कांग्रेस प्रणाली' को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
URL: https://my-notes.in
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