Class 10 भूगोल Chapter 3 जल संसाधन Notes PDF in Hindi
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Class 10 Social Science [ Geography ] Bhugol Chapter 3 Water Resources Notes In Hindi
class-10-geography-chapter 3-Water Resources-notes-pdf-in-hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | भूगोल Geography |
Chapter | Chapter 3 |
Chapter Name | जल संसाधन Water Resources |
Category | Class 10 भूगोल Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
अध्याय = 3
जल संसाधन
Class 10 सामाजिक विज्ञान नोट्स
जल संसाधन
मुख्य बिन्दु और परिभाषाएँ
- दुनिया में पानी की कुल मात्रा का 96.5 प्रतिशत समुद्र के रूप में मौजूद है ओर केवल 2.5 प्रतिशत मीठे पानी के रूप में अनुमानित है। भारत में सम्भवतः भूमि-जल का 85% खेती में, 5% घरेलू कार्यो एवं 10% उद्योगों में प्रयोग किया जाता है। शहरी इलाकों की 50% तथा ग्रामीण इलाकों की 85% आवश्यकता भूमि-जल से पूरी होती है। भूमि-जल के अधिक दोहन के कारण 2007-2017 में भूमि-जल स्तर में 61% तक कमी आयी है। देश के 40% इलाकों में सूखे का संकट है।
- भारत को वैश्विक वर्षा का लगभग 4 प्रतिशत प्राप्त होता है और पानी की प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष उपलब्धता के मामले में दुनिया में 133 वें स्थान पर है। भारत में जलवायु में विविधता के साथ-साथ तापमान में भी विविधता देखने को मिलती है। तथा वर्ष में चार ऋतुऍं होती है- जाड़ा, गर्मी, बरसात,और शरदकाल। वर्षा पश्चिमी घाट के पश्चिमी तट और पूर्वोत्तर की पहाड़ियों में अधिक होती है। पूर्वोत्तर में मौसिनराम सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है।
- ऐसी आशंका व्यक्त की जाती है कि 2025 तक, भारत के बड़े हिस्से पानी की कमी वाले देशों या क्षेत्रों में शमिल हो जाएंगे।
- ज्यादातर मामलों में पानी की कमी अति-शोषण, अत्याधिक उपयोग और पानी तक विभिन्न सामाजिक समूहों की असमान पहुँच के कारण होती है। भारत में सम्भवतः 97% जल खारा है। जिसको पीने के उपयोग में नहीं लाया जा सकता। पीने योग्य पानी की मात्रा केवल 3% है। इसमें भी 2% पानी ग्लेशियर का है। इस तरह सही मायने में केवल 1% पानी ही मानव उपयोग के लिए है। अतः हमे अनेक विधियों को अपनाकर पानी बचाना होगा।
- सिंचित क्षेत्रों और शुष्क-ऋतु में कृषि का विस्तार करने के लिए जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है।
- गहन औद्योगीकरण और शहरीकरण ने मौजूदा मीठे पानी के संसाधन पर दबाव बढ़ाकर मामलों को बदतर बना दिया है। जल निकायों में प्रदूषण, घरेलू और औद्योगिक कचरे, रसायनों, कीटानाशकों और कृषि में प्रयुक्त होने वाले उर्वरकों द्वारा हो रहा है। औद्योगीकरण के कारण पर्यावरण की समस्या भी सामने आयी है। क्योंकि औद्योगिक विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का तीव्र गति से विदोहन हो रहा है।
- पहली शताब्दी ईसा पूर्व में, इलाहाबाद के पास श्रृंगवेरपुरा में गंगा नदी के बाढ़ के पानी को संरक्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट जल संग्रहण तंत्रा बनाया गया था।
- भोजताल झील मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल में स्थित है। यह मीठे पानी की झील है। ११ शताब्दी में “भोजताल झील” अपने समय की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक थी।
- डैम बहते पानी के बीच एक अवरोध है। जो प्रवाह को बाधित निर्देशित या पीछे करता है, अक्सर एक जलाशय, झील का निर्माण करता है।
- जवाहरलाल नेहरू ने बांधों को ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ कहा।
- नर्मदा बचाओं आंदोलन और टिहरी बांध अंदोलन बड़े बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के खिलाफ शुरू किए गए थे। क्योंकि इन आन्दोलनों के कारण लोगो को अपने घरो से पलायन करना पड़ा।
Class 10 सामाजिक विज्ञान नोट्स
जल संसाधन
बहु-उद्देशीय नदी परियोजनाओं के लाभ
बहु-उद्देशीय नदी परियोजनाओं के लाभ:– नदी घाटी परियोजनाएँ जिसमे नदियों कि घाटियों पर बाँध बनाकर ऊर्जा, सिचाई, और पर्यटन स्थलों कि सुविधाएँ प्राप्त की जाती है। इन्हे बहुउद्देशीय (बहु + उद्देशीय) परियोजनाएँ कहते है।
स्वतंत्रता के बाद 1948 में देश में पहली बहुउद्देशीय परियोजना दामोदर घाटी परियोजना की स्थापना की गयी। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे आधुनिक भारत का मंदिर कहा। बहुउद्देशीय परियोजनाओं का निर्माण कई उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाता है। जैसे- कोसी परियोजना (जिसे बिहार का शोक भी कहते है।) के माध्यम से बाढ़ पर नियंत्रण, सिचाई, और विघुत उत्पादन का प्रयास किया गया। इन परियोजनाओं के निम्नलिखित लाभ इस प्रकार है:-
- सिंचाई
- विद्युत उत्पादन
- बाढ़ नियंत्रण
- मत्स्य प्रजनन
- अंतदेर्शीय नौवहन
- घरेलू और औद्योगिक उपयोग
बहुउदेशीय नदी परियोजना की आलोचना:-
नदी बहुउद्देशीय परियोजनाओं के लाभ के साथ-साथ इनकी आलोचनाएँ भी निम्न आधारों पर की जाती है। जैसे- नर्मदा और टिहरी बाँध आंदोलन के कारण बन गए। जिससे लोगों को अपने घरो से पलायन करना पड़ा
- नदी के प्राकृतिक प्रवाह को प्रभावित करते है। और जलाशय के अत्यधिक अवसादन एकत्र होता है।
- नदी के जलीय जीवन को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है।
- बाढ़ के मैदान पर बनाए गए जलाशय मौजूद वसस्पति को डूबा देंगे और एक समय के बाद मृदा का क्षरण करेंगे।
- स्थानीय समुदाय का बड़े पैमाने पर विस्थापन।
वर्षा जल संचयन की विधियाँ:-
वर्षा के पानी को एक निर्धारित जगह पर जमा करके हम वर्षा जल संचयन कर सकते है। ताकि वर्षा के पानी को जरूरत की चीजों में प्रयोग किया जा सके।
- लोगों ने पश्चिमी हिमालय में गुल और कुल जैसी वाहिकाएँ बनायी
- छत पर वर्षा जल संचयन
- बीकानेर, फलौदी और बाड़मेर में पीने हेतु भूमिगत टैंक या टाँका
- मेघालय में बाँस की ड्रिप सिंचाई प्रणाली
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न 1 बहुवैकल्पिक प्रश्न-
- नीचे दी गयी सूचना के आधार पर स्थितियों को ‘जल की कमी से प्रभावित’ या ‘जल की कमी से अप्रभावित’ में वर्गीकृत कीजिए।
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्र
- अधिक वर्षा वाले और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
- अधिक वर्षा वाले परन्तु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र
- कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र
उत्तर –
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्र- जल की कमी से अप्रभावित।
- अधिक वर्षा वाले और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र- जल की कमी से प्रभावित।
- अधिक वर्षा वाले परन्तु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र- जल की कमी से प्रभावित।
- कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र- जल की कमी से अप्रभावित।
- निम्नलिखित में कौन सा वक्तव्य बहु-उद्देशीय नदी परियोजनाओं के पक्ष में दिया गया तर्क नहीं है?
- बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ उन क्षेत्रों में जल लाती है जहाँ जल की कमी होती है।
- बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ जल की बहाव को नियंत्रित करके बाढ़ पर काबू पाती है।
- बहु-उद्देशीय परियोजनाओं से वृहत् स्तर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।
- बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ हमारे उद्योग और घरों के लिए विद्युत् पैदा करती हैं।
उत्तर – c) बहु-उद्देशीय परियोजनाओं से वृहत् स्तर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।
- यहाँ कुछ गलत वक्तव्य दिए गए हैं। इसमें गलती पहचानें और दोबारा लिखें।
- शहरों की बढ़ती संख्या, उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन-शैली ने जल संसाधनों के सही उपयोग में मदद की है।
- नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव प्रभावित नहीं होता।
- गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर भी किसान नहीं भड़के।
- आज राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर से उपलब्ध पेयजल के बावजूद छत वर्षाजल संग्रहण लोकप्रिय हो रहा है।
उत्तर –
- शहरों की बढ़ती जनसंख्या, उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन-शैली से जल संसाधनों का अतिशोषण हो रहा है और इनकी कमी होती जा रही है।
- नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव अवरुद्ध हो जाता है।
- गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति देने पर परेशान किसान उपद्रव करने पर उतारू हो गए।
- आज राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर से उपलब्ध पेयजल के कारण छत वर्षाजल संग्रहण की रीति कम होती। जा रही है।
प्रश्न 2 निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
- व्याख्या करें कि जल कस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है?
- जल दुर्लभता क्या है और इसके मुख्य कारण क्या हैं?
- बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ और हानियों की तुलना करें।
उत्तर –
- जल का नवीकरण प्राकृतिक रूप से जलचक्र द्वरा होता रहता है। हमें मिलाने वाला अलवणीय जल सतही, अपवाह तथा भू-जल स्रोतों से हासिल होता है। जिसका निरंतर नवीकरण तथा पुनर्भरण जलीय चक्र के जारी होता रहता है। सूर्य की गर्मी से वाष्पीकरण की क्रिया द्वारा जलवाष्प संघनित होकर बादलों के र्रोप में एकत्रित हो जाते है। जो ठंडे पृथ्वी पर वर्षा का यह जल दोबारा नदी से होते हुए सागरों में पहुँचाता है और दोबारा जलावाष्प के रूप में संघनित होने लगता है। इस तरह जलचक्र लगातार गतिशील रहता है।
- जल के विशाल भंडार तथा नवीकरणीय गुणों के होते हुए भी यदि जल की कमी महसूस की जाए तो उसे जल दुर्लभता कहते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में जल की कमी या दुर्लभता के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हो सकते हैं
- बढ़ती जनसंख्या-जल अधिक जनसंख्या के घरेलू उपयोग में ही नहीं बल्कि अधिक अनाज उगाने के लिए भी चाहिए। अत: अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए जल संसाधनों का अतिशोषण करके सिंचित क्षेत्र को बढ़ा दिया जाता है।
- जल का असमान वितरण-भारत में बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ सूखा पड़ता है। वर्षा बहुत कम होती है। ऐसे क्षेत्रों में भी जल दुर्लभता या जल की कमी देखी जा सकती है।
- निजी कुएँ या नलकूप-बहुत से किसान अपने खेतों में निजी कुएँ व नलकूपों से सिंचाई करके उत्पादन बढ़ा रहे हैं किंतु इसके कारण लगातार भू-जल का स्तर नीचे गिर रहा है और लोगों के लिए जल की उपलब्धता में कमी हो सकती है।
- औद्योगीकरण-स्वतंत्रता के बाद हुए औद्योगीकरण के कारण भारत में अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव बढ़ गया है। उद्योगों को ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति जल विद्युत से की जाती है। इस कारण भी जल की कमी का सामना करना पड़ता है।
- बहुउद्देशीय परियोजनाओं से सिंचाई, विद्युत् उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, आन्तरिक नौकायन तथा मछली पालन में मदद मिलती है। जबकि बाढ़ के मैदानों में बनाये जाने वाले जलाशय वहां मौजूद वनस्पतिजात और प्राणिजात के विनाश का कारण हैं। स्थानीय लोगों को उनकी जमीन, आजीविका और संसाधनों से हाथ धोना पड़ता है।
प्रश्न 3 निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
- राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
- परंपरागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपना करा जल संरक्षण एवं भंडारण किस प्रकार किया जा रहा है।
उत्तर –
- राजस्थान के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में विशेषकर बीकानेर, फलोदी और बाड़मेर में पीने का जल एकत्र करने के लिए छत वर्षाजल संग्रहण का तरीका आमतौर पर अपनाया जाता है। इस तकनीक में हर घर में पीने का पानी संग्रहित करने के लिए भूमिगत टैंक अथवा ‘टाँका’ हुआ करते हैं। इनका आकार एक बड़े कमरे जितना हो सकता है। इसे मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता है। ये घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जुड़े होते हैं। छत से वर्षा का पानी इन नलों से होकर भूमिगत टाँका तक पहुँचता था जहाँ इसे एकत्रित किया जाता था। वर्षा का पहला जल छत और नलों को साफ करने में प्रयोग होता था और उसे संग्रहित नहीं किया जाता था। इसके बाद होने वाली वर्षा जल का संग्रह किया जाता था। टाँका में जल अगली वर्षा ऋतु तक संग्रहीत किया जा सकता है। यह इसे जल की कमी वाली ग्रीष्म ऋतु तक पीने का जल उपलब्ध करवाने वाला स्रोत बनाता है। वर्षा जल को प्राकृतिक जल का शुद्धतम रूप माना जाता है। कुछ घरों में टाँकों के साथ-साथ भूमिगत कमरे भी बनाए जाते हैं क्योंकि जल का यह स्रोत इन कमरों को भी ठंडा रखता था जिससे ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से राहत मिलती है। आज राजस्थान में छत वर्षाजल संग्रहण की रीति इंदिरा गांधी नहर से उपलब्ध बारहमासी पेयजल के कारण कम होती जा रही है। हालाँकि कुछ घरों में टाँकों की सुविधा अभी भी है क्योंकि उन्हें नल के पानी का स्वाद पसन्द नहीं है।
- प्राचीन भारत में उत्कृष्ट जल संरचनाओं के साथ-साथ जल संग्रहण टैंक भी पाए जाते थे।
- लोगों को वर्षा पद्धति और मृदा के गुणों के बारे में पूरी जानकारी थी।
- उन्होंने स्थानीय परिस्थितिकीय परिस्थितियों और उनकी जल आवश्यकतानुसार वर्षाजल, भौमजल, नदी जल और बाढ़ जल संग्रहण की अनेक विधियाँ विकसित कर ली थीं।
- पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों ने ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ (पश्चिमी हिमालय) जैसी वाहिकाएँ, नदी की धारा का रास्ता बदलकर खेतों में सिंचाई के लिए बनाई हैं।
- पश्चिमी राजस्थान में पीने का जल एकत्रित करने के लिए ‘छत वर्षा जल संग्रहण’ की विधि आम बात है। पश्चिम बंगाल में बाढ़ के मैदान में लोग अपने खेतों की सिंचाई के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते हैं।
- शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में खेतों में वर्षा जल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाए जाते हैं ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके और संरक्षित जल को खेती के लिए उपयोग में लाया जा सके।
- जैसलमेर, (राजस्थान) में ‘खादीन’ और अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’ बनाए जाते हैं।
इनमें से किसने बाँधों को आधुनिक भारत का मंदिर कहा?
उत्तर- जवाहर लाल नेहरू
राजस्थान में छत वर्षा जल संग्रहण को कहा जाता है?
उत्तर- टाँका
निम्नलिखित में से कौन बांध का दुष्प्रभाव नही है?
उत्तर- बाढ़ नियंत्रण
निम्नलिखित में से किस नदी पर टिहरी बाँध बनाया जा सकता है?
उत्तर- भागीरथी
विश्व में जल के कुल आयतन का कितने प्रतिशत भाग महासागरों में पाया जाता है?
उत्तर- 96.5 प्रतिशत
निम्नलिखित में से कौन सा अलवणीय जल का स्रोत है?
वर्षण
सतही जल
भौमजल
उपरोक्त सभी
उत्तर- (4) उपरोक्त सभी
पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण के लिए निम्नलिखित में कौन-सी विधि अपनाई जाती है?
उत्तर- गुल अथवा कुल
नागार्जुन सागर बाँध किस नदी पर स्थिति है?
उत्तर- कृष्णा
गुल’ अथवा ‘कुल’ क्या है?
उत्तर- पश्चिमी हिमाचल में पर्वतीय क्षेत्रों में वाहिकाओं को ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ कहते हैं।
‘खादीन’ और ‘जोहड़’ क्या है ?
उत्तर- शुष्क तथा अर्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल को एकत्र करने के लिए बनाए गड्ढ़े।
भारत के ऐसे क्षेत्र का उदाहरण दें जहाँ पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है फिर भी जल की कमी है ?
उत्तर- मेघालय की राजधानी शिलांग।
राजस्थान में छत वर्षा जल संग्रहण को क्या कहा जाता है ?
उत्तर- टाँका
जल दुर्लभता के दो कारण
उत्तर- (1) बढ़ती जनसंख्या की बढ़ती आवश्यकताएँ
(2) जल का असमान वितरण
टिहरी परियोजना किस राज्य में किस नदी पर बनाया गया है ?
उत्तर- उत्तराखड़ में भागीरथी नदी पर
सलाल परियोजना किस नदी पर तथा किस राज्य में निर्मित है ?
उत्तर- जम्मू व कश्मीर में चेनाव नदी पर
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Author: G S
4.89
Pros
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