Class 10 इतिहास की परीक्षा में अच्छे अंक पाएं! यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय के NCERT हिंदी नोट्स से आसानी से सब समझें।
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय 19वीं शताब्दी की एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसने महाद्वीप के राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक परिदृश्य को बदल दिया।
Table of Contents
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | History |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय |
Category | Class 10 History |
Medium | Hindi |
यह अध्याय CBSE,RBSE,UP Board(UPMSP),MP Board, Bihar Board(BSEB),Haryana Board(BSEH), UK Board(UBSE),बोर्ड परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, और यह उन छात्रों के लिए भी उपयोगी है जो प्रतियोगी परीक्षाओं(UPSC) की तैयारी कर रहे हैं।
Class 10 History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Notes in Hindi
सामाजिक विज्ञान (इतिहास) अध्याय-1: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
राष्ट्र / Nation
परिभाषा: राष्ट्र एक समूह होता है जो जाति, धर्म, भाषा, रीति-रिवाज, और इतिहास की साझा कारण से जुड़ा होता है। इसका साझा सभ्याचार होता है और मनोवैज्ञानिक सद्भाव की भावना विकसित होती है।
राष्ट्र का अर्थ: अरनेस्ट रेनर के अनुसार, समान भाषा, नस्ल, और धर्म से बने क्षेत्र को राष्ट्र कहा जाता है।
राष्ट्रवाद / Nationalism
परिभाषा: राष्ट्रवाद एक विश्वास है कि लोगों का एक समूह इतिहास, परंपरा, भाषा, जातीयता या जातिवाद, और संस्कृति के आधार पर स्वयं को एकीकृत करता है।
विशेषताएँ:
राष्ट्रवादी विश्वास रखते हैं कि उन्हें अपने स्वयं के निर्णयों के आधार पर अपना स्वयं का संप्रभु राजनीतिक समुदाय, ‘राष्ट्र’ स्थापित करने का अधिकार है।
नेपोलियन कौन था? / Who was Napoleon?
नेपोलियन
परिचय
- जन्म: नेपोलियन का जन्म 15 अगस्त 1769 को हुआ।
- प्रारंभिक जीवन: उनके प्रारंभिक जीवन में उन्होंने अपनी योग्यता के बल पर सेनापति बनने की प्राप्ति की।
उपलब्धियाँ
- सेनापति: 24 वर्ष की आयु में ही उन्होंने सेनापति का पद प्राप्त किया।
- विजय: नेपोलियन ने कई युद्धों में फ्रांसीसी सेना को जीत दिलाई और अपार लोकप्रियता हासिल की।
राजनीतिक करियर
- शासक बनाना: उन्होंने शासन की सीढ़ीयों को छूते हुए फ्रांस का शासक बन गए।
आवश्यकता
- अपार प्रभाव: उनके व्यक्तित्व और कार्यों ने पूरे यूरोप के इतिहास को प्रभावित किया।
नेपोलियन का योगदान
- फ्रांस के शासक: उन्होंने फ्रांस के शासक बनकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।
नेपोलियन की महत्वपूर्णता
- इतिहास में महत्वपूर्ण: नेपोलियन का योगदान इतिहास में महत्वपूर्ण है, जो उनकी विजयों और शासन के कार्यों के माध्यम से प्रकट हुआ।
उदारवाद / Liberalism
परिचय
- मूल शब्द: उदारवाद शब्द लातिनी भाषा के मूल शब्द “liber” से आया है, जिसका अर्थ है स्वतंत्रता।
- उद्देश्य: उदारवाद का उद्देश्य नए मध्यम वर्ग के लिए स्वतंत्रता और समानता की स्थापना है।
महत्वपूर्ण विशेषताएँ
- स्वतंत्रता: उदारवाद स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण मानता है और व्यक्ति के अधिकारों का समर्थन करता है।
- समानता: इसका उद्देश्य समानता की स्थापना है, जिसमें सभी व्यक्ति अपने अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं।
निरंकुशवाद / Despotism
परिचय
- सरकार की सत्ता: निरंकुशवाद में सरकार की सत्ता पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं होता है।
- अत्यंत केन्द्रीकृत: इसमें सत्ता अत्यंत केन्द्रीकृत और सरकार केन्द्रीय नियंत्रित होती है।
महत्वपूर्ण विशेषताएँ
- सैन्य बल पर आधारित: निरंकुशवाद की सरकारें सैन्य बल पर आधारित होती हैं और अक्सर दमनकारी होती हैं।
- केंद्रीय सत्ता: सरकार के प्रति कोई संवैधानिक या सामाजिक प्रतिबंध नहीं होता है, जिससे वह सत्ता का निर्णय अपनी इच्छा के अनुसार ले सके।
जनमत संग्रह / Referendum
परिचय:
- जनमत संग्रह एक प्रत्यक्ष मतदान की प्रक्रिया है जिसमें एक क्षेत्र की समूची जनता से किसी प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पूछा जाता है।
महत्व:
- जनमत संग्रह एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया है जिसमें लोगों का राय और अभिप्राय समझा जाता है।
प्रक्रिया:
- प्रस्तावना: जनमत संग्रह की प्रारंभिक चरण में एक प्रस्ताव या मुद्दा पेश किया जाता है।
- मतदान: लोगों को इस प्रस्ताव के बारे में जानकारी दी जाती है और फिर वे अपने मत का उपयोग करते हैं।
- गणना: सभी मतों का गणना किया जाता है और फिर नतीजा घोषित किया जाता है।
- अनुमोदन या अस्वीकृति: जनमत संग्रह के परिणाम के आधार पर प्रस्ताव को स्वीकृत या अस्वीकृत किया जा सकता है।
यूटोपिया (कल्पनादर्श) / Utopia
परिचय:
- यूटोपिया एक ऐसे समाज की कल्पना है जो आदर्श होता है, लेकिन उसका पूरा साकार होना लगभग असंभव होता है।
विशेषताएँ:
- यूटोपिया में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और धार्मिक सभी क्षेत्रों में पूर्ण समृद्धि और समानता होती है।
- इसमें समृद्धि, समानता, और आनंद की पूर्णता की अवधारणा होती है।
प्रमुख विशेषताएँ:
- सामूहिकता: यूटोपिया में सभी लोग एक-दूसरे के साथ भाईचारे और सामूहिकता में रहते हैं।
- समृद्धि: समृद्धि और सुख की पूर्णता की अवधारणा होती है, जहां सभी को सुखी और संतुष्ट जीवन बिताने का अवसर मिलता है।
रूमानीवाद / Romanticism
परिचय:
- रूमानीवाद एक संस्कृति आंदोलन था जो एक विशेष प्रकार की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था।
महत्व:
- रूमानी कलाकारों तथा कवियों ने तर्क वितर्क और विज्ञान पर बल देने के स्थान पर अंतर्दृष्टि और रहस्यवादी भावनाओं पर बल दिया।
- इसमें सामूहिक विरासत की अनुभूति और साझे सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का धर्म बनाने की प्रेरणा थी।
जुंकर्स / Junkers
परिचय:
- जुंकर्स एक सामाजिक श्रेणी का नाम है जिसमें बड़े-बड़े ज़मींदार शामिल थे।
विशेषताएँ:
- जुंकर्स समाज की उच्च वर्गीय वर्गों में से एक थे जो बड़ी मात्रा में सम्पत्ति और सत्ता धारण करते थे।
- इनकी मुख्य धन का स्रोत भूमि और कृषि होता था, और वे किसानों और कामगारों के ऊपर नियंत्रण रखते थे।
राष्ट्रवाद के उदय के कारण
निरंकुश शासन व्यवस्था:
- राष्ट्रवाद का उदय निरंकुश शासन व्यवस्था के प्रति आपातकालीन प्रतिक्रिया के रूप में हुआ।
- अन्यायपूर्ण और अधिकारी सरकारों के खिलाफ लोगों का विरोध और आंदोलनों की शूरूआत राष्ट्रवाद के उदय का महत्वपूर्ण कारक रहा।
उदारवादी विचारों का प्रसार:
- उदारवादी विचारों का प्रसार और लोकतंत्र के आदान-प्रदान के संघर्ष में राष्ट्रवाद का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- विचारकों, लेखकों, और समाजसेवकों ने राष्ट्रवाद के आधार पर लोकतंत्र की महत्ता को उजागर किया।
स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुत्व का नारा:
- राष्ट्रवाद ने स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व के मूल्यों को प्रोत्साहित किया।
- लोगों की एकता, राष्ट्रीय आत्मविश्वास, और सामाजिक न्याय की मांग राष्ट्रवाद के महत्वपूर्ण घोषक हैं।
शिक्षित मध्य वर्ग की भूमिका:
- शिक्षित मध्य वर्ग ने राष्ट्रवाद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उनका समर्थन और संघर्ष ने राष्ट्रीय और सामाजिक परिवर्तनों को गति दी और राष्ट्रवाद को आधुनिक भारत के सामाजिक-राजनीतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बनाया।
यूरोप में राष्ट्रवाद का क्रमिक विकास
फ्रांसीसी क्रांति (1789):
- फ्रांसीसी क्रांति ने राष्ट्रवाद के बीज बोए।
- यह क्रांति व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समानता, और विचार की स्वतंत्रता को प्रोत्साहित की।
नागरिक संहिता (1804):
- नागरिक संहिता ने फ्रांस में सामाजिक और राजनीतिक समानता को स्थापित किया।
- यह संहिता राष्ट्रीय एकता और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा की भावना को मजबूत किया।
वियना की संधि (1815):
- वियना की संधि ने पुनः शासनवाद की व्यापकता को स्थायी बनाया।
- यह संधि राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता की भावना को बढ़ावा देने में विफल रही।
उदारवादियों की क्रांति (1848):
- उदारवादियों की क्रांति ने यूरोप में लोकतांत्रिक और सामाजिक परिवर्तनों की मांग की।
- यह क्रांति राष्ट्रवादी और उदारवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जर्मनी का एकीकरण (1866-1871):
- जर्मनी का एकीकरण यूरोप में राष्ट्रवाद के प्रसार का उदाहरण था।
- इसने राष्ट्रवाद के मूल्यों को स्थापित किया और उन्हें अद्वितीय राष्ट्र के रूप में व्यक्त किया।
इटली का एकीकरण (1859-1871):
- इटली का एकीकरण ने यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास को गति दी।
- यह एकीकरण राष्ट्रवादी आदर्शों को मजबूत करके एक संगठित राष्ट्र की स्थापना की।
यूरोप में राष्ट्रवाद का निर्माण
सामूहिक पहचान:
- राष्ट्रवाद के निर्माण के लिए समान सामाजिक पहचान, संस्कृति, और परंपरा का महत्वपूर्ण अंग है।
- यूरोप में अलग-अलग समाजों की अलग-अलग पहचान थी, लेकिन राष्ट्रवाद ने उन्हें एकत्रित किया।
भाषाई एकता:
- यूरोप में विभिन्न भाषाएं बोली जाती थी, जैसे जर्मन, अंग्रेजी, फ्रेंच, इटलियन आदि।
- राष्ट्रवादी आंदोलनों ने भाषाई एकता को प्रोत्साहित किया और राष्ट्र की एकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सांस्कृतिक परंपरा:
- राष्ट्रवाद ने सांस्कृतिक परंपरा को महत्वपूर्ण बनाया और उसे राष्ट्र की पहचान का एक अंग बनाया।
- विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलनों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा दिया और राष्ट्रवाद की संजीवनी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
एकीकरण की प्रक्रिया:
- यूरोप में एकीकरण की प्रक्रिया ने विभिन्न राष्ट्रों को एक साथ आने में मदद की।
- एकीकरण के द्वारा विभिन्न समाजों ने एक सामान्य राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान विकसित की।
राष्ट्रवादी आंदोलनों की भूमिका:
- राष्ट्रवादी आंदोलनें ने समाज को एक सामान्य उद्देश्य के लिए एकजुट किया और राष्ट्र की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इन आंदोलनों ने समृद्धि, समानता, और स्वतंत्रता के मूल्यों को प्रोत्साहित किया।
यूरोपीय समाज की संरचना (19 शताब्दी के पहले)
यूरोपियन समाज असमान रूप से दो भागों में विभाजित था।
- उच्च वर्ग (कुलीन वर्ग)
- निम्न वर्ग (कृषक वर्ग)
उच्च वर्ग कुलीन वर्ग :-
- कम जनसंख्या।
- उच्च वर्ग तथा वर्चस्व जमाने वाला।
- जमींदार यानी ढेर सारे खेतों के मालिक।
- सभी अधिकार दिए जाते थे।
निम्न वर्ग कृषक वर्ग :-
- अधिक जनसंख्या।
- निम्न वर्ग
- जमीन हीन यानी या तो जमीन न थी या तो किराए पर रहते थे।
- किसी भी प्रकार के अधिकार नहीं दिए जाते थे।
- यानी यूरोपियन समाज असमान रूप से विभाजित।
- उन्नीसवीं सदी के बाद एक नया वर्ग जुड़ गया वह था नया मध्यवर्ग।
नया मध्यवर्ग :-
इसमें सभी पढ़े – लिखे लोग थे जैसे :- शिक्षक, डॉ, उद्योगपति, व्यापारी आदि।
पढ़े – लिखे होने के नाते उन्होंने एक समान कानून की मांग की यानी उदारवादी राष्ट्रवाद।
उदारवादी राष्ट्रवाद
फ्रांसीसी क्रांति (1789):
- उदारवादी राष्ट्रवाद के चलते राष्ट्रवाद का विचार फैलने लगा, जिसका परिणामस्वरूप 1789 में फ्रांस की क्रांति हुई।
राष्ट्रीय एकता का संगठन (जॉलबेराइन):
- उदारवादी राष्ट्रवाद के प्रेरणात्मक सिद्धांतों के आधार पर एक संगठन बनाया गया, जिसका नाम था “जॉलबेराइन” (Zollverein)।
- इस संगठन ने अलग-अलग राज्यों के बीच के नियंत्रण, जैसे सीमा शुल्क, को खत्म किया।
अन्य महत्वपूर्ण पहल:
- इस संगठन ने शुल्कों को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या को दो कर दिया।
- पहले के विपरीत, नेपोलियन के समय में केवल धन रखने वाले पुरुष ही वोट दे सकते थे, लेकिन उदारवादी राष्ट्रवाद ने इस परिस्थिति को बदला।
जॉलवेराइन / Jollverein
परिचय:
- संघ का गठन: जॉलवेराइन एक जर्मन शुल्क संघ था, जिसमें अधिकांश जर्मन राज्य शामिल थे।
- स्थापना: यह संघ 1834 में प्रशा की पहल पर स्थापित हुआ था।
कार्यक्रम:
- शुल्कों का समाप्ति: जॉलवेराइन ने विभिन्न राज्यों के बीच शुल्क अवरोधों को समाप्त किया।
- मुद्राओं की संख्या का दोगुना करना: इस संघ ने मुद्राओं की संख्या को दोगुना कर दिया, जो पहले बीस से भी अधिक थीं।
उदारवादी राष्ट्रवाद का प्रतीक:
- आर्थिक एकीकरण का प्रतीक: जॉलवेराइन ने जर्मनी के आर्थिक एकीकरण का प्रतीक बनाया।
यूरोप में राष्ट्रवाद / Nationalism in Europe
परिचय:
- कारण: 19 वीं शताब्दी में यूरोप में राष्ट्रवाद की एक लहर चली, जो यूरोपीय देशों के कायाकल्प को परिवर्तित कर दिया।
प्रमुख उदाहरण:
- जर्मनी: जर्मनी में राष्ट्रवाद की प्रेरणा ने कई क्षेत्रीय राज्यों को मिलाकर एक एकीकृत राष्ट्र की स्थापना की।
- इटली: इटली भी कई राज्यों को मिलाकर एक संगठित राष्ट्र की अवधारणा को साकार किया।
- रोमानिया: रोमानिया भी संगठित राष्ट्र के रूप में विकसित हुई।
- अन्य देश: यूनान, पोलैण्ड, बल्गारिया आदि भी स्वतंत्रता प्राप्त करके राष्ट्रवाद के सिद्धांत का अनुसरण किया।
1789 की फ्रांसीसी क्रांति
परिचय:
- 1789 की फ्रांसीसी क्रांति राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति थी।
- इसने फ्रांस में राजतंत्र समाप्त कर प्रभुसत्ता फ्रांसीसी नागरिकों को सौंपी।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- राजतंत्र के अंत: क्रांति ने फ्रांस में राजतंत्र को अंत कर दिया और नागरिकों को प्रभुसत्ता प्राप्त कराया।
- राष्ट्रवाद की भावना: क्रांति के दौरान फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने राष्ट्रवाद की भावना को उजागर किया।
- नागरिक संहिता: नेपोलियन ने प्रशासनिक क्षेत्र में सुधार के लिए 1804 की नागरिक संहिता को प्रारंभ किया।
राष्ट्रीय एकता:
- 19वीं सदी के शुरूआती दशकों में यूरोप में राष्ट्रीय एकता के विचारों का विकास हुआ, जो उदारवाद से जुड़े थे।
सामूहिक पहचान बनाने के लिए उठाये गए कदम
नेशनल असेंबली का गठन:
- प्रत्येक राज्य से एक स्टेट जनरल का चयन कर नेशनल असेंबली का गठन किया गया।
- इससे राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक पहचान का आधार बनाया गया।
राष्ट्रभाषा का घोषणा:
- फ्रेंच भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में घोषित किया गया।
- यह सभी नागरिकों के बीच सामूहिक संबंधों को मजबूत करता है।
समान कानून का अनुपालन:
- एक प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिससे सभी को समान कानूनी अधिकार हों।
- यह सामूहिक पहचान और न्याय की भावना को बढ़ावा देता है।
आर्थिक एकीकरण:
- आंतरिक आयात-निर्यात, सीमा शुल्क को समाप्त किया गया और भार तथा माफ की एक समान व्यवस्था लागू की गई।
- यह सामूहिक आर्थिक सहयोग और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है।
जैकोबिन क्लब का गठन:
- स्कूल और कॉलेज की छात्राओं द्वारा समर्थन के रूप में जैकोबिन क्लब का गठन किया गया।
- इससे राष्ट्रीय एकता और जनसामूहिकता का संवेदन बढ़ा।
आर्मी के समर्थन में बढ़ोतरी:
- फ्रांस की आर्मी ने समर्थन के तौर पर विदेशी क्षेत्रों में भेजे गए।
- इससे राष्ट्रवादी भावना को और भी मजबूती मिली।
फ्रांसीसी क्रांति एवं राष्ट्रवाद की विशेषताए
संविधान आधारित शासन:
- फ्रांसीसी क्रांति ने संविधान आधारित शासन की शुरुआत की, जिसमें नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों को स्थापित किया गया।
समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व जैसे विचार:
- फ्रांसीसी क्रांति ने समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व जैसे महत्वपूर्ण विचारों को अपनाया।
नया फ्रांसीसी तिरंगा झंडा:
- फ्रांसीसी क्रांति ने नए फ्रांसीसी तिरंगे के झंडे का निर्माण किया, जो राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता का प्रतीक बना।
नेशनल असेंबली का गठन:
- नेशनल असेंबली का गठन किया गया, जो फ्रांसीसी राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेता था।
आंतरिक आयात – निर्यात शुल्क समाप्त:
- आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क को समाप्त कर दिया गया, जिससे आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूती मिली।
माप – तौल की एक समान व्यवस्था:
- एक समान माप-तौल की व्यवस्था को लागू किया गया, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में सामान्यत: न्याय और समानता सुनिश्चित हुई।
फ्रेंच को राष्ट्र की साझा भाषा बनाया गया:
- फ्रेंच भाषा को राष्ट्रीय भाषा घोषित किया गया, जो राष्ट्रीय एकता और सामूहिक पहचान को मजबूत करता है।
नेपोलियन का शासन काल
प्रजातंत्र से राजतंत्र:
- नेपोलियन ने अपने शासन की शुरुआत में फ्रांस में प्रजातंत्र को हटाकर राजतंत्र की स्थापना की।
व्यापार और संचार का विकास:
- नेपोलियन के समय में व्यापार आवागमन और संचार में विशेष रूप से विकास हुआ। यह उनके शासन के दौरान अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया।
क्षेत्रवादी नीतियाँ:
- नेपोलियन ने राष्ट्रीयवादी विचारों को बांटने के लिए कुछ क्षेत्रों में कब्जा किया और कर को बढ़ाने के लिए जबरन भर्ती जैसी नीतियाँ अपनाई।
कानूनी बदलाव:
- नेपोलियन ने अनेक कानूनी बदलाव किए और अपनी सत्ता को मजबूत किया, जिससे उनका शासन सुरक्षित रहा।
जनसमर्थन:
- उन्होंने अपने कार्यों से जनसमर्थन प्राप्त किया, लेकिन कुछ उसके नियमों और नीतियों को विरोध किया गया।
राष्ट्रीय समृद्धि:
- उनके प्रशासन में फ्रांस का आर्थिक और सामाजिक विकास हुआ और देश की स्थिति मजबूत हुई।
1804 की नेपोलियन संहिता (नागरिक संहिता)
लागू होना:
- नेपोलियन संहिता को 1804 में लागू किया गया।
जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों की समाप्ति:
- इस संहिता ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया, जिससे सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्त हुआ।
न्याय और समानता का स्थापना:
- नेपोलियन संहिता ने न्याय के समक्ष समानता को स्थापित किया और सम्पत्ति के अधिकार को भी सुरक्षित किया।
नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा:
- इस संहिता ने नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा की और उन्हें कानूनी सुरक्षा दी।
समृद्धि और समाज में समानता:
- नेपोलियन संहिता ने समृद्धि और समाज में समानता को बढ़ावा दिया और समाज के सभी वर्गों के बीच न्याय को सुनिश्चित किया।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव:
- इस संहिता ने किसानों के भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई और शहरी कारीगरों के संघों को प्रभावशाली बनाया।
1804 की नागरिक संहिता की विशेषताएं
जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों की समाप्ति:
- नागरिक संहिता ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया, जिससे सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्त हुआ।
समानता एवं संपत्ति के अधिकार की सुरक्षा:
- नागरिक संहिता ने कानून के सामने समानता और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित किया, जिससे न्याय और इंसाफ की प्रक्रिया में सुधार हुआ।
प्रशासनिक विभाजनों का सरलीकरण:
- नेपोलियन संहिता ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, जिससे सरकारी प्रणाली में अधिक दक्षता और सुविधा प्राप्त हुई।
सामंती व्यवस्था का समाप्ति:
- इस संहिता ने सामंती व्यवस्था को समाप्त किया, जिससे समाज में अधिक समानता और समृद्धि की स्थिति विकसित हुई।
किसानों और कारीगरों की सुधार:
- नागरिक संहिता ने किसानों के भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई और शहरों में कारीगरों के श्रेणी संघों के नियंत्रणों को हटा दिया।
जागीरदारी / Jagirdari
जागीरदारी एक प्राचीन भूमि संपत्ति प्रणाली थी जिसमें भूमि के मालिक को शासन करने के लिए उसे दिया जाता था। इस प्रणाली के अनुसार, किसानों को जमींदारों और उद्योगपतियों द्वारा तैयार समान का कुछ हिस्सा सरकार को देना पड़ता था।
महत्व:
- जागीरदारी प्रणाली में, जमींदार या ज़मींदार जमीन के मालिक बनते थे और उन्हें भूमि का प्रशासनिक और आर्थिक निर्वाह करने का अधिकार होता था।
- किसानों को उनके श्रम के बदले में जमींदारों को भूमि का आयात करना पड़ता था, जिससे वे अपनी भूमि पर काम कर सकते थे।
- यह प्रणाली आमतौर पर शासकीय संरचना का हिस्सा थी और सामाजिक व्यवस्था में विभाजन का कारण बनती थी।
रूढ़िवाद / Conservatism
व्याख्या:
रूढ़िवाद एक राजनीतिक दर्शन है जो परंपरा, स्थापित संस्थानों और रिवाजों पर जोर देता है और तेज बदलावों की बजाए क्रमिक और धीरे धीरे विकास को प्राथमिकता देता है।
1815 के उपरांत यूरोप में रूढ़िवाद:
- 1815 में नेपोलियन की हार के उपरांत यूरोप की सरकारों का झुकाव पुनः रूढ़िवाद की तरफ बढ़ गया।
- उस समय यूरोप में सरकारें पारंपरिक संस्थाओं को बनाए रखने की कोशिश कर रही थीं।
- नेपोलियन के समय में हुए बदलावों को समाप्त करने के लिए वियना समझौता (1815) का समझौता किया गया। इससे यूरोप में पुरानी राजनीतिक और सामाजिक प्रणालियों को फिर से स्थापित करने का प्रयास किया गया।
वियना कांग्रेस / Vienna Congress
1815 में, यूरोपीय शक्तियों ने नेपोलियन के पतन के बाद उसके बाद यूरोप के लिए स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए वियना में एक समझौता किया। इस कांग्रेस का अध्यक्षता आस्ट्रियन के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने की।
मुख्य निर्णय:
- सीमा की सुरक्षा: फ्रांस की सीमाओं पर कई राज्य कायम किए गए ताकि भविष्य में फ्रांस अपना विस्तार न कर सके।
- राजतंत्र का पुनर्स्थापना: फ्रांसीसी क्रांति के दौरान हटाए गए बूर्वो वंश को सत्ता में बहाल किया गया।
- राजतंत्र की स्थिरता: राजतंत्र को जारी रखा गया और संबंधित राजशाहियों को पुनः सत्ता में स्थापित किया गया।
वियना संधि (1815) की विशेषताएं:
- राजवंश की पुर्नस्थापना: फ्रांस में बूर्वो राजवंश की पुनर्स्थापना की गई।
- नई रूढ़िवादी व्यवस्था: यूरोप में नई रूढ़िवादी व्यवस्था को कायम करने का प्रयास किया गया।
- सीमाओं की सुरक्षा: फ्रांस ने अपने सीमा विस्तार पर रोक लगा कर नए राज्यों की स्थापना को समर्थन दिया।
यूरोप में क्रांतिकारी
क्रांतिकारी गतिविधियों ने यूरोप में राष्ट्रवाद के प्रमुख सिद्धांतों को बढ़ावा दिया और वियना संधि के खिलाफ विरोध किया। ये क्रांतिकारी अपने मुख्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
क्रांतिकारियों के मुख्य मकसद:
- राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना: क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के प्रमुख प्रेरणा स्रोत बने, जो यूरोप में नवीनीकरण की प्रेरणा बना।
- वियना संधि की विरोध करना: वियना संधि को क्रांतिकारी नहीं स्वीकार किया और इसके विरोध में विभिन्न आंदोलनों को आयोजित किया।
- स्वतंत्रता के लिए लड़ना: क्रांतिकारी संगठनों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और अपने राष्ट्रीय आदिवासियों की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी।
भूख कठिनाई और जन विद्रोह
1830 को कठिनाइयों का महान साल भी कहा जाता है।
कारण:
- जनसंख्या वृद्धि: जबरदस्त जनसंख्या वृद्धि ने खाद्य संसाधनों की मांग को बढ़ा दिया।
- शहरीकरण: गांव से शहरों में लोगों की ओर रुख करने से शहरों में जनसंख्या में वृद्धि हुई।
- बेरोजगारी: बेरोजगारी में वृद्धि ने आर्थिक कठिनाइयों को और भी बढ़ा दिया।
- गरीबी: गरीबी में वृद्धि ने लोगों की आर्थिक स्थिति को और भी कमजोर किया।
परिणाम:
- फसलों की बर्बादी और खाद्य सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि ने लोगों को भूखमरी की सामना करना पड़ा।
- यह स्थिति विद्रोह की ओर ले गई और लोगों ने सरकार के खिलाफ उत्तेजना जताई।
कृषक विद्रोह:
- लोगों ने सरकार के खिलाफ कृषक विद्रोह की शुरुआत की, जिसे भूखमरी के नाम से भी जाना गया।
- इस विद्रोह ने यूरोपीय सरकारों को गणराज्य बनाने के लिए विवश किया।
गणतंत्र के बाद कानून में आये बदलाव
वोटिंग अधिकार का विस्तार: गणतंत्र के बाद, 21 साल से अधिक उम्र के लोगों को वोट डालने का अधिकार प्राप्त हुआ। यह नागरिकों को सार्वजनिक निर्णय में भाग लेने का अधिकार दिया।
काम के अधिकार की गारंटी: सभी नागरिकों को काम करने का अधिकार और सुरक्षित काम की गारंटी दी गई। यह उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक सुरक्षा की भरपूर सुरक्षा प्रदान करता है।
कारखानों के उपलब्धकरण: रोजगार की उपलब्धता के लिए कारखाने उपलब्ध कराए गए, जिससे अधिक लोगों को रोजगार का मौका मिला। यह भूखमरी और बेरोजगारी को कम करने में मदद करता है।
गरीबी और बेरोजगारी की कमी: ये सभी कदम धीरे-धीरे गरीबी और बेरोजगारी को कम करने में मदद करते हैं, जिससे समाज के अधिकांश लोगों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है।
नारीवाद स्त्री / Feminism woman
नारीवाद एक विचारधारा है जो महिलाओं के समाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक अधिकारों की समानता को प्रोत्साहित करती है। इसे पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता के संघर्ष के रूप में भी विशेषज्ञता कहा जाता है।
महत्वपूर्ण विचार:
- समानता की मांग: नारीवाद महिलाओं को पुरुषों के साथ समान अधिकार, अवसर, और वित्तीय स्वतंत्रता की मांग करता है।
- स्त्री सशक्तिकरण: यह महिलाओं के शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, और सामाजिक उत्थान के प्रति उनकी पहचान और स्वायत्तता को बढ़ाने का उद्देश्य रखता है।
- सामाजिक परिवर्तन: नारीवाद सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों की आवश्यकता को समझता है ताकि महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में अपनी स्थिति में सुधार कर सकें।
विचारधारा / Thinking
विचारधारा एक सोचने का तरीका है जो सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक मुद्दों पर निर्धारित दृष्टिकोण और मूल्यों का संग्रह होता है। यह विशिष्ट समस्याओं और उनके समाधान के लिए एक दिशा प्रदान करता है।
जर्मनी और इटली का निर्माण / Germany and Italy creation
जर्मनी का एकीकरण :-
- 1848 में यूरोपियन सरकार ने बहुत कोशिश की कि वे जर्मनी का एकीकरण कर दे परंतु वह ऐसा नहीं कर पाए।
- क्योंकि, राष्ट्र निर्माण की यह उदारवादी पहल राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दी।
- उसके बाद प्रशा ने यह भार अपने ऊपर लेते हुए कहा कि वे जर्मनी का एकीकरण करके ही रहेंगे।
- उस समय प्रशा का मुख्यमंत्री ऑटोमन बिस्मार्क था (जनक)
- प्रशा ने एक राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व किया।
- 7 वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्ध में प्रशा की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।
- 1871 में केसर विलियम प्रथम को नए साम्राज्य का राजा घोषित किया गया। जर्मनी के एकीकरण ने यूरोप में प्रशा को महाशक्ति के रूप में स्थापित किया।
- नए जर्मन राज्य में, मुद्रा, बैकिंग एवं न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर जोर दिया गया।
इटली का एकीकरण :-
- इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था।
- 1830 के दशक में ज्यूसेपे मेत्सिनी ने इटली के एकीकरण के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
- 1830 एवं 1848 के क्रांतिकारी विद्रोह असफल हुए।
- 1859 में फ्रांस से सार्डिनिया पीडमॉण्ट ने एक चतुर कूटनीतिक संधि की जिसके माध्यम से उसने आस्ट्रियाई बलों को हरा दिया।
- 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया।
ज्यूसेपे मेत्सिनी / Giuseppe metsini
जन्म और प्रारंभिक जीवन:
- जन्म: 1807 में जेनोआ में हुआ।
- गुप्त संगठन के सदस्य: कुछ समय पश्चात्, वह कार्बोनारी में गुप्त संगठन के सदस्य बन गए।
क्रांति के प्रयास:
- युवावस्था में क्रांति: चौबीस साल की युवावस्था में लिगुरिया में क्रांति करने के लिए उन्हें 1831 में देश निकाला दे दिया गया।
- भूमिगत संगठन: उन्होंने दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की। पहला था मार्सेई मैं यंग इटली और दूसरा बर्न में यंग यूरोप।
राजतंत्र के विरोध:
- विरोध: मेत्सिनी द्वारा राजतंत्र का जोरदार विरोध एवं उसके प्रजातांत्रिक सपनों ने रूढ़िवादियों के मन में भय भर दिया।
- मैटरनिख के विरुद्ध: “मैटरनिख ने उसे हमारी सामाजिक व्यवस्थाओं का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया।
काउंट कैमिलो दे कावूर
प्रमुखता:
- सार्डिनीया – पीडमॉण्ट का प्रमुख मंत्री: कावूर सार्डिनीया – पीडमॉण्ट का प्रमुख मंत्री था।
- एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व: उन्होंने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया।
राजनीतिक समर्थन:
- विश्वासघाती नहीं: कावूर न तो एक क्रांतिकारी थे और न ही जनतंत्र में विश्वास रखने वाले।
- चतुर संधि: उनका हाथ फ्रांस के साथ की गई चतुर संधि में था, जिसके कारण आस्ट्रिया को हराया जा सका और इटली का एकीकरण संभव हुआ।
ज्यूसेपे गैरीबॉल्डी
प्रमुखता:
- सेना का नहीं था हिस्सा: गैरीबॉल्डी नियमित सेना का हिस्सा नहीं था।
- सशस्त्र स्वयंसेवकों का नेतृत्व: उन्होंने इटली के एकीकरण के लिए सशस्त्र स्वयंसेवकों का नेतृत्व किया।
क्रियाकलाप:
- 1860 में प्रवेश: वे 1860 में दक्षिण इटली और दो सिसिलियों के राज्य में प्रवेश कर गए।
- स्थानीय किसानों का समर्थन: गैरीबॉल्डी स्थानीय किसानों का समर्थन पाने में सफल रहे और स्पेनी शासकों को हटाने में मदद की।
- राजा इमैनुएल द्वितीय को सौंपना: उन्होंने दक्षिणी इटली और सिसिलिय को राजा इमैनुएल द्वितीय को सौंप दिया, जिससे इटली का एकीकरण संभव हुआ।
ब्रिटेन में राष्ट्रवाद
1. आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन:
- औद्योगिक क्रांति के बाद, ब्रिटेन की आर्थिक शक्ति में वृद्धि हुई।
- यह एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया थी, जो नृजातीय समाज के बुनियादी रूप से परिवर्तन को प्रेरित करती थी।
2. राष्ट्रवाद का उत्थान:
- 18वीं शताब्दी से पूर्व, ब्रिटेन एक राष्ट्र राज्य नहीं था, बल्कि अलग-अलग नृजातीय समुदायों का समूह था।
- राष्ट्रवाद ने इसे एक समृद्ध और एकीकृत राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ाया।
3. इतिहासी घटनाएं:
- 1688: संसद ने राजतंत्र की शक्तियों को ले लिया।
- 1707: इंग्लैंड और स्कॉटलैंड को मिलाकर यूनाइटेड किंगडम ऑफ ब्रिटेन का गठन किया गया।
- 1798: आयरलैंड को यूनाइटेड किंगडम में शामिल किया गया।
4. संकेतिक बदलाव:
- नए ब्रिटेन के प्रतीक चिह्नों को बढ़ावा दिया गया, जो राष्ट्रीय एकता को प्रकट करते थे।
बाल्कन समस्या / Balkan problem
1. परिचय:
- बाल्कन एक भौगोलिक और नृजातीय रूप से विविधताओं का क्षेत्र है, जो आधुनिक रूमानिया, बल्गारिया, अल्बेनिया, ग्रीस, मकदूनिया, क्रोएशिया, स्लोवानिया, सर्बिया आदि को शामिल करता है।
2. इतिहास:
- बाल्कन क्षेत्र में रहने वाले स्लाव निवासियों को “स्लाव” कहा जाता था।
- ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में रहकर, बाल्कन राष्ट्रों में रूमानिया का राष्ट्रवाद फैलने और स्वतंत्रता की घोषणा हुई।
3. समस्याएँ:
- अलग-अलग स्लाव राष्ट्रीय समूहों के स्वतंत्रता की प्रेरणा ने बाल्कन क्षेत्र को गहरे टकराव का केंद्र बनाया।
- बाल्कन प्रदेशों ने अपने लिए ज्यादा इलाके की चाह जताई, जिससे आपसी टकराव बढ़ा।
4. यूरोपीय प्रतिस्पर्धा:
- यूरोपीय शक्तियों के बीच बाल्कन क्षेत्र पर कब्जा जमाने की प्रतिस्पर्धा थी, जिससे यहाँ विभिन्न युद्ध हुए।
- इस प्रतिस्पर्धा ने पहले विश्व युद्ध को अंजाम दिया।
साम्राज्यवाद / Imperialism
साम्राज्यवाद (Imperialism) वह दृष्टिकोण है जिसके अनुसार कोई महत्त्वाकांक्षी राष्ट्र अपनी शक्ति और गौरव को बढ़ाने के लिए अन्य देशों के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है। यह हस्तक्षेप राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है।
प्रोफेसर शर्मा के अनुसार,” साम्राज्यवाद शक्ति तथा हिंसा का प्रयोग करके विदेशी शासन को किसी भी देश पर लागू करना हैं।”
सी. डी. बर्नस के अनुसार,” विभिन्न देश और जातियों पर एक समान कानून व शासन व्यवस्था लागू करना ही साम्राज्यवाद हैं।”
रिचर्ड सट्टन के शब्दों में,” साम्राज्यवाद ऐसी राष्ट्रीय नीति हैं जो दूसरे देश अथवा उसकी सम्पत्ति पर अपनी शक्ति अथवा नियंत्रण का विस्तार करना चाहती हैं।”
साम्राज्यवाद की विशेषताएं:
- साम्राज्यवाद अपने राज्य की सीमाओं में वृद्धि करने में विश्वास करता हैं।
- साम्राज्यवाद किसी राज्य द्वारा दूसरे राज्यों पर अपने राजनीतिक और आर्थिक प्रभुत्व का विस्तार हैं।
- साम्राज्यवाद के अंतर्गत विविध राष्ट्रीय इकाइयों पर एक ही राष्ट्र का आधिपत्य होता हैं।
- साम्राज्यवाद का मूल उद्देश्य तो आर्थिक होता हैं, परन्तु कभी-कभी सैनिक व राजनीतिक शोषण भी हो सकता हैं।
- साम्राज्य के सारे अंग एक केन्द्रीय सत्ता के अधीन होते हैं।
- साम्राज्यवाद स्थापित करने वाले देश के पास अधीनस्थ राज्यों की उपेक्षा तकनीकी दृष्टि से उत्कृष्ट कोटि के अस्त्र-शस्त्र, रणनीति कौशल, अधिक पूँजी और उत्पादन के उन्नत साधन होते हैं।
- साम्राज्यवादी देश केवल अपने हितों का ही ध्यान रखता है और अपने अधीन देशों का शोषण करता हैं।
- साम्राज्यवादी देश अपने हितों की रक्षा और बढ़ोत्तरी के लिए सब प्रकार के अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं।
- साम्राज्यवाद का संबंध राष्ट्र की विदेश नीति से हैं।
- साम्राज्यवाद का उद्देश्य अन्य देशों को अपने अधीन करके उनका शोषण करना हैं।
- साम्राज्यवाद का प्रधान आधार सैनिक शक्ति होता हैं।
रूपक / Metaphor
1. परिभाषा:
- रूपक वह व्यक्ति, वस्तु, या घटना है जो किसी अमूर्त विचार को स्पष्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- यह विचार अलंकरण के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।
2. उदाहरण:
- लालच को साँप की दोनों आँखों में आग लगने के समान दिखाया जा सकता है।
- स्वतंत्रता को एक पंछी के पंखों के समान उड़ान भरते हुए दिखाया जा सकता है।
3. रूपक का प्रयोग:
- 18 वीं और 19 वीं शताब्दी में रूपक का प्रयोग राष्ट्रवादी भावना के विकास और मजबूत बनाने में किया गया।
- इसका प्रयोग लोकसाहित्य, कविता, नाटक, और अन्य कथा साहित्य में किया जाता है।
राज्य की दृश्य कल्पना / Visual imagination of the state
1. परिभाषा:
- राज्य की दृश्य कल्पना एक कला और साहित्यिक शैली है जिसमें राष्ट्र की भावना, सांस्कृतिक विरासत, और राष्ट्रीय विकास को व्यक्त किया जाता है।
- यह रूपांतरणात्मक कला का एक प्रकार है जिसमें राष्ट्र के महत्वपूर्ण घटनाक्रम, प्रमुख व्यक्तित्व, और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाया जाता है।
2. इतिहास:
- 18 वीं और 19 वीं शताब्दी में, कलाकारों ने राष्ट्र की दृश्य कल्पना को महत्वपूर्ण भूमिका दी।
- इस समय कलाकारों ने राष्ट्र को एक महिला के रूप में प्रस्तुत किया, जो अक्सर राष्ट्र के अमूर्त विचारों को प्रतिनिधित्ता करती थी।
- इस तरह की कल्पना राष्ट्र की भावनाओं को ठोस और द्रुत प्रकार में प्रकट करने का प्रयास था।
3. उदाहरण:
- फ्रांस में, राष्ट्र को लोकप्रिय ईसाई नाम मारिआना दिया गया, जो जन-राष्ट्र के विचारों को रेखांकित किया।
- जर्मेनिया में, राष्ट्र का रूपक बनी, जिसने जर्मन राष्ट्र की विशेषताओं को दिखाया।
राष्ट्रवाद के उदय में महिलाओं का योगदान
1. राजनैतिक संगठन का निर्माण:
- महिलाएं ने राष्ट्रवादी संगठनों में अपनी भागीदारी के माध्यम से सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तन को बढ़ावा दिया।
2. समाचार पत्रों का प्रकाशन:
- महिलाओं ने समाचार पत्रों का संपादन करके राष्ट्रवादी विचारधारा को फैलाने और समाज को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
3. मताधिकार प्राप्ति हेतु संघर्ष:
- महिलाएं ने मताधिकार प्राप्ति के लिए संघर्ष किया और राष्ट्रवादी आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाई।
4. राजनैतिक बैठकों तथा प्रदर्शनों में हिस्सा लेना:
- महिलाएं ने राजनैतिक बैठकों और प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे राष्ट्रीय नीतियों में महिलाओं के हितों को ध्यान मिला।
विभिन्न प्रतीक चिन्ह और उनका अर्थ
प्रतीक | महत्त्व |
टूटी हुई बेड़िया | आजादी मिलना |
बाज छाप वाला कवच | जर्मन समुदाय की प्रतीक शक्ति |
बलूत पत्तियों का मुकुट | वीरता |
तलवार | मुकाबले की तैयारी |
तलवार पर लिपटी जैतून की डाली | शांति की चाह |
काला, लाल और सुनहरा तिरंगा | उदारवादी राष्ट्रवादियों का झण्डा |
उगते सूर्य की किरणें | एक नए युग की शुरूआत |
NCERT Notes
स्वतंत्र भारत में, कांग्रेस पार्टी ने 1952 से 1967 तक लगातार तीन आम चुनावों में जीत हासिल करके एक प्रभुत्व स्थापित किया था। इस अवधि को 'कांग्रेस प्रणाली' के रूप में जाना जाता है। 1967 के चुनावों में, कांग्रेस को कुछ राज्यों में हार का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 'कांग्रेस प्रणाली' को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
URL: https://my-notes.in
Author: NCERT
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Pros
- Best NCERT Notes Class 6 to 12
NCERT Notes
स्वतंत्र भारत में, कांग्रेस पार्टी ने 1952 से 1967 तक लगातार तीन आम चुनावों में जीत हासिल करके एक प्रभुत्व स्थापित किया था। इस अवधि को 'कांग्रेस प्रणाली' के रूप में जाना जाता है। 1967 के चुनावों में, कांग्रेस को कुछ राज्यों में हार का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 'कांग्रेस प्रणाली' को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
URL: https://my-notes.in
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