Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 1 विकास Notes in Hindi
प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको सत्र 2023-24 के लिए Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 1 विकास Notes PDF in Hindi कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |
Class 10 Samajik Vigyan ( Arthashaastr ) Aarthik vikaas kii samajha सामाजिक विज्ञान नोट्स अर्थशास्त्र (आर्थिक विकास की समझ) Economics Ke Notes PDF Hindi me Chapter 1 Vikaas Notes PDF
10 Class अर्थशास्त्र Chapter 1 विकास Notes in Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | आर्थिक विकास की समझ Economics |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | विकास Development |
Category | Class 10 अर्थशास्त्र Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
NCERT Class 10 Economics Notes In Hindi – PDF Notes
अध्याय = 1
विकास
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
विकास
आर्थिक विकास
अर्थव्यवस्था:- एक ढाँचा जिसके अन्तर्गत लोगों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। अर्थव्यवस्था उत्पादन, वितरण, और खपत की सामाजिक व्यवस्था है। अर्थव्यवस्था का वर्गीकरण तीन आधारों पर किया जाता है- विकसित अर्थव्यवस्था, विकासशील अर्थव्यवस्था, एवं अल्पविकसित अर्थव्यवस्था।
आर्थिक विकास:- किसी देशों, क्षेत्रों, एवं व्यक्तियों की आर्थिक समृद्धि की वृद्धि को आर्थिक विकास कहते हैं। नीति-निर्माण की दृष्टि से आर्थिक विकास उन सभी प्रयासों को कहते हैं जिनका उद्देश्य किसी जन-समुदाय की आर्थिक स्थिति व जीवन स्तर में सुधार के लिए अपनाएँ जाते हैं।
विकास:- विकास एक तरह से ऐसी आंतरिक शक्ति है जो किसी समाज को उन्नति की ओर ले जाता है। विकास को अभिवृद्धि भी कहा जाता है। सामाजिक दृष्टि से विकास का अर्थ है- सामाजिक संस्थाओ में वृद्धि।
- विकास के लक्ष्य विभिन्न लोगों के लिए विभिन्न हो सकते हैं, हो सकता है कि कोई बात किसी एक व्यक्ति के लिए विकास हो लेकिन दूसरे के लिए नहीं। उदाहरण के लिए किसी नए हाइवे का निर्माण कई लोगों के लिए विकास हो सकता है। लेकिन जिस किसान की जमीन उस हाइवे निर्माण के लिए छिन गई हो उसके लिए तो वह विकास कतई नहीं हो सकता।
- विभिन्न लोगों के लिए विकास की विभिन्न आवश्यकताएँ हो सकती हैं। किसी भी व्यक्ति की जिंदगी की परिस्थिति इस बात को तय करती है उसके लिए किस प्रकार के विकास की आवश्यकता है। इसे समझने के लिए दो लोगों का उदाहरण लेते हैं-
- एक व्यक्ति ऐसे गाँव में रहता है जहाँ से किसी भी जगह के लिए बस पकड़ने के लिए पाँच किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। यदि उसके गाँव तक पक्की सड़क बन जाए और उसके गाँव तक छोटी गाड़ियाँ भी चलने लगें तो यह उसके लिए विकास होगा।
- एक अन्य व्यक्ति दिल्ली राजधानी क्षेत्र की बाहरी सीमा पर रहता है। उसे अपने दफ्तर जाने के लिए पहले तो पैदल एक किलोमीटर चलकर ऑटोरिक्शा स्टैंड तक जाना होता है। उसके बाद ऑटोरिक्शा पर कम से कम एक घंटे की सवारी के बाद वह मेट्रो स्टेशन पहुँचता है। उसके बाद मेट्रो में एक घंटा सफर करने के बाद वह अपने ऑफिस पहुँच पाता है। यदि मेट्रो रेल की लाइन उसके घर के आस-पास पहुँच जाए तो यह उस व्यक्ति के लिए विकास होगा।
ऊपर दिये गये उदाहरण ये बताते हैं कि विकास के अनेक लक्ष्य हो सकते हैं। लेकिन नीति निर्धारकों और सरकार को विकास के ऐसे लक्ष्य बनाने होते हैं जिससे अधिक से अधिक लोगों को फायदा पहुँच सके।
NCERT Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 1 विकास Notes in Hindi
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
विकास
आय और विकास के लक्ष्य
आय एक प्रकार का खपत और बचत है जिसको समय सीमा के अंतर्गत प्राप्त किया जाता है और जो मौद्रिक संदर्भ में व्यक्त किया जाता है। प्रतिव्यक्ति आय का प्रयोग किसी एक देश के व्यक्तियों की संपत्ति का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है, किसी अन्य देश की तुलना में।
आय और अन्य लक्ष्य:- ज्यादा आय, बराबरी का व्यवहार, स्वतंत्रता, काम की सुरक्षा, सम्मान व आदर, परिवार के लिए सुविधाएँ, वातावरण आदि राष्ट्रीय विकास की धारणाएँ निम्नलिखित हैं:-
- विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2006 के अनुसार, “2004 में प्रतिव्यक्ति आय जिन देशों में 4,53,000 रूपये प्रति वर्ष या उससे अधिक है वह समृद्ध या विकसित राष्ट्र कहलाते हैं। जिनकी आय 37,000 रूपये प्रति वर्ष या उससे कम है वह विकासशील/निम्न आय वाले देश कहलाते हैं।
- यू.एन.डी.पी. द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, “राष्ट्रीय विकास का अनुमान लोगों के शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थ्य स्थिति तथा प्रति व्यक्ति आय के आधार पर होता है।
विकास के लक्ष्य:-
- प्रति व्यक्ति आय:– प्रतिव्यक्ति आय उस आय को कहते हैं, जो किसी देश, राज्य, नगर या अन्य क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों की औसत आय होती है। इसका पता क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों की आय के जोड़ को क्षेत्र की कुल जनसँख्या से विभाजित करके लगाया जाता है। प्रति व्यक्ति आय को औसत आय भी कहा जाता है। वर्ष 2006 की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति सालाना आय 28,000 रुपये है।
- सकल राष्ट्रीय उत्पाद:- किसी देश में उत्पादित कुल आय को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं। सकल राष्ट्रीय उत्पाद में हर प्रकार की आर्थिक क्रिया से होने वाली आय की गणना की जाती है।
- सकल घरेलू उत्पाद:– किसी देश में उत्पादित कुल आय में से निर्यात से होने वाली आय को घटाने के बाद जो बचता है उसे सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।
विकास Notes || Class 10 Social Science (Economics) Chapter 1
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
विकास
अनुपात और दर
शिशु मृत्यु दर:– हर 1000 जन्म में एक साल की उम्र से पहले मरने वाले बच्चों की संख्या को शिशु मृत्यु दर कहते हैंं। यह आँकड़ा जितना कम होगा वह विकास के दृष्टिकोण से उतना ही बेहतर माना जाएगा। शिशु मृत्यु दर एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इससे किसी भी क्षेत्र में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता का पता चलता है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में शिशु मृत्यु दर 30.15 है। इससे यह पता चलता है कि भारत में आज भी स्वास्थ्य सेवाएँ अच्छी नहीं हैं।
शिशु मृत्यु दर कारण:– निमोनिया, जन्मजात विकृतिया, लम्बे समय तक श्रम, दस्त, मलेरिया, खसरा और कुपोषण, प्रसव पूर्व देखभाल की कमी, गर्भावस्था के दौरान शराब और नशीली दवाओं का सेवन इत्यादि।
पुरुष और महिला का अनुपात:- प्रति हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैंं। यदि यह आँकड़ा कम होता है तो इससे यह पता चलता है कि उस देश या राज्य में महिलाओं के खिलाफ कितना खराब माहौल है। लेकिन हाल ही में जारी नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 1000 पुरुषों पर 978 महिलाओं का अनुपात है। जो 2011 की जनगणना रिपोर्ट के मुकाबले प्रति हजार पुरुष पर 24 महिला अधिक है। जागरूकता अभियान और स्वास्थ्य विभाग के कारण लिंगानुपात में सुधार देखने को मिल रहा है।
जन्म के समय संभावित आयु:- एक औसत वयस्क अधिकतम जितनी उम्र तक जीता है उसे संभावित आयु कहते हैंं। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पुरुषों की संभावित आयु 67 साल है और महिलाओं की संभावित आयु 72 साल है। इससे देश में व्याप्त जीवन स्तर का पता चलता है। यदि किसी देश में मूलभूत सुविधाएँ बेहतर होंगी, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ होंगी और लोगों की आय अच्छी होती तो वहाँ संभावित आयु भी अधिक होगी। दूसरे शब्दों में वहाँ एक औसत वयस्क लंबी जिंदगी जिएगा। आधुनिक चिकित्सा साधनों के विकास के कारण लोगों की संभावित आयु बढ़ी है।
साक्षरता दर:- साक्षरता का अर्थ है साक्षर होना पढ़ने, लिखने की क्षमता से संपन्न होना। 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात को साक्षरता दर कहते हैंं। निवल उपस्थिति [अनुपात: 6 – 10 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुछ बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत उपस्थिति अनुपात कहलाता है।
राष्ट्रीय आय:– देश के अंदर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तथा विदेशों से प्राप्त आय के जोड़ को राष्ट्रीय आय कहते हैं। किसी देश के नागरिकों का सकल घरेलू और विदेशी आउटपुट सकल राष्ट्रीय आय कहलाता है।
बी. एम. आई.:- शरीर का द्रव्यमान सूचकांक पोषण वैज्ञानिक, किसी व्यस्क के अल्पपोषित होने की जाँच कर सकते हैंं। यदि यह 18.5 से कम है तो व्यक्ति कुपोषित है अगर 25 से ऊपर है तो वह मोटापे से ग्रस्त हैं।
सीबीएसई नोट्स कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 1 – विकास – Byju’s
Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
विकास
आधारभूत संरचना
आधारभूत संरचना:– आधारभूत संरचना वह संरचना होती है जो किसी समाज तथा उसमें स्थापित उद्योगों को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक और मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करती है। इन्हीं सेवा क्षेत्रों के लिए मूलभूत सुविधाओं की संरचना को अधोसंरचना या आधारभूत संरचना कहते हैं। किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी का काम करती है। सड़कें, रेल, विमान पत्तन, पत्तन और विद्युत उत्पादन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की जान होते हैं। अच्छी आधारभूत संरचना से आर्थिक गतिविधियाँ बेहतर हो जाती हैं जिससे हर तरफ समृद्धि आती है।
मानव विकास सूचकांक:– मानव विकास सूचकांक वह सूचकांक है, जिसका प्रयोग देशों को मानव विकास के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है। इससे हमें यह पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है या फिर अविकसित है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा का स्तर और जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती है। इसमें देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर, स्वास्थ्य स्थिति और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर होती है। मानव विकास सूचकांक 1990 में पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक के द्वारा तैयार किया गया था। इनका उद्देश्य विकास अर्थशास्त्र का केंद्र बिंदु, राष्ट्रीय आय लेखा से मानव-केंद्रित नीतियों पर स्थानांतरित करना था।
आधार | विकसित देश | विकासशील देश |
परिभाषा | वह देश जिसकी औद्योगिकीकरण की गति व प्रति व्यक्ति आय अधिक हो। | वह देश जिसकी औद्योगिकीकरण की गति व प्रति व्यक्ति आय अधिक न हो। |
स्थिति | आत्मनिर्भर व समृद्ध | गरीब व अन्य पर निर्भर |
संसाधनों का उपयोग | पूर्व प्रयोग | अल्प उपयोग |
साक्षरता दर | उच्च | निम्न |
विकास एवं संवृद्धि | उच्च प्रौद्योगिक विकास | प्रौद्योगिकी के लिए दूसरों पर निर्भर |
गरीबी व बेरोजगारी | निम्न | उच्च |
अर्थव्यवस्था में मुख्य योगदान | तृतीयक क्षेत्र | प्राथमिक क्षेत्र |
आय का वितरण | समान | असमान |
मानव विकास सूचकांक | उच्च | निम्न |
सकल घरेलू उत्पाद | उच्च | निम्न |
Chapter 1. विकास : Economics class 10th:Hindi Medium cbse
class 10 economics chapter 1 development questions and answers
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न 1 सामान्यत: किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है?
- प्रतिव्यक्ति आय
- औसत साक्षरता दर
- लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
- उपरोक्त सभी
उत्तर – d) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?
- बांग्लादेश
- श्रीलंका
- नेपाल
- पाकिस्तान
उत्तर –b) श्रीलंका
प्रश्न 3 मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5,000 रुपये है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमश: 4,000, 7,000 और 3,000 रुपये है, तो चौथे परिवार की आय क्या है?
- 7,500 रुपये
- 3,000 रुपये
- 2,000 रुपये
- 60,000 रुपये
उत्तर – d) 60,000 रुपये
प्रश्न 4 विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदंड का प्रयोग करता है? इस मापदंड की, अगर कोई है, तो सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर – विभिन्न देशों के वर्गीकरण में विश्व बैंक द्वारा उपयोग किए जाने वाले मुख्य मापदंड-
प्रति व्यक्ति आय वाले देश जिनके प्रति वर्ष 12616 डॉलर प्रति वर्ष और उससे अधिक की राशि है, उन्हें अमीर देश कहा जाता है और जिनकी प्रति व्यक्ति आय 1035 अमेरिकी डॉलर या उससे कम है उन्हें कम आय वाले देश कहते हैं। भारत कम मध्यम आय वाले देशों की श्रेणी में आता है क्योंकि 2012 में प्रति व्यक्ति आय केवल 1530 डॉलर प्रति वर्ष थी। मध्य पूर्व और कुछ अन्य छोटे देशों को छोड़कर अमीर देशों को सामान्यतः विकसित देश कहा जाता है।
सीमाएँ-
इस मापदंड की सीमाएं यह है कि जबकि औसत आय प्रतिस्पर्धा के लिए उपयोगी है, यह हमें यह नहीं बताती है कि लोगों के बीच यह आय कितनी है, एक देश में अधिक न्यायसंगत वितरण हो सकता है। लोग न तो बहुत अमीर हो सकते हैं और न ही बहुत गरीब हैं लेकिन एक ही देश में एक ही औसत आय के साथ, एक व्यक्ति अत्यंत समृद्ध हो सकता है, जबकि अन्य बहुत खराब हो सकते हैं इसलिए, औसत आय की विधि किसी देश की सही तस्वीर नहीं देती है। यह मापदंड लोगों के बीच असमानताओं को छुपाता है।
प्रश्न 5 विकास मापने का यू.एन.डी.पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर – विकास मापने के विश्व बैंक के मापदण्ड का आधार बिंदु औसत अथवा प्रतिव्यक्ति आय हैं। परंतु यू. एन.डी. पी. अर्थात संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के विकास मापदण्ड में विभिन्न देशों के विकास की तुलना वहाँ के लोगों के शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थ्य स्थिति और प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर की जाती हैं।
प्रश्न 6 हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – औसत का प्रयोग किसी भी विषय या क्षेत्र का अनुमान विभिन्न स्तरों पर लगाने के लिए किया जाता है। जैसे-किसी देश में सभी लोग अलग-अलग आय प्राप्त करते हैं किंतु देश के विकास स्तर को जानने के लिए प्रतिव्यक्ति आय निकाली जाती है जो औसत के माध्यम से ही निकाली जाती है। इससे हमें एक देश के विकास के स्तर का पता चलता है। किंतु औसत का प्रयोग करने में कई समस्याएँ आती हैं। औसत से किसी भी चीज़ का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इसमें असमानताएँ छिप जाती हैं। उदाहरणतः किसी देश में रहनेवाले चार परिवारों में से तीन परिवार 500-500 रुपये कमाते हैं तथा एक परिवार 48,000 रुपये कमा रहा है जबकि दूसरे देश में सभी परिवार 9,000 और 10,000 के बीच में कमाते हैं। दोनों देशों की औसत आय समान है किंतु एक देश में आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा है, जबकि दूसरे देश में सभी नागरिक आर्थिक रूप से समान स्तर के हैं। इस प्रकार ‘औसत’ तुलना के लिए तो उपयोगी है किंतु इससे असमानताएँ छिप जाती हैं। इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित है।
प्रश्न 7 प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक पंजाब से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिलकुल नहीं है। राज्यों की तुलना के लिये इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर – सबसे धनी राज्य होने के बावजूद पंजाब में केरल की तुलना में शिशु मृत्यु दर अधिक है। पंजाब की तुलना में केरल में कक्षा 1 से 4 में निवल उपस्थिति दर अधिक है। इससे पता चलता है कि मानव विकास सूचकांक में केरल एक बेहतर राज्य है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिलकुल नहीं है। राज्यों की तुलना के लिये इसका उपयोग करना चाहिए लेकिन इसे अन्य मापदण्डों के परिप्रेक्ष्य में देखना जरूरी है।
प्रश्न 8 भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?
उत्तर – ग्रामीण क्षेत्रों में जलावन की लकड़ी ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। शहरी क्षेत्रों में रसोई के ईंधन के रूप में एलपीजी का इस्तेमाल अधिकतर घरों में होता है। इसके अलावा वाहनों के लिये पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल होता है। आज से पचास वर्ष बाद जलावन की लकड़ी मिलना कठिन हो जायेगा क्योंकि तेजी से वनोन्मूलन हो रहा है। जीवाश्म ईंधन भी तेजी से घट रहा है। इसलिए हमें किसी वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत को जल्दी ही विकसित करना होगा। गाँवों में गोबर गैस इसका एक अच्छा समाधान हो सकता है। सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से पूरे देश की ऊर्जा की जरूरत को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
प्रश्न 9 धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर – धारणीयता का विषय विकास के लिए अति मह्त्त्व्पूर्ण है क्योंकि लगभग हर व्यक्ति यही चाहता है कि विकास का स्तर निरन्तर ऊँचा रहे तथा यह आने वाली भावी पीढ़ी के लिए भी कम से कम इसी स्तर पर बना रहे। चूँकि विकास अपने साथ विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय एवं अन्य दुष्परिणाम साथ लेकर आता है जो राष्ट्रीय तथा राज्य सीमाओं का ख़्याल नहीं करते। और यही कारण है कि बहुत से वैज्ञानिक विकास के वर्तमान प्रकार और स्तर को धारणीय नहीं मानते। इस संदर्भ में विकास की धारणीयता तुलनात्मक स्तर पर ज्ञान का एक नया क्षेत्र हैं जिसमें वैज्ञानिक, दशर्रनिक, अर्थशास्त्री और विभिन्न सामासिक वैज्ञानिक परस्पर मिल-जुल कर कार्य कर रहे हैं।
प्रश्न 10 धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन है, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। यह कथन विकास की चर्चा में केसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।
उत्तर – यह मशहूर कथन महात्मा गांधी का है। हम जानते हैं कि धरती के पास इतने संसाधन हैं कि वे हमारे जीवन में कम नहीं पड़ने वाले। लेकिन हमें अपनी जिंदगी के आगे भी सोचना होगा और भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिये सोचना होगा। यदि हम प्राकृतिक संसाधनों का दहन करते रहेंगे तो आने वाली पीढ़ियों के लिये कुछ नहीं बचेगा। इसलिए हमें अपने लोभ पर काबू पाना होगा और प्रकृति से केवल उतना ही लेने की आदत डालनी होगी जितना जरूरी है।
अगर एक भी व्यक्ति लालची हो जाए जैसे किसी शक्तिशाली देश का राष्ट्र अध्यक्ष यह चाहे कि केवल उसी का या उसी के देश का वर्चस्व दुनिया में हो और वह इसके लिए इतना लालच में अंधा हो जाए कि वह विनाशकारी हथियारों का प्रयोग करके अपनी जिद पूरी करना चाहे तो सम्पूर्ण मानव जाती विशाल भूमण्डल उसके सारे संसाधन कुछ ही समय में राख हो जाएँगे और पर्याप्त संसाधन नहीं रहेंगे इसलिए यह कथन सही है कि सम्पूर्ण मानव जाती को लालच छोड़कर अपनी बुद्धि का सदुपयोग करते हुए सकुशल नियोजित ढंग से उसका उपयोग करें।
प्रश्न 11 पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों।
उत्तर – कूड़े-कचरे और अवांछित गंदगी से जल, वायु और भूमि का दूषित होना ‘पर्यावरण प्रदूषण’ कहलाता है। पर्यावरण में गिरावट के बहुत से उदाहरण हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- जल प्रदूषण- नदियों, झीलों और समुद्रों में बहाए गए कूड़े-कचरे या औद्योगिक अपशिष्ट जल को प्रदूषित करते हैं। इससे जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से जलीय जीव मर जाते हैं। जहाजों से रिसनेवाले तेल से समुद्री जीवों को हानि होती है।
- वायु प्रदूषण- कारखानों के धुएँ तथा मोटर वाहनों के धुएँ वायु को प्रदूषित करते हैं। इससे मानव स्वास्थ्य और वन्य जीवन दोनों को ही हानि होती है।
- भूमि प्रदूषण– भूमि पर कारखानों द्वारा, घरों या अन्य स्रोतों द्वारा कूड़ा-कचरा आदि फेंकने से पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कृषि क्षेत्रों में अधिक उर्वरकों का प्रयोग करने से भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म होती है तथा ये उर्वरक भूमि को प्रदूषित करते हैं।
बढ़ती हुई जनसंख्या, संसाधनों का दुरुपयोग, अधिक मात्रा में पेड़ों को काटने के कारण पर्यावरण में गिरावट बहुत तेजी से हो रही है और इसके बहुत से उदाहरण हमारे आसपास हैं।
प्रश्न 12 तालिका में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन सा देश सबसे ऊपर है और कौन सा सबसे नीचे।
क्रम. | देश | प्रतिव्यक्ति आय अमरीकी डॉलर में | जन्म के समय संभावित आयु | साक्षरता दर 15+ वर्ष की जनसँख्या के लिए | 3 स्तरों के लिए सकल नामांकन अनुपात | विश्व सूचकांक (HDI) का क्रमांक |
1. | श्रीलंका | 4390 | 74 | 91 | 69 | 93 |
2. | भारत | 3139 | 64 | 61 | 60 | 126 |
3. | म्यांमार | 1027 | 61 | 90 | 48 | 130 |
4. | पकिस्तान | 2225 | 63 | 50 | 35 | 134 |
5. | नेपाल | 1490 | 62 | 50 | 61 | 138 |
6. | बांग्लादेश | 1870 | 63 | 41 | 63 | 137 |
उत्तर – विभिन्न मापदण्डों पर सबसे ऊपर और सबसे नीचे के देश नीचे दिये गये हैं-
मापदण्ड | सबसे ऊपर | सबसे नीचे |
प्रति व्यक्ति आय | श्रीलंका | म्यानमार |
अधिकतम आयु | श्रीलंका | म्यानमार |
साक्षरता दर | श्रीलंका | बांग्लादेश |
सकल नामांकन अनुपात | श्रीलंका | पाकिस्तान |
मानव विकास सूचकांक | श्रीलंका | नेपाल |
प्रश्न 13 नीचे दी गई तालिका में भारत में व्यस्कों (15-49 वर्ष आयु वाले) जिनका बी.एम.आई. सामान्य से कम है (बी.एम.आई. <18.5kg/ m) का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष 2015-16 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन करके निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
राज्य | पुरुष (%) | महिला (%) |
केरल | 8.5 | 10 |
कर्नाटक | 17 | 21 |
मध्य प्रदेश | 20 | 23 |
- केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।
- क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश के लगभग 40 प्रतिशत लोग अल्पपोषित क्यों हैं, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।
उत्तर –
- उपरोक्त आँकड़े केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तर को दर्शाते हैं। इसके अनुसार केरल में 8.5 प्रतिशत पुरुष और 10 प्रतिशत महिलाएँ अल्प-पोषित हैं, जबकि मध्य प्रदेश में 28 प्रतिशत पुरुष और 28 प्रतिशत महिलाए अल्प-पोषित हैं। इसका अर्थ है कि मध्य प्रदेश में अधिक लोग अल्प-पोषित हैं। अर्थात मध्य प्रदेश की तुलना में केरल के लोगों का पोषण स्तर बेहतर है।
- देश में पर्याप्त अनाज होने के बावजूद देश के 40 प्रतिशत लोग अल्प-पोषित हैं क्योंकि अभी भी लगभग 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। ये व्यक्ति इतना भी नहीं कमा पाते कि अपने लिए दो समय का खाना प्राप्त कर सकें। इसलिए देश में अनाज उपलब्ध होने के बावजूद ये उसे खरीद नहीं पाते और अल्प-पोषिते रहते हैं।
प्रश्न1. अन्य राज्यों की अपेक्षा केरल में शिशु मृत्यु दर कम क्यों है?
उत्तर- यहाँ स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधाओं की बेहतर व्यवस्था है।
प्रश्न2. क्या सिर्फ औसत आय के आधार पर विकास की गणना करना सही है?
उत्तर- नहीं, क्योंकि उससे आय की असमानताओं का पता नहीं चलता।
प्रश्न3. जीवन प्रत्याशा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- व्यक्ति के संभावित जीवित रहने का औसत वर्ष।
प्रश्न4. जी. डी. पी (GDP) का क्या अर्थ है?
उत्तर- किसी देश का सकल घरेलु उत्पाद।
प्रश्न5. भारत में सर्वाधिक उच्च मानव विकास सूचकांक किस राज्य का है?
उत्तर- केरल राज्य का।
प्रश्न6. मानव विकास सूचकांक की गणना किस संगठन के द्वारा की जाती है?
उत्तर- यू.एन.डी.पी. (UNDP)
प्रश्न7. सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है?
उत्तर- राशन वितरण की वह प्रणाली जिसके द्वारा उचित मूल्यों पर गरीबों को सरकारी दुकानों के माध्यम से राशान बाँटा जाता है।
प्रश्न8. जन सुविधाओं का क्या अर्थ है?
उत्तर- वे सुविधाएँ जो मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक होती हैं।
प्रश्न9. अनवीकरणीय संसाधनों का उचित उपयोग क्यों जरूरी है?
उत्तर- क्योंकि वे संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है और इन्हें पुन: प्राप्त नहीं किया जा सकता।
प्रश्न10. “विकास के लक्ष्य भिन्न-भिन्न होते हैं और कभी-कभी ये परस्पर विरोधी भी हो सकते है” इस कथन को स्पष्ट करो।
उत्तर- प्रत्येक व्यक्ति या समूह के विकास के लक्ष्य भिन्न भिन्न हो सकते हैं और कई बार इनकी प्रकृति परस्पर विपरीत भी हो सकती है। एक के लिए विकास का लक्ष्य दूसरे के लिए विनाश का कारण भी बन सकता है। उदाहरण – नदी पर बाँध बनाना, वहाँ के किसानों के विस्थापन का कारण बन सकता है।
Chapter Chapter 1. विकास Class 10 Economics CBSE notes in
NCERT Class 6 to 12 Notes in Hindi
प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको Class 10 Science Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Notes PDF in Hindi कक्षा 10 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 10 Vigyan Ke Notes PDF
URL: https://my-notes.in/
Author: NCERT
5
Pros
- Best NCERT Notes in Hindi