Class 10 History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना Notes PDF in Hindi

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Class 10 History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना Notes PDF in Hindi

Class 10 Social Science [ History ] Itihas Chapter 3 The Making of a Global World  Notes In Hindi

TextbookNCERT
ClassClass 10
SubjectHistory
ChapterChapter 3
Chapter Nameभूमंडलीकृत विश्व का बनना
CategoryClass 10 History Notes in Hindi
MediumHindi

अध्याय = 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान
भूमंडलीकृत विश्व का बनना

आधुनिक युग से पहले की यात्राएँ
 जब हम ‘वैश्वीकरण’ की बात करते हैं तो आमतौर पर हम एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था की बात करते हैं जो मोटे तौर पर पिछले लगभग पचास सालों में ही हमारे सामने आई है।
भूमंडलीकृत विश्व के बनने की प्रक्रिया – व्यापार का काम की तलाश में एक जगह से दुसरी जगह जाते लोगों का, पूँजी व बहुत सारी चीजों की वैश्विक आवाजाही का एक लंबा इतिहास रहा है।
 वर्तमान के वैश्विक संबंधों को देखकर सोचना पड़ता है कि यह दुनिया के संबंध किस प्रकार बने।
 इतिहास के हर दौर में मानव समाज एक दूसरे के ज्यादा नजदीक आते गए हैं।
 प्राचीन काल से ही यात्री, व्यापारी, एक पुजारी और तीर्थयात्री ज्ञान, अवसरों और आध्यात्मिक शांति के लिए या उत्पीड़न  (यातनापूर्ण) जीवन से बचने के लिए दूर-दूर की यात्राओं पर जाते रहे हैं।
 अपनी यात्राओं में ये लोग तरह तरह की चीजें, पैसा, मूल्य-मान्यताएँ, हुनर, विचार, आविष्कार और यहाँ तक कि कीटाणु और बीमारियाँ भी साथ लेकर चलते रहे हैं।
 3000 ईसा पूर्व में समुद्री तटों पर होने वाले व्यापार के माध्यम से सिंधु घाटी की सभ्यता उस इलाके से भी जुड़ी हुई थी जिसे आज हम पश्चिमी एशिया के नाम से जानते हैं।
 हज़ार साल से भी ज्यादा समय से मालदीव के समुद्र में पाई जाने वाली कौड़ियाँ (जिन्हें पैसे या मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था) चीन और पूर्वी अफ्रीका तक पहुँचती रही हैं।
 बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का दूर-दूर तक पहुँचने का इतिहास भी सातवीं सदी तक ढूँढ़ा जा सकता है। तेरहवीं सदी के बाद तो इनके प्रसार को निश्चय ही साफ देखा जा सकता है।

रेशम मार्ग (सिल्क रूट) का महत्व
 आधुनिक काल से पहले के युग में दुनिया के दूर दूर स्थित भागों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संपर्कों का सबसे जीवंत उदाहरण सिल्क मार्गों के रूप में दिखाई  देता है।
 ‘सिल्क मार्ग’ नाम से पता चलता है कि इस मार्ग से पश्चिम को भेजे जाने वाले चीनी रेशम (सिल्क) का कितना महत्त्व था।
 इतिहासकारों ने बहुत सारे सिल्क मार्गों के बारे में बताया है।
 जमीन या समुद्र से होकर गुजरने वाले ये रास्ते न केवल एशिया के विशाल क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करते थे बल्कि एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से भी जोड़ते थे।
 ऐसे मार्ग ईसा पूर्व के समय में ही सामने आ चुके थे और लगभग पंद्रहवीं शताब्दी तक अस्तित्व में थे।
 रेशम मार्ग से चीनी पॉटरी जाती थी और इसी रास्ते से भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुँचते थे।
 वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थी।
 व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलती थी।
 शुरुआती काल के ईसाई मिशनरी निश्चय ही इसी मार्ग से एशिया में आते होंगे।
 कुछ सदी बाद मुस्लिम धर्मोपदेशक भी इसी रास्ते से दुनिया में फैले।
 इससे भी बहुत पहले पूर्वी भारत में उपजा बौद्ध धर्म सिल्क मार्ग की विविध शाखाओं से ही कई दिशाओं में फैल चुका था।

भोजन की यात्रा-स्पैघेत्ती और आलू :-
 हमारे खाद्य पदार्थ दूर देशों के बीच सांस्कृतिक आदान – प्रदान के कई उदाहरण पेश करते हैं।
 जब भी व्यापारी और मुसाफिर किसी नए  देश में जाते थे, जाने अनजाने वहाँ नयी फसलों के बीज बो आते थे।
 संभव दुनिया के विभिन्न भागों में मिलने वाले ‘झटपट तैयार होने वाले’ (Ready) खाद्य पदार्थों का इसी तरह दुनिया में पहुँचाया हों।
 स्पैघेत्ती (Spaghetti) और नूडल्स इसके उदाहरण हैं।
 नूडल्स चीन से पश्चिम में पहुँचे और वहाँ उन्हीं से स्पैघेत्ती (पास्ता) का जन्म हुआ।
 अरब यात्रियों के साथ पाँचवीं सदी में सिसली पहुँचा जो अब इटली का ही एक टापू है। नूडल्स स्पैघेत्ती के जैसे आहार भारत और जापान में भी पाए जाते हैं इसलिए हो सकता कि हम कभी यह न जान सकें कि उनका जन्म कैसे हुआ होगा। फिर भी, इन अनुमानों के आधार पर इतना जरूर कहा जा सकता है कि आधुनिक काल से पहले भी दूर देशों के बीच सांस्कृतिक लेन- देन चल रहा होगा।
 आलू, सोया, मूँगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद और ऐसे ही बहुत सारे दूसरे खाद्य पदार्थ लगभग पाँच सौ साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे।
 ये खाद्य पदार्थ यूरोप और एशिया में तब पहुँचे जब क्रिस्टोफर कोलंबस गलती से 1492 में उन अज्ञात महाद्वीपों में पहुँच गया था जिन्हें बाद में अमेरिका के नाम से जाना जाने लगा। (यहाँ ‘अमेरिका’ का मतलब उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और कैरीबियन द्वीपसमूह, सभी से है।)
 दरअसल, हमारे बहुत सारे खाद्य पदार्थ अमेरिका के मूल निवासियों यानी अमेरिकन इंडियनों से हमारे पास आए हैं।
 नयी फसलों के आने से होने वाले परिवर्तन :-
 कई बार नयी फसलों के आने से जीवन में जमीन-आसमान का फर्क आ जाता था।
 साधारण से आलू का इस्तेमाल शुरू करने पर यूरोप के गरीबों की जिंदगी आमूल रूप से बदल गई थी। उनका भोजन बेहतर हो गया और उनकी औसत उम्र बढ़ने लगी।
 आयरलैंड के गरीब काश्तकार तो आलू पर इस हद तक निर्भर हो चुके थे कि जब 1840 के दशक के मध्य में किसी बीमारी के कारण आलू की फसल खराब हो गई तो लाखों लोग भुखमरी के कारण मौत के मुँह में चले गए।

विजय, बीमारी और व्यापार
 सोलहवीं सदी में जब यूरोपीय जहाजियों ने एशिया तक का समुद्री रास्ता ढूँढ़ लिया।
 वे पश्चिमी सागर को पार करते हुए अमेरिका तक जा पहुँचे तो पूर्व-आधुनिक विश्व बहुत छोटा सा दिखाई देने लगा।
 इससे पहले कई सदियों से हिंद महासागर के पानी में फलता-फूलता व्यापार, तरह – तरह के सामान,लोग, ज्ञान और परंपराएँ एक जगह से दूसरी जगह आ जा रही थीं।
 भारतीय उपमहाद्वीप इन प्रवाहों के रास्ते में एक अहम बिंदु था। पूरे नेटवर्क में इस इलाके का भारी महत्त्व था।
 यूरोपीयों के आ जाने से यह आवाजाही और बढ़ने लगी और इन प्रवाहों की दिशा यूरोप की तरफ भी मुड़ने लगी।
 अपनी ‘खोज’ से पहले लाखों साल से अमेरिका का दुनिया से कोई संपर्क नहीं था। लेकिन सोलहवीं सदी से उसकी विशाल भूमि और बेहिसाब फसलें व खनिज पदार्थ हर दिशा में जीवन का रूपरंग बदलने लगे।
 आज के पेरू और मैक्सिको में मौजूद खानों से निकलने वाली कीमती धातुओं, खासतौर से चाँदी, ने भी यूरोप की संपदा को बढ़ाया और पश्चिम एशिया के साथ होने वाले उसके व्यापार को गति प्रदान की।
 सत्रहवीं सदी के आते – आते पूरे यूरोप में दक्षिणी अमेरिका की धन – सम्पदा के बारे में तरह – तरह के किस्से बनने लगे थे।
 इन्हीं बातों की बदौलत यूरोप के लोग एल डोराडो को सोने का जहर मानने लगे और उसकी खोज में बहुत सारे खोजी अभियान शुरू किए गए।

10 Class History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना Notes in hindi

CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान
भूमंडलीकृत विश्व का बनना


स्मरणीय तथ्य

स्मरणीय तथ्य-

  1. भूमंडलीकरण दुनिया भर में आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक प्रणालियों का एकीकरण। इसका मतलब यह है कि वस्तुओं और सेवाओं, पूँजी और श्रम का व्यापार दुनिया भर में किया जाता है, देशों के बीच सूचना और शोध के परिणाम आसानी से प्रवाहित होते हैं। दूसरे शब्दों में भूमंडलीकरण विश्व के सभी भागों के लोगो को भौतिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का प्रयत्न करती है।
  2. रेशम मार्ग- सिल्क रूट (रेशम मार्ग) एक ऐतिहासिक व्यापार मार्ग था जो कि दूसरी शताब्दी ई. पू. 14वीं शताब्दी तक, यह चीन, भारत, फारस, अरब, ग्रीस और इटली को पीछे छोड़ते हुए एशिया से भूमध्यसागरीय तक फैला था। उस दौरान हुए भारी रेशम व्यापार के कारण इसे सिल्क रूट करार दिया गया था। इसका नाम चीन के रेशम के नाम पर पड़ा जिसका व्यापार इस मार्ग की मुख्य विशेषता थी | इस मार्ग में व्यापार के अलावा ज्ञान, धर्म, संस्कृति, भाषाएँ, विचारधाराएँ भी फैली।
  3. कॉर्न लॉ- सरकार (यू.के.) को मक्के के आयात को प्रतिबंधित करने की अनुमति देने वाले कानूनों को आमतौर पर कॉर्न लॉ के रूप में जाना जाता था। इस कानून ने भूमि के स्वामित्व से जुड़े मुनाफे और राजनीतिक शक्ति को भी बढ़ाया।
  4. रिंडरपेस्ट प्लेग- रिंडरपेस्ट एक तेजी से फैलने वाला पशु प्लेग है जो अफ्रीका में 1880 के दशक के अंत में फैला था। लेकिन अब भारत सरकार के द्वारा लागू की गयी रिंडरपेस्ट इरेडिकेशन परियोजना के तहत निरंतर रोग-निरोधक टीकों के उपयोग से यह बीमारी देश में समाप्त हो चुकी है।
  5. ब्रेटन वुड्स संस्थान- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के युग में विश्व अर्थव्यवस्था के क्रमिक विकास के लिए बनाया गया था।
  6. गिरमिटिया (अनुबंधित) श्रमिक अनुबंध के तहत एक बंधुआ मजदूर जो अपने नियोक्ता या मालिक के पास एक निश्चित समय काम करने के बाद अपने देश लौटने को आजाद होता है।
  7. श्रम का प्रवाह- काम की तलाश में नए क्षेत्रों में लोगों का प्रवासन।
  8. होसे- त्रिनिदाद वार्षिक मुहर्रम के जुलूस को ‘होसे’ (इमाम हुसैन के लिए) नामक एक विशाल उत्सवी मेले में बदल दिया गया, जिसमें सभी जातियों और धर्मो के कार्यकर्ता शामित्र हुए।
  9. G-77- G77 विकासशील देशों द्वारा एक नए अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक आदेश (NIEO) की माँग करने वाला एक समूह था जो इन देशों को उनके राष्ट्रीय संसाधनों, कच्चे माल, निर्मित वस्तुओं और उनके बाजारों पर वास्तविक नियंत्रण प्रदान करेगा।
  10. वीटो- एक कानून या निकाय द्वारा किए गए प्रस्ताव को अस्वीकार करने का संवैधानिक अधिकार। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी पाँच स्थायी सदस्य देशों (चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका) को भी वीटो का अधिकार प्राप्त है।
  11. टैरिफ एक देश के आयात या निर्यात पर दूसरे देश द्वारा लगाया जानेवाल कर। प्रवेश के बिंदु पर शुल्क लगाया जाता है, अर्थात सीमा या हवाई अड्डे पर।
  12. विनिमय दरें वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रयोजनों के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं को जोड़ती हैं। मोटे तौर पर दो प्रकार की विनिमय दरें हैं: निश्चित विनिमय दर और अस्थायी विनिमय दर। दूसरे शब्दों में दो अलग मुद्राओं की सापेक्ष कीमत होती है।

मित्र राष्ट्रों के नाम बताइए ?

उत्तर- ब्रिटेन, फ्राँस और रूस।

दक्षिणी अमेरिका में एल डोराडो क्या है ?

उत्तर- किंवदंतियों की बदौलत सोने का शहर।

किस देश के पास अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में वीटो का प्रभावशाली अधिकार है ?

उत्तर- संयुक्त राज्य अमेरिका।

लगभग 500 साल पहले किस फसल के बारे में हमारे पूर्वजों को ज्ञान नहीं था ?

उत्तर- आलू।

कौन से दो आविष्कारों ने 19 वीं सदी के विश्व में परिवर्तन किया ?

उत्तर- (1) भाप इंजन
(2) रेलवे

अमेरिका महाद्वीप की खोज किसने की ?

उत्तर- क्रिस्टोफर कोलंबस।

NCERT Class 6 to 12 Notes in Hindi
Class 10 History Chapter 3

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