Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Notes PDF in Hindi

प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको सत्र 2023-24 के लिए Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Notes PDF in Hindi कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |

Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Notes in Hindi

Class 10 Samajik Vigyan ( Arthashaastr ) Aarthik vikaas kii samajha सामाजिक विज्ञान नोट्स अर्थशास्त्र (आर्थिक विकास की समझ) Economics Ke Notes PDF Hindi me Chapter 2 Bhaaratiiy arthavyavasthaa ke kshetrak Notes PDF.

class-10 Economics-chapter-1-Sectors of The Indian Economy-notes-pdf-in-hindi/

10 Class अर्थशास्त्र Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Notes in Hindi

TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectआर्थिक विकास की समझ Economics
ChapterChapter 2
Chapter Nameभारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
CategoryClass 10 अर्थशास्त्र Notes in Hindi
MediumHindi

भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 Notes in Hindi

अध्याय = 2
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

Sectors of The Indian Economy

 आर्थिक गतिविधि :-

 ऐसे क्रियाकलाप जिनको करके जीवनयापन के लिए आय की प्राप्ति की जाती है ।

 अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक :-

 किसी भी अर्थव्यवस्था को तीन क्षेत्रक या सेक्टर में बाँटा जाता है :-

  • प्राथमिक क्षेत्रक
  • द्वितीयक क्षेत्रक
  • तृतीयक क्षेत्रक

 प्राथमिक क्षेत्रक :-

 वह क्षेत्रक है जिसमे प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है , प्राथमिक क्षेत्रक कहलाता है । इस कृषि व सहायक क्षेत्रक भी कहा जाता है । उदाहरण :- कृषि , मत्स्य पालन आदि ।

 द्वितीयक क्षेत्रक :-

 वह क्षेत्रक जिसमे प्राथमिक क्षेत्रक से प्राप्त वस्तुओं को लेकर नई वस्तुओं का विनिर्माण किया जाता है , द्वितीयक क्षेत्रक कहलाता है । इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहते हैं ।

 तृतीयक क्षेत्रक :-

 तृतीयक क्षेत्रक प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रक के उत्पादन गतिविधियों में सहायता करता है । इसे सेवा क्षेत्रक भी कहते हैं । उदाहरण :- बैंकिग , परिवहन आदि ।

 सेवा क्षेत्रक में उत्पादन सहायक गतिविधियों के अतिरिक्त अन्य सेवाएं भी हो सकती हैं । जैसे :- डॉक्टर , वकील आदि की सेवा , कॉल सेंटर , सॉफ्टवेयर विकसित करना आदि ।

Class 10 Social Science (Economics) Chapter 2 in Hindi

Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

उत्पादन में तृतीयक क्षेत्रक

उत्पादन में तृतीयक क्षेत्रक का बढ़ता महत्व: उत्पादन में तृतीयक क्षेत्र का बहुत महत्व है, यह प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को सहायता प्रदान करता है, तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। तृतीयक गतिविधियों में परिवहन, दूरसंचार, सेवाएँ, परामर्श,आदि सम्मिलित है।

  • भारत में पिछले चालीस वर्षों में सबसे अधिक वृद्धि तृतीयक क्षेत्रक में हुई है।
  • इस तीव्र वृद्धि के कई कारण हैं जैसे- सेवाओं का समुचित प्रबंधन, परिवहन, भंडारण की अच्छी सुविधाएँ, व्यापार का अधिक विकास, शिक्षा की उपलब्धता आदि।
  • किसी भी देश में अनेक सेवाओं जैसे- अस्पताल परिवहन बैंक, डाक तार आदि की आवश्यकता होती है। कृषि एवं उद्योग के विकास में परिवहन व्यापर भण्डारण जैसी सेवाओं का विकास होता है।
  • आय बढ़ने से कई सेवाओं जैसे- रेस्तरा, पर्यटन, शोपिंग, निजी अस्पताल तथा विद्यालय आदि की माँग शुरू कर देते हैं। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित कुछ नवीन सेवाएँ महत्वपूर्ण एवं अपरिहार्य हो गई है।

अल्प बेरोजगारी:

 जब किसी काम में जितने लोगों की जरूरत हो उससे ज्यादा लोग काम में लगे हो और वह अपनी उत्पादन क्षमता कम योग्यता से काम कर रहे है इसे प्रछन्न तथा छुपी बेरोजगारी भी कहते हैं। कृषि क्षेत्र में अल्प बेरोजगारी की समस्या अधिक है अर्थात् यदि हम कुछ लोगों को कृषि क्षेत्र से हटा भी देते हैं तो उत्पादन में विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अल्प बेरोजगारी के प्रकार:-

 दृष्य अल्प रोजगार सामान्य घंटों से कम काम का मिलना, अदृष्य अल्प रोजगार- पूरा दिन काम लेकिन आय कम।

शिक्षित बेरोज़गारी: जब शिक्षित, प्रशिक्षित व्यक्तियों को उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिलता।

शिक्षित बेरोजगारी के कारण: दुर्बल आर्थिक स्थिति, कुशल जनशक्ति की कमी, अनियंत्रित जनसंख्याँ में वृद्धि।

कुशल श्रमिक: कुशल श्रमिक वे श्रमिक होते हैं, जिनके पास कौशल, प्रशिक्षण और ज्ञान होता है एवं जिसने किसी कार्य के लिए उचित प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

अकुशल श्रमिक: अकुशल श्रमिक वह श्रमिक होते हैं, जिसमें ज्ञान, प्रशिक्षण व सीखने की आवश्यकता नहीं होती। जैसे- रिक्शा चालक, कुली अकुशल श्रमिक कहलाते हैं।

संगठित क्षेत्रक:- इसमें वे उद्यम या कार्य आते हैं, जहाँ रोजगार की अवधि निश्चित होती है। ये सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा निर्धारित नियमों व विनियमों का अनुपालन करते हैं। नियमित मासिक वेतन उद्योग, स्कूल, अस्पताल आदि।

असंगठित क्षेत्रक:- छोटी-छोटी और बिखरी हुई इकाइयाँ, जो अधिकाशंतः सरकारी नियंत्रण से बाहर रहती हैं, से निर्मित होता है। यहाँ प्रायः सरकारी नियमों का पालन नहीं किया जाता। दैनिक मजदूरी खेतिहर मजदूर, प्रवासी मजदूर, ताड़ी बनाने वाले, सफाईकर्मी आदि।

दोहरी गणना की समस्या: ये समस्या तब उत्पत्र होती है जब राष्ट्रीय आय की गणना के लिए सभी उत्पादों के उत्पादन मूल्य को जोड़ा जाता है क्योंकि इसमें कच्चे माल का मूल्य भी जुड़ जाता है। अतः समाधान के लिए केवल अंतिम उत्पाद के मूल्य की गणना की जानी चाहिए।

असंगठित क्षेत्रक:- भूमिहीन किसान, कृषि श्रमिक, छोटे व सीमान्त किसान, काश्तकार, बँटाईदार, शिल्पी आदि। शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक श्रमिक, निमार्ण श्रमिक, व्यापार व परिवहन में कार्यरत, कबाड़ व बोझा ढोने वाले लोगों को संरक्षण की आवश्यकता होती है।

ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005:-

केन्द्रीय सरकार ने भारत के 200 जिलों में काम का अधिकार लागू करने का एक कानून बनाया है। यह अधिनियम 2 अक्टूबर 2009 को पारित किया गया।
काम का अधिकार:- सक्षम व जरूरतमंद बेरोज़गार ग्रामीण लोगों को प्रत्येक वर्ष 100 दिन के रोजगार की गारंटी सरकार के द्वारा असफल रहने पर बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा। भारत के संविधान में अनुच्छेद 41-43 में राज्यों को भारत के सभी नागरिकों के लिए काम का अधिकार, समाजिक सुरक्षा और एक शालीन जीवन सुरक्षित करने के अधिकार दिए गए हैं।

NCERT Class 10 अर्थशास्त्र Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

Class 10 सामाजिक विज्ञान
नोट्स
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

अर्थव्यवस्था का क्रमिक विकास

प्राथमिक क्षेत्र से अभिप्राय:- प्राथमिक क्षेत्र अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र है, जिसमे प्राकृतिक संसाधनों का सीधा प्रयोग किया जाता है। प्राथमिक उद्योगों द्वारा ऐसे उत्पाद बनाये जाते हैं, जिन्हें आम जनता को आसानी से बेचा जा सके। इस क्षेत्र को कृषि सम्बद्ध गतिविधियाँ भी कहा जाता है। जैसे- कृषि, वानिकी, खनन इत्यादि। विकसित देशों में यह क्षेत्र तकनीकी रूप से अधिक उन्नति कर रहा है। जैसे- खेतों में रोपण हाथों से करने के बजाय मशीनीकरण का प्रयोग करना।

प्राथमिक क्षेत्र:- प्राथमिक क्षेत्रों का वर्गीकरण दो भागों में किया जाता है-

  1. अनुवांशिक उद्योग- अनुवांशिक क्षेत्रों में कच्चे माल का विकास सम्मिलित है जिसे व्यक्तियों की भागीदारी के माध्यम से सुधारा जा सकता है। जैसे- कृषि, मत्स्य पालन इत्यादि।
  2. निष्कर्षण उद्योग- निष्कर्षण उद्योगों को कृषि के माध्यम से पूरा नहीं किया जा सकता है। जैसे- खनिज अयस्कों का खनन करना, पत्थरों की खुदाई करना इत्यादि।

द्वितीयक क्षेत्र से अभिप्राय:- निर्माण और विनिर्माण उद्योग द्वितीयक उद्योग में सम्मिलित है। कच्चे माल का तैयार माल में परिवर्तन द्वितीयक क्षेत्र का हिस्सा है। जैसे- फर्नीचर बनाने के लिए लकड़ी का प्रयोग करना, ऑटोमोबाइल बनाने के लिए स्टील का प्रयोग करना इत्यादि।

द्वितीयक उद्योगों का भी वर्गीकरण दो भागों में किया जाता है-

  1. भारी उद्योग– यह उद्योग एक विस्तृत और विविध बाजार को पूरा करता है,जिसमे विनिर्माण क्षेत्र सम्मिलित है | जैसे- पेट्रोलियम, जहाज, प्रसंस्करण इत्यादि।
  2. प्रकाश उद्योग- इस उद्योग में कम मात्रा में कच्चे माल, कम बिजली की आवश्यकता होती है। जैसे- व्यक्तिगत उत्पाद, भोजन, पेय पदार्थ इत्यादि।

अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्रक से द्वितीयक क्षेत्रक की तरफ का क्रमिक विकास:-

  1. प्राचीन सभ्यताओं में सभी आर्थिक क्रियाएँ प्राइमरी सेक्टर में होती थीं। समय बदलने के साथ ऐसा समय आया जब भोजन का उत्पादन सरप्लस होने लगा। ऐसे में अन्य उत्पादों की आवश्यकता बढ़ने से सेकंडरी सेक्टर का विकास हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी में होने वाली औद्योगिक क्रांति के बाद सेकंडरी सेक्टर का तेजी से विकास हुआ।
  2. सेकंडरी सेक्टर के विकसित होने के बाद ऐसी गतिविधियों की जरूरत होने लगी जो औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सके। उदाहरण के लिए ट्रांसपोर्ट सेक्टर से ओद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। औद्योगिक उत्पादों को ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए हर मुहल्ले में दुकानों की जरूरत पड़ती है। लोगों को अन्य कई सेवाओं की आवश्यकता होती है, जैसे कि एकाउंटेंट, ट्यूटर, मैरेज प्लानर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, आदि की सेवाएँ। ये सभी टरशियरी सेक्टर में आते हैंं।

भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 question answer

कों की संख्या अधिक है। लेकिन संगठित क्षेत्र में प्रति व्यक्ति आय अधिक है। सरकार को चाहिए कि असंगठित क्षेत्रक के मालिकों को इस बात के लिये प्रोत्साहित करे कि वे संगठित क्षेत्रक में आ जाएँ। सरकार को इसके लिये कुछ प्रलोभन देना चाहिए जैसे कि टैक्स ब्रेक।

प्रश्न1 सेवा क्षेत्रक में शामिल गतिविधियों के दो उदाहरण दीजिए।

उत्तर – परिवहन, संचार व बैंकिग

प्रश्न2 अर्थव्यवस्था में प्रत्येक क्षेत्रक के अंतिम उत्पाद की ही गणना क्यों की जाती है?     

उत्तर – दोहरी गणना की समस्या से बचने के लिए।

प्रश्न3 सार्वजनिक व निजी क्षेत्रक को किस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है?

उत्तर – उद्यमों के स्वामित्व के आधार पर।

प्रश्न4 रोजगार सृजन में किस क्षेत्र का भारत में प्रथम स्थान है?

उत्तर – प्राथमिक क्षेत्रक का।

प्रश्न5 संगठित क्षेत्र की दो विशेषताएँ बातइए?

उत्तर – संगठित क्षेत्र की दो विशेषताएँ इस प्रकार है –
1. संगठित क्षेत्र में नौकरी सुरक्षित है।
2. संगठित क्षेत्र में कर्मचारी योजनाओं का लाभ मिलता है।

प्रश्न6 रोजगार गारन्टी अधिनियम किस वर्ष लागू किया गया?

उत्तर – वर्ष 2005 में।

प्रश्न7 आर्थिक गतिविधियाँ जो तृतीयक क्षेत्रक में नहीं आती है एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर – मधुमक्खी पालन आदि।

प्रश्न8 सार्वजनिक क्षेत्रक में सरकार का मुख्य उद्देश्य क्या होता हैं?

उत्तर – सामाजिक कल्याण व सुरक्षा प्रदान करना।

प्रश्न9 ‘टिस्को’ जैसी कम्पनी में कौन सा एक्ट लागू नहीं होगा?

उत्तर – राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम।

प्रश्न10 प्रच्छन्न बेरोजगारी को किस अन्य नाम से भी जाना जाता है?

उत्तर – अल्प बेरोजगारी या छिपी हुई बेरोजगारी।

NCERT Class 6 to 12 Notes in Hindi

प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको Class 10 Science Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Notes PDF in Hindi कक्षा 10 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 10 Vigyan Ke Notes PDF

URL: https://my-notes.in/

Author: NCERT

Editor's Rating:
5

Pros

  • Best NCERT Notes in Hindi
NCERT Class 6 to 12 Notes in Hindi

प्रिय विद्यार्थियों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको Class 10 Science Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Notes PDF in Hindi कक्षा 10 विज्ञान नोट्स हिंदी में उपलब्ध करा रहे हैं |Class 10 Vigyan Ke Notes PDF

URL: https://my-notes.in/

Author: NCERT

Editor's Rating:
5

Pros

  • Best NCERT Notes in Hindi

Leave a Comment

20seconds

Please wait...